भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत में मुद्रास्फीति: मांग बनाम आपूर्ति
प्रिलिम्स के लिये:मुद्रास्फीति, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) हेडलाइन मुद्रास्फीति, कोविड-19, महामारी, रूस-यूक्रेन संघर्ष, लॉकडाउन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, मांगजनित मुद्रास्फीति, लागत जनित मुद्रास्फीति मेन्स के लिये:मुद्रास्फीति पर मांग और आपूर्ति का प्रभाव। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत की हालिया मुद्रास्फीति दर चिंता का एक विषय है, लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की हालिया अवलोकन से आपूर्ति और मांग दोनों कारकों से प्रभावित होने वाली बाज़ार की बदलती प्रवृत्ति के संकेत मिलते हैं।
- जनवरी 2019 से मई 2023 तक की पूरी अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) हेडलाइन मुद्रास्फीति का लगभग 55%, आपूर्ति-पक्ष से संबंधित कारकों के लिये ज़िम्मेदार है जबकि मुद्रास्फीति में मांग चालकों का योगदान 31% था।
हाल के वर्षों में भारत में मुद्रास्फीति का क्या कारण है?
- कोविड-19 की दोनों लहरों के दौरा आपूर्ति में व्यवधान मुद्रास्फीति का मुख्य कारण था।
- महामारी की शुरुआत, लॉकडाउन के कारण उत्पादन और मांग में कमी से आर्थिक विकास में भारी गिरावट आई।
- इस चरण में कम मांग के कारण कमोडिटी की कीमतों में भी कमी देखी गई।
- टीकों के वितरण और नियंत्रित मांग जारी होने के साथ अर्थव्यवस्था में पुनः सुधार हुआ, आपूर्ति की तुलना में मांग में तेज़ी से वृद्धि हुई। इस असंतुलन के परिणामस्वरूप कमोडिटी/वस्तुओं की कीमतों पर दबाव बढ़ गया।
- वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत ने आपूर्ति शृंखला चुनौतियों को और बढ़ा दिया तथा कमोडिटी की कीमतों पर दबाव डाला।
मुद्रास्फीति के कारणों का आकलन करने की पद्धति क्या है?
- एक महीने के भीतर कीमतों और वस्तु की मात्रा (prices and quantities) में अप्रत्याशित बदलाव यह निर्धारित करते हैं कि मुद्रास्फीति मांगजनित (जब कीमतें और मात्राएँ समानुपाती होती हैं) या आपूर्तिजनित (जब कीमतें और मात्राएँ व्युत्क्रमानुपाती होती हैं) है।
- मांग (demand) में वृद्धि से कीमतों और मात्रा दोनों में वृद्धि होती है जबकि मांग में कमी से दोनों में कमी आती है।
- यदि कीमतों और मात्राओं में अप्रत्याशित परिवर्तन होता है जो एक-दूसरे के विपरीत बढ़ते हैं, तो मुद्रास्फीति को आपूर्ति-प्रेरित माना जाता है। आपूर्ति में कमी कम मात्रा लेकिन कीमत में वृद्धि से संबंधित है।
- समग्र हेडलाइन मुद्रास्फीति (overall headline inflation) का आकलन करने के लिये उप-समूह स्तर पर मांग और आपूर्ति कारकों को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer price index- CPI) का उपयोग करके जोड़ा गया था।
- हेडलाइन मुद्रास्फीति, अर्थव्यवस्था की कुल मुद्रास्फीति की माप है, जिसमें खाद्य एवं ऊर्जा की कीमतें इत्यादि शामिल हैं, जो अधिक अस्थिर(volatile) होती हैं और इनसे मुद्रास्फीति के बढ़ने की संभावना होती है।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI), जो यह निर्धारित करता है कि वस्तुओं की एक निश्चित टोकरी (basket of goods) खरीदने की लागत की गणना करके पूरी अर्थव्यवस्था में कितनी मुद्रास्फीति हुई है, इसका उपयोग हेडलाइन मुद्रास्फीति के आँकड़े ज्ञात करने के लिये किया जाता है।
मुद्रास्फीति क्या है?
- परिचय:
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) द्वारा परिभाषित मुद्रास्फीति, एक निश्चित अवधि में कीमतों में वृद्धि की दर है, जिसमें समग्र मूल्य वृद्धि या विशिष्ट वस्तुओं और सेवाओं की व्यापक माप शामिल है।
- यह जीवन यापन की बढ़ती लागत को दर्शाता है और इंगित करता है कि एक निर्दिष्ट अवधि, आमतौर पर एक वर्ष में, वस्तुओं और/या सेवाओं की लागत का एक समुच्चय कितना महँगा हो गया है।
- आर्थिक असमानताओं और बड़ी आबादी के कारण भारत में मुद्रास्फीति का प्रभाव विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- मुद्रास्फीति के विभिन्न कारण:
- मांगजनित मुद्रास्फीति (Demand Pull Inflation):
- मांगजनित मुद्रास्फीति (Demand Pull Inflation) तब होती है जब वस्तुओं और सेवाओं की मांग उनकी आपूर्ति से अधिक हो जाती है। जब अर्थव्यवस्था में समग्र मांग अधिक होती है, तो उपभोक्ता उपलब्ध वस्तुओं तथा सेवाओं के लिये अधिक भुगतान करने को तैयार होते हैं, जिससे कीमतों में सामान्य वृद्धि होती है।
- उच्च उपभोक्ता व्यय वाली एक उभरती अर्थव्यवस्था अतिरिक्त मांग उत्पन्न कर सकती है, जिससे कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है।
- मांगजनित मुद्रास्फीति (Demand Pull Inflation) तब होती है जब वस्तुओं और सेवाओं की मांग उनकी आपूर्ति से अधिक हो जाती है। जब अर्थव्यवस्था में समग्र मांग अधिक होती है, तो उपभोक्ता उपलब्ध वस्तुओं तथा सेवाओं के लिये अधिक भुगतान करने को तैयार होते हैं, जिससे कीमतों में सामान्य वृद्धि होती है।
- लागतजनित मुद्रास्फीति:
- लागतजनित मुद्रास्फीति (Cost-Push inflation) वस्तुओं तथा सेवाओं की उत्पादन लागत में वृद्धि से प्रेरित होती है। यह बढ़ी हुई आय, कच्चे माल की बढ़ी हुई लागत अथवा आपूर्ति शृंखला में व्यवधान जैसे कारकों के कारण हो सकता है।
- अंतर्निहित अथवा वेतन-मूल्य मुद्रास्फीति:
- इस प्रकार की मुद्रास्फीति को अमूमन मज़दूरी तथा कीमतों के बीच फीडबैक लूप के रूप में वर्णित किया जाता है। जब श्रमिक अधिक वेतन की मांग करते हैं तो व्यवसाय बढ़ी हुई श्रम लागत की पूर्ति करने के लिये कीमतें बढ़ा सकते हैं। यह श्रमिकों को अधिक वेतन की मांग करने के लिये प्रेरित करता है तथा यह चक्र जारी रहता है।
- श्रमिक संघों द्वारा सामूहिक सौदेबाज़ी के परिणामस्वरूप उच्च मज़दूरी दर प्राप्त हो सकती है, जिससे उत्पादन लागत में वृद्धि हो सकती है तथा बाद में वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।
- इस प्रकार की मुद्रास्फीति को अमूमन मज़दूरी तथा कीमतों के बीच फीडबैक लूप के रूप में वर्णित किया जाता है। जब श्रमिक अधिक वेतन की मांग करते हैं तो व्यवसाय बढ़ी हुई श्रम लागत की पूर्ति करने के लिये कीमतें बढ़ा सकते हैं। यह श्रमिकों को अधिक वेतन की मांग करने के लिये प्रेरित करता है तथा यह चक्र जारी रहता है।
- मांगजनित मुद्रास्फीति (Demand Pull Inflation):
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति या उसमें वृद्धि निम्नलिखित किन कारणों से होती है? (2021)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (a) |
शासन व्यवस्था
मनरेगा योजना के तहत कार्यान्वित तकनीकी नवाचार
प्रिलिम्स के लिये:आधार भुगतान ब्रिज सिस्टम (APBS), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि प्रबंधन प्रणाली (NeFMS) मेन्स के लिये:मनरेगा योजना, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भारत के कमज़ोर वर्ग को कल्याणकारी लाभों से वंचित करने तथा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत मज़दूरी भुगतान में देरी के लिये प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से आधार के उपयोग से संबंधित चिंताओं का उत्तर दिया है।
- इन चिंताओं के संदर्भ में मंत्रालय ने मनरेगा के तहत कई तकनीकी नवाचारों पर प्रकाश डाला है, जिसका उद्देश्य इसके कार्यान्वयन में पारदर्शिता तथा दक्षता बढ़ाना है।
मनरेगा योजना क्या है?
- परिचय:
- वर्ष 2005 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू की गई यह योजना विश्व के सबसे बड़े रोज़गार गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
- यह योजना किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों के लिये प्रत्येक वित्तीय वर्ष में सौ दिनों का रोज़गार सुनिश्चित करते हुये विधिक गारंटी प्रदान करती है।
- इस योजना द्वारा प्रतिभागी वैधानिक न्यूनतम वेतन अर्जित करने हेतु सार्वजनिक परियोजनाओं से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य संबंधी रोज़गार में नियोजित किये जाते हैं।
- मनरेगा की वर्तमान स्थिति:
- इसके तहत वर्तमान में 14.32 करोड़ जॉब कार्ड पंजीकृत किये गए हैं, जिनमें से 68.22% सक्रिय जॉब कार्ड हैं तथा इसमें कुल 25.25 करोड़ श्रमिक पंजीकृत हैं, जिनमें से 56.83% सक्रिय श्रमिक हैं।
- कार्यान्वित तकनीकी नवाचार:
- आधार एकीकरण:
- इसके तहत वास्तविक लाभार्थियों के डी-डुप्लीकेशन तथा प्रमाणीकरण के लिये निरंतर आधार सीडिंग (आधार संख्या को प्राथमिक बैंक खाता संख्या से जोड़ना) की जाती है।
- 14.08 करोड़ (98.31%) सक्रिय श्रमिकों की आधार सीडिंग पहले ही पूर्ण हो चुकी है। इन सीडेड आधार की तुलना में कुल 13.76 करोड़ आधार प्रमाणित किये गए हैं एवं 87.52% सक्रिय श्रमिक अब आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम (Aadhaar Payment Bridge System- APBS) के पात्र हैं।
- APBS एक भुगतान प्रणाली है जो लाभार्थियों के आधार-लिंक्ड बैंक खातों में इलेक्ट्रॉनिक रूप से सरकारी सब्सिडी और लाभ की राशि भेजने के लिये आधार संख्या का उपयोग करती है।
- तकनीकी या आधार-संबंधी समस्याओं का सामना करने वाली ग्राम पंचायतें मुद्दों के समाधान होने तक मामले-दर-मामले आधार पर APBS से छूट मांग सकती हैं।
- नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) का डेटा DBT के लिये आधार सक्षम होने पर 99.55% या उससे अधिक की सफलता दर का संकेत देता है।
- APBS एक भुगतान प्रणाली है जो लाभार्थियों के आधार-लिंक्ड बैंक खातों में इलेक्ट्रॉनिक रूप से सरकारी सब्सिडी और लाभ की राशि भेजने के लिये आधार संख्या का उपयोग करती है।
- मज़दूरी रोज़गार के लाभार्थियों के वेतन का भुगतान APBS के माध्यम से किया जाना है।
- हाल की चिंताओं के अनुसार कुल पंजीकृत श्रमिकों में से 34.8% और सक्रिय श्रमिकों में से 12.7% अभी भी APBS के लिये अयोग्य हैं तथा उनकी कोई प्रासंगिकता नहीं है।
- क्योंकि APBS केवल तभी लागू होता है जब कोई पंजीकृत लाभार्थी मज़दूरी रोज़गार के अंतर्गत आता है।
- राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड प्रबंधन प्रणाली (National Electronic Fund Management System- NEFMS):
- लाभार्थियों को सीधे वेतन भुगतान करने के लिये वित्त वर्ष 2016-17 में NEFMS पेश किया गया था।
- 99% से अधिक वेतन भुगतान सीधे लाभार्थियों के बैंक/डाकघर खातों में जमा किया जाता है।
- लाभार्थियों को सीधे वेतन भुगतान करने के लिये वित्त वर्ष 2016-17 में NEFMS पेश किया गया था।
- आधार एकीकरण:
- NMMS के माध्यम से रियल-टाइम निगरानी:
- राष्ट्रीय मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (National Mobile Monitoring System) ऐप कार्यस्थलों पर लाभार्थियों की रियल-टाइम उपस्थिति को कैप्चर करता है।
- लाभार्थी और नागरिक पारदर्शिता बढ़ाते हुए कार्यकर्त्ता की उपस्थिति का सत्यापन कर सकते हैं।
- राष्ट्रीय मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (National Mobile Monitoring System) ऐप कार्यस्थलों पर लाभार्थियों की रियल-टाइम उपस्थिति को कैप्चर करता है।
- परिसंपत्तियों की जियोटैगिंग:
- यह सिस्टम योजना के तहत बनाई गई परिसंपत्तियों की जियोटैगिंग के लिये रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग करता है।
- रिमोट सेंसिंग किसी क्षेत्र के परावर्तित और उत्सर्जित विकिरण का दूरस्थ (आमतौर पर उपग्रह या विमान से) मापन कर उसकी भौतिक विशेषताओं का पता लगाने एवं निगरानी करने की प्रक्रिया है।
- यह स्थान-विशिष्ट जानकारी प्रदान करके सार्वजनिक जाँच और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
- जॉब कार्ड अद्यतनीकरण:
- राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा नियमित रूप से जॉब कार्ड अद्यतित किया/हटाया जाता है-
- यदि कोई जॉब कार्ड नकली जॉब कार्ड (गलत जॉब कार्ड)/डुप्लिकेट जॉब कार्ड है/परिवार काम करने के इच्छुक नहीं है/परिवार ग्राम पंचायत से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गया है/जॉब कार्ड में एकल व्यक्ति है और उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई है, तो उसे हटाया जा सकता है।
- अप्रैल 2022 से अब तक करीब 2.85 करोड़ जॉब कार्ड निरस्त किये जा चुके हैं।
- ड्रोन द्वारा निगरानी:
- बेहतर निर्णय लेने, वास्तविक समय की निगरानी और डेटा संग्रह को बढ़ाने के लिये ड्रोन का पायलट परीक्षण किया जा रहा है।
- यह सिस्टम योजना के तहत बनाई गई परिसंपत्तियों की जियोटैगिंग के लिये रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन “ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम” के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने का पात्र है? (a) केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति परिवारों के वयस्क सदस्य उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प D सही है। |
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत के लिये वैश्विक भू-राजनीतिक जटिलताएँ और अवसर
प्रिलिम्स के लिये:भारत के लिये वैश्विक भूराजनीतिक जटिलताएँ और अवसर, रूस-यूक्रेन संघर्ष और गाज़ा पट्टी में चल रहा युद्ध, संयुक्त राज्य अमेरिका में खालिस्तानी अलगाववादी। मेन्स के लिये:भारत के लिये वैश्विक भू-राजनीतिक जटिलताएँ और अवसर। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत के इस बात पर बल देने के बावजूद कि, "This is not the era of war (अर्थात् यह युद्ध का युग नहीं है)", वर्ष 2023 युद्धों का वर्ष बन गया; रूस-यूक्रेन संघर्ष और गाज़ा पट्टी में चल रहा संघर्ष हाल के दशकों के सबसे विनाशकारी संघर्षों में से एक है।
- चीन के आक्रामक व्यवहार के अलावा ये संघर्ष बहुत बड़ी चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहे हैं और राजनयिक प्रयासों को बाधित करते हैं, जिससे न केवल पश्चिमी विश्व में बल्कि भारत में भी चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।
भारत के लिये वर्ष 2023 के वैश्विक भू-राजनीतिक रुझान और चुनौतियों का अवलोकन क्या है?
- मध्य पूर्व में संकट:
- हमास के हमले, जिसमें 1,200 से अधिक नागरिकों और सैन्य लोगों की जान चली गई, ने इज़रायल और अरब राष्ट्रों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के लिये दो वर्ष के निरंतर प्रयासों को बाधित कर दिया।
- इज़रायल की आक्रोशित और असंगत प्रतिक्रिया ने अब तक गाज़ा में 20,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को मार डाला है, जिसकी अमेरिका तक ने आलोचना की है। इज़रायल-अरब सुलह प्रक्रिया फिलहाल स्थिर है और गाज़ा का भविष्य अज्ञात है।
- भारत ने दशकों पुराने इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष को हल करने और अशांत क्षेत्र में स्थायी शांति लाने के लिये द्वि-राष्ट्र समाधान (Two-State Solution) का समर्थन किया।
- भारत-US संबंधों में तनाव:
- भारत और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की एक-दूसरे की राजधानियों की सफल यात्राओं के बाद, अमेरिका में एक खालिस्तानी अलगाववादी के खिलाफ हत्या की साज़िश में एक भारतीय अधिकारी के शामिल होने के आरोपों से द्विपक्षीय संबंधों में प्रतिकूलता आ रही है।
- भारत की प्रतिक्रिया उस मामले से भिन्न है जब पूर्व में कनाडा सरकार ने कनाडा में एक खालिस्तानी की मौत का संबंध भारत सरकार से जोड़कर संदेह व्यक्त किया था।
- भारत ने "विधि के शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता (Commitment to the rule of law)" व्यक्त की है और जानकारी प्रदान करने पर कथित अमेरिकी साज़िश में भारतीय नागरिकों की भूमिका पर "जाँच-पड़ताल (look into)" का वादा किया है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध:
- जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ रहा है, पश्चिम को वित्तपोषण संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यूक्रेन यूरोपीय संघ से 18.5 अरब यूरो और अमेरिका से 8 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के अतिरिक्त महत्त्वपूर्ण सैन्य सहायता की भी मांग कर रहा है।
- लेकिन अब तक अमेरिकी काॅन्ग्रेस में रिपब्लिकन और यूरोपीय संघ में हंगरी द्वारा सहायता को अवरुद्ध कर दिया गया है।
- इस बीच रूस के राष्ट्रपति के रूप में पुतिन का पुनः चयन तय माना जा रहा है। रूस पर लगाए गये प्रतिबंधों के बावजूद इसकी अर्थव्यवस्था लचीली रही है तथा मॉस्को एवं बीजिंग के बीच बढ़ती निकटता पश्चिमी देशों को चिंतित करती है।
- भारत की मालदीव संबंधी चुनौतियाँ:
- राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार, जिसने सत्ता में आने के लिये "इंडिया आउट" अभियान चलाया था, ने भारत से मालदीव में तैनात सैन्य कर्मियों को वापस लेने के लिये कहा और साथ ही जल सर्वेक्षण समझौते को समाप्त करने के अपने विचार से अवगत कराया। मुइज्जू सरकार को चीन का करीबी माना जाता है।
- चीन का व्यवहार:
- वर्तमान में चीन भारत की सबसे बड़ी चिंता तथा रणनीतिक चुनौती बना हुआ है। सीमा गतिरोध का यह चौथा वर्ष है जिसमें चीनी सैन्य उपस्थिति का मुकाबला करने के लिये भारतीय बल की स्थिति बरकरार रखी गई है। भारत के सामरिक रक्षा साझेदार मॉस्को की आर्थिक अस्तित्व के लिये बीजिंग पर निर्भरता तथा मालदीव व चीन की हिंद महासागर में बढ़ती भागीदारी चिंता का विषय बन गई है।
- G-20 तथा ग्लोबल साउथ:
- G-20 शिखर सम्मेलन में संयुक्त घोषणा पर वार्ता करने में भारत की सफलता अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में कई लोगों के लिये आश्चर्य का विषय था।
- नई दिल्ली में आयोजित G-20 सम्मेलन की एक बड़ी उपलब्धि विकासशील तथा अल्प विकसित देशों को ग्लोबल साउथ के तत्त्वावधान में एकजुट करना था।
- ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करने के विचार को भारत के गुटनिरपेक्ष विचारधारा की धारणा को आगे बढ़ाने के कदम के रूप में देखा जाता है, जिसे केवल 21वीं सदी के लिये अनुकूलित किया गया है।
- तालिबान के साथ भागीदारी:
- नई दिल्ली में अफगानिस्तान दूतावास में परिवर्तन हुआ है जिसमें मौजूदा राजदूत के चले जाने के बाद मुंबई एवं हैदराबाद के अफगान राजनयिक ने कार्यभार संभाला है।
- भारत को राहत देते हुए उन्होंने तालिबान का झंडा न फहराने अथवा अपने आधिकारिक पत्राचार में तालिबान शब्दावली का प्रयोग न करने का आश्वासन दिया है।
वर्ष 2024 में भारत के लिये आगामी चुनौतियाँ क्या हैं?
- अमेरिका तथा कनाडा संबंध:
- अमेरिका में चल रहे 'हत्या की साज़िश' के मुद्दे को हल करना भारत के लिये एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। गणतंत्र दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति की अनुपस्थिति की सूचना के कारण क्वाड शिखर सम्मेलन में देरी हुई।
- कनाडा के आरोपों से भी संबंधों में तनाव है किंतु देश की जनता भारत की प्रतिक्रिया का समर्थन करती है। अमेरिका तथा कनाडा के मुद्दों के लिये अलग-अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता है क्योंकि दोनों देश भारत के लिये पृथक महत्त्व रखते हैं।
- पाकिस्तान संबंध:
- वर्ष 2019 के बाद से जब वर्तमान भारत सरकार का पुनः चयन हुआ तथा जम्मू-कश्मीर में संविधानिक परिवर्तन हुए, पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध बिगड़ते रहे हैं।
- इस्लामाबाद और रावलपिंडी में सत्ता परिवर्तन से कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा तथा भारत पाकिस्तान के प्रति उदासीनता के अपने सिद्धांत पर अडिग रहा।
- पाकिस्तान में हाल ही में चुनाव होने हैं तथा फरवरी 2024 के बाद वहाँ नई सरकार सत्ता में आ सकती है।
- बांग्लादेश चुनाव:
- शेख हसीना सरकार के पिछले 15 वर्षों के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को सकारात्मक गति मिली है और भारतीय नए साल की शुरुआत में होने वाले चुनावों में उनकी सत्ता में वापसी देखने के लिये उत्सुक होंगे।
- सुरक्षा अनिवार्यताएँ ढाका में भारत की पसंद का मार्गदर्शन करती हैं, 2000 के दशक की प्रारंभ में खालिदा ज़िया सरकार के पिछले कार्यों का निष्पादन (ट्रैक रिकॉर्ड) के अनुसार, बांग्लादेश के विपक्ष को संदेह और शत्रुता की दृष्टि से देखा जाता है।
- चीन सीमा पर गतिरोध:
- सीमा पर 2020 से ही गतिरोध जारी है; किसी भी हालिया तनाव का असर सुरक्षा स्थिति और भारत के घरेलू राजनीतिक परिवेश दोनों पर पड़ेगा।
- भारत अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी को चुनौती का जवाब देते समय अतिरिक्त सावधानी बरतेगा। यह अनिवार्यता अगले कुछ महीनों में और भविष्य में भी चीन के प्रति भारत की कूटनीति को तैयार करेगी।
- पश्चिम एशिया में तनाव:
- इज़राइल-हमास संघर्ष में भारत का परिवर्तित रुख और इस क्षेत्र में सूक्ष्म कूटनीतिक स्थिति जटिल चुनौतियाँ पेश करती है।
- रूस और अमेरिका के बीच हितों का संतुलन:
- दोनों के मध्य चल रहे युद्ध के बीच रूसी तेल के आयात और अमेरिका के दबाव के बीच हितों को संतुलित करना भारत की विदेश नीति की रणनीति को आकार देता है।
आगे की राह
- भारत अपने पूर्वोत्तर राज्यों और बांग्लादेश के बीच कनेक्टिविटी में सुधार के प्रयासों को उच्च स्तर पर ले जाना चाहता है, जिससे पूर्वोत्तर क्षेत्र और दोनों देशों को लाभ होगा। भारत का लक्ष्य सत्ता में संभावित बदलावों को ध्यान में रखते हुए शेख हसीना की सरकार के साथ सकारात्मक द्विपक्षीय संबंधों में निरंतरता रखना है।
- भारत को इज़राइल-हमास संघर्ष में अपना कूटनीतिक रुख विकसित करना जारी रखना चाहिये, जिसका लक्ष्य इज़राइल का समर्थन और ग्लोबल साउथ की चिंताओं को संबोधित करना है। ऐसे में शांति-निर्माण प्रयासों में सकारात्मक योगदान देने के तरीकों की तलाश और मानवीय सहायता की वकालत करना महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
- कहा जाता है कि ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता महत्त्वपूर्ण चरण में है। यूरोपीय संघ संसद तथा संभवतः ब्रिटेन में चुनाव 2024 में होने वाले हैं और इससे वार्ताकारों के लिये नीतिगत स्थान एवं लचीलापन कम हो जाता है। फिर भी 2024 में ये प्रमुख आर्थिक कूटनीति पहल फलीभूत हो सकती हैं।
- भारत के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग और साइबर सुरक्षा में उच्च तकनीक तक पहुँच में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिये प्रौद्योगिकी और व्यापार पर अमेरिका व यूरोपीय संघ के साथ वार्ता कर संबंधित नीतियों पर ध्यान देना चाहिये।
सामाजिक न्याय
गरीबों, युवाओं, महिलाओं और किसानों को प्राथमिकता
प्रिलिम्स के लिये:बहुआयामी निर्धनता सूचकांक, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, महिला आरक्षण विधेयक 2023, विश्व बैंक, बेरोज़गारी मेन्स के लिये:बहुआयामी निर्धनता और बेरोज़गारी, महिलाओं का सशक्तीकरण, कृषि संकट में योगदान देने वाले कारक, संबंधित सरकारी पहल |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री ने चार समूहों: गरीबों, युवाओं, महिलाओं और किसानों के कल्याण को प्राथमिकता देने की अनिवार्यता को रेखांकित किया है।
- यह बल वंचितों के लिये गरिमा और सम्मान सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत में रेखांकित समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति क्या है?
गरीब/निर्धन (Poor):
- बहुआयामी निर्धनता सूचकांक:
- भारत की लगभग 230 मिलियन से अधिक आबादी निर्धन है।
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) तथा ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल द्वारा प्रकाशित 2023 वैश्विक बहुआयामी निर्धनता सूचकांक के अनुसार, वर्ष 2005-06 और 2019-21 के दौरान लगभग 415 मिलियन भारतीय, निर्धनता से दूर हुए।
- UNDP द्वारा परिभाषित, लगभग 18.7% आबादी बहुआयामी निर्धनता के प्रति 'सुभेद्य' की श्रेणी में आती है।
- यह उन व्यक्तियों को संदर्भित करता है, जिन्हें गरीब के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है, लेकिन इन्होने सभी भारित संकेतकों के 20-33.3% में अभाव का अनुभव किया है।
- भोजन पकाने का ईंधन, आवास और बेहतर पोषण अभाव के प्रमुख क्षेत्र हैं। संबंधित मेट्रिक्स डाटा में क्रमशः 13.9%, 13.6% और 11.8% आबादी को वंचित के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- बेरोज़गारी:
- अक्तूबर 2023 में भारत की बेरोज़गारी दर दो वर्षों में उच्चतम स्तर पर पहुँच गई, ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी में वृद्धि दर्ज की गई।
- राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के सत्र 2022-23 के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण में 2017-18 की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी में 5.3% से 2.4% और शहरी क्षेत्रों में 7.7% से 5.4% की कमी देखी गई।
- कुल नियोजित जनसंख्या में स्व-रोज़गार वाले व्यक्तियों का अनुपात वर्ष 2018-19 में 52% से बढ़कर 2022-23 में 57% हो गया।
- स्व-रोज़गार में विभिन्न गतिविधियाँ शामिल हैं जैसे चाय की दुकान चलाना, कृषि कार्य करना, घरेलू उद्यमों में सहायता करना, चिकित्सा का अभ्यास करना और किसी की आर्थिक गतिविधियों के अंतर्गत अवैतनिक कार्य करना।
- स्व-रोज़गार स्तर का अधिक होना अन्य विकल्पों की कमी को इंगित करता है, इस प्रकार लोग इन अल्प-भुगतान वाले व्यवसायों से जुड़े रहते हैं।
- अमूमन प्रति व्यक्ति निम्न आय वाले देशों में स्व-रोज़गार आबादी का अनुपात अधिक होता है।
- महिलाएँ:
- विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट, 2023 के अनुसार भारत 146 देशों में से 127वें स्थान पर रहा जो वर्ष 2022 की तुलना में 135वें स्थान से 1.4% अंक तथा आठ स्थान का सुधार दर्शाता है।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau- NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में महिलाओं के विरुद्ध अपराध 4% बढ़ गए, जिसमें दर्ज किये गए अपराधों की संख्या 4.45 लाख से अधिक थी।
- अधिकांश अपराध पतियों अथवा नातेदारों द्वारा क्रूरता, अपहरण, हमला एवं बलात्कार से संबंधित थे।
- 12 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में अपराध दर राष्ट्रीय औसत से अधिक दर्ज की गई।
- महिला आरक्षण अधिनियम, 2023 जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है, महिलाओं के लिये विधान सभाओं एवं लोकसभा में एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिये पारित किया गया था।
- कृषक:
- अत्यधिक तथा असामयिक वर्षा के कारण किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं, जिससे उनकी आय गंभीर रूप से प्रभावित हुई।
- दक्षिण-पश्चिम मानसून अनियमित और औसत से कम था, जिससे देश के विभिन्न क्षेत्रों में खरीफ फसल की पैदावार प्रभावित हुई।
- कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा झारखंड जैसे राज्य सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं।
- उत्तर भारत में BT कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म कीट के कारण निरंतर होने वाले नुकसान ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है।
- NCRB के आँकड़ों के अनुसार कृषि से संबंधित लोगों में आत्महत्या से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है।
- भारत में प्रत्येक घंटे एक किसान ने आत्महत्या की तथा वर्ष 2022 में आत्महत्या के 11,290 मामले दर्ज किये गए।
- खेतिहर मज़दूरों की आत्महत्याएँ किसानों की तुलना में अधिक थीं। आत्महत्या के 53% मामले खेतिहर मज़दूरों के थे।
- आय के लिये एक औसत कृषक परिवार की निर्भरता फसल उत्पादन के स्थान पर कृषि से मिलने वाली मज़दूरी पर बढ़ती जा रही है।
- अत्यधिक तथा असामयिक वर्षा के कारण किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं, जिससे उनकी आय गंभीर रूप से प्रभावित हुई।
- युवा:
- विश्व बैंक के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत में युवा बेरोज़गारी दर 23.2% थी, जो इसके पड़ोसी देशों पाकिस्तान (11.3%), बांग्लादेश (12.9%) और भूटान (14.4%) से भी अधिक थी।
- चीन में बेरोज़गारी दर 13.2%, दक्षिण कोरिया में 6.9% और सिंगापुर में 6.1% रही।
- हालाँकि भारत में युवा बेरोज़गारी दर वर्ष 2021 में 23.9% से कम हो गई है, फिर भी यह 2019 के प्री-कोविड वर्ष में दर्ज 22.9% से अधिक है।
- विश्व बैंक के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत में युवा बेरोज़गारी दर 23.2% थी, जो इसके पड़ोसी देशों पाकिस्तान (11.3%), बांग्लादेश (12.9%) और भूटान (14.4%) से भी अधिक थी।
युवा बेरोज़गारी दर का तात्पर्य कार्यबल में उन लोगों से है जिनकी आयु 15 से 24 वर्ष है और उनके पास नौकरी नहीं है, लेकिन वे सक्रिय रूप से नौकरी/रोज़गार की तलाश कर रहे हैं।
स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया, 2023 अध्ययन में पाया गया कि 25 वर्ष से कम आयु के स्नातकों के बीच बेरोज़गारी दर वर्ष 2021-2022 में 42.3% थी, जबकि समग्र बेरोज़गारी दर 8.7% थी।
इन विशिष्ट समूहों को संबोधित करने के उद्देश्य से संबंधित पहल क्या हैं?
- गरीबों से संबंधित योजनाएंँ:
- महिलाओं से संबंधित योजनाएंँ:
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
- उज्ज्वला योजना
- प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना
- वन स्टॉप सेंटर
- कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013
- यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO), 2012
- नारी शक्ति पुरस्कार
- महिला पुलिस स्वयंसेवक
- महिला शक्ति केंद्र (MSK)
- किसानों से संबंधित योजनाएंँ:
- युवाओं से संबंधित योजनाएंँ:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. UNDP के समर्थन से ऑक्सफ़ोर्ड निर्धनता एवं बहु-आयामी निर्धनता सूचकांक में निम्नलिखित में से कौन-सा/से सम्मिलित है/हैं? (2012) 1- पारिवारिक स्तर पर शिक्षा,स्वास्थ्य, सम्पत्ति तथा सेवाओं से वचन निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न. प्रच्छन्न बेरोजगारी का सामान्यतः अर्थ होता है कि- (2013) (a) लोग बड़ी संख्या में बेरोज़गार रहते हैं उत्तर: (c) प्रश्न.‘किसान क्रेडिट कार्ड’ योजना के अंतर्गत निम्नलिखित में से किन-किन उद्देश्यों के लिये कृषकों को अल्पकालीन ऋण समर्थन उपलब्ध कराया जाता है?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये (a) केवल 1, 2 और 5 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017) 1- राष्ट्रव्यापी ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम (सॉइल हेल्थ कार्ड स्कीम)’ का उद्देश्य है सिंचित कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करना। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न1. भारत में सबसे ज्यादा बेरोज़गारी प्रकृति में संरचनात्मक है। भारत में बेरोज़गारी की गणना के लिये अपनाई गई पद्धति का परीक्षण कीजिये और सुधार का सुझाव दीजिये। (2023) प्रश्न2. लगातार उच्च विकास के बावजूद भारत अभी भी मानव विकास के निम्नतम संकेतकों पर है। उन मुद्दों की जाँच कीजिये जो संतुलित और समावेशी विकास को दुशप्राप्य बनाते हैं। (2016) (2016) प्रश्न3. हम देश में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों में वृद्धि देख रहे हैं। इसके खिलाफ मौजूदा कानूनी प्रावधानों के बावजूद ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इस खतरे से निपटने के लिये कुछ अभिनव उपाय सुझाइये। (2014) |