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सामाजिक न्याय

महामारी एवं इन्फोडेमिक

  • 28 May 2021
  • 7 min read

यह एडिटोरियल दिनांक 26/05/2021 को 'द हिंदुस्तान टाइम्स' में प्रकाशित लेख “In a pandemic, the power of the rumour” पर आधारित है। इस एडिटोरियल में कोविड 19 एवं इन्फोडेमिक (Infodemic) (सूचनाओं की अधिकताओं) के कारण उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा की गई है।

संदर्भ

कोविड-19 इतिहास की पहली महामारी है जहाॅं प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। साथ ही, इससे स्वास्थ्य संबंधी अफवाहों का व्यापक प्रसार हुआ है, जिससे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को भी महामारी को "इन्फोडेमिक" कहने के लिये प्रेरित किया गया है।

  • इन्फोडेमिक (Infodemic) सूचनाओं की अधिकता है। इसमें लोगों के लिये झूठे या भ्रामक स्रोतों के बीच सच्चे और भरोसेमंद स्रोतों की पहचान करना मुश्किल होता है।
  • वर्तमान आपातकाल की स्थिति में, विशेष रूप से, सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य संबंधी जानकारी अक्सर प्रकाशित एवं साझा की जाती है। इसकी सत्यता अप्रमाणित होने के बाद भी गलत सूचनाओं और अफवाहों को आगे साझा किया जाता है।
  • ऐसी ही एक अफवाह कोविड-19 वैक्सीन के बारे में है। इसके कारण लोगों का वैक्सीन लेने में हिचकिचाहट की समस्या को विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा वैश्विक स्वास्थ्य के लिये शीर्ष 10 खतरों में से एक के रूप में नामित किया गया था।

महामारी और इन्फोडेमिक का आपस में संबंध

  • परिस्थितियों में बदलाव: प्रिंट और प्रसारण मीडिया के वर्चस्व वाले 20वीं सदी के पारिस्थितिकी तंत्र से तेज़ी से बदलाव हुआ एवं अभी डिजिटल, मोबाइल एवं सोशल मीडिया का प्रभुत्व है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर फिल्टरिंग की कमी किसी भी प्रमाणीकरण तंत्र से विश्वास कम करती है।
  • सूचना का संज्ञानात्मक भार: महामारी भ्रम, अस्पष्टता, चिंता और अनिश्चितता को जन्म देती है, जिस कारण स्वास्थ्य संबंधी अफवाहों को बढ़ावा मिलता है।
    • लोगों द्वारा स्रोत की सटीकता, सत्यता और विश्वसनीयता को नज़रअंदाज कर दिया जाता है, खासकर सोशल मीडिया पर जहाॅं उपयोगकर्त्ता के पास पहले से ही बहुत अधिक जानकारी है।
  • जनता का संघर्ष तंत्र: कई अध्ययनों में पाया गया है कि संकट के दौरान (जैसे प्राकृतिक आपदा, आतंकी हमला, वैश्विक महामारी), अफवाहें साझा करना एक संघर्ष तंत्र की तरह कार्य करता है।
    • इससे लोगों को राहत का भ्रम होता है, जैसे कि अनिश्चित स्थिति से जुड़ी चिंता या भय क्षण भर के लिये कम हो जाता है।
    • हालाॅंकि पूर्व शोध से पता चलता है कि महामारी के दौरान लंबे समय तक स्वास्थ्य से जुड़ी अफवाहें फैलने से नागरिकों में डर पैदा हो सकता है।
  • नकारात्मक प्रभाव: भारत जैसे विकासशील देश में अफवाह का काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जैसे- स्वास्थ्य संस्थानों और विशेषज्ञों के प्रति अविश्वास, सामुदायिक प्रतिरक्षा से संबंधित गलतफहमी, तेज़ी से वैक्सीन विकास से संबंधित भय उपजा है।
    • ये कारक सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित गलत सूचनाओं को पुष्टि करते हैं।

आगे की राह

  • सोशल मीडिया की सकारात्मक भूमिका का लाभ उठाना: हालाॅंकि सोशल मीडिया खतरनाक अफवाह फैलाने के लिये एक उपजाऊ जमीन के रूप में कार्य कर रहा है लेकिन यह महत्त्वपूर्ण जानकारी के एक बेहतर स्रोत के रूप में कार्य कर सकता है।
    • इस प्रकार सरकारों और स्वास्थ्य एजेंसियों को गलत सूचनाओं को सत्यापित करने के लिये एक विश्वासप्रद पोर्टल की स्थापना करनी चाहिये।
    • इसके अलावा आकर्षक हस्तियाॅं और सोशल मीडिया पर प्रभावी व्यक्तित्व लोगों को वैक्सीन लेने के लिये प्रेरित कर सकते हैं। 
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की ज़िम्मेदारी: फेसबुक, यूट्यूब और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ऐसी सुविधाओं से जोड़ने में सक्रिय होना चाहिये जो उपयोगकर्त्ताओं को सत्यापित जानकारी तक पहुॅंचने में मदद करे।
    • साथ ही, उन्हें गलत सूचनाओं को फिल्टर करने एवं स्वास्थ्य संबंधी अफवाहों को तेज़ी से दूर करने के अपने प्रयासों को दोगुना करना चाहिये।
  • सूचना में स्वच्छता: हालाॅंकि कोविड-19 और सोशल मीडिया ने व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के महत्त्व पर प्रकाश डाला है। अब समाज में सूचना स्वच्छता के बारे में बातचीत होनी चाहिये। सूचना स्वच्छता में शामिल तत्त्व हैं:
    • तथ्य के प्रामाणिक स्रोत की पुष्टि करना।
    • कुछ फैक्ट चेकिंग वेबसाइट के साथ डबल चेकिंग।
    • विशेष मुद्दे पर कुछ विशेषज्ञ की राय लेना।
    • सोशल मीडिया पर फॉरवर्डेड न्यूज को देखते हुए तर्कसंगत सोच को लागू करना।
    • सूचना साझा करने से पहले उपर्युक्त विचारों को लागू करना।

निष्कर्ष

आज जबकि भारत का मुख्य संकट टीके की कमी है एवं इस पर डेटा अपर्याप्त है। आपूर्ति बढ़ने के साथ भी डेटा की अपर्यप्तता की भूमिका को अनदेखा करना एक गलती होगी।

ध्यान देने योग्य है कि चुनौती आपूर्ति को लेकर नही होगी, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि नागरिक यह समझें कि टीका कोविड-19 सबसे प्रभावी सुरक्षात्मक तंत्र है जो वर्तमान में ज्ञात और उपलब्ध है। अफवाहों पर विराम लगाना एक राष्ट्र के लिये अनिवार्य है।

अभ्यास प्रश्न: कोविड-19 महामारी और इन्फोडेमिक के कारण उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।

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