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ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023: WEF

  • 22 Jun 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023, WEF, ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स, लैंगिक समानता, स्थानीय शासन

मेन्स के लिये:

ग्लोबल जेंडर गैप/सार्वभौमिक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2023, विभिन्न क्षेत्रों में लैंगिक असमानता के मुद्दे

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में विश्व आर्थिक मंच द्वारा ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट का 17वाँ संस्करण- ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 जारी की गई है, जिसमें 146 देशों में लैंगिक समानता की स्थिति का मूल्यांकन किया गया है।

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स/सूचकांक: 

  • परिचय: 
    • यह चार प्रमुख आयामों में लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति पर देशों का मूल्यांकन करता है।
      • आर्थिक भागीदारी और अवसर
      • शिक्षा का अवसर
      • स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता
      • राजनीतिक सशक्तीकरण
      • चार उप-सूचकांकों में से प्रत्येक पर और साथ ही समग्र सूचकांक पर GGG सूचकांक 0 और 1 के बीच स्कोर प्रदान करता है, जहाँ 1 पूर्ण लैंगिक समानता को दर्शाता है और 0 पूर्ण असमानता की स्थिति का सूचक है।
      • यह सबसे लंबे समय तक चलने वाला सूचकांक है, जो वर्ष 2006 में स्थापना के बाद से समय के साथ लैंगिक अंतरालों को समाप्त करने की दिशा में हुई प्रगति को ट्रैक करता है। 
  • उद्देश्य: 
    • स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और राजनीति पर महिलाओं व पुरुषों के बीच सापेक्ष अंतराल पर प्रगति को ट्रैक करने के लिये दिशासूचक के रूप में कार्य करना।
    • इस वार्षिक मानदंड के माध्यम से प्रत्येक देश के हितधारक विशिष्ट आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक संदर्भ में प्रासंगिक प्राथमिकताएँ निर्धारित करने में सक्षम होते हैं।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु: 

  • ग्लोबल जेंडर गैप स्कोर/अंक:  
    • वर्ष 2023 में ग्लोबल जेंडर गैप स्कोर 68.4% है, इसमें  पिछले वर्ष की तुलना में 0.3% का मामूली सुधार हुआ है।
    • प्रगति की वर्तमान दर पर पूर्ण लैंगिक समानता हासिल करने में 131 वर्ष लगेंगे, जो यह दर्शाता है कि परिवर्तन की समग्र दर काफी धीमी है।
  • शीर्ष रैंकिंग वाले देश: 
    • 91.2% के लैंगिक अंतर/जेंडर गैप स्कोर के साथ आइसलैंड ने लगातार 14वें वर्ष सबसे अधिक लैंगिक समता वाले देश के रूप में अपनी स्थिति बरकरार रखी है।
      • यह एकमात्र ऐसा देश है जो लैंगिक अंतर को 90% से अधिक कम करने में  सफल हुआ है।
    • आइसलैंड के बाद तीन नॉर्डिक देश- नॉर्वे (87.9%), फिनलैंड (86.3%) और स्वीडन (81.5%) का स्थान है, यह इन देशों की लैंगिक समानता के प्रति प्रतिबद्धता को उजागर करता है।
  • स्वास्थ्य और उत्तरजीविता:
    • विश्व स्तर पर स्वास्थ्य और उत्तरजीविता में लैंगिक अंतर 96% कम हो गया है।
  • राजनीतिक सशक्तीकरण:  
    • राजनीतिक सशक्तीकरण में लैंगिक अंतर को समाप्त करने में 162 वर्ष लगेंगे, जिसकी वर्तमान में विश्व भर में समापन दर 22.1% है।
  • शैक्षणिक उपलब्धि:  
    • शैक्षिक उपलब्धि में वर्ष 2006-2023 की अवधि में महत्त्वपूर्ण प्रगति के साथ लैंगिक अंतर 95.2% कम हो गया है।
    • शैक्षणिक उपलब्धि में लैंगिक अंतर 16 वर्षों में कम होने का अनुमान है।
  • आर्थिक भागीदारी और अवसर:  
    • वैश्विक स्तर पर आर्थिक भागीदारी और अवसर में लैंगिक अंतर 60.1% है, यह आँकड़ा कार्यबल में लैंगिक समानता हासिल करने में स्थायी चुनौतियों को उजागर करता है।
    • आर्थिक भागीदारी और अवसर में लैंगिक अंतर 169 वर्षों में कम होने का अनुमान है।

जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 में भारत का प्रदर्शन: 

  • भारत का रैंक: 
    • भारत ने महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, रिपोर्ट के 2023 संस्करण में भारत 146 देशों में 135वें (2022 में) से 127वें स्थान पर पहुँच गया है, जो इसकी रैंकिंग में सुधार का संकेत देता है।
      • भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान 142वें, बांग्लादेश 59वें, चीन 107वें, नेपाल 116वें, श्रीलंका 115वें और भूटान 103वें स्थान पर हैं।
    • पिछले संस्करण के बाद से देश में 1.4 प्रतिशत अंक और आठ स्थान का सुधार हुआ है जो कि वर्ष 2020 के समता स्तर की ओर आंशिक सुधार को दर्शाता है।
      • भारत ने समग्र लैंगिक अंतर को 64.3% कम कर दिया है।
  • शिक्षा में लैंगिक समानता: 
    • भारत ने शिक्षा के सभी स्तरों पर नामांकन में लैंगिक समानता हासिल कर ली है जो देश की शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक विकास को दर्शाता है।
  • आर्थिक भागीदारी और अवसर:
    • आर्थिक भागीदारी और अवसर के क्षेत्र में प्रगति भारत के लिये एक चुनौती बनी हुई है। इस क्षेत्र में केवल 36.7% लैंगिक समानता हासिल की गई है।
    • जबकि वेतन और आय समानता में वृद्धि हुई है। वरिष्ठ या उच्च पदों एवं  तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में मामूली गिरावट आई है।
  • राजनीतिक सशक्तीकरण:
    • भारत ने राजनीतिक सशक्तीकरण में प्रगति की है तथा इस क्षेत्र में 25.3% समानता हासिल की है। संसद में कुल सांसदों की तुलना में महिला सांसद प्रतिनिधित्व 15.1%  है जो वर्ष 2006 में प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद से सबसे अधिक है।
    • बोलीविया (50.4%), भारत (44.4%) और फ्राँस (42.3%) सहित 18 देशों ने स्थानीय शासन में 40% से अधिक महिलाओं का प्रतिनिधित्व हासिल कर लिया है।
  • स्वास्थ्य और उत्तरजीविता: 
    • एक दशक से अधिक की धीमी प्रगति के बाद भारत में जन्म के समय लिंगानुपात में 1.9% अंक का सुधार हुआ है।
    • हालाँकि वियतनाम, चीन और अज़रबैजान के साथ-साथ भारत का स्कोर अभी भी विषम लिंगानुपात के कारण स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता उप-सूचकांक में अपेक्षाकृत कम है।

सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक जीवन में लैंगिक अंतर को कम करने हेतु भारतीय पहल:

  • आर्थिक भागीदारी और स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता: 
    • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ: यह बालिकाओं की सुरक्षा, उत्तरजीविता और शिक्षा सुनिश्चित करता है।
    • महिला शक्ति केंद्र: इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को कौशल विकास एवं रोज़गार के अवसरों के साथ सशक्त बनाना है। 
    • महिला पुलिस वालंटियर्स: इसमें राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में महिला पुलिस वालंटियर्स की भागीदारी की परिकल्पना की गई है जो पुलिस और समुदाय के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करते ती हैं तथा संकट में महिलाओं की सहायता करतेती हैं।
    • राष्ट्रीय महिला कोष: यह एक शीर्ष सूक्ष्म-वित्त संगठन है जो गरीब महिलाओं को विभिन्न आजीविका और आय सृजन गतिविधियों के लिये रियायती शर्तों पर सूक्ष्म ऋण प्रदान करता है।
    • सुकन्या समृद्धि योजना: इस योजना के तहत लड़कियों के बैंक खाते खुलवाकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया गया है।
    • महिला उद्यमिता: महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने स्टैंड-अप इंडिया और महिला ई-हाट (महिला उद्यमियों/SHG/NGO को समर्थन देने हेतु ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म), उद्यमिता तथा कौशल विकास कार्यक्रम (ESSDP) जैसे कार्यक्रम शुरू किये हैं।
    • कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय: इन्हें शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों (EBB) में खोला गया है।
  • राजनीतिक आरक्षण: सरकार ने महिलाओं के लिये पंचायती राज संस्थाओं में 33% सीटें आरक्षित की हैं।
    • निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों का क्षमता निर्माण: इसके तहत यह महिलाओं को शासन प्रक्रियाओं में प्रभावी ढंग से भाग लेने के लिये सशक्त बनायाने की दृष्टि से आयोजित किया जाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा विश्व के देशों के लिये 'सार्वभौमिक लैंगिक अंतराल सूचकांक' का श्रेणीकरण प्रदान करता है? (2017)

(a) विश्व आर्थिक मंच
(b) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
(c) संयुक्त राष्ट्र महिला
(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन

उत्तर: (a) 

स्रोत: द हिंदू

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