सामाजिक न्याय
स्व-रोज़गार महिला संघ (SEWA)
- 05 Nov 2022
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प्रिलिम्स के लिये:SEWA, पद्म भूषण, मैग्सेसे अवार्ड, महात्मा गांधी, ILO, पीएम-स्वनिधि योजना मेन्स के लिये:महिला सशक्तीकरण से संबंधित मुद्दा |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्व-रोज़गार महिला संघ (SEWA) की संस्थापक इलाबेन भट्ट का निधन हो गया।
इलाबेन भट्ट:
- वह एक प्रसिद्ध गांधीवादी, सशक्त अग्रणी महिला कार्यकर्त्ता थीं।
- इलाबेन को उनके काम के लिये कई सम्मान मिले, उन्हें पद्म भूषण, मैग्सेसे पुरस्कार और इंदिरा गांधी सद्भावना पुरस्कार सहित कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
- वह संसद सदस्य और भारत सरकार के योजना आयोग की सदस्य थीं।
- उन्होंने इन सभी अवसरों का उपयोग भारतीय महिलाओं की स्थिति में संरचनात्मक सुधार लाने के लिये किया।
- वह वर्ष 1955 में टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन में शामिल हुईं, यह एक ऐसा संघ था जो वर्षं 1918 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में कपड़ा हड़ताल के बाद प्रसिद्ध हुआ।
- यूनियन की महिला विंग में उनके काम और कपड़ा क्षेत्र में महिला प्रवासियों के साथ लगातार बातचीत ने उन्हें स्वयं सहायता समूह की अवधारणा के लिये प्रेरित किया।
स्व-नियोजित महिला संघ (SEWA):
- SEWA का उद्भव वर्ष 1920 में अनसूया साराभाई और महात्मा गांधी द्वारा स्थापित टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन (TLA) से हुआ था, लेकिन वर्ष 1972 तक यह ट्रेड यूनियन के रूप में पंजीकृत नहीं हो सका क्योंकि इसके सदस्यों के पास कोई "नियोक्ता" नहीं था और ऐसे में उन्हें श्रमिकों के रूप में नहीं देखा जाता था।
- वर्ष 1981 में आरक्षण विरोधी दंगों के बाद जिसमें चिकित्सा शिक्षा में दलित वर्ग के लिये आरक्षण का समर्थन करने के लिये भट्ट समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया था, TLA और SEWA अलग हो गए।
- वर्ष 1974 की शुरुआत में गरीब महिलाओं को छोटे ऋण प्रदान करने के लिये सेवा बैंक की स्थापना की गई थी।
- यह एक पहल है जिसे अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा माइक्रोफाइनेंस आंदोलन के रूप में मान्यता दी गई थी।
- मात्र 10 रुपए के वार्षिक सदस्यता शुल्क के साथ, कोई भी स्व-नियोजित व्यक्ति इसका सदस्य बन सकता है।
- इसका नेटवर्क भारत के 18 राज्यों, दक्षिण एशिया के अन्य देशों, दक्षिण अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में फैला हुआ है।
- इसने महिलाओं को कौशल और प्रशिक्षण के माध्यम से सशक्त बनाकर व्यक्तिगत एवं राजनीतिक, सामाजिक संकटों के समय उनका पुनर्वास करने में मदद की है।
- इसने बड़ी संख्या में महिलाओं को रोज़गार प्रदान किया और वस्त्रों के सहकारी उत्पादन, उपभोग तथा विपणन को बढ़ावा दिया जो भारत के औद्योगीकरण का मूल था।
- इसने भारत में ट्रेड यूनियनवाद और श्रमिक आंदोलन की दिशा को भी निर्णायक रूप से प्रभावित किया।
SEWA की उपलब्धियाँ:
- असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम (2008), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (2011), और स्ट्रीट वेंडर्स अधिनियम, (2014) को SEWA के संघर्ष की सफलता के रूप में देखा जाता है।
- पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम-स्वनिधि) योजना को SEWA के माइक्रोफाइनेंस मॉडल से प्रेरित माना जा रहा है।
- महामारी के दौरान SEWA ने विक्रेताओं को खरीदारों से जोड़ने के लिये एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, अनुबंध लॉन्च किया, ताकि लॉकडाउन के दौरान खान-पान संबंधी समस्या न हो।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. सूक्ष्म-वित्त एक गरीबी-रोधी टीका है जो भारत में ग्रामीण दरिद्र की परिसंपत्ति के निर्माण और आय सुरक्षा के लिये लक्षित है। स्वयं सहायता समूहों की भूमिका का मूल्यांकन ग्रामीण भारत में महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ-साथ उपरोक्त दोहरे उद्देश्यों के लिये कीजिये। (2020) |