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भारतीय अर्थव्यवस्था

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण रिपोर्ट- 584

  • 27 Nov 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण

मेन्स के लिये:

देश में पेयजल, साफ सफाई और स्‍वच्‍छता की स्थिति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्‍वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के राष्‍ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office-NSO) ने राष्‍ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (National Sample Survey-NSS) के 76वें राउंड के रूप में देश में पेयजल, साफ सफाई और स्‍वच्‍छता की स्थिति पर एक सर्वेक्षण कराया।

प्रमुख बिंदु

  • इसके पहले NSO की ओर से जुलाई 2008 से जून 2009 के बीच NSS के 65वें राउंड के तहत और जुलाई–दिसंबर 2012 के बीच NSS के 69वें राउंड के तहत इन विषयों पर सर्वेक्षण कराया गया था।
  • वर्तमान सर्वेक्षण पूरे देश में कराया गया।
    • इसके लिये देश भर से 106838 नमूने इकठ्ठा किये गए (ग्रामीण क्षेत्रों से 63763 और शहरी क्षेत्र से 43102)। इनमें से 5378 नमूने गाँवों से और 3614 शहरी क्षेत्रों के UFS ब्‍लाकों से जुटाए गए।
    • नमूनों को इकठ्ठा करने के लिये वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई।
  • यह रिपोर्ट NSS के 76वें दौर के दौरान पेयजल, स्वच्छता, साफ-सफाई और आवास की स्थिति पर सर्वेक्षण के माध्यम से एकत्र केंद्रीय नमूना आंकड़ों पर आधारित है।

उद्देश्य

  • इस सर्वेक्षण का मूल उद्देश्‍य परिवारों को उपलब्‍ध पेयजल, स्‍वच्‍छता और आवास सुविधाओं तथा घरों के आसपास उपलब्‍ध वातावरण की जानकारी जुटाना था जो लोगों के लिये गुणवत्‍ता युक्‍त रहन सहन की स्थितियाँ सुनिश्चित करती हैं।
  • ये जानकारियाँ जिन महत्त्वपूर्ण तथ्‍यों के आधार पर जुटाई गईं उनमें अवासीय इकाइयों के प्रकार (अलग मकान, फ्लैट आदि) ऐसी इकाइयों के मालिकाना हक का प्रकार, आवासीय इकाइयों का ढाँचा (जैसे- पक्‍का, कच्‍चा-पक्‍का या कच्‍चा) आवासीय इकाइयों की स्थिति, आवासीय इकाइयों का फ्लोर एरिया, उनके निर्माण का समय, ऐसी इकाइयों में पेयजल, बाथरूम आदि की सुविधा तथा ऐसी इकाइयों के आसपास जल निकासी, कचरे और गंदे जल के निस्‍तारण की सुविधा आदि शामिल हैं।

आँकड़ों का आधार पूर्वाग्रह से ग्रस्त

  • ‘पेयजल, साफ-सफाई, स्वच्छता और आवास की स्थिति’ जुलाई-दिसंबर 2018 पर हाल ही में जारी NSS के 76वें सर्वेक्षण में प्रतिभागियों के पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने की बात को स्वीकार किया गया है।
    • इसका मतलब यह हुआ कि जब किसी परिवार से यह अहम सवाल पूछा जाता है कि क्या उसे सरकार की ओर से कभी भी कोई लाभ प्राप्त हुआ है, तो वह परिवार अपने यहाँ शौचालय या एलपीजी सिलेंडर होने की बात को इस उम्मीद में स्वीकार नहीं करता है कि उसे सरकार की ओर से अतिरिक्त लाभ प्राप्त होंगे।
    • संभवतः इसी पूर्वाग्रह की वजह से स्वच्छता कवरेज के वास्तविकता से काफी कम होने की जानकारियाँ प्राप्त होती हैं।
    • विभिन्न परिवारों के इस तरह के पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने का तथ्य अक्सर तब सामने आता है जब सरकार द्वारा कार्यान्वित व वित्तपोषित लाभार्थी योजनाओं से जुड़ी चीजों और मुद्दों के बारे में उनसे पूछा जाता है।

सरकार द्वारा खण्डन

  • किसी अहम सवाल से जुड़ी इस तरह की सीमा को स्वीकार करते हुए NSS (राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण) की रिपोर्ट में स्वयं एक डिस्क्लेमर जारी किया गया हैः ‘‘NSS के 76वें दौर के सर्वेक्षण में ‘पेयजल, स्वच्छता, आवास, विद्युतीकरण और एलपीजी कनेक्शन की सुविधाओं से जुड़ी सरकारी योजनाओं से परिवारों को प्राप्त लाभ’ पर विभिन्न सूचनाओं का संकलन पहली बार किया गया। इन सुविधाओं के प्राप्त होने के बारे में सवाल पूछने से पहले ही यह सर्वेक्षण किया गया।
    • ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिभागी इस उम्मीद में नकारात्मक उत्तर देता है कि सरकारी सुविधाएँ न मिलने या उन तक पहुँच न होने की बात कहने पर उन्हें सरकारी योजनाओं के ज़रिये अतिरिक्त लाभ प्राप्त होने में मदद मिल सकती है।
    • विभिन्न सरकारी योजनाओँ से लोगों को प्राप्त लाभों और संबंधित सुविधाओँ तक लोगों की पहुँच होने से जुड़े निष्कर्षों की व्याख्या करते वक्त इन बिंदुओं को ध्यान में रखा जाएगा।’’

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने यह बात दोहराई है कि इस सीमा के कारण भारत में स्वच्छता की स्थिति के बारे में निष्कर्ष निकालने के लिये इस रिपोर्ट के परिणामों या निष्कर्षों का उपयोग करना सही नहीं है।

स्रोत: pib

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