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भारतीय अर्थव्यवस्था

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण वार्षिक रिपोर्ट, 2022-2023

  • 14 Oct 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, रोज़गार से संबंधित शर्तें।

मेन्स के लिये:

रोज़गार से संबंधित सरकार की पहल, वृद्धि, विकास और रोज़गार से संबंधित मुद्दे।

स्रोत: पी.आई.बी 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने जुलाई 2022 से जून 2023 के दौरान किये गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के आधार पर आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey- PLFS) की वार्षिक रिपोर्ट 2022-2023 जारी की।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

सामान्य स्थिति में प्रमुख श्रम बाज़ार संकेतकों का अनुमान:

प्रमुख श्रम बाज़ार संकेतकों का अनुमान वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (CWS):

प्रमुख बिंदु:

  • श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate- LFPR):
    • LFPR को जनसंख्या में श्रम बल (यानी काम करने वाले या काम की तलाश करने वाले या काम के लिये उपलब्ध होने वाले) व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • श्रमिक जनसंख्या अनुपात (Worker Population Ratio- WPR):
    • WPR को जनसंख्या में नियोजित व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • बेरोज़गारी दर (Unemployment Rate- UR):
    • UR को श्रम बल में शामिल व्यक्तियों के बीच बेरोज़गार व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • गतिविधि स्थिति:
    • किसी व्यक्ति की गतिविधि की स्थिति निर्दिष्ट संदर्भ अवधि के दौरान व्यक्ति द्वारा की गई गतिविधियों के आधार पर निर्धारित की जाती है। जब गतिविधि की स्थिति सर्वेक्षण की तारीख से पिछले 365 दिनों की संदर्भ अवधि के आधार पर निर्धारित की जाती है, तो इसे व्यक्ति की सामान्य गतिविधि स्थिति के रूप में जाना जाता है।
    • गतिविधि स्थिति के प्रकार:
      • प्रमुख गतिविधि स्थिति (PS):
        • गतिविधि की वह स्थिति जिस पर एक व्यक्ति ने सर्वेक्षण की तारीख से पूर्व 365 दिनों के दौरान अपेक्षाकृत लंबा समय व्यतीत किया था, उसे व्यक्ति की सामान्य प्रमुख गतिविधि स्थिति माना जाता था।
      • सहायक आर्थिक गतिविधि स्थिति (SS):
        • किसी व्यक्ति की गतिविधि की वह स्थिति जिसमें वह सर्वेक्षण की तारीख से पहले 365 दिनों की संदर्भ अवधि के दौरान 30 दिनों या उससे अधिक के लिये कुछ आर्थिक गतिविधियाँ करता है, को व्यक्ति की सहायक आर्थिक गतिविधि स्थिति माना जाता था।
      • वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (CWS): 
        • सर्वेक्षण की तारीख से पहले पिछले 7 दिनों की संदर्भ अवधि के आधार पर निर्धारित गतिविधि स्थिति को व्यक्ति की वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (CWS) के रूप में जाना जाता है।

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण: 

  • परिचय:
    • यह भारत में रोज़गार तथा बेरोज़गारी की स्थिति को मापने के लिये सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के तहत NSO द्वारा आयोजित एक सर्वेक्षण है।
    • इसे NSO द्वारा अप्रैल 2017 में लॉन्च किया गया था।
  • PLFS का उद्देश्य:
    • वर्तमान साप्ताहिक स्थिति' (CWS) में केवल शहरी क्षेत्रों के लिये तीन माह के अल्‍पकालिक अंतराल पर प्रमुख रोज़गार और बेरोज़गारी संकेतकों (अर्थात् श्रमिक-जनसंख्या अनुपात, श्रम बल भागीदारी दर, बेरोज़गारी दर) का अनुमान लगाना। 
    • प्रतिवर्ष ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में सामान्य स्थिति और CWS, दोनों में रोज़गार एवं बेरोज़गारी संकेतकों का अनुमान लगाना। 

रोज़गार हेतु सरकार की पहलें 

बेरोज़गारी के विभिन्न प्रकार:

  बेरोज़गारी का प्रकार

विवरण

प्रच्छन्न बेरोज़गारी

जिसमें आवश्यकता से अधिक कार्यरत लोग, जो मुख्य रूप से कृषि और असंगठित क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

मौसमी बेरोज़गारी

यह एक प्रकार की बेरोज़गारी है, जो वर्ष के कुछ निश्चित मौसमों के दौरान देखी जाती है।

संरचनात्मक बेरोज़गारी

यह उपलब्ध नौकरियों और श्रमिकों के कौशल के बीच बेमेल से उत्पन्न होती है।

चक्रीय बेरोज़गारी

यह व्यापार चक्र का परिणाम है, जहाँ मंदी के दौरान बेरोज़गारी बढ़ती है और आर्थिक विकास के साथ घटती है।

तकनीकी बेरोज़गारी

यह प्रौद्योगिकी में बदलाव के कारण नौकरियों का नुकसान है।

संघर्षात्मक बेरोज़गारी

संघर्षात्मक बेरोज़गारी का आशय ऐसी स्थिति से है, जब कोई व्यक्ति नई नौकरी की तलाश या नौकरियों के बीच स्विच कर रहा होता है, तो यह नौकरियों के बीच समय अंतराल को संदर्भित करती है।

सुभेद्य रोज़गार

इसका तात्पर्य है कि लोग बिना उचित नौकरी अनुबंध के अनौपचारिक रूप से कार्य कर रहे हैं तथा इनके लिये कोई कानूनी सुरक्षा उपलब्ध नहीं है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. प्रच्छन्न बेरोजगारी का सामान्यतः अर्थ होता है (2013)

(a) लोग बड़ी संख्या में बेरोज़गार रहते हैं
(b) वैकल्पिक रोज़गार उपलब्ध नहीं है
(c) श्रमिक की सीमांत उत्पादकता शून्य है
(d) श्रमिकों की उत्पादकता कम है

उत्तर: (c)

मेन्स

प्रश्न. भारत में सबसे ज्यादा बेरोज़गारी प्रकृति में संरचनात्मक है। भारत में बेरोज़गारी की गणना के लिये अपनाई गई पद्धति का परीक्षण कीजिये और सुधार के सुझाव दीजिये। (2023)

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