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कृषि

किसान संकट सूचकांक

  • 08 Jul 2023
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

किसान संकट सूचकांक, ICAR, PMFBY, PMKSY, e-NAM 

मेन्स के लिये:

किसान संकट सूचकांक

चर्चा में क्यों? 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत आने वाली संस्था केंद्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान (CRIDA) भारत के लिये अपने तरह के पहले "किसान संकट सूचकांक" नामक एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित कर रहा है।

किसान संकट सूचकांक/फार्मर्स डिस्ट्रेस इंडेक्स:

  • परिचय: 
    • यह सूचकांक कृषि संबंधी संकट का अनुमान लगाने और निम्न स्तर से लेकर गाँव अथवा ब्लॉक स्तर तक किसी भी प्रकार के संकट प्रसार को रोकने का प्रयास करता है।
    • इसकी सहायता से केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और गैर-सरकारी एजेंसियों जैसी विभिन्न संस्थाओं को किसानों के आसन्न संकट के बारे में प्रारंभिक चेतावनी प्राप्त हो सकेगी ताकि सक्रिय हस्तक्षेप किया जा सके और आवश्यक कदम उठाया जा सके। 
  • उद्देश्य: 
    • इस सूचकांक का लक्ष्य फसल हानि/विफलता तथा आय की हानि के रूप में कृषि संकट को कम करना है।
      • हाल के वर्षों में किसानों को आघात का सामना करना पड़ा है। चरम जलवायु घटनाओं के साथ-साथ बाज़ार में उतार-चढ़ाव और फसल मूल्य में वृद्धि हुई है जिससे अनेक बार किसानों को आत्महत्या के लिये विवश होना पड़ा है।
  • संकट की निगरानी के लिये पद्धति: इस सूचकांक के विकास में अनेक चरण शामिल हैं।
    • किसानों के संकट के उदाहरणों की पहचान करने के लिये स्थानीय समाचार पत्रों, समाचार प्लेटफॉर्मों और सोशल मीडिया की पड़ताल की जाती है जिसमें ऋण चुकाने के मुद्दे, आत्महत्याएँ, कीट का हमला, सूखा, बाढ़ और प्रवासन शामिल हैं।
    • फिर इस जानकारी को क्षेत्र के छोटे, सीमांत और पट्टेदार किसानों के साथ टेलीफोनिक साक्षात्कारों द्वारा पूर्ण किया जाता है।
    • इन साक्षात्कारों में संकट के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिये डिज़ाइन किये गए 21 मानकीकृत प्रश्न शामिल हैं।
    • प्रतिक्रियाओं को सात संकेतकों के विरुद्ध मैप किया जाता है, 
      • जोखिमों का खुलासा 
      • ऋृण 
      • अनुकूली क्षमता
      • भूमि अधिग्रहण
      • सिंचाई सुविधाएँ 
      • शमन रणनीतियाँ 
      • तत्काल प्रतिक्रिया
      • सामाजिक-मनोवैज्ञानिक कारक
  • सूचकांक की व्याख्या 
    • एकत्र किये गए डेटा और प्रतिक्रियाओं के आधार पर सूचकांक संकट के स्तर को इंगित करने के लिये 0 और 1 के बीच एक मान निर्दिष्ट करेगा।  
      • 0 से 0.5: कम संकट
      • 0.5 से 0.7: मध्यम संकट
      • 0.7 से ऊपर: गंभीर संकट
    • यदि संकट का स्तर गंभीर है, तो सूचकांक सात संकेतकों में से किसानों के संकट में सबसे अधिक योगदान देने वाले विशिष्ट घटक की पहचान करता है।
  • महत्त्व:  
    • विभिन्न एजेंसियाँ संकट की गंभीरता के आधार पर किसानों को आय की हानि से बचाने के लिये हस्तक्षेप कर सकती हैं।
    • वर्तमान के जिन समाधानों पर विचार किया जा रहा है उनमें प्रत्यक्ष धन हस्तांतरण, फसल खराब होने की स्थिति में सरकार की फसल बीमा योजना के अंतर्गत दावों को मध्यावधि में जारी करना आदि शामिल हैं।
    • उदाहरणतः PMFBY (प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना) के अंतर्गत बीमा दावे केवल तभी दिये जाते हैं जब सर्वेक्षण पूरा हो जाता है, लेकिन इस मामले में यदि सूचकांक आने वाले कुछ सप्ताह में गंभीर संकट का सुझाव देता है, तो सरकार इस योजना के अंतर्गत अंतरिम राहत प्रदान कर सकती है। 

निष्कर्ष: 

सूचकांक के कार्यान्वयन में कृषकों की आय में उतार-चढ़ाव को कम करने और कृषक समुदाय के कल्याण में योगदान करने की क्षमता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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