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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 09 Aug, 2023
  • 35 min read
प्रारंभिक परीक्षा

डिजिटल इंडिया RISC-V (DIR-V) कार्यक्रम


हाल ही में केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने IIT मद्रास द्वारा चेन्नई में आयोजित डिजिटल RISC-V (DIR-V) संगोष्ठी को वर्चुअल माध्‍यम से संबोधित किया।

  • IIT मद्रास द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय संगोष्ठी में DIR-V को लेकर सरकार के विज़न पर ज़ोर देते हुए बताया गया कि वर्तमान में इसका उद्देश्य प्रभावी सार्वजनिक-निजी भागीदारी और IIT मद्रास जैसे उच्च शैक्षिक संस्थानों के सहयोग से RISC-V के लिये एक मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।

डिजिटल इंडिया RISC-V (DIR-V) कार्यक्रम:

  • परिचय:
    • यह एक दूरदर्शी पहल है जिसका उद्देश्य भारत के सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र का उत्थान करना है।
    • इसका प्राथमिक लक्ष्य आत्मनिर्भरता की नींव रखते हुए माइक्रोप्रोसेसर के क्षेत्र में स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देना है।
    • यह कार्यक्रम भविष्य के लिये इसकी दिशा को आकार देने वाले तीन प्रमुख सिद्धांतों पर ज़ोर देता है: नवाचार, कार्यक्षमता और प्रदर्शन।
  • जटिल डिजिटल विश्व में प्रबंधन:
    • यह कार्यक्रम वर्तमान में डिजिटल विश्व में सिलिकॉन चिप्स की बढ़ती मांग को स्वीकार करता है।
    • 5G एवं 6G जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के चलते डिजिटल परिदृश्य को नया आकार देने से DIR-V क्लाउड सेवाओं, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) एवं सेंसर जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एप्लीकेशन खोजे जाने का अनुमान है।
  • उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग में अभिन्न भूमिका:
    • DIR-V को उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग के लिये भारत की आकांक्षाओं के केंद्र में रखा गया है।
    • सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (C-DAC) सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ संगठनों के सहयोग से यह सुनिश्चित करेगा कि DIR-V इन महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

RISC-V:

  • RISC शब्द का अर्थ है “Reduced Instruction Set Computer”, जो कुछ कंप्यूटर निर्देशों को निष्पादित करता है, जबकि ‘V’ 5वीं पीढ़ी के लिये है।
  • यह एक ओपन-सोर्स हार्डवेयर ISA (Instruction Set Architecture) है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के अंतिम अनुप्रयोगों को लक्षित करने वाले कस्टम प्रोसेसर के विकास के लिये किया जाता है।
  • यह डिज़ाइनरों को हज़ारों संभावित कस्टम प्रोसेसर बनाने में भी सक्षम बनाता है, जिससे बाज़ार में तेज़ी से पहुँचने की सुविधा प्राप्त होती है। प्रोसेसर IP की समानता से सॉफ्टवेयर विकास में लगने वाले समय की भी बचत होती है।
  • RISC-V प्रोसेसर के पहनने योग्य वस्तुओं, IoT, स्मार्टफोन, ऑटोमोटिव, एयरोस्पेस और अन्य क्षेत्रों में बहुमुखी अनुप्रयोग हैं, जो विद्युत दक्षता, प्रदर्शन अनुकूलन एवं सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन प्रोसेसर के लिये कम जगह की आवश्यकता होती है, साथ ही ये जटिल गणना वाले कार्यों हेतु उत्कृष्ट हैं।
    • RISC का आविष्कार प्रोफेसर डेविड पैटरसन द्वारा वर्ष 1980 के आसपास कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में किया गया था।

उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (C-DAC):

  • यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) के तहत अग्रणी अनुसंधान एवं विकास संस्थान है, जो IT, इलेक्ट्रॉनिक्स और संबंधित क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखता है।
  • सुपरकंप्यूटर आयात की अस्वीकृति का मुकाबला करने के लिये वर्ष 1988 में स्थापित C-DAC की शुरुआत भारत के पहले सुपरकंप्यूटर PARAM के विकास के साथ हुई।
  • C-DAC देश की नीतियों और बाज़ार की आवश्यकताओं के अनुरूप IT उत्पादों एवं समाधानों को विकसित तथा प्रसारित करने के लिये अपनी विशेषज्ञता का निरंतर नवाचार व लाभ उठाकर भारत की IT क्रांति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

अमृत भारत स्टेशन योजना

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने अमृत भारत स्टेशन योजना के एक भाग के रूप में पूरे भारत में 27 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विस्तृत 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की आधारशिला रखी।

  • इस व्यापक पुनर्विकास परियोजना, जिसकी अनुमानित लागत 24,470 करोड़ रुपए से अधिक है, का उद्देश्य रेलवे स्टेशनों को आधुनिक, सुसज्जित केंद्रों में बदलना है।

अमृत भारत स्टेशन योजना:

  • परिचय:
    • अमृत भारत स्टेशन योजना का लक्ष्य देश भर में 1309 स्टेशनों का पुनर्विकास करना है।
    • यह पुनर्विकास आधुनिक यात्री सुविधाएँ प्रदान करने के साथ-साथ इंटर-मोडल एकीकरण तथा यात्रियों के लिये सुव्यवस्थित दिशा-निर्देश की सुविधा प्रदान करने के लिये साइनेज़ (संकेतों के माध्यम से) सुविधा भी सुनिश्चित करेगा।
    • यह योजना रेल मंत्रालय द्वारा फरवरी 2023 में शुरू की गई थी।
  • स्टेशनवार योजनाएँ:
    • स्टेशन भवनों के डिज़ाइन स्थानीय संस्कृति, विरासत और वास्तुकला से प्रेरित होंगे।
      • उदाहरण के लिये, जयपुर रेलवे स्टेशन में राजस्थान के हवा महल और आमेर किले से मिलते जुलते तत्त्व देखने को मिलेंगे।
  • शहरी विकास के लिये एकीकृत दृष्टिकोण:
    • पुनर्विकास योजना शहरी विकास के लिये एक समग्र दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर बनाई गई है, ऐसे में इन स्टेशनों को "सिटी सेंटर" के रूप में माना जा सकता है।
    • इस दृष्टिकोण का उद्देश्य यात्रियों के सुलभ आवगमन के लिये अच्छी तरह से डिज़ाइन किये गए ट्रैफिक सर्कुलेशन, इंटर-मोडल कनेक्टिविटी तथा स्पष्ट संकेत बनाना है।
  • लाभ:
    • यात्री सुविधाएँ: पुनर्विकसित स्टेशनों में आधुनिक यात्री सुविधाएँ उपलब्ध होंगी, जिनमें उन्नत प्रतीक्षालय, प्लेटफॉर्मों पर बैठने के लिये व्यवस्थित जगह और मुफ्त वाई-फाई कनेक्टिविटी शामिल हैं।
    • स्थानीय सहभागिता: पुनर्विकास योजनाओं में स्थानीय समुदाय से प्राप्त इनपुट को भी शामिल किया गया है, जिसका लक्ष्य स्टेशन के डिज़ाइन और सुविधाओं में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना है।
    • हरित ऊर्जा एवं उत्सर्जन में कमी:लगभग 70,000 कोचों में LED लाइटिंग लगाई जाएगी और ट्रेनों में जैव-शौचालयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की जाएगी, जिससे पर्यावरण को संरक्षित करने में सहायता प्राप्त होगी।
    • शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य: रेलवे नेटवर्क का भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन है। हरित भवन मानकों और ऊर्जा-कुशल प्रथाओं पर ज़ोर पर्यावरणीय स्थिरता की व्यापक दृष्टि के साथ संरेखित है।

भारतीय रेलवे के बारे में कुछ मुख्य तथ्य:

  • विरासत के 169 वर्ष:
    • भारतीय रेलवे की स्थापना 16 अप्रैल, 1853 को हुई थी। उद्घाटन यात्री ट्रेन ने मुंबई के बोरी-बंदर और ठाणे के बीच 34 किलोमीटर का मार्ग तय किया।
  • अद्वितीय शुभंकर:
    • भारतीय रेलवे का अपना शुभंकर 'भोलू' नामक शुभंकर है, जिसे वर्ष 2002 में राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान द्वारा बनाया गया था। भोलू रेलवे गार्ड की पोशाक पहने एक हाथी है, जिसे रेलवे की 150वीं वर्षगाँठ पर पेश किया गया था।
  • विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क:
    • भारतीय रेलवे विश्व के चौथे सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क के रूप में है, जिसकी ट्रैक की लंबाई 67,368 किमी. है। केवल अमेरिका, चीन और रूस के पास इससे बड़ा नेटवर्क है। यह एकल प्रशासन के तहत प्रबंधित विश्व का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है, जो 115,000 किमी. तक फैला है।
  • यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल:
    • भारतीय रेलवे की चार संपत्तियों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया है।
      • दार्जिलिंग हिमालयी रेल, मुंबई में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, नीलगिरि पर्वतीय रेल और कालका-शिमला रेलवे।
  • सबसे लंबा प्लेटफॉर्म:
    • हुबली जंक्शन का प्लेटफॉर्म नंबर 1, जिसे कर्नाटक में श्री सिद्धारूढ़ा स्वामीजी हुबली स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है, रिकॉर्ड 1,505 मीटर के साथ विश्व के सबसे लंबे रेलवे प्लेटफॉर्म है।
  • सबसे लंबी और सबसे छोटी ट्रेन की सवारी:
    • भारत में सबसे लंबी ट्रेन विवेक एक्सप्रेस है, जिसका संचालन कन्याकुमारी से डिब्रूगढ़ तक किया जाता है, यह 56 स्टॉप के साथ 4,189 किलोमीटर की दूरी 82 घंटे और 30 मिनट में तय करती है।
    • सबसे छोटी ट्रेन यात्रा सिर्फ 3 किलोमीटर की है, जो नागपुर और अजनी के बीच चलती है।
  • विश्व का सबसे ऊँचा रेल पुल:
    • भारत में विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे पुल चिनाब रेल ब्रिज है, जो धरोट, जम्मू-कश्मीर में स्थित है।
  • नागपुर डायमंड क्रॉसिंग:
    • नागपुर, महाराष्ट्र, प्रसिद्ध डायमंड क्रॉसिंग की मेज़बानी करता है जहाँ दो रेलवे ट्रैक एक चौकोर हीरे की आकृति बनाते हैं, जिसमें दो लाइनें उत्तर-दक्षिण की ओर और दो लाइनें पूर्व-पश्चिम की ओर जाती हैं।

स्रोत: पी.आई.बी


प्रारंभिक परीक्षा

रीसस मकाॅक में समान-लिंग व्यवहार

इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्त्ताओं द्वारा "जेनेटिक्स, सोशल एन्वायरनमेंट एंड इवोल्यूशन ऑफ मेल सेम-सेक्स बिहेवियर इन रीसस मकाॅक्स” (Genetics, Social Environment and Evolution of Male Same-Sex Behavior in Rhesus Macaques) शीर्षक से किये गए एक हालिया अध्ययन ने जंतुओं में समान-लिंग व्यवहार (Same-Sex Behavior- SSB) के बारे में पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती दी है।

  • SSB में जंतुओं की भागीदारी को 'डार्विनियन पैराडॉक्स (Darwinian paradox)' माना गया है; यदि प्रजनन विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है, तो SSB (जो गैर-प्रजनन है) का अस्तित्व समाप्त हो जाना चाहिये।
  • इस हालिया अध्ययन में पाया गया कि रीसस मकाॅक में नर में SSB बहुत आम है और इसके विकास में बाधा नहीं पहुँचाता है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:

  • नर बंदरों में समान-लिंग व्यवहार (SSB)।
    • यह अध्ययन प्यूर्टो रिको के पूर्व में एक द्वीप केयो सैंटियागो में रीसस मकाॅक, एक सामान्य बंदर मॉडल (A Common Monkey Model) में देखे गए नर समान लिंग व्यवहार पर केंद्रित है।
      • 72% नर रीसस मकाॅक सेम-सेक्स माउंटिंग (Same-Sex Mounting) में संलग्न पाए गए।
      • केवल 46% ने भिन्न-सेक्स माउंटिंग (Different-Sex Mounting) प्रदर्शित किया।
    • यह इस धारणा को चुनौती देता है कि SSB अपनी गैर-प्रजनन प्रकृति के कारण विकास के सिद्धांतों को खंडित करता है।
  • गैर-आनुवंशिक कारकों की भूमिका:
    • अध्ययन सामाजिक संपर्क और पर्यावरण जैसे बाहरी कारकों पर विचार करता है।
    • ये गैर-आनुवंशिक तत्त्व नर रीसस मकाॅक (Male Rhesus Macaques) में SSB की अभिव्यक्ति में योगदान करते हैं।
      • SSB वाले बंदर साझा दुश्मनों से लड़ने के लिये एकजुट होते हैं।
      • नर SSB भावनात्मक व्यवहार और विनियमन के रूप में काम कर सकता है।
  • प्रजनन स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं: 
    • अध्ययन इस धारणा को चुनौती देता है कि SSB गर्भधारण की संभावनाओं को कम कर देता है क्योंकि यौन रूप से सक्रिय SSB और DSB दोनों में संलग्न होते हैं।
    • SSB में संलग्नता और मकाॅक आबादी में संतानों की संख्या में कमी के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है
  • भविष्य के अनुसंधान:
    • मादा SSB तथा अन्य बंदर प्रजातियों के बारे में जानने के लिये और अधिक शोध की आवश्यकता है।
    • सांस्कृतिक एवं सामाजिक-आर्थिक प्रभावों के कारण परिणामों को सीधे मनुष्यों तक नहीं बढ़ाया जा सकता है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स

हाल ही में चीन के चेंगदू में 31वें वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन किया गया था, जिसमें भारत ने वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में उच्चतम पदक संख्या के साथ 4 खेलों में कुल 26 पदक जीते हैं।

वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम:

  • परिचय:
    • वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स, जिसे "यूनिवर्सियाड" के नाम से भी जाना जाता है, विशेष रूप से विश्वविद्यालय के एथलीटों के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय बहु-खेल कार्यक्रम है।
    • इसका आयोजन अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय खेल महासंघ (FISU) द्वारा किया जाता है। 
      • FISU एक शासी निकाय है जो यूनिवर्सियाड कार्यक्रमों की देख-रेख और आयोजन करता है। FISU मेज़बान शहरों के समन्वय के साथ यह सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार है कि खेलों का आयोजन संगठन के सिद्धांतों और नियमों के अनुसार ही किया जाए।
    • यूनिवर्सियाड का आयोजन प्रति दो वर्ष में किया जाता है, साथ ही इसमें ओलंपिक खेलों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।
    • इसमें ग्रीष्मकालीन एवं शीतकालीन दोनों संस्करण शामिल हैं।
      • ग्रीष्मकालीन यूनिवर्सियाड में आमतौर पर एथलेटिक्स, तैराकी, बास्केटबॉल, सॉकर आदि खेल शामिल हैं।
      • जबकि विंटर यूनिवर्सियाड में स्कीइंग, आइस हॉकी, फिगर स्केटिंग तथा अन्य खेल शामिल हैं।
  • पिछला संस्करण:
    • वर्ष 2019 में नेपल्स में आयोजित पिछले संस्करण में जापान प्रमुख राष्ट्र के रूप में उभरा, जिसने पदक तालिका में सर्वोच्च स्थान हासिल किया।
  • भविष्य की घटनाएँ:
    • अगला शीतकालीन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स वर्ष 2025 में जर्मनी के राइन-रुहर में आयोजित किया जाएगा।

खेलो इंडिया योजना:

  • परिचय:
    • खेलो इंडिया अर्थात् 'लेट्स प्ले इंडिया' को वर्ष 2017 में भारत सरकार द्वारा ज़मीनी स्तर पर विद्यार्थियों के साथ जुड़कर भारत की खेल संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिये प्रस्तावित किया गया था।
      • इसे युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
    • इसके तहत खेलो इंडिया यूथ गेम्स (KIYG), खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (KIUG) और खेलो इंडिया विंटर गेम्स को वार्षिक राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के रूप में स्थापित किया गया, जहाँ क्रमशः राज्यों और विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले युवाओं ने पदक के लिये प्रतिस्पर्द्धा की और अपने कौशल का प्रदर्शन किया। 
  • उद्देश्य:
    • यह योजना हाल के वर्षों में बहुत सफल रही है और जिन एथलीटों का वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिये चयन किया गया है, वे देश की सर्वश्रेष्ठ युवा प्रतिभाओं में से हैं।
      • खेलो इंडिया योजना एक प्रमुख सरकारी वित्तपोषित कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य भारत में खेल प्रतिभाओं की पहचान करना और उनका पोषण करना है।

नोट: ओलंपिक और पैरालिंपिक में भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिये युवा मामले एवं खेल मंत्रालय (MYAS) ने सितंबर 2014 में टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (Target Olympic Podium Scheme- TOPS) शुरू की। TOPS ने एथलीटों के प्रबंधन तथा समग्र सहायता प्रदान करने हेतु एक तकनीकी सहायता टीम स्थापित करने के लिये अप्रैल 2018 में इसे नया रूप दिया।

  • TOPS प्रायोजित एथलीटों को 2016 के रियो ओलंपिक और 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में अपेक्षित  सफलता मिली।

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

वायु प्रदूषण से निपटने के लिये प्रौद्योगिकी नवाचार

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में भारत में वायु प्रदूषण से निपटने के लिये विभिन्न प्रौद्योगिकियों के उपयोग से संबंधित परियोजनाओं पर महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।

वायु प्रदूषण: 

  • वायु प्रदूषण से आशय मानवीय गतिविधियों और प्राकृतिक प्रक्रियाओं, हानिकारक पदार्थों के कारण पृथ्वी के वायुमंडल का अपने प्राकृतिक स्तर से अधिक दूषित होने से है।
    • इसका स्रोत औद्योगिक उत्सर्जन, वाहन से निकलने वाले धुएँ, कृषि प्रथाएँ और प्राकृतिक घटनाएँ होती हैं, जिससे वायु गुणवत्ता, मानव कल्याण, पारिस्थितिकी तंत्र तथा पृथ्वी के समग्र स्वास्थ्य पर व्यापक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • सामान्य वायु प्रदूषकों में PM2.5, PM10, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और नाइट्रिक ऑक्साइड (NOx), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) आदि शामिल हैं।

वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिये उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकी आधारित विभिन्न परियोजनाएँ: 

  • बसों में परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों (Pariyayantra Filtration Units) की स्थापना: एक प्रायोगिक अध्ययन के हिस्से के रूप में 30 बसों की छतों पर परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों को इनस्टॉल किया गया।
    • इन इकाइयों को आसपास के वातावरण से धूल के कणों (वाहनों पर लगे फिल्टर के माध्यम से) को प्रभावी ढंग से पकड़ने के लिये डिज़ाइन किया गया था, ताकि वायु प्रदूषण के स्तर में वाहनों की आवाजाही के योगदान को कम किया जा सके।
    • इसे संचालित करने के लिये किसी विद्युत की आवश्यकता नहीं होती है और यह 6 रूम एयर फिल्टर द्वारा प्रदान किये गए निस्पंदन के बराबर है।
  • यातायात चौराहों पर ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ: दिल्ली के प्रमुख यातायात चौराहों पर रणनीतिक रूप से कुल 54 ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।
    • आसपास की वायु को शुद्ध करने के लिये डिज़ाइन की गई इन इकाइयों ने वायु की गुणवत्ता पर वाहनों के उत्सर्जन के प्रभाव को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • WAYU इकाइयों ने स्थानीय वायु शोधक के रूप में काम किया, जो यातायात से संबंधित प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों से निपटान हेतु एक संभावित समाधान पेश करती हैं।
  • परिवेशी वायु प्रदूषण में कमी के लिये आयनीकरण तकनीक: इस तकनीक का उद्देश्य आयनीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रदूषकों को निष्प्रभावी करना है जिससे लक्षित क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
    • इस अध्ययन ने आयनीकरण प्रौद्योगिकी की व्यवहार्यता और प्रभाव का मूल्यांकन किया, जिससे संभावित रूप से प्रदूषण में कमी के नए रास्ते खुल गए।
  • मध्यम/बड़े पैमाने के स्मॉग टावरों की स्थापना: पर्याप्त वायु शोधक के रूप में कार्य करने वाले इन टावरों का लक्ष्य व्यापक पैमाने पर कण पदार्थ और प्रदूषकों को कम करना है
  • उपयोग में आने वाले वाहनों में उत्सर्जन नियंत्रण उपकरणों की रेट्रोफिटिंग: पुराने वाहन, विशेष रूप से BS III जैसे पुराने उत्सर्जन मानकों का पालन करने वाले वायु प्रदूषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • ऐसे वाहनों में उत्सर्जन नियंत्रण उपकरणों को रेट्रोफिटिंग की व्यवहार्यता और प्रभावशीलता का आकलन करने के लिये पायलट परियोजना शुरू की गई थी।
      • इस परियोजना का उद्देश्य वायु गुणवत्ता में सुधार के व्यापक प्रयासों के अनुरूप इन वाहनों से होने वाले उत्सर्जन में कमी के लिये सिफारिशें प्रदान करना है।
  • वायु गुणवत्ता निगरानी के लिये स्वदेशी फोटोनिक प्रणाली: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की परियोजना वायु गुणवत्ता मापदंडों की वास्तविक समय की दूरस्थ निगरानी हेतु एक स्वदेशी फोटोनिक प्रणाली विकसित करने पर केंद्रित है।
    • इस पहल का उद्देश्य वायु गुणवत्ता डेटा की सटीकता और पहुँच को बढ़ाना है, जिससे प्रदूषण प्रबंधन रणनीतियों को अधिक सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सके।
  • इलेक्ट्रिक वाहन (EV) स्वायत्त प्रौद्योगिकी में प्रगति: EV-आधारित स्वायत्त वाहनों पर केंद्रित एक स्वायत्त नेविगेशन फाउंडेशन की स्थापना DST अंतःविषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber-Physical Systems- NM-ICPS) के तहत की गई थी।
    •  EV में स्वायत्त प्रौद्योगिकी का एकीकरण ड्राइविंग पैटर्न को अनुकूलित करने, यातायात की भीड़ को कम करने और परिणामस्वरूप ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का अवसर प्रदान करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक के मान की गणना में सामान्यतः निम्नलिखित में से किस वायुमंडलीय गैस पर विचार किया जाता है? (2016)

  1. कार्बन डाइऑक्साइड
  2.  कार्बन मोनोऑक्साइड
  3.  नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
  4.  सल्फर डाइऑक्साइड
  5.  मीथेन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स: 

प्रश्न. हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (AQGs) के प्रमुख बिंदुओं का वर्णन कीजिये। 2005 में इसके अंतिम अद्यतन से ये कैसे भिन्न हैं? संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में क्या बदलाव आवश्यक हैं? (2021)

स्रोत: पी.आई.बी.


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 9 अगस्त, 2023

विश्व आदिवासी दिवस 2023

  • दिसंबर 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाए गए एक प्रस्ताव के अनुसार, विश्व भर के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, जिसे विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) भी कहा जाता है, प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है।
  • यह दिवस वर्ष 1982 में स्वदेशी आबादी पर मानवाधिकार कार्य समूह के संवर्द्धन और संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र उप-आयोग की उद्घाटन बैठक के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसमें विश्व भर में स्वदेशी आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने तथा उनके संरक्षण के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।
  • वर्ष 2023 में विश्व आदिवासी दिवस का विषय "इंडीजेनस यूथ ऐज़ एजेंट ऑफ चेंज फॉर सेल्फ-डिटरमीनेशन" है।
  • इस दिवस का विशेष महत्त्व है क्योंकि स्वदेशी लोग अक्सर समाज में सबसे वंचित नस्लीय और जातीय समूहों में से एक होते हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि स्वदेशी लोगों की आबादी वैश्विक आबादी के 5% से भी कम है, फिर भी विश्व के सबसे गरीब लोगों में इनकी हिस्सेदारी के 15%  है।

भारत छोड़ो आंदोलन दिवस 2023

  • भारत छोड़ो आंदोलन, जिसे अगस्त आंदोलन या भारत छोड़ो आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है, भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन को समाप्त करने और पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने के उद्देश्य से 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया, जो भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस  द्वारा समर्थित एक महत्त्वपूर्ण नागरिक अवज्ञा आंदोलन था। .
    • वर्ष 2023 में भारत छोड़ो आंदोलन की 81वीं वर्षगाँठ है।
    • इस दिन 8 अगस्त, 1942 को गांधी ने गोवालिया टैंक मैदान में, जो कि अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से प्रसिद्ध है, प्रसिद्ध "करो या मरो" का नारा दिया था।
    • 'भारत छोड़ो' का नारा यूसुफ मेहरअली द्वारा दिया गया था, जो एक समाजवादी और ट्रेड यूनियनवादी थे, जिन्होंने मुंबई के मेयर के रूप में भी कार्य किया था।
    • मेहरअली ने "साइमन गो बैक" का नारा भी दिया था।

और पढ़ें… भारत छोड़ो आंदोलन, महात्मा गांधी

ई-अटेंडेंस के माध्यम से मनरेगा में बढ़ी पारदर्शिता 

हाल ही में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्रालय (Union Ministry of State for Rural Development) ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के दौरान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme) में ई-अटेंडेंस (E-Attendance) पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।

  • विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता बढ़ाने के लिये नेशनल मोबाइल मॉनीटरिंग सिस्टम (National Mobile Monitoring System- NMMS) एप के उपयोग की आवश्यकता हेतु एक जनादेश सुनिश्चित किया गया है।
  • यह एप व्यक्तिगत लाभार्थी कार्यों को छोड़कर, योजना की गतिविधियों में लगे श्रमिकों की जियो-टैग (जिस पर समय का उल्लेख भी हो) वाली दो तस्वीरों के साथ उपस्थिति दर्ज करता है।
  • ऑफलाइन मोड सुबह की उपस्थिति (Morning Attendance) और तस्वीरों को कैप्चर करने में सक्षम बनाता है, बाद में नेटवर्क कनेक्शन उपलब्ध होने पर अपलोड करता है।
  • 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी यह आवश्यकता न केवल कार्यक्रम की नागरिक निगरानी को बढ़ावा देती है बल्कि भुगतान प्रसंस्करण में भी तेज़ी लाती है।
  • उपस्थिति और फोटो रिकॉर्ड करने की ज़िम्मेदारी कार्यस्थल पर पर्यवेक्षकों की है, जो इस उद्देश्य के लिये NMMS एप का उपयोग करते हैं।

और पढ़ें…

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)

भारत के रक्षा मंत्रालय ने उन्नत साइबर सुरक्षा हेतु 'माया' OS को अपनाया

भारत के रक्षा मंत्रालय ने इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों पर माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) को ओपन-सोर्स उबंटू (Ubuntu) पर आधारित स्थानीय रूप से विकसित माया नामक एक नए OS से बदलने का फैसला किया है।

  • माया (Maya) में परिवर्तन का उद्देश्य उपयोगकर्त्ता को बाधित किये बिना सुरक्षा को मज़बूत करना है, क्योंकि यह विंडोज़ के समान इंटरफेस और कार्यक्षमता प्रदान करता है।
  • माया के कार्यान्वयन के साथ-साथ इन प्रणालियों को मज़बूत करने के लिये एक व्याप'अंतः बिंदु पहचान और सुरक्षा प्रणाली,' चक्रव्यूह भी पेश किया जा रहा है।

और पढ़ें… साइबर सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना


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