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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

6G प्रौद्योगिकी

  • 12 Oct 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

6G प्रौद्योगिकी, 5G प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

मेन्स के लिये:

6G प्रौद्योगिकी : महत्त्व एवं चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) को समय के साथ वैश्विक बाजार में पकड़ बनाए रखने के लिये 6G और अन्य भविष्योन्मुख तकनीकों का विकास शुरू करने के लिये कहा है।

  • अगली पीढ़ी की दूरसंचार प्रौद्योगिकी (6G) को 5G की तुलना में 50 गुना अधिक तीव्र बनाया जाएगा और 2028-2030 के बीच इसे व्यावसायिक रूप से लॉन्च किये जाने की संभावना है।

6G-Technology

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • 6G (छठी पीढ़ी का वायरलेस), 5G सेलुलर तकनीक का उत्तराधिकारी है। 
    • यह 5G नेटवर्क की तुलना में उच्च आवृत्तियों का उपयोग करने में सक्षम होगा और काफी अधिक क्षमता और बहुत कम विलंबता (देरी) की स्थिति प्रदान करेगा।
    • 6G इंटरनेट का लक्ष्य एक माइक्रोसेकंड-लेटेंसी संचार (संचार में एक माइक्रोसेकंड की देरी) का समर्थन करना होगा।
      • यह एक मिलीसेकंड प्रवाह क्षमता की तुलना में 1,000 गुना तेज़ या 1/1000वाँ विलंबता (देरी) की स्थिति प्रदान करेगा।
    • यह आवृत्ति के टेराहर्ट्ज़ बैंड का उपयोग करेगा जो वर्तमान में अप्रयुक्त है।
      • टेराहर्ट्ज़ तरंगें विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम पर अवरक्त तरंगों और माइक्रोवेव के बीच गिरती हैं।
      • ये तरंगें बेहद छोटी और नाजुक होती हैं, लेकिन वहाँ पर सर्वाधिक मात्रा में स्पेक्ट्रम मुक्त होता है जो प्रभावशाली डेटा दरों की अनुमति देता है।

Key-Features

  • महत्त्व:
    • अधिक सुविधाजनक:
      • 6G प्रौद्योगिकी बाज़ार से इमेजिंग, मौज़ूदा प्रौद्योगिकी और स्थान का पता लगाने जैसे बड़े सुधारात्मक सुविधाओं की संभावना व्यक्त की गई है। 
      • बेहतर प्रवाह क्षमता और उच्च डेटा दर प्रदान करने के अतिरिक्त 6G की उच्च आवृत्तियाँ सर्वाधिक तेज़ी से नमूनाकरण दरों को सक्षम करेंगी। 
    • वायरलेस सेंसिंग तकनीक में उन्नति:
      • उप-मिमी तरंगों का संयोजन (जैसे एक मिलीमीटर से छोटी तरंगदैर्ध्य) और सापेक्ष विद्युत चुंबकीय अवशोषण दर निर्धारित करने के लिये आवृत्ति चयनात्मकता संभावित रूप से वायरलेस सेंसिंग तकनीक में महत्त्वपूर्ण प्रगति का कारण बन सकती है।
    • डिजिटल क्षमताओं का उदय:
      • यह डिजिटल क्षमताओं के विशाल सेट के साथ सरल, अनुप्रयोग में सुविधाजनक और ले जाने में आसान उपकरणों के उद्भव को प्रदर्शित करेगा।
      • इससे पैरामेडिक्स, शिक्षकों और कृषि-तकनीशियनों, डॉक्टरों, प्रोफेसरों और कृषि-विशेषज्ञों को उपस्थित स्थल पर उपकरणों की बहुत कम या सीमित आवश्यकता के साथ गाँव के पारिस्थितिकी तंत्र को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
    • बड़े पैमाने पर सार्वजनिक परिवहन का अनुकूलन:
      • भारत के लिये प्रौद्योगिकियों के इस तरह के एक सक्षम उपकरण को दुर्लभ क्षेत्रों जैसे- रेल, हवाई और सड़क नेटवर्क के क्षेत्र में कई गुना उपयोग में लाया जाएगा जो बड़े पैमाने पर परिवहन को और अधिक कुशल बना देगा; आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एवं बड़े पैमाने पर समानांतर कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर परिवहन तथा शेड्यूलिंग संचालन अनुसंधान समस्याओं को हल करने में मदद करेंगे।
  • चुनौतियाँ:
    • संरक्षण तंत्र बनाए रखना:
      • प्रमुख तकनीकी चुनौतियाँ हैं- ऊर्जा दक्षता, वायु प्रतिरोध और जल की बूँदों के कारण सिग्नल क्षीणता से बचना एवं निश्चित रूप से मज़बूत साइबर सुरक्षा एवं डेटा सुरक्षा तंत्र के माध्यम से एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन बनाए रखना।
    • नए मॉडलों को अपनाना:
      • एंटीना डिज़ाइन, लघुकरण, एज क्लाउड और वितरित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल में नवाचारों की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त हमें भविष्योन्मुख डिजाइन द्वारा संपूर्ण सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
    • सेमीकंडक्टर की उपलब्धता:
      • हमारे पास अर्द्धचालक/सेमीकंडक्टर सामग्री नहीं है जो मल्टी टेराहर्ट्ज़ आवृत्तियों का उपयोग कर सके। उन आवृत्तियों से किसी भी प्रकार की सीमा प्राप्त करने के लिये अत्यंत छोटे एंटीना के विशाल सरणियों की आवश्यकता हो सकती है। 
    •  वाहक तरंगों के लिये जटिल डिज़ाइन:
      • वायुमंडल में जलवाष्प टेराहर्ट्ज़ (THz) तरंगों को अवरुद्ध और प्रतिबिंबित करता है, इसलिये गणितज्ञों को ऐसे मॉडल तैयार करने होंगे जो डेटा को अपने गंतव्य तक बहुत जटिल मार्ग से भी ले जाने की अनुमति दें।

टेलीमैटिक्स के विकास के लिये केंद्र (C-DOT)

  • इसकी स्थापना वर्ष 1984 में हुई थी। यह भारत सरकार के DoT का एक स्वायत्त दूरसंचारअनुसंधान एवं विकास केंद्र है।
  • यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी है।
  • यह भारत सरकार के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) के साथ पंजीकृत सार्वजनिक वित्तपोषित अनुसंधान संस्थान है।
  • वर्तमान में सी-डॉट सरकार के विभिन्न प्रमुख कार्यक्रमों के उद्देश्य को साकार करने की दिशा में काम कर रहा है। जिसमें भारत के डिजिटल इंडिया, भारतनेट, स्मार्ट सिटी आदि शामिल हैं।

आगे की राह

  • सरकार को लंबी अवधि के दृष्टिकोण, बहु-वर्षीय (बहु-दशक) योजना, मज़बूत निवेश और न्यूनतम नौकरशाही की घोषणा करके 6G तकनीकी विचार पर ज़ोर देना चाहिये।
  • सरकार को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इंडिया ट्रिलियन डॉलर डिजिटल अपॉर्चुनिटी डॉक्यूमेंट (2019) के अनुसार नई इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण नीति को लागू करने की आवश्यकता है।
  • विश्व के गूगल और माइक्रोसॉफ्ट को न केवल नेतृत्व प्रदान करना बल्कि 'प्रतिभा, प्रौद्योगिकी और विश्वास (Talent, Technology and Trust)' की मज़बूत नींव पर आधारित भारतीय नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में उनका निर्माण करना अनिवार्य है।
  • भारत को अंतरिक्ष और परमाणु प्रौद्योगिकी मिशन के अनुभव को दोहराने की ज़रूरत है जिसने आत्मनिर्भरता एवं आत्मविश्वास हासिल किया। यह प्रौद्योगिकी नेतृत्व बेहतर दुनिया, समाज और खुद के लिये एक उपहार होनी चाहिये। 6G के नेतृत्व में यह हमारी स्वतंत्रता की शताब्दी (2047) को मनाने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है।

स्रोत: इकॉनमिक टाइम

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