विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण संवर्द्धन की योजना
- 24 Mar 2020
- 8 min read
प्रीलिम्स के लिये:राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति- 2019 मेन्स के लिये:इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के विकास में भारत सरकार की योजनाएँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण संवर्द्धन की योजना (Scheme for Promotion of manufacturing of Electronic Components and Semiconductors-SPECS) को स्वीकृति दे दी है।
मुख्य बिंदु:
- इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण संवर्द्धन की योजना (Scheme for Promotion of manufacturing of Electronic Components and Semiconductors- SPECS) का उद्देश्य देश में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूती प्रदान करना है।
- इस योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद की आपूर्ति श्रृंखला का गठन करने वाली वस्तुओं के विनिर्माण के लिये पूंजीगत व्यय का 25 प्रतिशत वित्तीय प्रोत्साहन देने के प्रस्ताव को मंज़ूरी प्रदान की है।
- इस योजना की कुल अनुमानित लागत 3,285 करोड़ रुपए है।
- जिसमें लगभग 3,252 करोड़ रुपए देश में इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण के प्रोत्साहन परिव्यय के रूप में तथा 32 करोड़ रुपए योजना के क्रियान्वयन के लिये प्रशासनिक व्यय के रूप में निर्धारित किये गए है।
योजना के लाभ:
- इस योजना के परिणाम स्वरूप देश के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र (Electronics sector) में लगभग 20,000 करोड़ रुपए के निवेश का अनुमान है।
- केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के अनुसार, इस योजना से देश में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का विकास होगा।
- SPECS योजना इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और अर्धचालकों/सेमीकंडक्टरों (Semiconductor) के घरेलू विनिर्माण की वर्तमान चुनौतियों को दूर करने में सहायक होगी।
- इस योजना के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में नई विनिर्माण इकाइयों की स्थापना से इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बड़ी मात्रा में रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
- एक अनुमान के अनुसार, इस योजना के तहत सहायता प्राप्त विनिर्माण इकाइयों में लगभग 1,50,000 प्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर उत्पन्न किये जाएंगे।
- साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़े हुए अन्य क्षेत्रों में इस योजना के परिणामस्वरूप 4,50,000 अप्रत्यक्ष रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न किये जाने का अनुमान है।
- इस योजना के तहत बड़े पैमाने पर स्थानीय विनिर्माण से इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टरों की ज़रुरत को पूरा करने के लिये अन्य देशों से होने वाले आयात पर निर्भरता को कम किया जा सकेगा।
- इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टरों की स्थानीय उत्पादन तथा आपूर्ति से देश की डिजिटल सुरक्षा (Digital Security) में वृद्धि होगी।
पृष्ठभूमि:
- देश के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को मज़बूती प्रदान करने के लिये 25 फरवरी, 2019 को राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2019 (National Policy on Electronics-NPE 2019) संबंधी अधिसूचना जारी की गई थी।
- इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2019 (NPE-2019) ने ‘राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2012’ (NPE-2012) का स्थान लिया है।
- इसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक घटकों, सेमीकंडक्टरों और चिप सेट आदि के विनिर्माण को प्रोत्साहित करना और इसके लिये क्षमता विकास के माध्यम से देश में वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा योग्य औद्योगिक वातावरण तैयार करना तथा इन प्रयासों के माध्यम से भारत को इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिज़ाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (Electronics System Design and Manufacturing- ESDM) के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
- NPE 2019 के अनुसार, भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के सतत् और दीर्घकालिक विकास के लिये देश में एक व्यावसायिक इलेक्ट्रॉनिक घटक विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का होना अति आवश्यक है।
- साथ ही यह शुद्ध सकारात्मक भुगतान संतुलन (Net Positive Balance of Payment) को अर्जित करने के लिये भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।
- NPE, 2019 में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के विकास के लिये 25% पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) का प्रस्ताव किया गया है।
- इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के विकास के लिये संयंत्रों, मशीनरी उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक घटक तथा उपकरण विनिर्माण के लिये अनुसंधान औद्योगिक इकाइयों के विकास सहित संबद्ध उपयोगिताओं और प्रौद्योगिकी आदि को शामिल किया गया है।
- यह योजना मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक्स, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, मोटर वाहन इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार उपकरण और कंप्यूटर हार्डवेयर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण आदि क्षेत्रों के विकास में सहायता प्रदान करेगी।
निष्कर्ष: एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2020 के अंत तक भारतीय ‘इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिज़ाइन और विनिर्माण’ बाज़ार लगभग 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा, जिसमें सिर्फ सेमीकंडक्टर उद्योग 26.75 की वृद्धि दर के साथ लगभग 58 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा। भारत सूचना प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर तकनीकी में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है, परंतु उच्च कोटि के हार्डवेयर के निर्माण में भारत उतना सफल नहीं रहा है। ऐसे में सरकार की इस पहल से भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के विकास के लिये एक मज़बूत तंत्र का निर्माण किया जा सकेगा जिससे भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की लागत में कमी के साथ इस क्षेत्र में रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न किये जा सकेंगे। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र स्थानीय क्षमता के विकास से वैश्विक बाज़ार में भारत की स्थिति को मज़बूती प्रदान की जा सकेगी।