विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
पीएम वाणी: भारत की नई सार्वजनिक वाई-फाई योजना
- 22 Dec 2020
- 13 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा सार्वजनिक वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (Public Wi-Fi Access Network Interface) स्थापित करने हेतु लाए गए एक प्रस्ताव को अपनी मंज़ूरी दी है।
- सार्वजनिक वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस, जिसे ‘पीएम वाणी’ (PM-WANI) के नाम से भी जाना जाएगा, को पहली बार भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा वर्ष 2017 में अनुशंसित किया गया था।
प्रमुख बिंदु:
- पीएम वाणी: इसमें PDO, PDOAS, एप प्रदाताओं और एक केंद्रीय रजिस्ट्री सहित विभिन्न हितधारक शामिल होंगे। पीएम-वाणी के बुनियादी ढाँचे को एक पिरामिड के रूप में संरचित किया जा सकता है।
- सभी ऐप प्रदाताओं, पीडीओए और पीडीओ के विवरण का रिकॉर्ड रखने के लिये एक केंद्रीय रजिस्ट्री स्थापित की जाएगी। इस रजिस्ट्री की देखरेख सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DoT) द्वारा की जाएगी।
भारत में सार्वजनिक वाई-फाई की आवश्यकता:
- देश में इंटरनेट सेवाओं के प्रसार को बढ़ाने के लिये।
- सार्वजनिक डेटा ऑफिस (PDOs), जो कि मूल रूप से देश के विभिन्न हिस्सों में छोटे खुदरा आउटलेट होंगे, के माध्यम से देश के सुदूर हिस्सों तक इंटरनेट कनेक्टिविटी की पहुँच को सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है।
- सामान्य नागरिक को लागत प्रभावी विकल्प उपलब्ध कराने के लिये।
- पर्याप्त मोबाइल डेटा कवरेज वाले शहरी क्षेत्रों में भी, मोबाइल इंटरनेट टैरिफ में वृद्धि होना तय है।
- डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को प्राप्त करना:
- वर्ष 2015 से जून 2020 के बीच भारत में इंटरनेट ग्राहकों की संख्या 302 मिलियन से बढ़कर 750 मिलियन हो गई। यह 20% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) ही भारत को विश्व के सबसे तेज़ी से बढ़ते इंटरनेट बाज़ारों में से एक बनाती है।
- हालाँकि यह आँकड़ा पहुँच की गुणवत्ता के डेटा पर हावी दिखाई देता है। गौरतलब है कि वर्तमान में देश में मात्र 23 मिलियन उपभोक्ता ही वायर्ड इंटरनेट (Wired internet) से जुड़े हुए हैं।
- डिजिटल इंडिया की दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिये हर भारतीय तक एक लचीला और विश्वसनीय कनेक्शन उपलब्ध कराना आवश्यक है, ताकि वे हर जगह वहनीय कीमत पर विश्वसनीय इंटरनेट की पहुँच प्राप्त कर सकें।
- डिजिटल क्वालिटी ऑफ लाइफ इंडेक्स 2020 में भारत को इंटरनेट वहनीयता (Internet Affordability) के मामले में 9वें स्थान पर रखा गया, इस श्रेणी में भारत ने यूके, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन जैसे देशों से भी बेहतर प्रदर्शन किया। हालाँकि इंटरनेट गुणवत्ता और ई-बुनियादी ढाँचे के मामले में भारत को क्रमशः 78वें और 79वें (कुल 85 में से) स्थान पर रखा गया था।
संभावित लाभ:
- इस योजना में बड़े पैमाने पर कनेक्टिविटी के लिये लागत-प्रभावी साधन उपलब्ध कराने के अलावा 2 करोड़ से अधिक नौकरियों और उद्यमशीलता के अवसरों के सृजन की क्षमता है।
- राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति के तहत वर्ष 2022 तक 1 करोड़ सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट बनाने के लक्ष्य और वर्तमान में केवल 3.5 लाख वाई-फाई हॉटस्पॉट की छोटी संख्या को देखते हुए, पीएम-वाणी के माध्यम से इस राष्ट्रस्तरीय पहल के लिये आवश्यक उपकरणों की मांग और स्थानीय स्तर पर उनके निर्माण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- PDOs सामग्री (शिक्षा/समाचार या मनोरंजनसे संबंधित डिज़िटल सामग्री) के लिये स्थानीय वितरण केंद्र बन सकते हैं।
- इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में छात्र बिना इंटरनेट का उपयोग किये ऑफलाइन सामग्री प्राप्त कर सकते हैं।
- इस पहल को अन्य सेवा प्रदाताओं (OSPs) के विनियम के उदारीकरण से साथ जोड़कर देखा जा सकता है कि भारत दुष्कर अनुपालन के बोझ के बिना ही डिजिटल SME (लघु और मध्यम आकार के उद्यम) के लिये ऑनलाइन पहुँच बनाने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
- यह ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) और ईज़ ऑफ लिविंग (Ease of Living) को और आगे बढ़ाएगा, क्योंकि यह छोटे दुकानदारों को वाई-फाई सेवा प्रदान करने में सक्षम करेगा।
चुनौतियाँ:
- नेटवर्क सुरक्षा:
- अधिकांश वाई-फाई हॉटस्पॉट इंटरनेट पर भेजी जाने वाली जानकारी को कूटबद्ध (Encrypt) नहीं करते हैं, इसलिये वे सुरक्षित नहीं होते हैं। सार्वजनिक वाई-फाई की सुरक्षा में यह कमी उपकरणों पर व्यक्तिगत जानकारी की संभावित हैकिंग या अनुचित/गैर-अनुमोदित पहुँच का कारण बन सकती है।
- हालाँकि भारतीय सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट नेटवर्क प्रणाली के तहत यह परिकल्पना की गई है कि इन वाई-फाई पॉइंट्स के माध्यम से इंटरनेट पहुँच की अनुमति केवल इलेक्ट्रॉनिक केवाईसी (KYC ) और ओटीपी (OTP) तथा मैक आईडी-आधारित प्रमाणीकरण प्रणाली के माध्यम से दी जाएगी जिससे नेटवर्क सुरक्षा के जोखिम को कम किया जा सकेगा।
- मैक प्रमाणीकरण की विधि के तहत नेटवर्क तक पहुँच के लिये उपकरणों को प्रमाणित करने के बाद ही उन्हें एक सुरक्षित नेटवर्क तक पहुँच प्रदान की जाती है।
- परियोजना की व्यावहारिकता:
- भारत में सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क की व्यावहारिकता पर प्रश्न उठाए गए हैं क्योंकि इससे पहले भी इस क्षेत्र में कई तकनीकी-दिग्गज (जैसे-गूगल और फेसबुक) बड़े प्रयासों के बाद भी असफल रहे हैं।
- वर्ष 2017 में सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने 'एक्सप्रेस वाई-फाई' की शुरुआत की थी। हालाँकि यह परियोजना बहुत अधिक प्रभावी नहीं हुई।
- गूगल द्वारा वर्ष 2015 में पूरे भारत में 400 से अधिक रेलवे स्टेशनों और हज़ारों अन्य सार्वजनिक स्थानों पर निशुल्क वाई-फाई प्रदान करने के लिये ‘स्टेशन प्रोजेक्ट’ नामक पहल की शुरुआत की गई थी, परंतु सफल न होने के कारण इसे वर्ष 2020 की शुरुआत में बंद कर दिया गया।
- गूगल द्वारा इसकी असफलता के लिये सस्ते और अधिक सुलभ मोबाइल डेटा, सभी के लिये इंटरनेट तक पहुँच प्रदान करने हेतु सरकारी पहलों तथा अलग-अलग तकनीकी आवश्यकताओं एवं बुनियादी ढाँचे की चुनौतियों को उत्तरदायी बताया गया।
वाई-फाई (Wi-Fi):
- यह एक नेटवर्किंग प्रौद्योगिकी है जिसमें कम दूरी पर उच्च गति पर डेटा हस्तांतरण के लिये रेडियो तरंगों का उपयोग किया जाता है।
- वाई-फाई 'स्थानीय क्षेत्र नेटवर्क' (LAN) को बिना केबल और वायरिंग के संचालित करने की अनुमति देता है, जो इसे घर तथा व्यावसायिक नेटवर्क के लिये एक लोकप्रिय विकल्प बनाता है।
- वाई-फाई का उपयोग कई आधुनिक उपकरणों, जैसे लैपटॉप, स्मार्टफोन, टैबलेट कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक गेमिंग कंसोल के लिये वायरलेस ब्रॉडबैंड इंटरनेट की पहुँच प्रदान करने हेतु भी किया जा सकता है।
- वाई-फाई सक्षम उपकरण इंटरनेट से जुड़ने में तब समर्थ होते हैं जब वे उन क्षेत्रों में हों जहाँ वाई-फाई की पहुँच होती है, जिसे "हॉट स्पॉट" भी कहा जाता है।
- सिस्को वार्षिक इंटरनेट रिपोर्ट (2018-2023) [Cisco Annual Internet Report(2018-2023)] के अनुसार, वर्ष 2023 तक विश्व भर में कुल सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट की संख्या वर्ष 2018 के 169 मिलियन हॉटस्पॉट से बढ़कर लगभग 623 मिलियन तक पहुँच जाएगी।
- इसके तहत, वर्ष 2023 तक सर्वाधिक हॉटस्पॉट्स की हिस्सेदारी एशिया-प्रशांत क्षेत्र (46%) में होगी। सिस्को के अनुमानों के आधार पर, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा की गई गणना के अनुसार, भारत में वर्ष 2023 तक कुल वाई-फाई हॉटस्पॉट की संख्या लगभग 100 मिलियन हो सकती है।
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट):
- ‘सी-डॉट’ की स्थापना अगस्त 1984 में भारत सरकार के दूरसंचार विभाग के तहत एक स्वायत्त दूरसंचार अनुसंधान और विकास केंद्र के रूप में की गई थी।
- यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी है।
- यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) के तहत एक पंजीकृत ‘सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान संस्थान ’है।
आगे की राह:
- देश के नागरिक मज़बूत सेवा, डेटा अखंडता की सुरक्षा, डेटा के व्यावसायिक उपयोग पर पारदर्शिता और साइबर हमले से सुरक्षा की उम्मीद करते हैं।
- सरकार द्वारा इस क्षेत्र में किसी एक संस्था/कंपनी के एकाधिकार को रोकने के लिये TRAI के सुझावों के अनुरूप हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, एप और भुगतान सेवाओं से जुड़े विभिन्न सेवा प्रदाताओं की बराबर भागीदारी के साथ-साथ एक निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाना चाहिये।
- वर्तमान में सक्रिय सार्वजनिक वाई-फाई विकल्प कुछ संस्थाओं द्वारा सीमित पैमाने पर चलाए जाते हैं जिससे उपभोक्ताओं को एकल गेटवे एप के माध्यम से भुगतान करने के लिये विवश होना पड़ता है, जो इस क्षेत्र में व्यापक सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है।