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डेली न्यूज़

  • 04 Feb, 2021
  • 46 min read
शासन व्यवस्था

15वें वित्त आयोग की सिफारिशें: संसाधन आवंटन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 से आगामी पाँच वर्ष की अवधि के लिये करों के वितरण पूल में राज्यों की हिस्सेदारी को 41 प्रतिशत तक बनाए रखने से संबंधित 15वें वित्त आयोग की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है।

  • 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट हाल ही में संसद में प्रस्तुत की गई है।
  • इसके अलावा सरकार ने रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के आधुनिकीकरण के लिये एक अलग नॉन-लैप्सेबल फंड के निर्माण को भी मंज़ूरी दी है।

15वाँ वित्त आयोग

  • वित्त आयोग (FC) एक संवैधानिक निकाय है, जो केंद्र और राज्यों के बीच तथा राज्यों के बीच संवैधानिक व्यवस्था और वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप कर से प्राप्त आय के वितरण के लिये विधि और सूत्र निर्धारित करता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत भारत के राष्ट्रपति के लिये प्रत्येक पाँच वर्ष या उससे पहले एक वित्त आयोग का गठन करना आवश्यक है।
  • 15वें वित्त आयोग का गठन भारत के राष्ट्रपति द्वारा नवंबर, 2017 में एन.के. सिंह की अध्यक्षता में किया गया था। इसकी सिफारिशें वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक पाँच वर्ष की अवधि के लिये मान्य होंगी।

प्रमुख बिंदु

वर्टिकल हिस्सेदारी (केंद्र और राज्यों के बीच कर की हिस्सेदारी)

  • 15वें वित्त आयोग ने राज्यों की वर्टिकल हिस्सेदारी को 41 प्रतिशत बनाए रखने की सिफारिश की है, जो कि आयोग की वर्ष 2020-21 में दी गई अंतरिम रिपोर्ट के समान है।
    • यह राशि वर्तमान वितरण पूल के 42 प्रतिशत के स्तर के समान ही है, जिसकी सिफारिश 14वें वित्त आयोग द्वारा की गई थी। 
  • हालाँकि इसमें जम्मू-कश्मीर राज्य की स्थिति में बदलाव के बाद बने नए केंद्रशासित प्रदेशों (लद्दाख और जम्मू-कश्मीर) की स्थिति के मद्देनज़र 1 प्रतिशत का आवश्यक समायोजन भी किया गया है।

हाॅरिजेंटल हिस्सेदारी (राज्यों के बीच कर का विभाजन)

  • राज्यों के बीच कर राजस्व के विभाजन के लिये आयोग ने जो सूत्र प्रस्तुत किया है, उसके मुताबिक राजस्व हिस्सेदारी का निर्धारण करते समय जनसांख्यिकीय प्रदर्शन को 12.5 प्रतिशत, आय के अंतर को 45 प्रतिशत, जनसंख्या और क्षेत्रफल प्रत्येक के लिये 15 प्रतिशत, वन और पारिस्थितिकी के लिये 10 प्रतिशत तथा कर एवं राजकोषीय प्रयासों के लिये 2.5 प्रतिशत भार दिया जाएगा। 

राज्यों के लिये राजस्व घाटा अनुदान

  • राजस्व घाटा अनुदानों की संकल्पना राज्यों के राजस्व खातों पर उन राजकोषीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिये की गई है, जिसकी पूर्ति उनके स्वयं के कर और गैर-कर राजस्व तथा संघ से उनको प्राप्त होने वाले कर राजस्व के बावजूद नहीं हो पाती है।
  • सामान्य बोलचाल की भाषा में किसी वित्तीय वर्ष में कुल सरकारी आय और कुल सरकारी व्यय का अंतर राजस्व घाटा कहलाता है।
  • आयोग ने वित्तीय वर्ष 2026 तक पाँच वर्ष की अवधि के लिये लगभग 3 ट्रिलियन रुपए राजस्व घाटा अनुदान की सिफारिश की है।
    • राजस्व घाटे के अनुदान के लिये योग्य राज्यों की संख्या वित्त वर्ष 2022 के 17 से घटकर वर्ष 2026 तक 6 रह जाएगी।

राज्यों के लिये प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन एवं अनुदान

  • ये अनुदान मुख्यतः चार विषयों के इर्द-गिर्द घूमते हैं।
  • पहला विषय सामाजिक क्षेत्र है, जहाँ स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • दूसरा विषय ग्रामीण अर्थव्यवस्था है, जहाँ कृषि और ग्रामीण सड़कों के रखरखाव पर ध्यान केंद्रित किया है।
    • ग्रामीण अर्थव्यवस्था देश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि इसमें देश की दो-तिहाई आबादी, कुल कार्यबल का 70 प्रतिशत और राष्ट्रीय आय का 46 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।
  • तीसरा विषय शासन और प्रशासनिक सुधार है, जिसके तहत आयोग ने न्यायपालिका, सांख्यिकी और आकांक्षी ज़िलों तथा ब्लॉकों के लिये अनुदान की सिफारिश की है।
  • इस श्रेणी में बिजली क्षेत्र के लिये आयोग द्वारा विकसित एक प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन प्रणाली शामिल है, जो अनुदान से संबंधित नहीं है, बल्कि यह राज्यों को अतिरिक्त उधार प्राप्त करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण विंडो प्रदान करती है।

राजस्व में केंद्र की हिस्सेदारी

  • 15वें वित्त आयोग द्वारा राज्यों को किया गया कुल हस्तांतरण (कर वितरण + अनुदान) केंद्र सरकार की अनुमानित सकल राजस्व प्राप्तियों का लगभग 34 प्रतिशत है, जिससे केंद्र सरकार के पास अपनी आवश्यकताओं और राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं के दायित्त्वों को पूरा करने के लिये पर्याप्त राजस्व बचता है।

स्थानीय सरकारों को अनुदान

  • आयोग ने अपनी सिफारिशों में नगरपालिकाओं और स्थानीय सरकारी निकायों के लिये अनुदान के साथ-साथ, नए शहरों के इन्क्यूबेशन हेतु प्रदर्शन-आधारित अनुदान तथा स्थानीय सरकारों के लिये स्वास्थ्य अनुदान को भी शामिल किया है।
  • शहरी स्थानीय निकायों के लिये अनुदान की व्यवस्था के तहत मूल अनुदान केवल उन शहरों/कस्बों के लिये प्रस्तावित है, जिनकी आबादी दस लाख है। दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को 100 प्रतिशत अनुदान मिलियन-प्लस सिटीज़ चैलेंज फंड (MCF) के माध्यम से प्रदर्शन के आधार पर दिया जाएगा। 
    • दस लाख से अधिक आबादी के शहरों का प्रदर्शन उनकी वायु गुणवत्ता में सुधार और शहरी पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन आदि मापदंडों के आधार पर मापा जाएगा। 

चुनौती

  • प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन, स्वतंत्र निर्णय और नवाचार को प्रभावित करता है। राज्य की उधार लेने की क्षमता पर किसी भी प्रकार के प्रतिबंध से राज्य द्वारा किये जाने वाले खर्च पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे राज्य का विकास प्रभावित होगा, परिणामस्वरूप यह सहकारी वित्तीय संघवाद को कमज़ोर करेगा। 
  • आयोग द्वारा एक ओर राज्यों का आकलन उनके प्रदर्शन के आधार पर करने की बात की गई है, वहीं वह केंद्र सरकार के संबंध में राजकोषीय निर्णयों के लिये कोई भी उत्तरदायित्त्व निर्धारित नहीं किया गया है।

हाॅरिजेंटल वितरण मापदंड

जनसंख्या

  • किसी राज्य की जनसंख्या, उस राज्य की सरकार के लिये अपने नागरिकों को बेहतर सेवाएँ उपलब्ध कराने हेतु अधिक व्यय करने की आवश्यकता को दर्शाती है, यानी जिस राज्य की जनसंख्या जितनी अधिक होगी राज्य सरकार को उतना ही अधिक व्यय करना होगा।
  • यह एक सरल और पारदर्शी संकेतक भी है, जिसका महत्त्वपूर्ण समकारी प्रभाव है।

क्षेत्रफल

  • क्षेत्रफल जितना अधिक होता है, सरकार के लिये व्यय की आवश्यकता भी उतनी ही अधिक होती है।

वन और पारिस्थितिकी

  • इसका आकलन सभी राज्यों के कुल सघन वन क्षेत्र में प्रत्येक राज्य के सघन वनों की सापेक्ष भागीदारी से किया जा सकता है।

आय-अंतर

  • आय-अंतर अधिकतम सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वाले राज्य तथा किसी अन्य राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के अंतर का प्रतिनिधित्त्व करता है। 
  • अंतर-राज्यीय समानता बनाए रखने के लिये कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों को अधिक हिस्सेदारी दी जाएगी।

जनसांख्यिकीय प्रदर्शन

  • यह जनसंख्या को नियंत्रित करने के राज्यों के प्रयासों को पुरस्कृत करता है।
  • इस मापदंड की गणना वर्ष 1971 की जनसंख्या के आँकड़ों के अनुसार, प्रत्येक राज्य के कुल प्रजनन अनुपात (TFR) के व्युत्क्रम (रेसिप्रोकल) के आधार पर की गई है।
    • वर्ष 1971 की जनगणना के बजाय वर्ष 2011 की जनगणना के आँकड़ों का उपयोग हस्तांतरण में भेदभाव को लेकर दक्षिण भारत के राज्यों की आशंकाओं को समाप्त करने के उद्देश्य से किया गया है।
  • कम प्रजनन अनुपात वाले राज्यों को इस मापदंड में अधिक अंक प्राप्त होंगे।
    • कुल प्रजनन दर (TFR): किसी एक विशिष्ट वर्ष में प्रजनन दर का अभिप्राय प्रजनन आयु (जो कि आमतौर पर 15 से 49 वर्ष के बीच मानी जाती है) के दौरान एक महिला से जन्म लेने वाले अनुमानित बच्चों की औसत संख्या को दर्शाता है।

कर संग्रह के प्रयास:

  • इस मापदंड का उपयोग उच्च कर संग्रह दक्षता वाले राज्यों को पुरस्कृत करने के लिये किया गया है।
  • इसकी गणना प्रति व्यक्ति कर राजस्व एवं वर्ष 2016-17 और 2018-19 के बीच तीन-वर्ष की अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति राज्य जीडीपी अनुपात के रूप में की गई है।

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स्रोत: पी.आई.बी.


शासन व्यवस्था

15वें वित्त आयोग की सिफारिशें: वित्तीय समावेशन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट को संसद के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इसमें केंद्र और राज्यों दोनों के वित्तीय घाटे और ऋण संबंधी आवश्यकताओं पर सिफारिशें प्रदान की गई हैं।

प्रमुख बिंदु

राजकोषीय घाटा:

  • केंद्र के लिये लक्ष्य: 15वें वित्त आयोग द्वारा यह अनुशंसा की गई है कि केंद्र सरकार राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2022 के सकल घरेलू उत्पाद के 6.8% से वर्ष 2025-26 में 4% तक ले आएगी।
  • राज्यों के लिये लक्ष्य: राज्यों के लिये 15वें वित्त आयोग ने वर्ष 2021-22 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 4%, उसके अगले वर्ष में 3.5% और बाद के अगले तीन वर्षों के लिये 3% राजकोषीय घाटे की सिफारिश की।

राज्यों के लिये उधार सीमा

  • ज्ञात हो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 293 के तहत राज्य सरकारें, केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित उधार सीमा के अधीन कार्य करती हैं।
  • आयोग ने शुद्ध उधार सीमा को वर्ष 2021-22 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के 4 प्रतिशत, वर्ष 2022-23 में 3.5 प्रतिशत तथा वर्ष 2023-24 से वर्ष 2025-26 तक 3 प्रतिशत पर बनाए रखने की सिफारिश की है।
  • इसके अलावा यदि राज्य द्वारा ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित सुधारों के मानदंडों को पूरा कर लिया जाता है, तो उन्हें सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का अतिरिक्त 0.5 प्रतिशत ऋण लेने की अनुमति दी जाएगी।

केंद्र प्रायोजित योजना की बेहतर निगरानी: 

  • वार्षिक विनियोग की सीमा संबंधी एक राशि तय की जानी चाहिये, जिससे नीचे केंद्र प्रायोजित योजना के लिये धन का आवंटन रोक दिया जाए। 
    • निर्धारित सीमा से कम राशि की योजना को प्रशासनिक विभाग द्वारा जारी रखे जाने  की आवश्यकता को न्यायसंगत सिद्ध किया जाना चाहिये।
  • मौजूदा योजनाओं के जीवन चक्र को वित्त आयोगों की कार्य अवधि के समान ही डिज़ाइन किया गया है, जिससे सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तृतीय-पक्ष मूल्यांकन को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा किया जा सकेगा।

नया FRBM फ्रेमवर्क:

  • राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM Act), 2003 के पुनर्गठन की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए 15वें वित्त आयोग ने सिफारिश की है कि ऋण स्थिरता को परिभाषित करने और उसे प्राप्त करने के लक्ष्य से संबंधित समय-सीमा की जाँच एक उच्च-स्तरीय अंतर-सरकारी समूह द्वारा की जा सकती है।
    • यह उच्च-संचालित समूह नए FRBM ढाँचे को तैयार कर सकता है और इसके कार्यान्वयन की देखरेख कर सकता है।
  • राज्य सरकारें स्वतंत्र सार्वजनिक ऋण प्रबंधन प्रकोष्ठों का गठन कर सकती हैं, जो उनके उधार कार्यक्रम को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने में मदद करेंगे।

स्रोत- पी.आई.बी.


शासन व्यवस्था

15वें वित्त आयोग की सिफारिशें: क्षेत्र विशिष्ट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट को संसद के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इस रिपोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों जैसे- स्वास्थ्य, रक्षा और आंतरिक सुरक्षा तथा आपदा जोखिम प्रबंधन आदि के लिये की गई सिफारिशें शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

स्वास्थ्य:

  • वर्ष 2022 तक राज्यों द्वारा स्वास्थ्य व्यय को अपने बजट के 8% से अधिक तक बढ़ाया जाना चाहिये।
  • चिकित्सकों की उपलब्धता में अंतर-राज्यीय असमानता को देखते हुए अखिल भारतीय चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा का गठन करना आवश्यक है, जैसा कि अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1951 की धारा 2 ए के तहत परिकल्पित है।
  • 15वें वित्त आयोग में सभी स्तरों पर चिकित्सा सेवाओं की पूरी जाँच कर सुधार और संबद्ध स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिये भी धन आवंटित किया गया।

रक्षा और आंतरिक सुरक्षा:

  • केंद्र सरकार भारत की लोक लेखा निधि के अंतर्गत एक गैर-व्यपगत निधि तथा रक्षा और आंतरिक सुरक्षा हेतु एक आधुनिकीकरण कोष (MFDIS) का गठन भी कर सकती है।

आपदा जोखिम प्रबंधन

  • आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के अनुरूप राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर शमन निधियों का निर्माण करना।
    • फंड का उपयोग उन स्थानीय स्तर और समुदाय-आधारित कार्यक्रमों के लिये किया जाना चाहिये जो जोखिम को कम करते हैं और पर्यावरण अनुकूल आवासों तथा आजीविका उपायों को बढ़ावा देते हैं।
  • प्राथमिक क्षेत्रों को निधि प्रदान करना: 15वें वित्त आयोग ने कुछ प्राथमिक क्षेत्रों के लिये निधि का आवंटन भी निर्धारित किया है, जैसे:
    • अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण तथा कटाव से प्रभावित विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल को निधि का आवंटन करना।
    • 12 सर्वाधिक सूखा प्रभावित राज्यों को उत्प्रेरक सहायता, 10 पहाड़ी राज्यों में भूकंपीय और भूस्खलन जोखिमों का प्रबंधन, 7 सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में शहरी बाढ़ के जोखिम को कम करने और कटाव को रोकने के उपायों के लिये राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण निधि (NDMF) को धनराशि प्रदान करना।

स्रोत- पी.आई.बी


भारतीय अर्थव्यवस्था

बजट 2021 प्रमुख हाइलाइट्स: स्वास्थ्य और कल्याण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त मंत्री द्वारा केंद्रीय बजट 2021-22 पेश किया गया, जो देश का प्रथम डिज़िटल केंद्रीय बजट है।

  • बजट छ: प्रमुख स्तंभों पर आधारित है जो इस प्रकार हैं:
    1. स्‍वास्‍थ्‍य और कल्‍याण
    2. वास्तविक और वितीय पूंजी तथा बुनियादी ढांँचा
    3. आकांक्षी भारत के लिये समावेशी विकास
    4. मानव पूंजी में नवजीवन का संचार
    5. नवोन्मेष और अनुसंधान तथा विकास
    6. न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन। 
  • बजट का यह खंड स्वास्थ्य और कल्याण क्षेत्र के प्रस्तावों से संबंधित है।

बजट और संवैधानिक प्रावधान:

  • संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, एक वर्ष के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement- AFS) कहा जाता है।
  • यह एक वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण है (जो चालू वर्ष में 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले वर्ष के 31 मार्च को समाप्त होता है)।
  • बजट में निम्नलिखित बिंदुओं को शामिल किया जाता है:
    • राजस्व और पूंजी प्राप्तियों का अनुमान।
    • राजस्व बढ़ाने के तरीके और साधन।
    • व्यय अनुमान।
    • पिछले वित्तीय वर्ष की वास्तविक प्राप्तियों और व्यय का विवरण तथा उस वर्ष में किसी भी कमी या अधिशेष का कारण।
    • आने वाले वर्ष की आर्थिक और वित्तीय नीति, अर्थात् कराधान प्रस्ताव तथा नई योजनाओं/परियोजनाओं की शुरुआत।
  • संसद में बजट छह चरणों से गुज़रता है:
    • बजट की प्रस्तुति।
    • आम चर्चा।
    • विभागीय समितियों द्वारा जाँच।
    • अनुदान मांगों पर मतदान।
    • विनियोग विधेयक पारित करना।
    • वित्त विधेयक पारित करना।
  • वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग का बजट डिवीज़न बजट तैयार करने हेतु ज़िम्मेदार केंद्रीय निकाय है।
  • स्वतंत्र भारत का पहला बजट वर्ष 1947 में प्रस्तुत किया गया था।

प्रमुख बिंदु:

  • बजट परिव्यय: स्वास्थ्य और कल्याण परिव्यय में वर्ष 2021-22 में वर्ष 2020-21 की तुलना में 137% की वृद्धि की गई है।
  • प्रमुख कदम: स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार हेतु निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:

टीके:

  • वर्ष 2021-22 में कोविड-19 टीके (Covid-19 Vaccine) के लिये  35,000 करोड़ रुपए।  
  • मेड इन इंडिया न्यूमोकोकल वैक्सीन (Pneumococcal Vaccine) वर्तमान में पांँच राज्यों के साथ देश भर में वितरित की जाएगी, इससे प्रत्येक वर्ष 50,000 बच्चों की मौतों को रोका जा सकेगा।

स्वास्थ्य प्रणाली 

  • प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वच्छ भारत योजना- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission- NHM) के अतिरिक्त एक नई केंद्र प्रायोजित योजना की शुरुआत की जाएगी।

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पोषण: 

  • 112 आकांक्षी ज़िलों में पोषण परिणामों में सुधार करने के उद्देश्य से मिशन पोषण 2.0 (Mission Poshan 2.0) शुरू किया जाना है।

व्यापक जल आपूर्ति कवरेज:

  • जल जीवन मिशन (शहरी)- इसमें नल कनेक्शन के माध्यम से 2.86 करोड़ घरों में सुरक्षित पानी की पहुंँच सुनिश्चित की जाएगी।

स्‍वच्‍छ भारत स्‍वस्‍थ भारत:

शुद्ध हवा:

  • वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने हेतु 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 42 शहरी केंद्रों को 2,217 करोड़ रुपए की राशि मुहैया कराना।

स्क्रैपिंग पॉलिसी:

  • पुराने और अनुपयुक्त वाहनों को हटाने के लिये एक स्‍वैच्छिक वाहन स्क्रैपिंग नीति (Voluntary Vehicle Scrapping Policy) को लागू करना 

स्रोत: पी.आई.बी 


भारतीय अर्थव्यवस्था

बजट 2021 प्रमुख हाइलाइट्स: अवसंरचना

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा केंद्रीय बजट 2021-22 पेश किया गया। यह भारत का पहला डिजिटल बजट है।

  • केंद्रीय बजट का यह खंड अवसंरचना परियोजनाओं से जुड़े प्रस्तावों से संबंधित है।   

प्रमुख बिंदु:  

उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (PLI):

  • आत्मनिर्भर भारत के लिये विनिर्माण के क्षेत्र में वैश्विक स्तर की प्रतिस्पर्द्धी कंपनियों की स्थापना और उन्हें समर्थन प्रदान करने के उद्देश्य से अगले पाँच वर्षो में उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (PLI) के तहत 1.97 लाख करोड़ रुपए जारी किये जाने की प्रतिबद्धता।

वस्त्र उद्योग:

  • मेगा इन्वेस्टमेंट टेक्सटाइल्स पार्क (Mega Investment Textiles Parks- MITRA) योजना की घोषणा। 

MITRA

अवसंरचना:

  • राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (National Infrastructure Pipeline- NIP) का विस्‍तार करते हुए इसमें 7400 परियोजनाओं को शामिल किया गया है।
  • एनआईपी के लिये वित्तपोषण बढ़ाने हेतु तीन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेष प्रयास NIP:
    •  संस्थागत ढाँचे का निर्माण:
    • आस्तियों के मुद्रीकरण पर विशेष ज़ोर  
    • पूंजीगत व्‍यय में बढ़ोतरी। 

सड़कें और राजमार्ग अवसंरचना:

  • केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय को 1,81,101 करोड़ रुपए का अब तक का सर्वाधिक आवंटन।
  • नए आर्थिक गलियारों और एक्सप्रेस-वे बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।
  • चार लेन और छह लेन के सभी नए राजमार्गों में उन्नत यातायात प्रबंधन प्रणाली स्थापित की जाएगी।

रेलवे अवसंरचना:

  • राष्ट्रीय रेल योजना (2030): वर्ष 2030 तक ‘फ्यूचर रेडी’ (Future Ready) रेलवे प्रणाली की स्थापना हेतु।
  • दिसंबर 2023 तक ब्रॉड-गेज मार्गों पर शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का कार्य पूरा करना।
  • पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (DFC) और पूर्वी DFC को जून 2022 तक चालू करना। 
  • यात्रियों की सुगमता और सुरक्षा के लिये उपाय: 
    • यात्रियों के बेहतर यात्रा अनुभव के लिये पर्यटक रूटों पर सौंदर्यपरक रूप से डिजाइन किये गए ‘बिस्‍टाडोम एलएचवी कोच’ (Vista Dome LHB coach) का संचालन आरंभ।
    • भारतीय रेलवे के उच्‍च घनत्‍व नेटवर्क और सर्वाधिक उपयोग किये जाने वाले रेलवे रूट पर स्वचालित ट्रेन संरक्षण प्रणाली की स्थापना, जो मानवीय त्रुटि के कारण ट्रेनों के टकराने जैसी दुर्घटनाओं को समाप्‍त करेगी। 

शहरी अवसंरचना:  

विद्युत अवसंरचना

  • एक व्यापक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन 2021-22  को लॉन्च करने का प्रस्ताव।
  • आने वाले 5 वर्षों में 3,05,984 करोड़ रुपए के व्‍यय से एक परिष्‍कृत और सुधार आधारित तथा परिणाम संबद्ध विद्युत वितरण योजना शुरू की जाएगी।

पत्‍तन, नौवहन, जलमार्ग: 

  • प्रमुख बंदरगाहों के संचालन हेतु वित्तीय वर्ष 2021-22 में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मोड में 2000 करोड़ रुपए की लागत वाली 7 परियोजनाओं की शुरुआत का प्रस्ताव।  

 पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस:

  • उज्‍ज्‍वला योजना का विस्‍तार कर इसमें 1 करोड़ नए लाभार्थियों को शामिल किया जाएगा।
  • जम्‍मू-कश्‍मीर में एक नई गैस पाइप लाइन परियोजना शुरू की जाएगी।
  • बगैर किसी भेदभाव के खुली पहुँच के आधार पर सभी प्राकृतिक गैस पाइप लाइनों की कॉमन कैरियर कैपिसिटी की बुकिंग की सुविधा प्रदान करने हेतु एक स्‍वतंत्र गैस ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम ऑपरेटर का गठन किया जाएगा।

स्रोत: पी.आई.बी


भारतीय अर्थव्यवस्था

बजट 2021 प्रमुख हाइलाइट्स: भौतिक और वित्तीय पूंजी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2021-22 पेश किया। यह भारत का पहला डिजिटल बजट है।

  • यह खंड भौतिक और वित्तीय पूंजी से संबंधित प्रस्तावों से संबंधित है।

प्रमुख बिंदु

वित्तीय पूंजी:

  • एक युक्तिसंगत एकल प्रतिभूति बाज़ार कोड (Securities Markets Code) विकसित किया जाएगा।
  • सभी वित्तीय निवेशकों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करने के लिये एक इन्‍वेस्‍टर चार्टर लागू किया जाएगा।
  • बॉण्ड बाज़ार के विकास में मदद के लिये एक नया स्थायी संस्थागत ढाँचा विकसित किया जाएगा।
  • सोने के विनिमय को विनियमित करने के लिये एक व्यवस्था स्थापित की जाएगी।
    • इस उद्देश्‍य के लिये सेबी (Securities and Exchange Board of India) को एक विनियामक के रूप में अधिसूचित किया जाएगा तथा वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (Warehousing Development and Regulatory Authority) को मज़बूत बनाया जाएगा।
  • दबावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिये संकल्प:
  • बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश बढ़ाना:
    • बीमा कंपनियों में स्वीकार्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% करना और विदेशी स्वामित्व तथा नियंत्रण संबंधी सुरक्षा को बढ़ाया जाएगा।
  • जमा बीमा:
    • जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम कानून (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation Act), 1961 में संशोधन जमाकर्त्ताओं को उनके डिपॉज़िट तक आसान और समयबद्ध पहुँच दिलाने में मदद करता है।
      • बैंक जमाकर्त्ताओं के लिये जमा बीमा राशि को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई है।
    • सरफेसी अधिनियम (Sarfaesi Act), 2002 के तहत ऋण वसूली के लिये न्यूनतम ऋण सीमा को 50 लाख रुपए के मौजूदा स्तर से कम करके 20 लाख रुपए किया जाएगा।

कंपनी और फर्मों के लिये प्रावधान:

विनिवेश और रणनीतिक बिक्री:

  • रणनीतिक विनिवेश के लिये नई नीति की मंजूरी; केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE) को छोड़कर चार रणनीतिक क्षेत्रों का निजीकरण किया जाएगा।
  • आईडीबीआई बैंक के अलावा दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और एक जनरल बीमा कंपनी का निजीकरण किया जाएगा।
  • बेकार पड़ी ज़मीन के मौद्रिकरण के लिये कंपनी के रूप में एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle) का गठन।
  • बीमार और नुकसान में चल रही सीपीएसई को समय पर बंद करने के लिये संशोधित कार्यविधि की शुरुआत होगी।

सरकारी वित्तीय सुधार:

  • वैश्विक आवेदन के लिये स्वायत्तशासी निकायों हेतु ट्रेज़री सिंगल अकाउंट (Treasury Single Account) को बढ़ाया जाना चाहिये।
  • सहकारिता के लिये ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business) को सहज बनाने हेतु अलग प्रशासनिक ढाँछे का निर्माण।

स्रोत: पी.आई.बी.


भारतीय अर्थव्यवस्था

बजट 2021 प्रमुख हाइलाइट्स: न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन और राजकोषीय स्थिति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त मंत्री द्वारा केंद्रीय बजट 2021-22 पेश किया गया जो देश का पहला डिजिटल बजट है।

  • बजट का यह खंड ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ (Minimum Government, Maximum Governance) तथा सरकार की राजकोषीय स्थिति ( Fiscal Position of the Government) से संबंधित है।

प्रमुख बिंदु:

 न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन:

  • राष्ट्रीय संबद्ध स्वास्थ्य देखभाल व्यवसायी आयोग का पहले ही प्रस्ताव किया जा चुका है ताकि 56 संबद्ध स्वास्थ्य देखभाल व्यवसायों की पारदर्शिता, दक्षता और नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके।
  • नेशनल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी कमीशन बिल (National Nursing and Midwifery Commission Bill) को नर्सिंग पेशे हेतु पेश किया गया।
  • केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (Central Public Sector Enterprises- CPSEs) के बीच विवादों के त्वरित समाधान हेतु जनादेश के साथ प्रस्तावित सुलह तंत्र स्थापित करना। 
  • भारतीय  इतिहास में पहली डिजिटल जनगणना हेतु  3,768 करोड़ रुपए आवंटित।
  • गोवा राज्य की स्वतंत्रता की हीरक जयंती समारोह मनाने हेतु गोवा सरकार को पुर्तगाल से 300 करोड़ रुपए का अनुदान।
  • असम और पश्चिम बंगाल में चाय बगान कामगारों विशेष रूप से महिला और उनके बच्चों के कल्याण के लिये विशेष योजना हेतु 1000 करोड़ रुपए का आवंटन।

राजकोषीय स्थिति:

  • 2021-22 के बजट में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.8 प्रतिशत अनुमानित है जो वर्ष 2020-21 के वास्तविक अनुमान के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद का 9.5 प्रतिशत हो गया है।
  • वर्ष 2025-26 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद का 4.5 प्रतिशत तक करने के लिये राजकोषीय सुदृढ़ीकरण (Fiscal Consolidation) हेतु योजना है।
  • वित्त विधेयक के माध्यम से भारत की आकस्मिकता निधि को 500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 30,000 करोड़ रुपए किया गया है।

Budget-2021-22

15वें वित्त आयोग की सिफारिशें:

  • वर्ष 2021-26 के लिये अंतिम रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी गई, राज्यों के शेयर 41 प्रतिशत पर रखे गए।
  • केंद्र से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों को धन उपलब्ध कराया जाएगा।
  • आयोग की सिफारिश के अनुसार, वर्ष 2020-21 में 14 राज्यों को राजस्व हानि अनुदान के रूप में 74340 करोड़ की अपेक्षा वर्ष 2021-22 में 17 राज्यों को 118452 करोड़ रुपए दिये गए।

कर प्रस्ताव:

  • यदि भविष्य निधि (PF) का योगदान 2.5 लाख रुपए से अधिक है तो ब्याज पर कोई छूट नहीं दी जाएगी।
  • 75 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को कर रिटर्न दाखिल करने से छूट, हालाँकि यह छूट केवल पेंशन और ब्याज से प्राप्त आय पर दी जाएगी। 
  • आयकर निपटान आयोग को समाप्त कर दिया गया है।
  • रिटर्न दाखिल न करने वाले लोगों को अधिक TDS देना होगा।
  • विलंबित आयकर रिटर्न दाखिल करने के समय में कटौती की गई है।
  • कई उत्पादों पर कृषि अवसंरचना एवं विकास उपकर अधिरोपित किया गया है।
  • करदाताओं के लिये 50 लाख रुपए तक की कर योग्य आय और 10 लाख रुपए तक की विवादित आय हेतु विवाद समाधान समिति का गठन किया जाएगा।
  • नेशनल फेसलेस इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल सेंटर की स्थापना की जाएगी।

स्रोत: पी.आई.बी.


भारतीय अर्थव्यवस्था

बजट 2021 प्रमुख हाइलाइट्स: आकांक्षी भारत एवं मानव पूंजी के पुनः शक्तिवर्धन हेतु समावेशी विकास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2021-22 पेश किया। यह पहला डिजिटल बजट था।

  • यह खंड ‘आकांक्षी भारत एवं समृद्ध मानव पूंजी के पुनः शक्तिवर्धन हेतु समावेशी विकास’ नामक विषय पर आधारित है।

प्रमुख बिंदु:

आकांक्षी भारत के लिये समावेशी विकास:

  • कृषि:
    • सभी जिंसों के लिये उनकी उत्‍पादन लागत का कम-से-कम डेढ़ गुना न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य सुनिश्चित करना।
    • स्वामित्व योजना का प्रसार सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों तक किया जाएगा।
    • ऑपरेशन ‘ग्रीन’ योजना जल्‍दी खराब होने वाले 22 उत्‍पादों तक विस्‍तारित होगी ताकि कृषि और संबद्ध उत्‍पादों के मूल्‍य संवर्द्धन को बढ़ावा मिले।
    • प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 1000 मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (ई- नाम) के साथ एकीकृत किया जाएगा।
    • APMC की बुनियादी सुविधाएँ बढ़ाने के लिये कृषि बुनियादी ढाँचा निधियों तक पहुँच स्थापित करना।
  • मत्स्यन
    • मछली पकड़ने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण पाँच प्रमुख बंदरगाहों जैसे- कोच्चि, चेन्‍नई, विशाखापट्टनम, पाराद्वीप और पेतवाघाट को आर्थिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा
    • सीवीड (Seaweed) उत्‍पादन को बढ़ावा देने के लिये तमिलनाडु में बहुउद्देशीय सीवीड पार्क (Seaweed Park) की स्थापना।
  • प्रवासी कामगार और मज़दूर:
    • देश में कहीं भी राशन प्राप्त करने हेतु वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना का प्रवासी कामगारों ने सबसे अधिक लाभ उठाया है।
    • विशेष रूप से गैर-संगठित मज़दूरों, प्रवासी कामगारों को सहायता प्रदान करने वाली योजनाओं को तैयार करने के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिये पोर्टल।
    • निम्नलिखित 4 श्रम संहिताओं को लागू करने की प्रक्रिया जारी है-
      • ‘गिग/प्लेटफॉर्म वर्कर्स’ के लिये सामाजिक सुरक्षा लाभ।
      • सभी श्रेणी के मज़दूरों के लिये न्‍यूनतम मज़दूरी की व्‍यवस्‍था लागू होगी और उनको कर्मचारी राज्‍य बीमा निगम के अंतर्गत लाया जाएगा।
      • महिला कामगारों को सभी श्रेणियों में काम करने की इजाज़त होगी, जिसमें वह रात्रि पाली में भी काम कर सकेंगी और उन्‍हें पूरी सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
      • नियोजकों पर पड़ने वाले अनुपालन भार को भी कम किया जाएगा और उनको सिंगल रजिस्ट्रेशन तथा लाइसेंसिंग का लाभ दिया जाएगा, जिससे वे अपना रिटर्न ऑनलाइन भर सकेंगे।
  • वित्तीय समावेशन:
    • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिये चलाई गई स्‍टैंडअप इंडिया स्‍कीम-
      • मार्जिन मनी को घटाकर 15 प्रतिशत किया गया।
      • इसमें कृषि से संबंधित क्रियाकलापों के लिये दिये जाने वाले ऋणों को शामिल किया जाएगा।

मानव पूंजी का पुनः शक्तिवर्धन

  • विद्यालयी शिक्षा:
    • 15,000 से अधिक विद्यालयों में गुणवत्ता की दृष्टि से सुधार किया जाएगा ताकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी घटकों का अऩुपालन हो सके। इससे वे अपने-अपने क्षेत्र में एक उदाहरण के रुप में उभर कर सामने आएंगे जिससे अन्य विद्यालयों के विकास में भी सहायता मिलेगी।
    • गैर-सरकारी संगठनों/निजी विद्यालयों/राज्यों के साथ भागीदारी में 100 नए सैनिक स्कूल स्थापित किये जाएंगे।
  • उच्चतर शिक्षा:
    • भारतीय उच्चतर शिक्षा आयोग के गठन को लेकर इस वर्ष विधान पेश किया जाएगा। यह एक अम्ब्रेला निकाय होगा, जिसमें मापदंड-निर्धारण, प्रत्यायन, विनियमन और वित्तपोषण के लिये चार अलग-अलग घटक होंगे।
    • सभी सरकारी कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों द्वारा कई शहरों में अम्ब्रेला संरचनाओं की स्थापना की जाएगी, जिससे बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सकेगा।
    • लद्दाख में उच्च शिक्षा के लिये लेह में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।
  • अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण:
    • जनजातीय क्षेत्रों में 750 एकलव्य मॉडल रिहायशी स्कूलों की स्थापना करने का लक्ष्य।
    • अनुसूचित जाति के कल्याण के लिये पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना पुनः प्रारंभ की गई
  • कौशल विकास:
    • युवाओं के लिये अवसरों को बढ़ाने हेतु अप्रेंटिसशिप अधिनियम में सुधार का प्रस्ताव दिया।
    • इंजीनियरिंग में स्नातक और डिप्लोमा धारकों के लिये शिक्षा-उपरांत अप्रेंटिसशिप, प्रशिक्षण हेतु मौजूदा राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण योजना (NATS) के पुनर्निर्माण के लिये 3,000 करोड़ रुपए।
    • कौशल को लेकर अन्य देशों के साथ साझेदारी को उसी तरह बढ़ाया जाएगा, जिस तरह निम्नलिखित देशों के साथ साझेदारी की गई हैः
      • संयुक्त अरब अमीरात के साथ कौशल योग्यता, मूल्यांकन, प्रमाणीकरण और प्रमाणित श्रमिकों के बेंचमार्क को लेकर साझेदारी
      • जापान के साथ कौशल, तकनीक और ज्ञान के हस्तांतरण के लिये सहयोगपूर्ण अंतर-प्रशिक्षण कार्यक्रम (टीआईटीपी)।

skill-development

  • नवोन्मेष, अनुसंधान और विकास
    • प्रमुख भारतीय भाषाओं में शासन और नीति से संबंधित ज्ञान उपलब्ध कराने के लिये राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (NTLM) की शुरुआत।
    • न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड द्वारा पीएसएलवी-सीएस51 (PSLV-CS51) को लॉन्च किया जाएगा, जो अपने साथ ब्राज़ील के अमेज़ोनिया उपग्रह और कुछ भारतीय उपग्रहों को ले जाएगा।
    • गगनयान मिशन की गतिविधियों के तहत-
      • चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को रूस में जैनरिक स्पेस फ्लाइट के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
      • पहला मानव रहित प्रक्षेपण दिसंबर 2021 में होगा।
      • गहरे महासागर मिशन सर्वेक्षण अन्वेषण और गहरे महासागर की जैव विविधता के संरक्षण के लिये पाँच वर्षों में 4,000 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।

स्रोत: पी.आई.बी.


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