भारतीय अर्थव्यवस्था
‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ अंतर्वाह
- 22 Oct 2020
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प्रिलिम्स के लिये:प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना मेन्स के लिये:भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त होने के विभिन्न रूट्स/रास्ते, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्ति के संदर्भ में सरकारी प्रयास |
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार को वर्ष 2020 में अप्रैल से अगस्त माह के दौरान 35.73 बिलियन अमेरिकी डाॅलर का ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ ( Foreign Direct Investment- FDI) प्राप्त हुआ है जो किसी वित्तीय वर्ष के पहले 5 माह में प्राप्त प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की उच्चतम मात्रा है।
प्रमुख बिंदु:
- पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2020) में सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) 23.9% रहने के बावजूद FDI प्रवाह में वृद्धि देखी गई है।
- FDI में हालिया बढ़ोतरी:
- वर्ष 2019-20 ( 31.60 बिलियन अमेरिकी डाॅलर) की तुलना में वर्ष 2020-21 के पहले 5 माह में 13% अधिक FDI ( 35.73 बिलियन अमेरिकी डाॅलर) प्राप्त हुआ है।
- FDI के कुल अंतर्वाह में 55% की वृद्धि हुई जो वर्ष 2008-14 के 231.37 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2014-20 में 358.29 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- वर्ष 2020 में अप्रैल से अगस्त माह के दौरान FDI इक्विटी प्रवाह (FDI के तीन घटकों में से एक) 27.10 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। जो वित्त वर्ष के पहले 5 माह के लिये FDI के इक्विटी प्रवाह की उच्चतम मात्रा है। साथ ही वर्ष 2019-20 के पहले पाँच माह (23.35 बिलियन अमेरिकी डाॅलर) की तुलना में 16% अधिक है।
- सरकार द्वारा FDI नीति में सुधार करने, निवेश नीति को सुगम बनाने इत्यादि मोर्चों पर किये गए उपायों के परिणामस्वरूप देश में FDI अंतर्वाह की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है।
- वर्ष 2019-20 ( 31.60 बिलियन अमेरिकी डाॅलर) की तुलना में वर्ष 2020-21 के पहले 5 माह में 13% अधिक FDI ( 35.73 बिलियन अमेरिकी डाॅलर) प्राप्त हुआ है।
UNCTAD द्वारा जारी विश्व निवेश रिपोर्ट (World Investment Report), 2020 के अनुसार, वर्ष 2019 में सबसे अधिक FDI प्राप्तकर्त्ता देशों में भारत 9वें स्थान पर रहा।
FDI बढ़ाने हेतु सरकारी प्रयास:
- वर्ष 2020 में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र के लिये ‘उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन’ (Production-Linked Incentive-PLI) जैसी योजनाओं को अधिकाधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिये अधिसूचित किया गया है।
- वर्ष 2019 में केंद्र सरकार द्वारा कोयला खनन गतिविधियों में स्वचालित मार्ग ( Automatic Route) के तहत 100% FDI की अनुमति देने के लिये FDI नीति 2017 में संशोधन किया गया।
- इसके अलावा सरकार द्वारा डिजिटल क्षेत्र में 26% FDI की अनुमति दे दी गई है। इस क्षेत्र में भारत में अनुकूल जनसांख्यिकी, पर्याप्त मोबाइल एवं इंटरनेट उपभोक्ताओं के उच्च FDI प्राप्ति की संभावना विद्यमान है, जो बड़े पैमाने पर खपत एवं प्रौद्योगिकी (Consumption Along with Technology) के साथ-साथ विदेशी निवेशकों को भारत में एक शानदार एवं संभावनाओं से युक्त बाज़ार उपलब्ध कराने का अवसर प्रदान करता है।
- विनिर्माण क्षेत्र में पहले से ही 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश स्वचालित मार्ग के तहत हो रहा था, हालाँकि वर्ष 2019 में सरकार द्वारा स्पष्ट किया गया कि अनुबंध निर्माण (Contract Manufacturing) में संलग्न भारतीय संस्थाओं में स्वचालित मार्ग के तहत 100% निवेश की अनुमति है, बशर्ते कि यह निवेश एक वैध अनुबंध के माध्यम से किया जाना चाहिये।
- अनुबंध विनिर्माण: इसमें किसी अन्य फर्म के लेबल या ब्रांड के तहत किसी फर्म द्वारा माल का उत्पादन करना शामिल है।
- विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (Foreign Investment Facilitation Portal-FIFP) निवेशकों को FDI की सुविधा देने के लिये भारत सरकार का एक ऑनलाइन एकल बिंदु इंटरफ़ेस है। इसे ‘उद्योग और आंतरिक व्यापार, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के संवर्द्धन विभाग’ (Department for Promotion of Industry and Internal Trade, Ministry of Commerce and Industry) द्वारा प्रशासित किया जाता है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि से उम्मीदें:
- जैसा ही ट्रेन के निजी संचालन और हवाई अड्डों के निर्माण के लिये बोली लगाने की प्रक्रिया की अनुमति देने के सरकार के कदमों में विदेशी निवेशकों द्वारा रुचि दिखाई गई। वैसे ही मार्च 2020 में सरकार द्वारा अनिवासी भारतीयों (Non-Resident Indians- NRIs) को एयर इंडिया की 100% हिस्सेदारी प्राप्त करने की अनुमति दे दी गई है।
- रक्षा विनिर्माण( Defence Manufacturing) जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में सरकार द्वारा मई 2020 में स्वचालित मार्ग के तहत FDI सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% कर दिया है, सरकार का यह कदम आगे भी बड़े निवेश आकर्षित कर सकता है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश:
- FDI एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत एक देश (मूल देश) के निवासी किसी अन्य देश (मेज़बान देश) में एक फर्म के उत्पादन, वितरण और अन्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त करते हैं।
- यह विदेशी पोर्टफोलियो(Foreign Portfolio Investment-FPI) निवेश से भिन्न है, इसमें विदेशी इकाई केवल एक कंपनी के स्टॉक और बॉन्ड खरीदती है लेकिन यह FPI निवेशक को व्यवसाय पर नियंत्रण का अधिकार नहीं प्रदान करता है।
- FDI के प्रवाह में शामिल पूंजी किसी उद्यम के लिये एक विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक द्वारा (या तो सीधे या अन्य संबंधित उद्यमों के माध्यम से) प्रदान की जाती है।
- FDI में तीन घटक- इक्विटी कैपिटल (Equity Capital), पुनर्निवेशित आय (Reinvested Earnings) और इंट्रा-कंपनी लोन (Intra-Company Loans) शामिल हैं।
- इक्विटी कैपिटल विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक की अपने देश के अलावा किसी अन्य देश के उद्यम के शेयरों की खरीद से संबंधित है।
- पुनर्निवेशित आय में (प्रत्यक्ष इक्विटी भागीदारी के अनुपात में) प्रत्यक्ष निवेशकों द्वारा की गई कमाई शामिल होती है जिसे किसी कंपनी के सहयोगियों (Affiliates) द्वारा लाभांश के रूप में वितरित नहीं किया जाता है या यह कमाई प्रत्यक्ष निवेशक को प्राप्त नहीं होती है।
- इंट्रा-कंपनी लोन या लेन-देन में प्रत्यक्ष निवेशकों (या उद्यमों) और संबद्ध उद्यमों के बीच अल्पकालिक या दीर्घकालिक उधार और निधियों का उधार शामिल होता है।
भारत में FDI आने का मार्ग:
- स्वचालित मार्ग (Automatic Route): इसमें विदेशी संस्था को सरकार या RBI की पूर्व स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं होती है।
- सरकारी मार्ग (Government Route): इसमें विदेशी संस्था को सरकार की स्वीकृति लेनी आवश्यक होती है।
- विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (Foreign Investment Facilitation Portal- FIFP) उन आवेदनों (Applications) को ‘एकल खिड़की निकासी’ (Single Window Clearance) की सुविधा प्रदान करता है जो अनुमोदन मार्ग (Approval Route) से प्राप्त होते हैं।
आगे की राह:
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment-FDI) आर्थिक विकास का एक प्रमुख प्रेरक बल है तथा भारत के आर्थिक विकास के लिये गैर-ऋण वित्त का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत भी। अतः एक मज़बूत एवं आसानी से सुलभ होने वाला FDI सुनिश्चित किया जाना चाहिये ।
इस प्रकार महामारी के बाद की अवधि में आर्थिक विकास तथा भारत का बाज़ार देश में बड़े निवेशों को आकर्षित करेगा।