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माध्यमिक और उच्च शिक्षा के लिये विशेष निधि

  • 17 Aug 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?
सरकार माध्यमिक और उच्च शिक्षा के स्तर पर फंड की कमी को दूर करने के लिये एक नया कोष बनाने जा रही है। इस कोष की राशि की समय सीमा वित्त वर्ष के साथ समाप्त नहीं होगी और ज़रूरत के मुताबिक कभी भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस आशय के एक प्रस्ताव पर हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंज़ूरी दे दी है।

इस कोष से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस कोष के लिये राशि आयकर पर लगने वाले एजुकेशन सेस से ली जाएगी।
  • मंत्रालय शुरुआती तौर पर 3000 करोड़ रूपए का कोष तैयार करना चाहता है। इस कोष का इस्तेमाल स्कूलों और स्नातक स्तर के कालेजों में विभिन्न सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये किया जा सकेगा।
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक यह फंड नॉन लैप्सेबल होगा। यानी वित्त वर्ष की समाप्ति के बाद इसमें बची राशि को देश की संचित निधि में वापस नहीं भेजा जाएगा, बल्कि इसकी राशि सतत उपयोग के लिये उपलब्ध रहेगी।

क्यों आवश्यक है यह फंड ?

  • विदित हो कि अभी तक मंत्रालय के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिसके तहत उच्च शिक्षा के विकास के लिये एजुकेशन सेस से मिलने वाली राशि को रखा जा सके। इसीलिये एक ‘नॉन लैप्सेबल फंड’ बनाने की ज़रूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी।
  • इस तरह के कोष के गठन का प्रस्ताव यूपीए सरकार के समय में भी बना था। उस वक्त प्रारंभिक शिक्षा कोष की तर्ज़ पर इसके लिये माध्यमिक व उच्च शिक्षा कोष का नाम दिया गया था।
  • हालाँकि, वर्ष 2007 में यूपीए सरकार ने देश में उच्च शिक्षा के विकास के लिये धन एकत्र करने के उद्देश्य से एक प्रतिशत का सेस लगाया था। लेकिन तब ऐसा कोई कोष नहीं होने के कारण उस राशि का इस्तेमाल नहीं हो पाता था और वह संचित निधि में चली जाती थी।
  • अब सरकार के इस प्रयास से यह कोष अस्तित्व में आएगा, जो माध्यमिक और उच्च शिक्षा के लिये चल रही स्कीमों के लिये वित्तीय मदद मुहैया कराएगा।

संघ सरकार की निधियाँ एवं लोक लेखा

  • संचित निधि: संविधान के अनुच्छेद 266(1) के अनुसार सरकार को मिलने वाले सभी राजस्वों, जैसे- सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, आयकर, सम्पदा शुल्क, अन्य कर एवं शुल्क और सरकार द्वारा दिये गए ऋणों की वसूली से जो धन प्राप्त होता है, वे सभी संचित निधि में जमा किये जाते हैं। संसद की स्वीकृति के पश्चात् सरकार अपने सभी खर्चों का वहन इसी निधि से करती है। इसीलिये इसे भारत की संचित निधि कहा जाता है।
  • आकस्मिक निधि: संविधान के अनुच्छेद 267 के अनुसार संसद को एक निधि स्थापित करने की शक्ति दी गई है। इस निधि को भारत की आकस्मिक निधि कहा जाता है। यह एक ऐसी निधि है, जिसमें संसद द्वारा पारित कानूनों द्वारा समय-समय पर धन जमा किया जाता है। यह निधि राष्ट्रपति के नियंत्रण में होती है तथा देश की आकस्मिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये राष्ट्रपति द्वारा इस निधि से सरकार को धन उपलब्ध कराया जाता है।
  • भारत का लोक लेखा: संविधान के अनुच्छेद 266(2) के अनुसार भारत सरकार द्वारा या उसकी ओर से प्राप्त सभी अन्य लोक धनराशियाँ भारत के लोक लेखों में जमा की जाती हैं।
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