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भारतीय अर्थव्यवस्था

राजकोषीय घाटा लक्ष्य और COVID- 19

  • 08 May 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राजकोषीय घाटा लक्ष्य, FRBM अधिनियम, एस्केप क्लॉज़ 

मेन्स के लिये:

राजकोषीय प्रबंधन 

चर्चा में क्यों?

हाल ही 'भारतीय रिज़र्व बैंक' (Reserve Bank of India- RBI) गवर्नर ने एक न्यूज़ एजेंसी को दिये इंटरव्यू में बताया कि सरकार, COVID- 19 महामारी के चलते वित्त वर्ष 2021 में अपने ‘राजकोषीय घाटा’ (Fiscal Deficit) लक्ष्य को पूरा करने में चूक कर सकती है।

प्रमुख बिंदु:

  • सरकार ने समाज से सुभेद्य वर्गों की आर्थिक सहायता के लिये राहत पैकेज की घोषणा की है तथा इसके लिये सकल घरेलू उत्पाद (Gross domestic product- GDP) का 0.8% खर्च करने के प्रति प्रतिबद्धता है।
  • सरकार ने व्यय को संतुलित रखने के लिये कर्मचारियों के महँगाई भत्ते पर रोक लगाई है परंतु फिर भी ‘राजकोषीय घाटा’ बजट में निर्धारित सीमा को पार कर सकता है।
  • सरकार ने वित्त वर्ष 2020 के लिये राजकोषीय घाटे को 3.8% (संशोधित अनुमान) और वित्त वर्ष 2021 के लिये इसे 3.5% (बजटीय अनुमान) निर्धारित किया है। 
  • केंद्रीय बजट में राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (Fiscal Responsibility and Budget Management- FRBM) अधिनियम की धारा 4 (3) के अनुरूप, राजकोषीय लक्ष्यों से 50 आधार अंकों का विचलन निर्धारित किया है।

Trend-in-Deficit

‘राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन’ अधिनियम:

(Fiscal Responsibility and Budget Management- FRBM) 

  • FRBM अधिनियम को अगस्त 2003 में लागू किया गया तथा अधिनियम को लागू करने के नियमों को जुलाई 2004 में अधिसूचित किया गया था। 
  • FRBM का उद्देश्य केंद्र सरकार को राजकोषीय प्रबंधन तथा दीर्घकालिक वृहद-आर्थिक स्थिरता में अंतर-पीढ़ीगत समता (Inter-generational equity) सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार बनाना है।
  • अधिनियम केंद्र सरकार के ऋण तथा राजकोषीय घाटे की ऊपरी सीमा को निर्धारित करता है।
  • इसने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3% तक सीमित कर दिया।
  • वर्ष 2004 में 12 वें वित्त आयोग की सिफ़ारिशों के बाद राज्यों ने अपने स्वयं के 'वित्तीय उत्तरदायित्व विधान' (Financial Responsibility Legislation) को लागू किया है, जो राज्यों के ऊपर भी सकल राज्य घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product- GSDP) के 3% बजटीय घाटे की सीमा निर्धारित करता है।
  • यह केंद्र सरकार के राजकोषीय कार्यों में अधिक पारदर्शिता लाने तथा मध्यम अवधि के ढाँचे (Medium-Term Framework) में राजकोषीय नीति के संचालन को भी अनिवार्य करता है।
    • केंद्र सरकार द्वारा बजट के साथ ‘मध्यम अवधि राजकोषीय नीति वक्तव्य’ (Medium Term Fiscal Policy Statement) पेश किया जाता है, जो तीन वर्ष के लिये वार्षिक राजस्व एवं राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को निर्दिष्ट करता है।

FRBM एक्ट के तहत छूट: 

एस्केप क्लॉज़ (Escape Clause) का प्रावधान:

  • FRBM अधिनियम की धारा 4 (2) के तहत, केंद्र सरकार कुछ आधारों का हवाला देते हुए वार्षिक राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पार किया जा सकता है। 
  • राष्ट्रीय सुरक्षा या युद्ध 
  • राष्ट्रीय आपदा 
  • कृषि के पतन 
  • संरचनात्मक सुधार 
  • किसी तिमाही की वास्तविक उत्पादन वृद्धि में गिरावट (पिछले चार तिमाहियों के औसत से कम से कम तीन प्रतिशत अंकों की कमी)

FRBM शर्तों में पूर्व में दी गई छूट: 

  • वर्ष 2008-09 में वैश्विक वित्तीय संकट से बचाव के लिये केंद्र सरकार द्वारा राजकोषीय प्रोत्साहन उपायों का सहारा लिया। इसके चलते राजकोषीय घाटा 2.7% के अनुमानित लक्ष्य से बढ़कर 6.2% हो गया।

स्रोत: द हिंदू

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