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भारतीय अर्थव्यवस्था

कंपनी अधिनियम में परिवर्तन

  • 21 May 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये

कंपनी अधिनियम, 2013

मेन्स के लिये

कंपनी अधिनियम में प्रमुख परिवर्तन और उनका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि सरकार COVID-19 राहत पैकेज के तहत देश में कारोबार की सुगमता को बढ़ाने के उद्देश्य से कंपनी अधिनियम, 2013 (Companies Act, 2013) के प्रावधानों को अपराधीकरण की श्रेणी से बाहर करेगी। 

प्रमुख बिंदु

  • कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिये 20 लाख करोड़ के प्रोत्साहन पैकेज की पाँचवीं और अंतिम किश्त के तहत उपायों की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कंपनी अधिनियम, 2013 में संशोधन के लिये एक अध्यादेश लाया जाएगा।
  • कानून विश्लेषक सरकार के इस कदम को कंपनी अधिनियम, 2013 के सभी प्रावधानों से आपराधिक दंड को हटाने के लिये सरकार के एक बड़े प्रयास का हिस्सा मान रहे हैं। हालाँकि धोखाधड़ी और कपटपूर्ण व्यवहार से संबंधित प्रावधानों को अधिनियम में बरकरार रखा जाएगा।

वित्त मंत्री की घोषणा

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि CSR रिपोर्टिंग में कमी, बोर्ड की रिपोर्ट में अपर्याप्तता, कंपनी की वार्षिक बैठक आयोजित करने में देरी समेत तमाम छोटी तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाएगा।
  • कंपनी अधिनियम के तहत कंपाउंडेबल अपराधों (Compoundable Offences) से संबंधित प्रावधानों की संख्या घटकर 31 तक सीमित कर दी गई है। घोषणा के अनुसार, इनमें से अधिकांश अपराधों का निपटारा अब कंपनी रजिस्ट्रार (Registrar of Companies) द्वारा किया जाएगा, जो कि पहले ‘नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ (National Company Law Tribunals-NCTL) के दायरे में आते थे।
    • आमतौर पर, कंपाउंडेबल अपराध वे अपराध होते हैं जिन्हें निश्चित राशि का भुगतान करके निपटाया जा सकता है।
  • कंपनी रजिस्ट्रार (RoC) को इन अपराधों के लिये दंड निर्धारित करने का अधिकार दिया गया है और कंपनियाँ RoC के निर्णयों को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs-MCA) के क्षेत्रीय निदेशक (RD) के समक्ष चुनौती दे सकती हैं।
  • यह कदम नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCTL) के भार को कम करेगा, जिससे NCTL मुख्यतः दिवालियापन और अन्य उच्च प्राथमिकता वाले मामलों को निपटाने पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा।
  • इसके अलावा कुल सात कंपाउंडेबल अपराधों को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा।

परिवर्तन के निहितार्थ

  • वित्त मंत्री की इस घोषणा को व्यापार करने की सुगमता को बढ़ाने के लिये भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 से किये जा रहे विभिन्न प्रयासों का हिस्सा माना जा सकता है।
    • उल्लेखनीय है कि सरकार के निरंतर प्रयासों और उपायों के परिणामस्वरूप विश्व बैंक की ‘डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट’ (Doing Business Report) में भारत अपनी रैंकिंग को बेहतर करते हुए वर्ष 2014 के 142वें पायदान से 2019 में 63वें पायदान पर पहुँच गया है।
    • इस रैंकिंग में भारत ने शीर्ष 50 देशों में रहने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके लिये सरकार द्वारा तमाम प्रयास किये जा रहे हैं।
  • विश्लेषकों के अनुसार, सरकार ने वर्ष 2014 में कंपनी अधिनियम में बड़े परिवर्तन करते हुए बेहतर अनुपालन के लिये कई सारे नियम लागू किये थे और साथ ही अधिनियम में कई दंडात्मक प्रावधान भी पेश किये गए थे।
  • किंतु अब सरकार यह महसूस कर रही है कि देश में अनुपालन का स्तर सुधार गया है और अब व्यापार करने में सुगमता को बढ़ाने की आवश्यकता है इसीलिये अधिकांश आपराधिक प्रावधानों को शिथिल किया जा रहा है।
  • बीते वर्ष केंद्र सरकार ने ‘कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी’ (Corporate Social Responsibility- CSR) से संबंधित प्रावधानों के उल्लंघन के लिये कारावास की सज़ा तय करते हुए कंपनी अधिनियम में संशोधन किया था, किंतु उद्योग जगत की नकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद इस प्रावधान को लागू नहीं किया गया।

कंपनी अधिनियम से संबंधित तथ्य

  • कंपनी अधिनियम, 2013 भारत में 30 अगस्त 2013 को लागू हुआ था।
  • यह अधिनियम भारत में कंपनियों के निर्माण से लेकर उनके समापन तक सभी स्थितियों में मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।
  • कंपनी अधिनियम के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ (NCTL) की स्थापना की गई है।
  • उल्लेखनीय है कि कंपनी अधिनियम, 2013 ने ही ‘एक व्यक्ति कंपनी’ (One Person Company) की अवधारणा की शुरुआत की।

आगे की राह

  • विशेषज्ञों का मत है कि आगामी कुछ दिनों में वित्त मंत्रालय से अपेक्षा की जाती है कि वह कंपनी अधिनियम में ऑडिट से संबंधित कुछ अन्य प्रावधानों को भी अपराधीकरण की श्रेणी से बाहर करने के लिये उपाय कर सकता है।
  • कंपनी लॉ कमेटी (Company Law Committee) ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कंपनी अधिनियम में संशोधन के आगामी चरणों में ऑडिट फर्मों के विस्थापन से संबंधित प्रावधानों को आसान बनाने का प्रयास किया जाएगा।
  • ‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ रैंकिंग में भारत के स्थान में अनवरत सुधार हो रहा है, जो कि स्पष्ट तौर पर भारत सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है।
  • आवश्यक है कि वित्त मंत्रालय नियमों के अनुपालन और नियमों को शिथिल करने संबंधी नीतियों के मध्य संतुलन स्थापित करे, ताकि देश में व्यापार करने की सुगमता को बढ़ाया जा सके।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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