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राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण

  • 24 Dec 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण 

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण से संबंधित विभिन्न तथ्य तथा वर्तमान विषय

चर्चा मे क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal-NCLAT) ने वर्ष 2016 में साइरस मिस्त्री को टाटा संस लिमिटेड (Tata Sons Limited) कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाने को गैर-कानूनी बताते हुए उनकी बहाली का आदेश दिया है।

मुख्य बिंदु:

  • NCLAT ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (National Company Law Tribunal- NCLT) की मुंबई पीठ के उस फैसले को रद्द कर दिया है है, जिसमें साइरस मिस्त्री को टाटा संस लिमिटेड और अन्य कंपनियों के कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटा दिया था। 
  • NCLAT ने ‘रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़’ (Registrar of Companies) द्वारा 'टाटा संस लिमिटेड' को 'पब्लिक कंपनी' (Public Company) से 'प्राइवेट कंपनी' (Private Company) में परिवर्तित करने को भी अवैध घोषित कर दिया।
  • NCLAT ने कहा कि कंपनी को ‘प्राइवेट कंपनी’ में बदलने का निर्णय अल्पसंख्यक शेयरधारकों के लिये पूर्वाग्रही तथा कठोर था।

अल्पसंख्यक शेयरधारक (Minority shareholders)

किसी कंपनी या फर्म के ऐसे शेयरधारक जो उस कंपनी या फर्म की इक्विटी पूंजी (Equity Capital) में 50% से कम की हिस्सेदारी तथा कंपनी से संबंधित निर्णयों के संबंध में मतदान की शक्ति नहीं रखते हैं।

स्वतंत्र निदेशक (Independent Director)

स्वतंत्र निदेशक एक कंपनी का गैर-कार्यकारी निदेशक होता है जो कॉर्पोरेट विश्वसनीयता और शासन मानकों (Corporate Credibility and Governance Standards) को बेहतर बनाने में कंपनी की मदद करता है। स्वतंत्र निदेशक कंपनी के साथ ऐसा कोई भी संबंध नहीं रखते हैं, जो उनके निर्णय लेने की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है।

‘पब्लिक’ और ‘प्राइवेट’ कंपनियों में अंतर (Public and Private Companies)

कंपनी अधिनियम, 2013 (Companies Act, 2013) के तहत किसी कंपनी को किसी भी वैध उद्देश्य के लिये गठित किया जा सकता है-

  • प्राइवेट कंपनी में न्यूनतम सदस्यों की संख्या दो तथा 200 से अधिक नहीं होनी चाहिये। 
  • पब्लिक कंपनी में न्यूनतम सात सदस्य होने चाहिये, जबकि अधिकतम सदस्यों की संख्या पर कोई रोक नहीं है।
  • प्राइवेट कंपनी में प्रदत्त पूंजी कम से कम एक लाख तथा पब्लिक कंपनी में पाँच लाख रुपए होनी चाहिये।

रजिस्ट्रार्स ऑफ कंपनीज़ (Registrars of Companies- ROC)

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 609 के तहत ROC की नियुक्ति राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कंपनियों के पंजीकरण एवं सीमित देयता भागीदारी (Limited Liability Partnerships-LLPs) को सुनिश्चित करने के प्राथमिक कर्त्तव्य के साथ होती है।

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण

  • NCLAT का गठन NCLT के आदेशों के खिलाफ अपील सुनने के लिये कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 410 के तहत किया गया था। 
  • NCLAT एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय है जो कंपनियों से संबंधित विवादों का निर्णय करता है।
  • NCLAT 1 दिसंबर, 2016 से प्रभावी, दिवाला और दिवालियेपन संहिता, 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code, 2016-IBC) की धारा 61 के तहत NCLT द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिये एक अपीलीय अधिकरण भी है।
  • NCLAT, दिवाला और दिवालियेपन संहिता, 2016 की धारा 202 और 211 के तहत पारित आदेशों के खिलाफ भी एक अपीलीय अधिकरण है।
  • NCLAT के किसी भी आदेश से असहमत व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर कर सकता है।
  • NCLAT, भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India) द्वारा दिये गए निर्णयों से असहमत पक्ष के लिये भी अपीलीय निकाय के रूप में भी कार्य करता है।

NCLAT में अपील करने की प्रक्रिया:

  • NCLT के किसी निर्णय से असहमत पक्ष 45 दिन के भीतर दिये गए निर्णय की एक प्रति को प्रस्तुत करके NCLAT में अपील कर सकता है।
  • अगर NCLAT संतुष्ट है कि अपीलकर्त्ता के पास पर्याप्त कारण है, तो वह अपीलकर्त्ता को अपील के लिये निश्चित 45 दिन की निर्धारित अवधि से छूट प्रदान करता है।
  • NCLAT के किसी भी आदेश से असहमत पक्ष निर्णय के 60 दिनों के अंदर सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर कर सकता है।

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण के इस निर्णय से कंपनियों में अल्पसंख्यक शेयरधारक सशक्त होंगे तथा स्वतंत्र निदेशकों के समक्ष अपनी आपत्तियों को अधिक स्वतंत्रता से रख सकेंगे।

स्रोत- द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस

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