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भारतीय अर्थव्यवस्था

औद्योगिक गलियारे

  • 23 Nov 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

औद्योगिक गलियारे, DPIIT

मेन्स के लिये:

अवसंरचना से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार ने पाँच औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं के विकास को मंज़ूरी दे दी है,जिन्हें राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास और कार्यान्वयन ट्रस्ट (National Industrial Corridor Development and Implementation Trust- NICDIT) के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • NICDIT भारत में 5 औद्योगिक गलियारों के समन्वित व एकीकृत विकास के लिये केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) के प्रशासनिक नियंत्रण में एक सर्वोच्च निकाय है।
  • वर्ष 2017 में दिल्ली-मुंबईऔद्योगिक गलियारा परियोजना कार्यान्वयन ट्रस्ट फंड {Delhi Mumbai Industrial Corridor Project Implementation Trust Fund- (DMIC-PITF)} को NICDIT के रूप में परिवर्तित किया गया था।
  • NICDIT विकास परियोजनाओं से संबंधित गतिविधियों का समर्थन तथा अन्य परियोजनाओं का मूल्यांकन, अनुमोदन तथा उन्हें मंज़ूरी प्रदान करती है। यह निकाय औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं के विकास के लिये किये गए सभी केंद्रीय प्रयासों का समन्वय और निगरानी कार्य भी करता है।

पाँच औद्योगिक गलियारे

क्र.सं. औद्योगिक गलियारे राज्य
1. दिल्ली-मुंबईऔद्योगिक गलियारा (DMIC) उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र
2. अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारा (AKIC) पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल
3. चेन्नई-बंगलूरू औद्योगिक गलियारा (CBIC) आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल
4. पूर्वी तट आर्थिक गलियारा (ECEC) के साथ विजाग चेन्नई औद्योगिक गलियारा (VCIC) चरण-1 के रूप में पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु
5. बंगलूरू-मुंबई औद्योगिक गलियारा (BMIC) कर्नाटक, महाराष्ट्र

औद्योगिक गलियारे

  • औद्योगिक गलियारे उद्योग और बुनियादी ढाँचे का प्रभावी एकीकरण करते हैं, जिससे समग्र आर्थिक और सामाजिक विकास होता है।
  • औद्योगिक गलियारों का गठन:
    • उच्च गति परिवहन नेटवर्क - रेल और सड़क
    • अत्याधुनिक कार्गो अनुकूलित उपकरण के साथ पोर्ट
    • आधुनिक हवाई अड्डे
    • विशेष आर्थिक क्षेत्र / औद्योगिक क्षेत्र
    • लॉजिस्टिक पार्क/परिवहन केंद्र
    • खाद्यान केंद्रित औद्योगिक आवश्यकताओं के लिये ‘नॉलेज पार्क’
    • पूरक बुनियादी ढाँचे जैसे- टाउनशिप/रियल एस्टेट
    • नीतिगत ढाँचे को सक्षम करने के साथ-साथ अन्य शहरी बुनियादी ढाँचों का निर्माण
  • औद्योगीकीकरण और योजनाबद्ध शहरीकरण को बढ़ावा देने तथा समावेशी विकास पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करने के लिये उपर्युक्त 5 औद्योगिक गलियारे पूरे भारत में फैले हुए हैं।
  • विनिर्माण प्रत्येक परियोजना के लिये एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक उत्प्रेरक है। इन औद्योगिक गलियारों की सहायता से वर्ष 2025 तक विनिर्माण क्षेत्र का योगदान 16% से 25% तक बढ़ने की उम्मीद है।
  • इन गलियारों के साथ स्मार्ट सिटी विकसित की जा रही है।

स्रोत- PIB

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