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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत के वित्तीय भविष्य हेतु RBI की पाँच रणनीतिक प्राथमिकताएँ

  • 31 Aug 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल, भारतीय रिज़र्व बैंक, वित्तीय समावेशन सूचकांक, प्रधानमंत्री जन धन योजना, यूनिक लेंडिंग इंटरफेस, JAM ट्रिनिटी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

मेन्स के लिये:

भारत में वित्तीय सेवाओं में विकास के अवसर, वित्तीय समावेशन, बैंकिंग क्षेत्र

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स

चर्चा में क्यों?

मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल (GFF) 2024 में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत के वित्तीय भविष्य के लिये पाँच रणनीतिक प्राथमिकताओं को रेखांकित किया और एक अग्रणी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की देश की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं को रेखांकित किया।

भारत के वित्तीय भविष्य के लिये पाँच प्राथमिकताएँ क्या हैं?

  • वित्तीय समावेशन: RBI गवर्नर ने वित्तीय समावेशन में महत्त्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला, RBI का वित्तीय समावेशन सूचकांक मार्च 2021 के 53.9 से बढ़कर मार्च 2024 में 64.2 हो गया। 
  • प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) जोकि एक प्रमुख वित्तीय समावेशन पहल है, इस प्रगति का केंद्र रही है, जिसके तहत 530 मिलियन से अधिक बैंक खाते खोले गए। इनमें से 66% खाते ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए जिससे 55% महिलाओं को लाभ मिला।
  • भविष्य को ध्यान में रखते हुए RBI गवर्नर ने वंचित क्षेत्रों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु आगामी दो दशकों में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के महत्त्व पर ज़ोर दिया तथा वित्तीय सेवाओं तक निर्बाध पहुँच सुनिश्चित करने व व्याप्त अंतराल को भरने में फिनटेक कंपनियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
  • डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) में वृद्धि: गवर्नर द्वारा रेखांकित की गई दूसरी प्राथमिकता DPI को बढ़ाने पर केंद्रित थी, जिसे उन्होंने भारत की वित्तीय प्रणाली में उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने में एक प्रमुख चालक के रूप में व्यक्त किया। 
  • साइबर सुरक्षा को मज़बूत करना: तेज़ी से डिजिटल होते विश्व में, साइबर सुरक्षा भारत की वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा में एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है। 
    • रियल टाइम निगरानी और विनियामक अनुपालन आवश्यक है, विशेष रूप से हाल ही में अधिनियमित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 के साथ, जो व्यक्तियों को अपने डेटा पर अधिक नियंत्रण प्रदान करता है, जिससे डिजिटल वित्तीय सेवाओं में विश्वास बढ़ता है।
    • बैंकों और फिनटेक फर्मों, विशेष रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) से अपेक्षा की जाती है कि वे ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाएँ, ताकि वित्तीय उत्पादों और निष्पक्ष ऋण प्रदायगी पद्धति में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
      • साइबर खतरों के प्रति निरंतर सतर्कता आवश्यक है तथा सुरक्षित डिजिटल अर्थव्यवस्था के निर्माण हेतु साइबर सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देना भी महत्त्वपूर्ण है।
  • सतत् वित्त को बढ़ावा देना: RBI गवर्नर ने वित्तीय क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में RBI की पहलों जैसे सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड तथा ग्रीन डिपॉजिट पर प्रकाश डाला, साथ ही ग्रीन बॉण्ड बाज़ार के और अधिक विस्तार की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया। 
    • पर्यावरणीय जोखिमों का आकलन करने और सतत् वित्त में परिवर्तन को गति देने में  प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और बिग डेटा की परिवर्तनकारी भूमिका को रेखांकित किया।
    • इस बात पर भी आशा व्यक्त की कि फिनटेक कंपनियाँ इस परिवर्तन का नेतृत्व करेंगी, जिससे भारत सतत् वित्त के अग्रेता के रूप में स्थापित हो सकेगा।
  • वित्तीय अवसंरचना को सुदृढ़ बनाना: RBI गवर्नर ने सीमा-पार भुगतान पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत की वित्तीय अवसंरचना को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया तथा UPI और रुपे (RuPay) को वैश्विक बनाने के RBI के प्रयासों पर प्रकाश डाला। 
    • उन्होंने AI को सावधानीपूर्वक अपनाने के बारे में आगाह किया तथा इंटरनेट ऑफ थिंग्स की क्षमता सहित भारत के वित्तीय बुनियादी ढाँचे को सुदृढ़ बनाने में नवाचार के महत्त्व पर ज़ोर दिया।

ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल- 2024 क्या है?

  • परिचय: GFF 2024 वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली फिनटेक सम्मेलनों में से एक है। पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI), नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) और फिनटेक कन्वर्जेंस काउंसिल (FCC) द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
    • GFF का मुख्य आकर्षण ग्लोबल फिनटेक अवार्ड्स (GFA) है, जो उद्योग में नवाचार और उत्कृष्टता के साथ विश्व भर से असाधारण फिनटेक पहलों एवं योगदानों को मान्यता देता है।
  • पाँचवें संस्करण GFF- 2024 की थीम:Blueprint for the Next Decade of Finance: Responsible AI | Inclusive | Resilient’ थी
    • मुंबई में GFF- 2024 ने पिछले तीन वर्षों में 11,000 से अधिक स्टार्टअप और 6 बिलियन अमेरीकी डॉलर के वित्तपोषण के साथ भारत की फिनटेक वृद्धि को प्रदर्शित किया।

भारत के वित्तीय सेवा उद्योग की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • परिचय: भारत के वित्तीय सेवा उद्योग की विशेषता तेज़ी से विस्तार और विविधीकरण है। इस क्षेत्र में वाणिज्यिक बैंक, बीमा कंपनियाँ, NBFC, सहकारी समितियाँ, पेंशन फंड, म्यूचुअल फंड और छोटी वित्तीय संस्थाएँ शामिल हैं।
    • हाल के घटनाक्रमों में भुगतान बैंकों जैसी नई संस्थाओं की शुरुआत देखी गई है, हालाँकि वाणिज्यिक बैंक प्रमुख बने हुए हैं, जिनके पास कुल परिसंपत्तियों का 64% से अधिक हिस्सा है।
  • विकास:
    • एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI): फरवरी 2024 में 18.28 लाख करोड़ रुपए के 12.10 बिलियन लेनदेन दर्ज किये गए।
    • तत्काल भुगतान सेवा (IMPS): फरवरी 2024 में 5.58 ट्रिलियन रुपए के 534.6 मिलियन लेन-देन दर्ज किये गए।
  • सरकारी पहल:
    • ऋण गारंटी योजना: MSME को संपार्श्विक-मुक्त ऋण के साथ समर्थन देने के लिये 9,000 करोड़ रुपए की चल निधि के साथ वर्ष 2023 में नया रूप दिया गया।
    • अंतर्राष्ट्रीय भुगतान: NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स (NIPL) ने 10 देशों (मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, वियतनाम, सिंगापुर, कंबोडिया, दक्षिण कोरिया, जापान, ताइवान और हांगकांग) में QR-आधारित UPI भुगतान को सक्षम करने के लिये लिक्विड ग्रुप के साथ भागीदारी की।
    • e-RUPI: अगस्त, 2021 में QR कोड या SMS स्ट्रिंग के माध्यम से डिजिटल भुगतान समाधान के रूप में लॉन्च किया गया, जो एकमुश्त भुगतान की सुविधा देता है।
    • वित्तीय समावेशन: दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM), प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, अटल पेंशन योजना जैसे कार्यक्रमों ने डिजिटल क्रांति को गति दी है और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक नागरिकों को डिजिटल वित्तीय सेवाओं के दायरे में लाया है।
    • अंतर-मंत्रालयी संचालन समिति (IMSC): फिनटेक विकास के मुद्दों को हल करने और नियामक लोच को बढ़ाने के लिये आर्थिक कार्य विभाग (DEA) के तहत वर्ष 2018 में स्थापित।
    • संयुक्त कार्य समूह (JWG): तीव्र गति से धन प्रेषण की सुविधा प्रदान करके तथा भारत के UPI और अंतर्राष्ट्रीय भुगतान प्लेटफॉर्मों के बीच कनेक्टिविटी स्थापित करके फिनटेक सहयोग को बढ़ावा देना।
  • भविष्य की संभावनाएँ:
    • निजी संपत्ति प्रबंधन: इसमें उल्लेखनीय वृद्धि होने की आशा है, वर्ष 2027 तक 16.57 लाख उच्च निवल संपत्ति वाले व्यक्ति (HNWIs) होने का अनुमान है, जिससे वर्ष 2028 तक भारत वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा निजी संपत्ति बाज़ार बन जाएगा।
    • बीमा बाज़ार: वर्ष 2025 तक 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जिसमें 2020-30 तक 78 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अतिरिक्त जीवन बीमा प्रीमियम की संभावना है।
    • म्यूचुअल फंड: एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) का लक्ष्य वर्ष 2025 तक एयूएम को लगभग पांच गुना बढ़ाकर 1.15 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर करना और निवेशक खातों में तीन गुना वृद्धि करना है। 
    • शेयर बाज़ार में वृद्धि: भारत के शेयर बाजार ने चौथे सबसे बड़े वैश्विक इक्विटी बाजार के रूप में अपना स्थान पुनः प्राप्त कर लिया है तथा 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक बाज़ार मूल्य के साथ हांगकांग को पीछे छोड़ दिया है।

भारत के वित्तीय सेवा क्षेत्र में विकास के अवसर क्या हैं?

  • बढ़ती मांग: भारत के बीमा क्षेत्र में निवेश कोष वर्ष 2025 तक बढ़कर 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जो मज़बूत विकास संभावनाओं को दर्शाता है।
    • भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा बीमा प्रौद्योगिकी बाज़ार है और वर्ष 2030 तक इसके 15 गुना बढ़कर 88.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। भारत विश्व में सबसे तेज़ी से बढ़ते बीमा बाज़ारों में से एक के रूप में उभरने के लिये तैयार है।
    • भारत विश्व के उभरते बीमा बाज़ारों में पाँचवाँ सबसे बड़ा जीवन बीमा बाज़ार है, जो प्रतिवर्ष 32-34% की दर से बढ़ रहा है।
  • नवप्रवर्तन: भारत पहुँच और ग्राहक सहभागिता में सुधार के लिये फोनपे (PhonePe) जैसे स्टार्ट-अप सहित विभिन्न पद्धतियों का उपयोग करके अपनी वित्तीय सेवाओं का विस्तार कर रहा है।
    • उभरते डिजिटल गोल्ड निवेश विकल्प निवेशकों के लिये नए अवसर प्रदान करते हुए लोकप्रिय हो रहे हैं।
    • भारत का वित्तीय सेवा क्षेत्र प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने वाली कई प्रमुख सरकारी पहलों के साथ विस्तार कर रहा है। PMJDY सार्वभौमिक बैंकिंग पहुँच और वित्तीय सेवाएँ प्रदान करता है जबकि प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देता है।
      • डिजिटल इंडिया डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं को बढ़ाता है तथा आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) आधार के माध्यम से सुरक्षित लेन-देन को सक्षम बनाती है। इसके अतिरिक्त UPI विभिन्न बैंकिंग कार्यों को एक ही ऐप में एकीकृत करता है ताकि निर्बाध लेन-देन हो सके।
    • भारत का डिजिटल ऋण बाज़ार वर्ष 2022 में 270 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था और वर्ष 2023 तक 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
    • वर्ष 2025 तक, डिजिटल वित्त भारत की GDP को 950 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ा सकता है और 21 मिलियन नए रोज़गार के अवसर उत्पन्न कर सकता है।
  • विदेशी निवेश में वृद्धि: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में अपेक्षित वृद्धि से विशेष रूप से बुनियादी ढाँचे में विकास को बढ़ावा मिलेगा।
    • यद्यपि भारत में FDI सीमा में ढील के कारण कुछ पूंजी प्रवाह हुआ है, तथापि यदि नए वित्तपोषण मॉडल और कम जोखिम लागू किये जाएं तो आगे और वृद्धि की संभावना है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत में वित्तीय समावेशन की प्रगति और भविष्य की संभावनाओं तथा तकनीकी प्रगति पर चर्चा कीजिये। फिनटेक कंपनियाँ वंचित क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन में किस प्रकार योगदान दे सकती हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये। (2010)

  1. बैंकों का राष्ट्रीयकरण
  2. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन
  3. बैंक शाखाओं द्वारा ग्रामों को गोद लेना

उपर्युक्त में से किसे भारत में "वित्तीय समावेशन" प्राप्त करने के लिये उठाए गए कदमों के रूप में माना जा सकता है?

 (A) केवल 1 और 2
 (B) केवल 2 और 3
 (C) केवल 3
 (D) 1, 2 और 3

 उत्तर: (D)


मेन्स:

प्रश्न. बैंक खाते से वंचित लोगों को संस्थागत वित्त के दायरे में लाने के लिये प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) आवश्यक है। क्या आप भारतीय समाज के गरीब वर्ग के वित्तीय समावेशन के लिये इससे सहमत हैं? अपने मत की पुष्टि के लिये उचित तर्क दीजिये। (2016)

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