एम्प्लिफायिंग द ग्लोबल वैल्यू ऑफ अर्थ ऑब्ज़रवेशन | 17 May 2024
प्रिलिम्स के लिये:पृथ्वी अवलोकन डेटा, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, VEDAS, पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली मेन्स के लिये:पृथ्वी अवलोकन डेटा का आर्थिक प्रभाव, EO के पर्यावरणीय लाभ, प्राकृतिक संसाधनों और जोखिम प्रबंधन। |
स्रोत: इकॉनोमिक्स टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व आर्थिक मंच द्वारा "एम्प्लिफायिंग द ग्लोबल वैल्यू ऑफ अर्थ ऑब्ज़रवेशन" नामक एक नई रिपोर्ट ने वैश्विक रूप से आर्थिक विकास और स्थिरता में वृद्धि लाने हेतु पृथ्वी अवलोकन (Earth Observation-EO) डेटा की विशाल क्षमता पर प्रकाश डाला है।
नोट: पृथ्वी अवलोकन डेटा में रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके पृथ्वी की भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रणालियों के संबंध में जानकारी एकत्र करना, उनका विश्लेषण करना तथा प्रस्तुत करना शामिल है।
- इसमें ऊर्जा उत्सर्जन व परावर्तित छवियों के प्रसंस्करण के माध्यम से पृथ्वी की सतह, जैसे भूमि आवरण, महासागर, कृषि और वानिकी के संबंध में जानकारी प्राप्त करना शामिल है।
- इसे रिमोट सेंसिंग के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, जो एक भू-स्थानिक तकनीक है जो किसी वस्तु, स्थान या घटना के साथ भौतिक संपर्क किये बिना उसके संबंध में डेटा एकत्र करती है।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- EO डेटा का संभावित आर्थिक प्रभाव: EO डेटा वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक आर्थिक लाभ उत्पन्न कर सकता है।
- EO डेटा का वैश्विक मूल्य वर्तमान में 266 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2030 तक 700 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक होने की संभावना है।
- यह वर्ष 2030 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (Global Gross Domestic Product- GDP) में संचयी रूप से 3.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दे सकता है।
- पर्यावरणीय लाभ: EO डेटा वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 2 गीगाटन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को समाप्त करने में सहायता कर सकता है।
- यह 476 मिलियन गैसोलीन-चालित कारों के अनुमानित संयुक्त वार्षिक उत्सर्जन के बराबर है।
- जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने और प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा करने के उद्देश्य से उपायों के लिये मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु, EO जलवायु परिवर्तन, उत्सर्जन, पारिस्थितिकी तंत्र एवं जैवविविधता की व्यापक तौर पर निगरानी कर सकता है।
- क्षेत्रीय अवसर: एशिया प्रशांत क्षेत्र वर्ष 2030 तक EO के मूल्य का सबसे बड़ा भाग प्राप्त करने के लिये तैयार है, जो 315 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संभावित मूल्य तक पहुँच जाएगा।
- अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के देश EO डेटा मूल्य में वृद्धि का सबसे बड़ा भाग प्राप्त करने की स्थिति में हैं।
- EO का सक्षम प्रौद्योगिकियों के साथ मिश्रण: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial intelligence- AI) और डिजिटल ट्विन्स (Digital twins) जैसी सक्षम तकनीकों का मिश्रण करने से EO डेटा के संरक्षण को गति मिल सकती है।
- डिजिटल ट्विन, किसी वस्तु या सिस्टम का आभासी प्रतिनिधित्व है जो किसी भौतिक वस्तु को सटीक रूप से प्रतिबिंबित करता है। यह वस्तु के पूरे जीवनचक्र को समाहित करता है, जिसे रियल टाइम डेटा के साथ अपडेट किया जाता है तथा यह निर्णय लेने में सहायता के लिये सिमुलेशन, मशीन लर्निंग एवं लॉजिक्स का उपयोग करता है।
पृथ्वी अवलोकन डेटा के अनुप्रयोग के प्रमुख क्षेत्र क्या हैं?
- पर्यावरण निगरानी एवं प्रबंधन: सैटेलाईट इमेजरी का उपयोग करके अमेज़न वर्षावन जैसे जंगलों में वनों की कटाई (जिसमें रूप से अवैध कटाई करना भी शामिल है) संबंधी गतिविधियों की निगरानी करना।
- मरुस्थलों के प्रसार पर नज़र रखना और सहारा जैसे क्षेत्रों में मरुस्थलीकरण की निगरानी करना।
- तटीय क्षेत्रों और समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों की निगरानी करना, जैसे; प्रवाल भित्ति विरंजन एवं तेल रिसाव।
- कृषि एवं परिशुद्ध कृषि पद्धतियाँ: फसलों की निगरानी के लिये मल्टीस्पेक्ट्रल सैटेलाईट इमेजरी का उपयोग करना। कृषि पैदावार का अनुमान लगाना तथा गेहूँ, चावल और मक्का जैसी फसलों के लिये परिशुद्ध कृषि पद्धतियों का अनुकूलन करना।
- कृषि क्षेत्रों में मृदा की नमी के स्तर का आकलन करना और सूखे की आशंका वाले क्षेत्रों में सिंचाई की आवश्यकता वाले क्षेत्रों की पहचान करना।
- फसलों को प्रभावित करने वाले कीटों और रोगों के प्रसार का पता लगाना तथा उनका मानचित्रण करना।
- शहरी नियोजन एवं विकास: शंघाई (चीन) और मुंबई (भारत) जैसे तेज़ी से बढ़ते नगरों में नगरीय क्षेत्रों के मानचित्रण एवं नगरीय प्रसार की निगरानी करना।
- नई सड़कों, हवाई अड्डों और आवास परियोजनाओं जैसे बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये उपयुक्त स्थानों की पहचान करना।
- टोक्यो (जापान) जैसे बड़े नगरों में भूमि उपयोग पैटर्न तथा नगरीय विकास में परिवर्तन की निगरानी करना।
- प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन: अमेरिका में पर्मियन बेसिन (अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस उत्पादक क्षेत्र) जैसे क्षेत्रों में खनिज संसाधनों एवं खनन गतिविधियों का मानचित्रण तथा निगरानी करना।
- अफ्रीका और मध्य पूर्व जैसे कुछ भूजल की कमी वाले क्षेत्रों में झीलों, नदियों और भूजल स्तर तथा जल संसाधनों की निगरानी करना।
- जलवायु परिवर्तन अध्ययन: ग्लेशियरों, समुद्री बर्फ तथा आर्कटिक और अंटार्कटिक जैसे ध्रुवीय क्षेत्रों में परिवर्तन की निगरानी करना।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन एवं जलवायु पर इस उत्सर्जन के प्रभाव सहित वैश्विक तापमान और वायुमंडलीय स्थितियों पर नज़र रखना।
- आपदा प्रबंधन और आपातकालीन प्रतिक्रिया: तूफान, भूकंप तथा वनाग्नि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की सीमा का आकलन करना।
- राहत प्रयासों के लिये आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करना, जैसे; वर्ष 2004 में हिंद महासागर की सुनामी।
- रक्षा एवं सुरक्षा: सीमा निगरानी एवं तस्करी तथा गैरकानूनी सीमा पारगमन सहित अनाधिकृत गतिविधियों की पहचान करना।
- रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे संघर्षों और तनाव के दौरान सैन्य गतिविधियों पर नज़र रखना।
- पुरातत्व एवं सांस्कृतिक विरासत: प्राचीन माया सभ्यता जैसे पुरातात्विक स्थलों और प्राचीन संरचनाओं की पहचान एवं उनका मानचित्रण करना।
- ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक विरासत स्थलों के संरक्षण की निगरानी करना।
भारत पृथ्वी अवलोकन डेटा को कैसे संभालता है?
- परिचय: भारत में पृथ्वी अवलोकन (Earth Observation- EO) डेटा आपदा प्रबंधन से लेकर पर्यावरण निगरानी तक विभिन्न अनुप्रयोगों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) पृथ्वी अवलोकन (EO) के उद्देश्यों के लिये उपग्रहों को तैनात करने में सबसे आगे रहा है।
- उपग्रह:
- ISRO पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों की एक शृंखला संचालित करता है, जिसमें हाल ही में फरवरी 2023 में लॉन्च किया गया EOS-07 और नवंबर 2022 में लॉन्च किया गया EOS-06 शामिल है।
- ये उपग्रह भूमि अवलोकन के लिये रिसोर्ससैट शृंखला (ResourceSat Series) और समुद्र की निगरानी के लिये ओशनसैट शृंखला (OCEANSAT series) के सुस्थापित बेड़े में शामिल हो गए हैं, जो हमारे ग्रह के अध्ययन एवं प्रबंधन के लिये अंतरिक्ष-आधारित उपकरणों को एक व्यापक आधार प्रदान करते हैं।
- EO प्लेटफॉर्म:
- VEDAS (पृथ्वी अवलोकन डेटा और अभिलेखीय प्रणाली का दृश्य- Visualisation of Earth Observation Data and Archival System): VEDAS ISRO के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (Space Applications Centre- SAC) की एक पहल है। यह सैटेलाइट इमेजरी से प्राप्त विषयगत स्थानिक डेटा के विशाल भंडार तक पहुँच प्रदान करता है।
- भुवन: यह ISRO का जियो-प्लेटफॉर्म है जो भारत के लिये सैटेलाइट इमेजरी और विषयगत डेटासेट प्रदान करता है।
- मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान उपग्रह डेटा अभिलेखीय केंद्र (Meteorological and Oceanographic Satellite Data Archival Centre-MOSDAC): यह ISRO के सभी मौसम संबंधी मिशनों के लिये एक डेटा भंडार है।
- भविष्य की परियोजनाएँ:
- नासा-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR): यह नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और ISRO के बीच दोहरी-आवृत्ति वाली सिंथेटिक एपर्चर रडार के साथ पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह विकसित करने तथा लॉन्च करने के लिये एक संयुक्त परियोजना है।
- यह उपग्रह दोहरी आवृत्तियों का उपयोग करने वाला पहला रडार इमेजिंग सैटेलाइट होगा।
- सिंथेटिक एपर्चर रडार (Synthetic aperture radar- SAR) एक रिज़ॉल्यूशन-सीमित रडार प्रणाली से बेहतर-रिज़ॉल्यूशन वाली छवियाँ बनाने की एक तकनीक को संदर्भित करता है।
- NISAR का डेटा वैश्विक स्तर पर लोगों को प्राकृतिक संसाधनों और खतरों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में सहायता कर सकता है, साथ ही वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों तथा गति को बेहतर ढंग से समझने के लिये आवश्यक जानकारी प्रदान कर सकता है।
- यह उपग्रह दोहरी आवृत्तियों का उपयोग करने वाला पहला रडार इमेजिंग सैटेलाइट होगा।
- नासा-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR): यह नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और ISRO के बीच दोहरी-आवृत्ति वाली सिंथेटिक एपर्चर रडार के साथ पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह विकसित करने तथा लॉन्च करने के लिये एक संयुक्त परियोजना है।
विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum-WEF) के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: विश्व आर्थिक मंच जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1971 में क्लॉस श्वाब ने की थी।
- इतिहास: यह मूल रूप से प्रबंधन पर केंद्रित था, लेकिन वर्ष 1973 में इसका विस्तार आर्थिक और सामाजिक मुद्दों तक हो गया।
- वर्ष 1973 में यूरोपियन मैनेजमेंट फोरम की वार्षिक बैठक में ब्रेटन वुड्स में निर्धारित किये गए निश्चित विनिमय दर प्रणाली के पतन और अरब-इज़रायल युद्ध जैसी घटनाओं के कारण आर्थिक एवं सामाजिक मुद्दों को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- वर्ष 1987 में यूरोपियन मैनेजमेंट फोरम आधिकारिक तौर पर विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) बन गया और इसका वैश्विक उद्देश्य संवाद हेतु एक मंच प्रदान करना था। वर्ष 2015 में फोरम को औपचारिक रूप से एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में मान्यता दी गई।
- वार्षिक बैठक: WEF हितधारक पूंजीवाद को प्रोत्साहित करता है तथा दावोस में वार्षिक बैठक आयोजित करता है। इस बैठक में लगभग 3,000 प्रतिभागी (निवेशक, व्यापार जगत के दिग्गज, राजनेता, अर्थशास्त्री, विभिन्न क्षेत्रों की मशहूर हस्तियाँ आदि) अलग-अलग क्षेत्रों से संबंधित वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
- WEF को बड़े पैमाने पर इसके भागीदार निगमों- जो आमतौर पर 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक वार्षिक कारोबार वाले वैश्विक उद्यम होते हैं, द्वारा वित्तपोषित किया जाता है।
- प्रमुख रिपोर्ट: ग्लोबल कॉम्पेटिटिवनेस रिपोर्ट, ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट, एनर्जी ट्रांज़िशन इंडेक्स, ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट तथा ग्लोबल ट्रेवल एंड टूरिज़्म रिपोर्ट।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न. ISRO के योगदान और भविष्य की परियोजनाओं पर विचार करते हुए, आपदा प्रबंधन एवं पर्यावरण निगरानी के लिये पृथ्वी अवलोकन डेटा का उपयोग करने में भारत की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन विश्व के देशों को 'ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स' रैंकिंग जारी करता है? (2017) (a) विश्व आर्थिक मंच उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन विश्व आर्थिक मंच का संस्थापक है? (2009) (a) क्लॉस श्वाब उत्तर: (a) प्रश्न. वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट किसके द्वारा प्रकाशित की जाती है? (2019) (a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष उत्तर: (c) |