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भारतीय अर्थव्यवस्था

दावोस शिखर सम्मेलन, 2024 में भारत का वैश्विक आर्थिक प्रभाव

  • 01 Feb 2024
  • 21 min read

यह एडिटोरियल 31/01/2024 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “At World Economic Forum, how India made a mark” लेख पर आधारित है। इसमें चर्चा की गई कि भारत की समृद्ध अर्थव्यवस्था किस प्रकार राष्ट्रीय विकास तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह सामूहिक वैश्विक प्रगति के लिये एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में कार्य करती है, जो विश्व के लिये एक उज्ज्वल एवं सतत् भविष्य के प्रति हमारे समर्पण को रेखांकित करती है।

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व आर्थिक मंच (WEF), CII इंडिया बिज़नेस हब, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPAs), मूडीज़ इन्वेस्टर्स सर्विस, सकल घरेलू उत्पाद (GDP), UNCTAD विश्व निवेश रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये दावोस शिखर सम्मेलन, 2024 का महत्त्व।

जनवरी 2024 में दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) की बैठक में दुनिया भर के वैश्विक राजनेताओं, तकनीकी क्षेत्र के नवप्रवर्तकों और चिंतकों (thought leaders) ने भाग लिया और विश्व के समक्ष विद्यमान सबसे गंभीर आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक चुनौतियों से निपटने पर विचार-विमर्श किया। इन चर्चाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) की अहम् भूमिका रही। जहाँ इसमें AI की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला गया वहीं नवोन्मेषी एवं विवेकपूर्ण शासन की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।

WEF की पिछली बैठक और इस बैठक के बीच विश्व को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिनमें भूराजनीतिक आपात स्थिति, जलवायु परिवर्तन, राष्ट्रों के विकास प्रक्षेपवक्र में गिरावट और प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग के खतरे जैसे कई विषय शामिल रहे। इन वैश्विक चुनौतियों के बीच, दावोस 2024 में भारत अपने विकास प्रक्षेपवक्र में बेहतर प्रदर्शन करता हुआ और सफलता दर्शाता हुआ दिखा।

विश्व आर्थिक मंच (WEF):

  • परिचय:
    • WEF एक स्विस गैर-लाभकारी फाउंडेशन है जिसकी स्थापना वर्ष 1971 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में हुई थी।
    • इसे स्विस प्राधिकार द्वारा सार्वजनिक-निजी सहयोग की अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता प्रदान की गई है।
  • उद्देश्य:
    • यह वैश्विक, क्षेत्रीय और औद्योगिक एजेंडे को आकार देने के लिये व्यापार, राजनीति, शिक्षा एवं समाज के अन्य नेताओं को संलग्न करते हुए विश्व की स्थिति में सुधार लाने के लिये प्रतिबद्ध है।
    • संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष: क्लाउस श्वाब (Klaus Schwab)
  • WEF द्वारा प्रकाशित कुछ प्रमुख रिपोर्टें हैं:

दावोस सम्मलेन, 2024 की मुख्य बातें:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI):
    • इस वर्ष WEF की बैठक में यह मुद्दा केंद्र में रहा। बैठक में मानव कल्याण के लिये इसकी विभिन्न परिवर्तनकारी क्षमताओं पर चर्चा के साथ ही विनियमन की आवश्यकता, रोज़गार हानि के भय, प्रतिरूपण एवं भ्रामक सूचना के जोखिम और असमानताओं की वृद्धि में इसके संभावित योगदान पर भी चर्चा की गई।
    • हालाँकि समग्र अवलोकन से ऐसा प्रतीत होता है कि सकारात्मकताएँ, नकारात्मकताओं से अधिक हैं और मानव बुद्धि को AI की ओर से किसी बड़े खतरे का सामना नहीं करना पड़ा है।
  • युद्ध और अनिश्चितता:
    • वैश्विक नेताओं ने विश्व के विभिन्न हिस्सों में संवेदनशील भू-राजनीतिक स्थितियों—मध्य पूर्व एवं यूरोप में युद्ध, वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के लिये खतरे और खाद्य सुरक्षा के संबंध में अनिश्चितता से उत्पन्न जोखिमों के बारे में चर्चा की।
  • जलवायु:
    • व्यवसायों के जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढलने और मतभेदों के बावजूद इसके विरुद्ध कार्रवाई के लिये देशों के एकजुट होने की आवश्यकता भी बैठक में चर्चा का प्रमुख विषय रहा।
      • विश्व बैंक के अध्यक्ष ने व्यवसायों द्वारा संवहनीय प्रक्रियाओं को अपनाने से प्राप्त होने वाले अंतिम लाभ और जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध संघर्ष में संसाधनों को सही ढंग से आवंटित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
    • इसमें इस बात पर बल दिया गया कि विकसित देशों को, विकासशील देशों की जलवायु कार्रवाई के वित्तपोषण में सहायता करनी होगी, अन्यथा असमानता में वृद्धि होगी।
  • चीन की अर्थव्यवस्था:
    • मंद होती अर्थव्यवस्था का सामना करते चीन ने पश्चिम से अधिक निवेश आकर्षित करने की कोशिश की, जिसमें कुछ नरमी देखी गई है।
      • वर्ष 2023 में चीन की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 5.2% रही जो अभी भी महामारी के पूर्व के स्तर से नीचे है और वह उसे अलग-थलग करने के अमेरिकी प्रयासों (जैसा कि सेमीकंडक्टर व्यापार गतिरोध में नज़र आया) से जूझ रहा है।
    • बैठक में कहा गया कि चीन अत्यंत महत्त्वपूर्ण संरचनात्मक आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। पश्चिम की बहुत-सी कंपनियाँ अब चीन में अतीत की तरह निवेश नहीं कर रही हैं।
      • लेकिन चीन में 3%-4% की वृद्धि भी WEF शिखर सम्मेलन में भागीदार कई कंपनियों के लिये अभी भी बेहद सार्थक है।
  • भारत की संभावनाएँ:
    • दावोस की बैठक ने रेखांकित किया कि भारत विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में द्रुत गति से बदल रहा है। बैठक में भारत ने अपनी आर्थिक क्षमता के अलावा अन्य तरीकों से भी अपनी उपस्थिति महसूस कराई।
      • प्रौद्योगिकी, प्रतिभा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य क्षेत्रों के संबंध में वर्ष 2024 और उसके आगे भारत के भविष्य पर नज़र रहेगी।
  • महिला स्वास्थ्य में निवेश:
    • इस वर्ष WEF में चर्चा किये गए विषयों में से एक यह था कि महिलाओं के स्वास्थ्य में निवेश से वर्ष 2040 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रतिवर्ष 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक कैसे बढ़ावा मिल सकता है।
    • ‘ग्लोबल गुड एलायंस फॉर जेंडर इक्विटी एंड इक्वलिटी’:
      • WEF और भारत सरकार के सहयोग एवं समर्थन से ‘ग्लोबल गुड एलायंस फॉर जेंडर इक्विटी एंड इक्वलिटी’ लॉन्च करने की घोषणा करना, बैठक की प्रमुख उपलब्धियों में से एक रहा।
      • इस गठबंधन का विचार G20 नेताओं की घोषणा (G20 Leaders’ Declaration) और महिला-नेतृत्व वाले विकास के प्रति भारत की स्थायी प्रतिबद्धता से उभरा।
      • इसका उद्देश्य महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और उद्यम के चिन्हित क्षेत्रों में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं, ज्ञान साझाकरण और निवेश को एक साथ लाना है।

दावोस सम्मलेन, 2024 में AI पर विशेष फोकस क्या था?

दावोस, 2024 में अर्थव्यवस्थाओं और समाज को नया आकार दे सकने में AI की परिवर्तनकारी क्षमता को प्रदर्शित करते हुए AI के व्यापक प्रभाव पर बल दिया गया। विमर्श में AI के लाभों के दोहन के लिये संतुलित शासन, नैतिक विचारों और कौशल विकास के महत्त्व को रेखांकित किया गया।

  • AI संबंधी रोज़गार बाज़ार पर ध्यान केंद्रित करना:
    • दावोस बैठक में प्रस्तुत की गई अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की “जेन-एआई: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड द फ्यूचर ऑफ वर्क” (Gen-AI: Artificial Intelligence and the Future of Work) रिपोर्ट एक चिंताजनक तस्वीर प्रस्तुत करती है जहाँ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में 60% तक नौकरियाँ AI के कारण खतरे में हैं।
      • इस चिंताजनक आँकड़े ने कार्य के भविष्य के बारे में गहन चर्चा को जन्म दिया है और कौशल प्रशिक्षण एवं अनुकूलन की तात्कालिकता को रेखांकित किया है।
      • इस रिपोर्ट में AI के जोखिमों का प्रबंधन करते हुए इसके लाभों का दोहन कर सकने के लिये लोगों को आवश्यक कौशल से लैस करने के महत्त्व पर बल दिया गया है।
    • IMF की रिपोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण बदलाव को भी उजागर किया है कि वास्तविक चुनौती मशीनों द्वारा नौकरी प्रतिस्थापन की नहीं, बल्कि AI में कुशल लोगों द्वारा प्रतिस्थापन की है।
      • इसने AI द्वारा संवर्द्धित विश्व के लिये नागरिकों, विशेषकर युवाओं को तैयार करने के लिये AI शिक्षा के एकीकरण की वकालत की है।
      • शिखर सम्मेलन में रोज़गार सृजन (विशेष रूप से हरित क्षेत्रों में) की आवश्यकता और AI-संचालित श्रम बाज़ार की मांगों को पूरा करने के लिये शिक्षा प्रणालियों के अनुकूलन पर बल दिया।
    • यह बैठक AI-सृजित कंटेंट की कॉपीराइटिंग और मानव एवं मशीन द्वारा कंटेंट निर्माण के बीच अंतर जैसे जटिल मुद्दों को संबोधित करने पर भी लक्षित रही।
      • भागीदार नेताओं ने अंतर-संचालनीयता (interoperability) मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं को स्थापित करने के लिये सहयोगात्मक प्रयासों की वकालत की, जो एक अधिक एकीकृत AI सिस्टम की ओर वैश्विक रुझान को प्रकट करता है।
    • इसने अधिक विचार-केंद्रित भूमिकाओं की ओर एक बदलाव का भी अनुमान लगाया, जो रोज़गार कार्यों को अमूर्तता के उच्च स्तर तक बढ़ाने की AI की क्षमता से सुगम हुआ है।
      • WEF शिखर सम्मेलन ने GPT-3 से GPT-4 तक महत्त्वपूर्ण प्रगति को देखते हुए AI मूल्य संरेखण के बारे में भी आशा प्रकट की।
  • AI के नैतिक एवं उत्तरदायी उपयोग का आह्वान:
    • इस बैठक में AI से संबद्ध गहन नैतिक प्रश्न भी उठाए गए, जहाँ मानव प्रामाणिकता पर इसके प्रभाव और आभासी एवं वास्तविक मानव संपर्क के बीच धुंधली रेखाओं पर विचार किया गया।
      • इन चर्चाओं में प्रौद्योगिकी के साथ हमारे संबंधों पर गहन चिंतन किया गया।
    • पूरी बैठक के दौरान उत्तरदायी AI प्रशासन की आवश्यकता प्रतिध्वनित हुई, जहाँ ऐसे संतुलित दृष्टिकोण की मांग की गई जो जोखिमों को कम करते हुए नवाचार को बढ़ावा दे।
      • चीन के प्रधानमंत्री ने वैश्विक AI शासन तंत्र के महत्त्व पर बल दिया।
      • माइक्रोसॉफ्ट ने AI नियमों में अभिसरण पर चर्चा की, जिसमें बुनियादी मुद्दों और उन्हें संबोधित करने की रणनीतियों की आम समझ पर प्रकाश डाला गया।

दावोस में आयोजित WEF शिखर सम्मेलन, 2024 में भारत की उपलब्धियाँ:

  • CII इंडिया बिज़नेस हब से जुड़ी मुख्य बातें:
    • दावोस में CII इंडिया बिज़नेस हब में उल्लेखनीय गतिविधि देखी गई जहाँ व्यवसायी आगंतुकों ने आगामी अवसरों की पड़ताल की। इसने भारत को अपनी सफलताओं को प्रदर्शित करने के लिये एक मंच प्रदान किया।
  • भारत पर भू-राजनीतिक प्रभाव:
    • एकीकृत वैश्विक अर्थव्यवस्था का अंग होने के रूप में भारत भू-राजनीतिक घटनाओं के प्रभाव को चिह्नित करता है और एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में अपनी भूमिका पर बल देते हुए व्यावसायिक एवं भू-राजनीतिक रूप से विश्वास को सुरक्षित करने का प्रयास करता है।
  • सरकारी सुधार और प्रौद्योगिकी:
    • भारत ने स्थिर और सक्रिय सुधार घोषणाओं के माध्यम से शासन में प्रौद्योगिकी के अपने प्रभावी उपयोग का प्रदर्शन किया।
    • दावोस में चर्चा AI पर केंद्रित थी, जहाँ AI से संबंधित जोखिमों को कम करते हुए लाभ को अधिकतम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया और भारत भी इस क्षेत्र में गहरी पैठ बना रहा है।
  • महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक भागीदारी:
    • भारत ने वैश्विक मुद्दों (विशेषकर महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक भागीदारी) पर चर्चा में प्रमुखता से भाग लिया। उल्लेखनीय है कि स्वयं सहायता समूहों के रूप में भारतीय महिला उद्यमी सालाना 37 बिलियन डॉलर के व्यवसाय का प्रबंधन करती हैं, जिससे महिला-स्वामित्व वाले व्यवसायों में निवेश वृद्धि हेतु आकर्षण उत्पन्न होता है।
  • ऊर्जा संक्रमण की चुनौतियाँ:
    • जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही ऊर्जा और प्रौद्योगिकी पर समानांतर रूप से चर्चा हुई। भारत ने हरित हाइड्रोजन जैसे समाधानों पर विचार करते हुए ऊर्जा संक्रमण से जुड़ी तीन चुनौतियों—उपलब्धता, वहनीयता और संवहनीयता, पर बल दिया।
  • भारत का समतामूलक विकास:
    • अनुमान किया गया है कि वर्ष 2024 में भारत की वृद्धि विश्व में तीव्रतम में से एक होगी। देश भर में अवसंरचना के विकास, रोज़गार एवं उद्यमिता में लैंगिक समावेशिता और वंचित वर्गों के लिये सामाजिक सुरक्षा उपायों के माध्यम से समतामूलक विकास को बढ़ावा मिला है।
  • ‘पॉकेट ऑफ रेज़िलियेंस’ के रूप में भारत:
    • मूडी के इन्वेस्टर्स सर्विस ने वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भारत को ‘पॉकेट ऑफ रेज़िलियेंस’ के रूप में देखा है। आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता के लिये पहचाने जाने वाले भारत का सुदृढ़ विकास प्रक्षेपवक्र और इसका घरेलू बाज़ार इसे एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाता है।
  • वैश्विक मान्यता और आर्थिक कौशल:
    • भारत, जो कभी हाशिये पर रहा था, अब अपनी आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता के लिये वैश्विक ध्यान आकर्षित कर रहा है। 1.4 बिलियन से अधिक की आबादी, एक गतिशील कार्यबल और सहायक सरकारी नीतियाँ भारत की जीडीपी में नियमित वृद्धि में योगदान करती हैं।
  • भारत एक विश्वसनीय वैश्विक भागीदार के रूप में:
    • दावोस में भारत की भागीदारी एक विश्वसनीय वैश्विक भागीदार और प्रत्यास्थी अर्थव्यवस्था के रूप में इसकी स्थिति को मज़बूत करती है। सहयोगात्मक वैश्विक उन्नति के लिये देश की प्रतिबद्धता विश्व के लिये एक उज्ज्वल, संवहनीय भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका को परिलक्षित करती है।

निष्कर्ष:

दावोस, 2024 ने वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत के उल्लेखनीय विकास प्रक्षेपवक्र को प्रदर्शित किया। देश में प्रौद्योगिकी के रणनीतिक उपयोग (विशेष रूप से AI क्षेत्र में) और सक्रिय शासन सुधारों पर प्रकाश डाला गया, जिससे एक डिजिटल नेतृत्वकर्ता के रूप में भारत की छवि स्थापित हुई। आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता के लिये चिह्नित भारत, वैश्विक अर्थव्यवस्था में ‘पॉकेट ऑफ रेज़िलियेंस’ के केंद्र के रूप में उभर रहा है। सहयोग और समावेशिता की प्रतिबद्धता के साथ, भारत की वृद्धिशील अर्थव्यवस्था वैश्विक प्रगति के लिये एक प्रकाशस्तंभ और एक संवहनीय भविष्य को आकार देने के लिये एक मॉडल प्रस्तुत करती है।

अभ्यास प्रश्न: तकनीकी प्रगति, वैश्विक साझेदारी और सतत् विकास रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, विश्व आर्थिक मंच के दावोस शिखर सम्मेलन, 2024 में भारत की भूमिका के साथ इसके प्रमुख परिणामों के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा विश्व के देशों के लिये 'सार्वभौमिक लैंगिक अंतराल सूचकांक' का श्रेणीकरण प्रदान करता है? (2017)

(a) विश्व आर्थिक मंच
(b) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
(c) संयुक्त राष्ट्र महिला
(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन

उत्तर: (a) 


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन विश्व आर्थिक मंच का संस्थापक है? (2009) 

(a) क्लॉस श्वाब
(b) जॉन केनेथ गाॅलब्रैथ
(c) रॉबर्ट ज़ूलिक
(d) पॉल क्रुगमैन 

उत्तर: (a) 


प्रश्न. वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट किसके द्वारा प्रकाशित की जाती है? (2019)

(a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
(b) व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन
(c) विश्व आर्थिक मंच
(d) विश्व बैंक 

उत्तर: (c)

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