प्रारंभिक परीक्षा
बैंकों के सकल NPA में 3.2% की गिरावट
- 01 Jan 2024
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) के लिये सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA) अनुपात में महत्त्वपूर्ण गिरावट देखी गई, जो मार्च 2023 के अंत में 3.9% से गिरकर सितंबर, 2023 के अंत तक 3.2% हो गई।
- योगदान देने वाले कारक: बट्टे खाते में डालना, उन्नयन, और वसूली।
गैर-निष्पादित परिसंपत्ति क्या है?
- परिचय:
- RBI के अनुसार, कोई परिसंपत्ति तब गैर-निष्पादित हो जाती है जब वह बैंक के लिये आय उत्पन्न करना बंद कर देती है।
- NPA आमतौर पर एक ऋण या अग्रिम होता है जिसका मूलधन या ब्याज भुगतान एक निश्चित अवधि के लिये अतिदेय रहता है।
- ज़्यादातर मामलों में ऋण को गैर-निष्पादित के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जब ऋण का भुगतान न्यूनतम 90 दिनों की अवधि के लिये नहीं किया गया हो।
- कृषि के लिये यदि 2 शस्य ऋतुओं/फसली मौसमों के लिये मूलधन और ब्याज का भुगतान नहीं किया जाता है, तो ऋण को NPA के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- प्रकार:
- बैंकों को उस अवधि के आधार पर NPA को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करना आवश्यक है जिसके लिये परिसंपत्ति गैर-निष्पादित रही है और बकाया की वसूली:
- अवमानक परिसंपत्ति: एक अवमानक संपत्ति 12 महीने से कम या उसके बराबर अवधि के लिये NPA के रूप में वर्गीकृत परिसंपत्ति है।
- संदिग्ध परिसंपत्ति: संदिग्ध परिसंपत्ति वह संपत्ति है जो 12 महीने से अधिक की अवधि से गैर-निष्पादित चल रही हो।
- हानि वाली परिसंपत्तियाँ: ऐसी परिसंपत्तियाँ जो संग्रहण योग्य नहीं हैं और जिनकी वसूली की बहुत कम या कोई उम्मीद नहीं है, साथ ही जिन्हें पूरी तरह से बट्टे खाते में डालने की आवश्यकता है।
- बैंकों को उस अवधि के आधार पर NPA को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करना आवश्यक है जिसके लिये परिसंपत्ति गैर-निष्पादित रही है और बकाया की वसूली:
- सकल NPA(GNPA) और निवल NPA:
- यह अनंतिम राशि में कटौती किये बिना NPA की कुल राशि है।
- निवल NPA: सकल NPA में से प्रावधान घटाने पर निवल NPA प्राप्त होता है।
- प्रावधान का तात्पर्य ऋणों अथवा NPAs से उत्पन्न होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई करने के लिये बैंकों द्वारा अलग रखे गए धन से है।
- भारत में NPA से निपटने के प्रावधान:
- बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को शोध्य ऋण वसूली अधिनियम (RDB अधिनियम), 1993: इसके तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर शोध्य ऋणों पर त्वरित निर्णय लेने तथा उन्हें पुनर्प्राप्त करने के लिये ऋण वसूली अधिकरण (DRT) तथा ऋण वसूली अपीलीय अधिकरण (DRAT) की स्थापना की गई।
- वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम (Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act- SARFAESI अधिनियम), 2002: बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं को नयायालय के हस्तक्षेप के बिना डिफॉल्ट उधारकर्त्ताओं की सुरक्षित परिसंपत्तियों को कब्ज़े में लेने और उसकी बिक्री करने का अधिकार देता है।
- दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता ( Insolvency and Bankruptcy Code- IBC), 2016: यह NPA सहित तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिये एक फास्ट-ट्रैक कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया प्रदान करता है।
- IBC ने अपनी स्थापना के बाद से 808 मामलों में फँसे 3.16 लाख करोड़ रुपए के ऋण को सुलझाने में मदद की है।
- लोन राइट-ऑफ: बट्टे खाते में डालना/अपलिखित करना (Write-off) का तात्पर्य किसी गैर-निष्पादित ऋण अथवा परिसंपत्ति को बैंक के रिकॉर्ड से इस स्वीकृति के रूप में हटाना है कि ऋण की वसूली की संभावना नहीं है।
- यह कार्रवाई उधारकर्त्ता को चुकाने के दायित्व से मुक्त नहीं करती बल्कि वसूली की संभावना को स्वीकार करती है।
- उन्नयन (Upgrades): यह एक ऋण खाते को NPA से वापस "मानक" परिसंपत्ति श्रेणी में पुनर्वर्गीकृत करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है, यदि कुछ शर्तें पूरी होती हैं, जिनमें शामिल हैं: ब्याज और मूलधन का बकाया उधारकर्त्ता द्वारा भुगतान किया जाता है।
- पुनर्प्राप्ति (Recoveries): पुनर्प्राप्ति, डिफॉल्ट ऋणों या NPA पर इसके लिये कार्रवाई करने के बाद बैंक द्वारा प्राप्त धन या संपत्ति का प्रतिनिधित्व करती है।
- ये पुनर्प्राप्ति विधियों, संपार्श्विक परिसमापन (collateral liquidation), या पुनर्भुगतान ( repayments) के बाद निपटान का रूप ले सकती हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न.निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा हाल ही में समाचारों में आए ‘दबावयुक्त परिसम्पत्तियों के धारणीय संरचन पद्धति (स्कीम फॉर सस्टेनेबल स्ट्रक्चरिंग ऑफ स्ट्रेचड एसेट्स/S4A)’ का सर्वोत्कृष्ट वर्णन करता है? (a) यह सरकार द्वारा निरूपित विकासपरक योजनाओं की पारिस्थितिक कीमतों पर विचार करने की पद्धति है। उत्तर: (b) |