ऑलिव रिडले कछुओं की मास नेस्टिंग
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
ओलिव रिडले कछुए (लेपिडोचेलिस ओलिवेस) मास नेस्टिंग (सामूहिक रूप से घोसला बनाने) के लिये ओडिशा में रुशिकुल्या नदी के तट पर बढ़ी संख्या में लौटने की उम्मीद है, जो इस प्रजाति के संरक्षण के लिये एक आवश्यक है।
ओलिव रिडले कछुओं के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- वैज्ञानिक नाम: लेपिडोचेलिस ओलिवेसिया (Lepidochelys olivacea)
- वैज्ञानिक वर्गीकरण
- वर्ग: सरीसृप
- परिवार: चेलोनीडी (Cheloniidae)
- उपस्थिति: ऑलिव रिडले कछुए जैतून या भूरे-हरे रंग के होते हैं, जिनका ऊपरी भाग हृदय के आकार का होता है।
- ये केम्प्स रिडले (Kemp’s ridleys) (मुख्य रूप से मैक्सिको की खाड़ी में पाए जाने वाले) से काफी मिलते-जुलते हैं और सबसे छोटे समुद्री कछुए हैं। उनका आकार और आकृति क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होती है, सबसे बड़ा कछुआ पश्चिमी अफ्रीका में पाया जाता है।
- आवास और वितरण: प्रशांत, हिंद और अटलांटिक महासागरों के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। पेलाजिक (खुले महासागर) और तटीय जल दोनों में निवास करता है।
- भारत में प्रमुख नेस्टिंग स्थल: रुशिकुल्या, गहिरमाथा, ओडिशा में देवी नदी तट तथा अंडमान द्वीप समूह।
- गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य को विश्व में ओलिव रिडले समुद्री कछुओं के लिये सबसे बड़े मास नेस्टिंग के रूप में जाना जाता है।
- भारत में प्रमुख नेस्टिंग स्थल: रुशिकुल्या, गहिरमाथा, ओडिशा में देवी नदी तट तथा अंडमान द्वीप समूह।
- प्रजनन: ऑलिव रिडले कछुए अरिबाडा (स्पेनिश में "Arrival” (आगमन)) एक अद्वितीय मास नेस्टिंग (सामूहिक घोंसला) के लिये प्रसिद्ध है, जिसमें हज़ारों मादाएँ एक साथ नेस्टिंग करती हैं।
- सितंबर से वे प्रशांत महासागर से भारतीय समुद्र तक 9,000 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। प्रजनन के बाद, नर पीछे हट जाते हैं, और मादाएँ दिसंबर से मार्च तक नेस्टिंग करती हैं।
- मादाएँ प्रत्येक मौसम में 1-3 बार घोंसला बनाती हैं तथा प्रति समूह लगभग 100 अंडे देती हैं।
- नवजात शिशुओं का लिंग नेस्टिंग के तापमान के आधार पर निर्धारित होता है।
- सितंबर से वे प्रशांत महासागर से भारतीय समुद्र तक 9,000 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। प्रजनन के बाद, नर पीछे हट जाते हैं, और मादाएँ दिसंबर से मार्च तक नेस्टिंग करती हैं।
- आहार और व्यवहार: शाकाहारी हरे कछुए को छोड़कर सभी समुद्री कछुओं की प्रजातियों की तरह, ओलिव रिडले सर्वाहारी है, जो जेलीफ़िश, घोंघे, केकड़े, झींगे, शैवाल और छोटी मछलियाँ खाते है।
- भोजन और घोंसले के निर्माण स्थलों के बीच लंबी दूरी तक प्रवास करते हैं।
- संरक्षण स्थिति:
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची 1
- IUCN रेड लिस्ट: सुभेद्य
- CITES: परिशिष्ट I
- खतरे: मत्स्य संग्रहण के साज सामान (ट्रॉल्स, गिलनेट, लाँगलाइन) में बायकैच।
- मानव उपभोग के लिये कछुओं का अवैध शिकार और उनके अंडों का संग्रहण।
- तटीय विकास, प्लास्टिक के उपयोग और समुद्री प्रदूषण के कारण आवास की क्षति, साथ ही ताप और समुद्र के जल स्तर में वृद्धि के कारण नीडन स्थलों और आहार के स्रोतों में बाधा उत्पन्न होने से ओलिव रिडले कछुओं के लिये खतरा उत्पन्न हो गया है।
- संरक्षण पहल:
- ऑपरेशन ओलिविया: भारतीय तटरक्षक बल की इस पहल (1980 के दशक से क्रियान्वित) का उद्देश्य कछुओं के नीडन की रक्षा करना और अवैध मत्स्यन की रोकथाम करना है।
- टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइसेस (TEDs): ओडिशा ने कछुओं की आकस्मिक मृत्यु की रोकथाम करने हेतु ट्रॉल्स (शंकु के आकार का जाल) में TED का उपयोग अनिवार्य कर दिया है।
- टैगिंग: ओलिव रिडले कछुओं पर असंक्षारक धातु के बने टैग लगाया जाता है जिसका उद्देश्य उनकी गतिविधियों पर नज़र रखना और उनके प्रयावासों की सुरक्षा करना है।
नोट: भारतीय जीव विज्ञानी शैलेंद्र सिंह को कछुओं की तीन गंभीर रूप से संकटापन्न प्रजातियों (नॉर्दर्न रिवर टेरापिन, रेड-क्राउन्ड रूफ्ड टर्टल, ब्लैक सॉफ्टशेल टर्टल) को विलुप्त होने से बचाने के लिये बहलर कछुआ संरक्षण पुरस्कार (कछुआ संरक्षण के क्षेत्र में "नोबेल पुरस्कार" माना जाता है) से सम्मानित किया गया है।
ऋषिकुल्या नदी
- ऋषिकुल्या नदी ओडिशा के कंधमाल ज़िले के पूर्वी घाट में ऋषिमाल पर्वत से निकलती है और दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- इसकी प्रमुख सहायक नदियों में पद्मा, बोरिंगनल्ला, जोरो, बदनदी, बघुआ, धानेई और घोधादो शामिल हैं। नदी के मुहाने पर कोई डेल्टा नहीं है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव है? (2015) (a) खारे पानी के मगरमच्छ उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (d) |
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत उपलब्धियाँ
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) पर वर्ष 2021-24 की मूल्यांकन रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें स्वास्थ्य सेवा की पहुँच में सुधार और कोविड-19 सहित प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान में इसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया।
NHM (2021-24) की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
- मानव संसाधन विस्तार:
- वित्त वर्ष 2021-24 के बीच, NHM ने चिकित्सा अधिकारियों, नर्सों, विशेषज्ञों, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHO) और आयुष डॉक्टरों सहित 12 लाख से अधिक अतिरिक्त स्वास्थ्य कर्मियों को शामिल किया।
- 1.56 लाख निक्षय मित्र स्वयंसेवकों ने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत 9.4 लाख से अधिक टीबी रोगियों को सहायता प्रदान की, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा में सुधार हुआ।
- मृत्यु दर में कमी:
- वर्ष 1990 के बाद से मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) में 83% की गिरावट आई है (जो वैश्विक गिरावट 45% से अधिक है)।
- 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (U5MR) में 75% की कमी आई (जो वैश्विक स्तर पर 60% की कमी से बेहतर है)।
- शिशु मृत्यु दर (IMR) 39 (वर्ष 2014) से घटकर 28 (वर्ष 2020) हो गई।
- कुल प्रजनन दर (TFR) 2.3 (वर्ष 2015) से घटकर 2.0 (वर्ष 2020) हो गई।
- रोग नियंत्रण एवं उन्मूलन
- क्षय रोग: राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के अंतर्गत टीबी की घटनाओं में 17.7% (2015-2023) की कमी आई तथा मृत्यु दर में 21.4% की कमी आई।
- मलेरिया: वर्ष 2021 में मलेरिया के मामलों में शुरूआत में 13.28% की गिरावट आई, लेकिन वर्ष 2022 में 9.13% और वर्ष 2023 में 28.91% की वृद्धि हुई।
- मामलों में वृद्धि के बावजूद वर्ष 2021 में मृत्यु दर में 3.22% की गिरावट आई, वर्ष 2022 में 7.77% की गिरावट आई।
- कालाज़ार: कालाज़ार उन्मूलन सफल रहा, वर्ष 2023 तक 100% प्रभावित ब्लॉकों में प्रति 10,000 जनसंख्या पर एक से भी कम मामले का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया।
- टीकाकरण और प्रतिरक्षण अभियान:
- सघन मिशन इन्द्रधनुष (IMI) 5.0 के अंतर्गत खसरा -रूबेला उन्मूलन अभियान के तहत 34.77 करोड़ से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया गया , जिससे 97.98% कवरेज़ प्राप्त हुआ।
- कोविड-19 महामारी के दौरान 220 करोड़ से अधिक टीके (जनवरी 2021-मार्च 2024) लगाए गए।
- भारत में कोविड-19 के दौरान आपातकालीन प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज (ECRP) लाया गया।
- जनवरी 2023 में शुरू किया गया यू-विन प्लेटफॉर्म वास्तविक समय में टीकाकरण की घटनाओं पर निगरानी रखने पर केंद्रित है।
- स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना का विस्तार:
- मार्च 2024 तक 7,998 सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों (NQAS) के तहत प्रमाणित किया गया, जिनमें से 4,200 को राष्ट्रीय प्रमाणन प्राप्त हुआ।
- आयुष्मान आरोग्य मंदिर: परिचालन केंद्रों की संख्या बढ़कर 1.72 लाख होने से लाखों लोगों के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित हुईं।
- विशिष्ट स्वास्थ्य पहल:
- प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (PMNDP): PMNDP के तहत वित्त वर्ष 2023-24 में 4.53 लाख मरीज लाभान्वित हुए।
- राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (NSCAEM): NSCAEM के तहत जनजातीय क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2.61 करोड़ व्यक्तियों का परीक्षण किया गया, जिसका लक्ष्य वर्ष 2047 तक इस रोग का उन्मूलन करना है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन क्या है?
- परिचय:
- वर्ष 2013 में शुरू किये गए NHM का उद्देश्य कमज़ोर एवं वंचित लोगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है।
- इसके तहत राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM) को एकीकृत किया गया है।
- पहल:
- जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK) सहित प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य (RMNCH+A) पर ध्यान केंद्रित करना।
- संचारी रोग नियंत्रण: राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम एवं संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम जैसी पहलों के तहत क्षय रोग (टीबी), मलेरिया, कुष्ठ रोग और एचआईवी/एड्स के निराकरण पर ध्यान केंद्रित करना।
- गैर-संचारी रोग: राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम करना।
- अन्य पहल:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. कोविड-19 वैश्विक महामारी को रोकने के लिये बनाई जा रही वैक्सीनों के प्रसंग में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में कौन से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: B |
अरोमा मिशन
स्रोत: पी.आई.बी.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ-साथ जम्मू एवं कश्मीर (J&K) भी अरोमा मिशन की प्राथमिकता सूची में रहा है।
- परिचय: इसे जम्मू-कश्मीर में शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य सुगंधित फसलों की खेती और आवश्यक तेलों के उत्पादन को बढ़ाकर भारत के अरोमा उद्योग को बढ़ावा देना है। इसे लैवेंडर क्रांति के नाम से जाना जाता है।
- सुगंधित फसलें (जैसे गुलाब, पुदीना), सुगंधित तेलों के लिये उगाए जाने वाले पौधे हैं, जिनका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन एवं अरोमाथेरेपी जैसे उद्योगों में किया जाता है।
- लक्ष्य: यह उच्च मूल्य वाली सुगंधित फसलों जैसे लेमनग्रास, लैवेंडर, वेटिवर, पामारोसा और अन्य की खेती पर केंद्रित है।
- संबंधित पहल: किसानों को उन्नत प्रौद्योगिकियाँ और सुविधाएँ प्रदान करने के क्रम में CSIR-उत्तर पूर्व विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (CSIR-NEIST), जोरहाट में इनक्यूबेशन एवं इनोवेशन कॉम्प्लेक्स (आईआईसीओएन) का उद्घाटन किया गया।
- CSIR-NEIST द्वारा पूर्वोत्तर में 5,000 से अधिक हेक्टेयर में सुगंधित फसलें उगाने में भूमिका निभाने के साथ 39 आवश्यक तेल आसवन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।
- संभावित प्रभाव: इसके तहत प्रतिवर्ष 300 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के 2000 टन से अधिक उच्च गुणवत्ता वाले आवश्यक तेलों का उत्पादन लक्षित है।
- इससे ग्रामीण क्षेत्र में 60 लाख मानव दिवस रोज़गार सृजित होने तथा किसानों की आय में प्रतिवर्ष 60,000 से 70,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की वृद्धि होने की उम्मीद है।
- नोडल एजेंसी: इसकी नोडल एजेंसी CSIR-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (CSIR-CIMAP), लखनऊ है।
और पढ़ें: अरोमा मिशन और फ्लोरीकल्चर मिशन
कैलाश मानसरोवर यात्रा
स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड
भारत और चीन ने वार्षिक कैलाश मानसरोवर यात्रा (KMY) की पुनः शुरुआत करने पर सहमति व्यक्त की है।
- कैलाश पर्वत काले रंग की चट्टानों से निर्मित हीरे के आकार का शिखर है, जो तिब्बत में अवस्थित है।
- भारत प्रतिवर्ष जून से सितंबर माह में उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा (1981 से) और सिक्किम में नाथू ला दर्रा (2015 से) के माध्यम से KMY का आयोजन करता है।
- कैलाश पर्वत की ऊँचाई 6,638 मीटर है और यह हिंदू, बौद्ध, जैन और बॉन (तिब्बत का मूल धर्म) धर्मों के लिये एक पवित्र शिखर है।
- तिब्बती बौद्ध अनुयायियों के लिये, कैलाश ब्रह्मांडीय अक्ष या मेरु पर्वत है, जो स्वर्ग और पृथ्वी को जोड़ता है।
- हिंदू धर्म में, यह भगवान शिव और देवी पार्वती का वास स्थल है ।
- जैन धर्म में, कैलाश अष्टपद है, जहाँ ऋषभनाथ को ज्ञान प्राप्त हुआ था ।
- कैलाश पर्वत को पृथ्वी का आध्यात्मिक केंद्र कहते हैं, जहाँ से सतलुज, ब्रह्मपुत्र, करनाली और सिंधु नदियाँ निकलती हैं।
- मानसरोवर झील पर्वत की तलहटी में स्थित है ।
- कैलाश पर्वत की ऊँचाई हालाँकि माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) से कम है, किंतु इस पर चढ़ाई नहीं की जा सकती क्योंकि इसके पवित्र महत्त्व के कारण इस पर चढ़ाई करना प्रतिबंधित है।
और पढ़ें: कैलाश मानसरोवर यात्रा
चिनार के पेड़ों के लिये आधार
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
जम्मू और कश्मीर (J&K) सरकार ने क्षेत्र के प्रतिष्ठित चिनार के पेड़ों ( प्लैटैनस ओरिएंटलिस वेर. कैशमेरियाना) को संरक्षित करने के लिये "ट्री आधार" मिशन की शुरुआत की है, जिसके तहत पेड़ों की जियो-टैगिंग और मैपिंग की जाएगी, जिससे विस्तृत जनगणना के माध्यम से प्रत्येक पेड़ को एक विशिष्ट पहचान मिलेगी।
चिनार का वृक्ष:
- प्रकार: प्लैटेनेसी प्रजाति का पर्णपाती वृक्ष।
- विशेषताएँ: यह पूर्वी हिमालय के ठंडे, जल-समृद्ध क्षेत्रों में मूल रूप से पाया जाता है, जिसकी लंबाई 10-15 मीटर की परिधि के साथ 30 मीटर तक हो सकती है।
- इसे परिपक्व होने में 30-50 वर्ष तथा पूर्ण आकार तक पहुँचने में 150 वर्ष तक का समय लगता है।
- संरक्षण स्थिति:
- आईयूसीएन: अपर्याप्त आँकड़े
- महत्त्व: मुगल काल (जहाँगीर) के दौरान नामित यह वृक्ष, जम्मू-कश्मीर का राज्य वृक्ष है, तथा विशेष रूप से शरद ऋतु में एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है।
- यह स्थानीय कला, साहित्य और शिल्प जैसे पेपर-मैचे और कालीनों या (कारपेट) में सांस्कृतिक महत्त्व रखता है।
वृक्ष आधार मिशन:
- वर्ष 2021 में शुरू किया गया यह मिशन अनाधिकृत कटाई को रोकने के लिये चिनार के पेड़ों पर निगरानी रखता है ।
- 28,560 से अधिक पेड़ों को अद्वितीय वृक्ष आधार संख्या के साथ जियो-टैग किया गया है।
- प्रत्येक पेड़ पर GIS तकनीक का उपयोग करते हुए एक QR कोड लगाया गया है, जो उसके स्थान, ऊँचाई, परिधि, स्वास्थ्य और पारिस्थितिक खतरों के बारे में विवरण प्रदान करता है।
और पढ़ें: IUCN का पहला वैश्विक वृक्ष मूल्यांकन
नामदफा टाइगर रिज़र्व
स्रोत: द हिंदू
अरुणाचल प्रदेश के नामदफा टाइगर रिज़र्व (NTR) में 12 वर्षों में पहली बार एक वयस्क नर हाथी देखा गया है।
- हाथी पारंपरिक रूप से NTR के माध्यम से नामसाई (अरुणाचल प्रदेश) और म्यांमार के बीच प्रवास करते थे हालांकि वर्ष 1996 के बाद से अतिक्रमण के कारण प्रवास गलियारे अवरुद्ध हो गए, जिससे वे उत्तरी क्षेत्रों तक ही सीमित रह गए हैं।
परिचय:
- विश्व के कुल एशियाई हाथी में 60% भारत में हैं, जिसमें अनुमानित 27,312 हाथी (वर्ष 2017 की गणना) और 138 हाथी गलियारे हैं।
- एशियाई हाथियों की गर्भावधि 22 माह की होती है और इन्हें IUCN रेड लिस्ट में संकटग्रस्त श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।
नामदफा टाइगर रिज़र्व
- स्थान: चांगलांग ज़िला (अरुणाचल प्रदेश)
- मान्यता: वर्ष 1972 में वन्यजीव अभयारण्य, वर्ष 1983 में राष्ट्रीय उद्यान और बाघ रिज़र्व घोषित किया गया।
- वनस्पति: उत्तरी उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन, नम पर्णपाती वन और अल्पाइन झाड़ी वन।
- नदी: नामदफा नदी
अरुणाचल प्रदेश में अन्य संरक्षित क्षेत्र
- पक्के वन्यजीव अभयारण्य
- मौलिंग राष्ट्रीय उद्यान
- कामलांग वन्यजीव अभयारण्य
- इटानगर वन्यजीव अभयारण्य
- ईगल नेस्ट वन्यजीव अभयारण्य
और पढ़ें: नामदफा उड़ने वाली गिलहरी