सामाजिक न्याय
विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023
- 05 Dec 2023
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:मलेरिया, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व स्वास्थ्य सभा, वेक्टर-जनित रोग मेन्स के लिये:स्वास्थ्य, मलेरिया और इसका उन्मूलन, भारत में रोग का बोझ, अच्छे स्वास्थ्य परिणाम सुनिश्चित करने के उपाय, सरकारी पहल |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में जारी की गई विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023, भारत और विश्व स्तर पर मलेरिया की खतरनाक स्थिति पर प्रकाश डालती है।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- वैश्विक मलेरिया अवलोकन:
- विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, वर्ष 2022 में अनुमानित 249 मिलियन मामलों के साथ वैश्विक वृद्धि हुई है जो महामारी से पहले के स्तर को पार कर जाएगी।
- कोविड-19 व्यवधान, दवा प्रतिरोध, मानवीय संकट और जलवायु परिवर्तन आदि वैश्विक मलेरिया प्रतिक्रिया के लिये खतरा पैदा करते हैं।
- वैश्विक स्तर पर मलेरिया के 95% मामले 29 देशों में हैं।
- चार देश- नाइजीरिया (27%), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (12%), युगांडा (5%), और मोज़ाम्बिक (4%) वैश्विक स्तर पर मलेरिया के लगभग आधे मामलों के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, वर्ष 2022 में अनुमानित 249 मिलियन मामलों के साथ वैश्विक वृद्धि हुई है जो महामारी से पहले के स्तर को पार कर जाएगी।
- भारत में मलेरिया परिदृश्य:
- वर्ष 2022 में WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया के आश्चर्यजनक 66% मामले भारत में थे।
- प्लाज़्मोडियम विवैक्स, एक प्रोटोज़ोआ परजीवी ने इस क्षेत्र में लगभग 46% मामलों में योगदान दिया।
- 2015 के बाद से मामलों में 55% की कमी के बावजूद भारत वैश्विक मलेरिया बोझ में एक महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता बना हुआ है।
- भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें वर्ष 2023 में बेमौसम बारिश से जुड़े मामलों में वृद्धि भी शामिल है।
- WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया से होने वाली कुल मौतों में से लगभग 94% मौतें भारत और इंडोनेशिया में होती हैं।
- वर्ष 2022 में WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया के आश्चर्यजनक 66% मामले भारत में थे।
- क्षेत्रीय प्रभाव:
- अफ्रीका पर मलेरिया का असर सबसे ज़्यादा है, वर्ष 2022 में वैश्विक मलेरिया के 94% मामले और इससे होने वाली 95% मौतें अफ्रीका में देखी गईं।
- भारत सहित WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में पिछले दो दशकों में मलेरिया पर काबू पाने में कामयाब रहा है, जिसमें वर्ष 2000 के बाद से रोग के मामलों और इससे हुई मौतों में 77% की कमी आई है।
- जलवायु परिवर्तन और मलेरिया:
- जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख कारक के रूप में उभरा है, जो मलेरिया संचरण और समग्र बोझ को प्रभावित कर रहा है।
- बदलती जलवायु परिस्थितियाँ मलेरिया रोगज़नक और रोग संचरण/वेक्टर की संवेदनशीलता को बढ़ाती हैं, जिससे इसके प्रसार में आसानी होती है।
- WHO इस बात पर बल देता है कि जलवायु परिवर्तन मलेरिया के बढ़ने का जोखिम उत्पन्न कर रहा है, जिसके लिये संधारणीय और आघातसह प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता है।
- जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख कारक के रूप में उभरा है, जो मलेरिया संचरण और समग्र बोझ को प्रभावित कर रहा है।
- वैश्विक उन्मूलन लक्ष्य:
- WHO का लक्ष्य वर्ष 2025 में मलेरिया की घटनाओं और मृत्यु दर को 75% और वर्ष 2030 में 90% तक कम करना है।
- वर्ष 2025 तक मलेरिया की घटनाओं में 55% तक कमी लाने और मृत्यु दर में 53% तक कमी लाने के लक्ष्य की दिशा में वैश्विक प्रयास पर्याप्त नहीं हैं।
- WHO का लक्ष्य वर्ष 2025 में मलेरिया की घटनाओं और मृत्यु दर को 75% और वर्ष 2030 में 90% तक कम करना है।
- मलेरिया उन्मूलन को लेकर चुनौतियाँ:
- मलेरिया नियंत्रण के लिये फंडिंग अंतर वर्ष 2018 में 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022 में 3.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- अनुसंधान और विकास निधि 15 वर्ष के निचले स्तर 603 मिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुँच गई, जिससे नवाचार और प्रगति के बारे में चिंताएँ बढ़ गई हैं।
- मलेरिया वैक्सीन का प्रभाव और उपलब्धियाँ:
- रिपोर्ट अफ्रीकी देशों में WHO-अनुशंसित मलेरिया वैक्सीन, RTS,S/AS01 की चरणबद्ध शुरुआत के माध्यम से मलेरिया की रोकथाम में उल्लेखनीय प्रगति पर बल देती है।
- घाना, केन्या और मलावी में प्रभावी मूल्यांकन के चलते गंभीर मलेरिया की स्थिति में उल्लेखनीय कमी और बच्चों में होने वाली मौतों में 13% की कमी का पता चलता है, जो टीके की प्रभावशीलता की पुष्टि करता है।
- यह उपलब्धि बिस्तर जाल और इनडोर छिड़काव जैसे मौजूदा हस्तक्षेपों के साथ मिलकर एक व्यापक रणनीति बनाती है, जिससे इन क्षेत्रों में समग्र परिणामों में सुधार हुआ है।
- अक्तूबर 2023 में WHO ने दूसरी सुरक्षित और प्रभावी मलेरिया वैक्सीन, R21/Matrix-M की अनुशंसा की।
- मलेरिया के दो टीकों की उपलब्धता के चलते आपूर्ति बढ़ने के परिणामस्वरूप पूरे अफ्रीकी क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित होने की उम्मीद है।
- रिपोर्ट अफ्रीकी देशों में WHO-अनुशंसित मलेरिया वैक्सीन, RTS,S/AS01 की चरणबद्ध शुरुआत के माध्यम से मलेरिया की रोकथाम में उल्लेखनीय प्रगति पर बल देती है।
- कॉल फॉर एक्शन:
- WHO मलेरिया के विरुद्ध लड़ाई में एक महत्त्वपूर्ण धुरी/केंद्रबिंदु की आवश्यकता पर ज़ोर देता है तथा संसाधनों में वृद्धि, दृढ़ राजनीतिक प्रतिबद्धता, डेटा-संचालित रणनीतियों एवं नवीन उपकरणों की मांग करता है।
- जलवायु परिवर्तन शमन प्रयासों के साथ संरेखित सतत् तथा लचीली मलेरिया प्रतिक्रियाएँ प्रगति के लिये आवश्यक मानी जाती हैं।
मलेरिया क्या है?
- मलेरिया एक जानलेवा मच्छर जनित रक्त रोग है जो प्लाज़्मोडियम परजीवियों के कारण होता है।
- 5 प्लाज़्मोडियम परजीवी प्रजातियाँ हैं जो मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं तथा इनमें से 2 प्रजातियाँ- पी. फाल्सीपेरम व पी. विवैक्स सबसे बड़ा खतरा पैदा करती हैं।
- मलेरिया मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
- मलेरिया संक्रमित मादा एनोफिलीज़ मच्छर के काटने से फैलता है।
- किसी संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद मच्छर संक्रमित हो जाता है। इसके बाद मच्छर जिस अगले व्यक्ति को काटता है, मलेरिया परजीवी उस व्यक्ति के रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं। परजीवी यकृत तक पहुँचकर परिपक्व होते हैं तथा फिर लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं।
- मलेरिया के लक्षणों में बुखार तथा फ्लू जैसी व्याधियाँ शामिल हैं, जिसमें ठंड लगने के साथ कंपकंपी, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द एवं थकान शामिल है। विशेष रूप से मलेरिया रोकथाम तथा उपचार योग्य दोनों है।
मलेरिया की रोकथाम से संबंधित पहलें क्या हैं?
- वैश्विक पहल:
- WHO का वैश्विक मलेरिया कार्यक्रम (GMP):
- WHO का GMP मलेरिया को नियंत्रित तथा खत्म करने के लिये WHO के वैश्विक प्रयासों के समन्वय के लिये उत्तदायी है।
- इसका कार्यान्वयन मई 2015 में विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा अपनाई गई तथा वर्ष 2021 में अद्यतन की गई "मलेरिया की रोकथाम के लिये वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016-2030" द्वारा निर्देशित है।
- इस रणनीति में वर्ष 2030 तक वैश्विक मलेरिया की घटनाओं तथा मृत्यु दर को कम-से-कम 90% तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- मलेरिया उन्मूलन पहल:
- बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के नेतृत्व में यह पहल उपचार तक पहुँच, मच्छरों की आबादी में कमी लाने और प्रौद्योगिकी विकास जैसी विभिन्न रणनीतियों के माध्यम से मलेरिया उन्मूलन पर केंद्रित है।
- E-2025 पहल:
- WHO ने वर्ष 2021 में E-2025 पहल शुरू की। इस पहल का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 25 देशों में मलेरिया के संचरण को रोकना है।
- WHO ने वर्ष 2025 तक मलेरिया उन्मूलन की क्षमता वाले ऐसे 25 देशों की पहचान की है।
- WHO का वैश्विक मलेरिया कार्यक्रम (GMP):
- भारत:
- मलेरिया उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय ढाँचा 2016-2030:
- WHO की रणनीति के अनुरूप इस ढाँचे का लक्ष्य वर्ष 2030 तक पूरे भारत में मलेरिया का उन्मूलन करना एवं मलेरिया मुक्त क्षेत्रों को बनाए रखना है।
- राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम:
- यह कार्यक्रम रोकथाम और नियंत्रण उपायों के माध्यम से मलेरिया सहित विभिन्न वेक्टर जनित बीमारियों के समाधान पर केंद्रित है।
- राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (NMCP):
- NMCP की शुरुआत वर्ष 1953 में तीन प्रमुख गतिविधियों के आधार पर मलेरिया के विनाशकारी प्रभावों से निपटने के लिये की गई थी, ये हैं- DDT वाले कीटनाशक अवशिष्ट का छिड़काव (Insecticidal Residual Spray- IRS); मलेरिया संबंधी मामलों की निगरानी और निरीक्षण; एवं मरीज़ों का उपचार।
- हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट (HBHI) पहल:
- इसकी शुरुआत वर्ष 2019 में चार राज्यों (पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में की गई थी, यह कीटनाशक वितरण के माध्यम से मलेरिया में कमी लाने पर केंद्रित था।
- मलेरिया उन्मूलन अनुसंधान गठबंधन-भारत (MERA-India):
- इसकी स्थापना भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा की गई थी, यह भागीदारों को मलेरिया नियंत्रण अनुसंधान में सहयोग करता है।
- मलेरिया उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय ढाँचा 2016-2030:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं के प्रति मलेरिया परजीवी के व्यापक प्रतिरोध ने मलेरिया से निपटने के लिये मलेरिया का टीका विकसित करने के प्रयासों को प्रेरित किया है। मलेरिया का प्रभावी टीका विकसित करना क्यों कठिन है? (2010) (a) प्लाज़्मोडियम की कई प्रजातियों के कारण मलेरिया होता है। उत्तर: (b) |