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विश्व मलेरिया दिवस

  • 26 Apr 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मलेरिया - कारण, लक्षण, वैक्सीन, मलेरिया को नियंत्रित करने के प्रयास

मेन्स के लिये:

स्वास्थ्य, मलेरिया और इसका उन्मूलन

चर्चा में क्यों?

विश्व मलेरिया दिवस प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को मनाया जाता है।

  • इसकी स्थापना विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) द्वारा वर्ष 2007 में मलेरिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु की गई थी।
  • विश्व मलेरिया दिवस 2023 की थीम "शून्य मलेरिया का समय: निवेश, नवाचार, कार्यान्वयन” (Time to deliver zero malaria: invest, innovate, implement) है।

मलेरिया:

  • परिचय:
    • मलेरिया प्लाज़्मोडियम परजीवी के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है।
      • यह परजीवी संक्रमित मादा एनोफिलीज़ मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है।
    • मलेरिया बीमारी सामान्यतः उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और दक्षिण अमेरिका सहित दुनिया के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
      • जबकि प्लाज़्मोडियम फाल्सीपेरम के कारण अधिक मौतें होती हैं, प्लाज़्मोडियम विवैक्स सभी मलेरिया प्रजातियों में सबसे व्यापक है।
  • लक्षण:
    • एक बार मानव शरीर में प्रवेश हो जाने के बाद ये परजीवी यकृत में गुणात्मक रूप से बढ़ते हैं और फिर लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं, जिससे बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द एवं थकान जैसी समस्याएँ होने लगती हैं।
    • गंभीर मामलों में मलेरिया अंग विफलता, कोमा और मृत्यु का कारण बन सकता है।
  • वैक्सीन:
    • अब तक किसी भी मलेरिया वैक्सीन ने WHO द्वारा निर्धारित 75% की बेंचमार्क प्रभावकारिता नहीं दिखाई है। फिर भी WHO ने मलेरिया नियंत्रण और रोकथाम की तात्कालिकता को समझते हुए उच्च संचरण वाले अफ्रीकी देशों में RTS,S नामक पहले मलेरिया वैक्सीन के उपयोग की अनुमति दी है
      • इसकी प्रभावकारिता 30-40 प्रतिशत के बीच कहीं अपेक्षाकृत कम है।
      • यह टीका ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GSK), बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन आदि कई संगठनों के सहयोगात्मक प्रयास से विकसित किया गया है।
    • भारत में इस वैक्सीन को बनाने के लिये भारत बायोटेक को लाइसेंस दिया गया है।
      • RTS,S वैक्सीन की तरह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने R21 नामक एक वैक्सीन विकसित की है जिसे अभी WHO की मंजूरी मिलना बाकी है।
        • इस वैक्सीन को घाना और नाइजीरिया ने अपने देशों में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है।
        • इसका निर्माण भी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है।
  • मलेरिया के मामले:
    • विश्व मलेरिया रिपोर्ट वर्ष 2022 के अनुसार, इस बीमारी ने वर्ष 2021 में अनुमानित 6,19,000 लोगों की जान ली।
    • रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में मलेरिया के मामलों और मौतों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की है।

मलेरिया को रोकने के प्रयास:

  • वैश्विक स्तर पर:
    • वैश्विक मलेरिया कार्यक्रम:
      • यह WHO द्वारा शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य वैश्विक प्रयासों के समन्वय से मलेरिया को नियंत्रित तथा खत्म करना है।
      • इसका कार्यान्वयन "मलेरिया वर्ष 2016-2030 के लिये वैश्विक तकनीकी रणनीति" द्वारा निर्देशित है।
        • रणनीति का लक्ष्य मलेरिया मामलों और मृत्यु दर को वर्ष 2020 तक कम-से-कम 40 प्रतिशत, वर्ष 2025 तक कम-से-कम 75 प्रतिशत और वर्ष 2015 की आधार रेखा के मुकाबले वर्ष 2030 तक कम-से-कम 90 प्रतिशत कम करना है।
    • मलेरिया उन्मूलन हेतु पहल:
      • इसे बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा लॉन्च किया गया था।
      • यह पहल रणनीतियों के संयोजन के माध्यम से दुनिया के कुछ क्षेत्रों में मलेरिया को खत्म करने पर केंद्रित है, जिसमें प्रभावी उपचारों तक पहुँच बढ़ाना, मच्छरों की आबादी को कम करना और बीमारी से निपटने के लिये नए उपकरण और तकनीक विकसित करना शामिल है।
    • ई-2025 पहल:
      • वर्ष 2021 में WHO ने वर्ष 2025 तक 25 चिह्नित देशों में मलेरिया के संचरण को रोकने के लिये E-2025 पहल शुरू की है।
  • भारत के प्रयास:
    • राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम: यह मलेरिया, जापानी एन्सेफेलाइटिस (JE), डेंगू, चिकनगुनिया, कालाज़ार और हाथीपाँव रोग जैसे वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिये एक व्यापक कार्यक्रम है।
    • राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (NMCP): वर्ष 1953 में शुरू किया गया यह तीन प्रमुख गतिविधियों पर केंद्रित है:
      • DDT के साथ कीटनाशक अवशिष्ट स्प्रे (IRS)
      • मामलों की जाँच और निगरानी
      • रोगियों का उपचार
    • मलेरिया उन्मूलन 2016-2030 के लिये राष्ट्रीय ढाँचा:
      • मलेरिया उन्मूलन हेतु वर्ष 2016-2030 (GTS) के लिये WHO की वैश्विक तकनीकी रणनीति के आधार पर NFME के लक्ष्य हैं:
        • वर्ष 2030 तक पूरे देश से मलेरिया (शून्य स्वदेशी मामले) को खत्म करना।
        • उन क्षेत्रों में मलेरिया-मुक्त स्थिति बनाए रखना जहाँ मलेरिया संचरण बाधित हो गया है और मलेरिया के पुन: संचरण को रोकना।
    • 'हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट' (High Burden to High Impact-HBHI) पहल का कार्यान्वयन जुलाई 2019 में चार राज्यों (पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में शुरू किया गया था।
      • उच्च दबाव वाले क्षेत्रों में लंबे समय तक चलने वाली कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों (LLINs) के वितरण से इन 4 अति उच्च स्थानिक राज्यों में मलेरिया के प्रसार में कमी आई है।
    • मलेरिया एलिमिनेशन रिसर्च एलायंस-इंडिया (MERA-India): इसकी स्थापना भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा मलेरिया नियंत्रण पर काम करने वाले भागीदारों के समूह के साथ की गई है।

निष्कर्ष:

भारत का उद्देश्य वर्ष 2027 तक मलेरिया मुक्त होना और वर्ष 2030 तक इस बीमारी को पूरी तरह खत्म करना है। विभिन्न उपायों के माध्यम से भारत ने वर्ष 2018 और 2022 के बीच इस बीमारी को 66% तक कम करके मलेरिया के मामलों में कमी लाने में शानदार प्रगति की है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं के प्रति मलेरिया परजीवी के व्यापक प्रतिरोध ने मलेरिया से निपटने हेतु टीका विकसित करने के प्रयासों को प्रोत्साहित किया है। प्रभावी मलेरिया टीका विकसित करने में क्या कठिनाइयाँ हैं? (2010)

(a) मलेरिया प्लाज़्मोडियम की कई प्रजातियों के कारण होता है।
(b) प्राकृतिक संक्रमण के दौरान मनुष्य में मलेरिया के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती है।
(c) टीका केवल बैक्टीरिया के विरुद्ध ही विकसित किया जा सकता है।
(d) मनुष्य केवल एक मध्यवर्ती मेज़बान होता है, न कि निश्चित मेज़बान।

उत्तर: b

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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