सामाजिक न्याय
विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2022
- 12 Dec 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:मलेरिया, मलेरिया को नियंत्रित करने हेतु किये जाने वाले प्रयास मेन्स के लिये:स्वास्थ्य, मलेरिया और इसका उन्मूलन |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2022 जारी की गई।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- मलेरिया के कारण हुई मौतें:
- मलेरिया जैसी बीमारी से जूझने वाले अनेकों देश कोविड-19 महामारी के बावजूद वर्ष 2021 में मलेरिया के विरुद्ध मज़बूती से डटे रहे और इससे मलेरिया संबद्ध मामलों और मौतों में स्थिरता आई है।
- महामारी के पहले वर्ष में मलेरिया से होने वाली मृत्यु 625,000 से घटकर वर्ष 2021 में 619,000 हो गई, लेकिन फिर भी यह वर्ष 2019 में महामारी पूर्व के वर्ष में हुई 568,000 मौतों से ही अधिक रही।
- मलेरिया जैसी बीमारी से जूझने वाले अनेकों देश कोविड-19 महामारी के बावजूद वर्ष 2021 में मलेरिया के विरुद्ध मज़बूती से डटे रहे और इससे मलेरिया संबद्ध मामलों और मौतों में स्थिरता आई है।
- मलेरिया के मामले:
- मलेरिया के मामलों में वृद्धि देखी गई लेकिन इसकी दर धीमी रही, आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में 232 मिलियन मामलों, वर्ष 2020 में 247 मिलियन मामले और वर्ष में 2021 में 247 मिलियन मामले दर्ज किये गए।
- मलेरिया जैसी बीमारी से त्रस्त देश:
- मलेरिया जैसी बीमारी से त्रस्त देशों की संख्या 11 है, उनमे से प्रमुख कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, घाना, भारत, नाइज़र और संयुक्त गणराज्य तंज़ानिया हैं जहाँ मलेरिया से होने वाली मौतों में गिरावट दर्ज की गई है।
- लेकिन फिर भी इन देशों के कारण बीमारी संबंधी वैश्विक दबाव में वृद्धि होती है।
- नियंत्रण हेतु देशों द्वारा किये जाने वाले उपाय:
- कीटनाशक-उपचारित मच्छरदानी (Insecticide-treated bednets- ITNs) प्रमुख वेक्टर नियंत्रण उपाय हैं जिनका उपयोग स्थानिक देशों द्वारा किया जाता है।
- वर्ष 2021 में इंटरमिटेंट प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट इन प्रेग्नेंसी (IPTP) का प्रचलन वर्ष 2020 की तुलना में स्थिर रहा।
- मलेरिया को समाप्त करने में बाधाएँ:
- मलेरिया को समाप्त करने की प्रक्रिया को बाधित करने वाली बाधाओं में शामिल हैं - उत्परिवर्तन परजीवी, जिन पर रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, दवाओं के प्रतिरोध में वृद्धि और विशेष रूप से अफ्रीका में शहरी-अनुकूलित मच्छरों का आक्रमण।
- मलेरिया को हराने में मदद के लिये नए उपकरण का उपयोग करने हेतु धन की तत्काल आवश्यकता है।
- मलेरिया को समाप्त करने की प्रक्रिया को बाधित करने वाली बाधाओं में शामिल हैं - उत्परिवर्तन परजीवी, जिन पर रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, दवाओं के प्रतिरोध में वृद्धि और विशेष रूप से अफ्रीका में शहरी-अनुकूलित मच्छरों का आक्रमण।
मलेरिया
- परिचय:
- मलेरिया एक मच्छर जनित रक्त रोग (Mosquito Borne Blood Disease) है।
- जो प्लाज़्मोडियम परजीवी (Plasmodium Parasites) के कारण होता है। यह मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
- इस रोग की रोकथाम एवं इलाज़ दोनों संभव हैं।
- प्रसार:
- इस परजीवी का प्रसार संक्रमित मादा एनाफिलीज़ मच्छरों (Female Anopheles Mosquitoes) के काटने से होता है।
- मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद यकृत कोशिकाओं के भीतर इन परजीवियों गुणात्मक वृद्धि होती है। उसके बाद लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells- RBC) को नष्ट कर देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप RBCs की क्षति होती है।
- मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद यकृत कोशिकाओं के भीतर इन परजीवियों गुणात्मक वृद्धि होती है। उसके बाद लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells- RBC) को नष्ट कर देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप RBCs की क्षति होती है।
- ऐसी 5 परजीवी प्रजातियांँ हैं जो मनुष्यों में मलेरिया संक्रमण का कारण हैं, इनमें से 2 प्रजातियाँ- प्लाज़्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium Falciparum) और प्लाज़्मोडियम विवैक्स (Plasmodium Vivax) हैं, जिनसे मलेरिया संक्रमण का सर्वाधिक खतरा विद्यमान है।
- इस परजीवी का प्रसार संक्रमित मादा एनाफिलीज़ मच्छरों (Female Anopheles Mosquitoes) के काटने से होता है।
- लक्षण:
- मलेरिया के लक्षणों में बुखार और फ्लू जैसे लक्षण शामिल होते हैं, जिसमें ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान महसूस होती है।
- मलेरिया के लक्षणों में बुखार और फ्लू जैसे लक्षण शामिल होते हैं, जिसमें ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान महसूस होती है।
- मलेरिया का टीका:
- RTS,S/AS01 जिसे मॉसक्यूरिक्स (Mosquirix) के नाम से भी जाना जाता है, एक इंजेक्शन वैक्सीन है। इस टीके को एक लंबे वैज्ञानिक परीक्षण के बाद प्राप्त किया गया है जो कि पूर्णतः सुरक्षित है। इस टीके के प्रयोग से मलेरिया का खतरा 40 प्रतिशत तक कम हो जाता है तथा इसके परिणाम अब तक के टीकों में सबसे अच्छे देखे गए हैं।
- इसे ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GlaxoSmithKline- GSK) कंपनी द्वारा विकसित किया गया था तथा इसे वर्ष 2015 में यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (European Medicines Agency) द्वारा अनुमोदित किया गया।
- RTS,S वैक्सीन मलेरिया परजीवी, प्लाज़्मोडियम पी. फाल्सीपेरम (Plasmodium P. Falciparum) जो कि मलेरिया परजीवी की सबसे घातक प्रजाति है, के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करती है।
मलेरिया नियंत्रण के प्रयास:
- वैश्विक:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी 'ई-2025 पहल' के अंतर्गत वर्ष 2025 तक मलेरिया उन्मूलन क्षमता वाले 25 देशों की पहचान की है।
- मलेरिया के लिये WHO की वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016-2030 का उद्देश्य वर्ष 2020 तक मलेरिया के मामलों और मृत्यु दर को कम से कम 40%, 2025 तक कम से कम 75% और वर्ष 2015 की बेसलाइन के मुकाबले वर्ष 2030 तक कम से कम 90% तक कम करना है।
- भारत:
- भारत में मलेरिया उन्मूलन के प्रयास वर्ष 2015 में शुरू किये गए थे तथा वर्ष 2016 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन (NFME) की शुरुआत के बाद इन प्रयासों में और अधिक तेज़ी आई।
- NFME मलेरिया के लिये WHO की वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016–2030 (GTS) के अनुरूप है। ज्ञात हो कि वैश्विक तकनीकी रणनीति WHO के वैश्विक मलेरिया कार्यक्रम (GMP) का मार्गदर्शन करती है।
- मलेरिया उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017-22) जुलाई 2017 में शुरू की गई थी जिसमें आगामी पांँच वर्षों हेतु रणनीति निर्धारित की गई है।
- यह मलेरिया की स्थानिकता के आधार पर देश के विभिन्न हिस्सों में वर्ष-वार उन्मूलन का लक्ष्य प्रदान करता है।
- ‘हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट’ (High Burden to High Impact-HBHI) पहल का कार्यान्वयन जुलाई 2019 में चार राज्यों (पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में शुरू किया गया था।
- उच्च दबाव वाले क्षेत्रों में लंबे समय तक चलने वाली कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों (LLINs) के वितरण से इन राज्यों में मलेरिया के प्रसार में कमी आई है।
- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने मलेरिया उन्मूलन अनुसंधान गठबंधन-भारत (MERA-India) की स्थापना की है जो मलेरिया नियंत्रण पर काम करने वाले भागीदारों का एक समूह है।
- भारत में मलेरिया उन्मूलन के प्रयास वर्ष 2015 में शुरू किये गए थे तथा वर्ष 2016 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन (NFME) की शुरुआत के बाद इन प्रयासों में और अधिक तेज़ी आई।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं के लिये मलेरिया परजीवी के व्यापक प्रतिरोध ने मलेरिया से निपटने हेतु एक मलेरिया वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों को प्रेरित किया है। एक प्रभावी मलेरिया टीका विकसित करना कठिन क्यों है? (2010) (a) मलेरिया प्लाज़्मोडियम की कई प्रजातियों के कारण होता है। उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। |