रैपिड फायर
कैलाश मानसरोवर यात्रा
- 19 Dec 2024
- 2 min read
स्रोत: द हिंदू
भारत और चीन ने विशेष प्रतिनिधियों (SR) की 23वीं बैठक आयोजित की, जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों की वापसी के समझौते की पुष्टि की गई।
- इस वार्ता में तिब्बत में कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की पवित्र तीर्थयात्रा कैलाश मानसरोवर यात्रा (KMY) को फिर से शुरू करने पर चर्चा की गई, जिस पर कोविड-19 तथा चीन द्वारा व्यवस्थाओं का नवीनीकरण न करने के कारण वर्ष 2020 में रोक लगा दी गई थी।
- भारत प्रतिवर्ष जून से सितंबर माह में उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा (1981 से) और सिक्किम में नाथू ला दर्रा (2015 से) के माध्यम से KMY का आयोजन करता है।
- KMY में हिंदू, जैन, बौद्ध और बॉन अनुयायी शामिल होते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं में कैलाश शिखर को भगवान शिव का वास स्थल माना जाता है, जबकि जैन धर्म के अनुयायी इसे अष्टपद पर्वत मानते हैं, जहाँ ऋषभदेव ने मोक्ष प्राप्त किया था।
- कैलाश पर्वत के निकट अवस्थित मानसरोवर झील अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा के फलस्वरूप एक पवित्र स्थल है।
- इस तीर्थयात्रा का प्रबंधन कुमाऊँ मंडल विकास निगम द्वारा भारत के विदेश मंत्रालय और चीन सरकार के सहयोग से किया जाता है।
- 6,638 मीटर ऊंँचा कैलाश पर्वत काले पत्थर से निर्मित हीरे के आकार का शिखर है और साथ ही एशिया की प्रमुख नदियों जैसे- ब्रह्मपुत्र, सतलज, सिंधु तथा करनाली का उद्गम स्थल है।
और पढ़ें: कैलाश मानसरोवर के लिये नई सड़क