जैव विविधता और पर्यावरण
रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल
- 18 Nov 2022
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय , IUCN, बटागुर कचुगा, बंगाल रूफ्ड टर्टल। मेन्स के लिये:रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल। |
चर्चा में क्यों?
भारत ने पनामा में वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) के 19वें सम्मेलन में रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल की रक्षा करने का प्रस्ताव रखा है।
प्रमुख बिंदु
- भारत ने वर्तमान परिशिष्ट II से परिशिष्ट I में नदी की प्रजातियों को शामिल करने के लिये वन्यजीवों और वनस्पतियों पर लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय में प्रस्ताव रखा है।
- CITES द्वारा कवर की जाने वाली प्रजातियों को सुरक्षा की आवश्यकता के अनुसार तीन परिशिष्टों में सूचीबद्ध किया गया है:
- परिशिष्ट I में विलुप्त होने के खतरे वाली प्रजातियों को शामिल किया गया है।
- परिशिष्ट II में ऐसी प्रजातियाँ शामिल हैं जो विलुप्त के कगार में नहीं हैं (जहाँ व्यापार को नियंत्रित किया जाना चाहिये)।
- परिशिष्ट III में ऐसी प्रजातियाँ शामिल हैं जो कम-से-कम एक देश में संरक्षित हैं, जिसने व्यापार को नियंत्रित करने में सहायता के लिये अन्य CITES पार्टियों से सुझाव लिया है।
- CITES द्वारा कवर की जाने वाली प्रजातियों को सुरक्षा की आवश्यकता के अनुसार तीन परिशिष्टों में सूचीबद्ध किया गया है:
- CITES के पक्षकारों के 19वें सम्मेलन में जानवरों और पौधों की लगभग छह सौ प्रजातियों के व्यापार संबंधी नियमों पर सख्ती से विचार करने के लिये कहा जा रहा है, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण विलुप्त होने की कगार पर हैं।
रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल:
- वैज्ञानिक नाम: बाटागुर कचुगा।
- सामान्य नाम: बंगाल रूफ टर्टल, रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल।
- परिचय:
- रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल भारत के स्थानिक 24 प्रजातियों में से एक है जिसके नर के चेहरे और गर्दन पर लाल, पीले, सफेद एवं नीले जैसे चमकीले रंग उनकी विशेषता है।
- वितरण:
- यह मीठे पानी में पाए जाने वाले कछुए की प्रजाति है जो नेस्टिंग साइट्स वाली गहरी बहने वाली नदियों में पाई जाती है।
- रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल कछुआ भारत, बांग्लादेश और नेपाल में पाया जाता है।
- ऐतिहासिक रूप से यह प्रजाति भारत और बांग्लादेश दोनों में गंगा नदी में व्यापक रूप से पाई जाती थी। यह ब्रह्मपुत्र बेसिन में भी पाई जाती है।
- वर्तमान में भारत में राष्ट्रीय चंबल नदी घड़ियाल अभयारण्य एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहाँ इस प्रजाति की पर्याप्त आबादी है, लेकिन यह संरक्षित क्षेत्र और आवास भी अब खतरे में हैं।
- खतरा:
- ये प्रजातियाँ समुद्र तटों पर प्रमुख हाइड्रोलॉजिकल परियोजनाओं और नदी प्रवाह की गतिशीलता और जल प्रदूषण पर उनके प्रभावों के लिये अतिसंवेदनशील हैं। चूँकि नदी पर और उसके आसपास मानव गतिविधियाँ परेशान करने वाली हैं, मछली पकड़ने के जाल में उलझने से उप-आबादी पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
- प्रदूषण के कारण आवास का क्षरण और बड़े पैमाने पर विकास गतिविधियों जैसे मानव उपभोग, सिंचाई के लिये पानी निकालने और अपस्ट्रीम बाँधोंं, जलाशयों से अनियमित प्रवाह इन प्रजातियों के लिये मुख्य खतरा हैं।
- गंगा नदी के किनारे खनन और मौसमी फसलों की वृद्धि नदी के किनारे रेत के पट्टों को मुख्य रूप से प्रभावित कर रही है जो प्रजातियों द्वारा शिकार के लिये उपयोग की जाती हैं।
- अवैध उपभोग और अवैध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिये जानवर को ओवरहार्वेस्ट करना
- इसके विलुप्त होने के अन्य कारण है।
- जंगली जानवरों और पौधों के व्यापार तथा उनके संरक्षण पर काम करने वाले एक वैश्विक गैर-सरकारी संगठन ट्रैफिक द्वारा किये गए एक अध्ययन में पाया गया है कि 2009-2019 तक भारत में 11,000 से अधिक कछुए और मीठे पानी के कछुए जब्त किये गए हैं।
- सुरक्षा की स्थिति:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) रेड लिस्ट: गंभीर रूप से लुप्तप्राय (Critically Endangered)
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972: अनुसूची I (Schedule I)
- CITES : परिशिष्ट II
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. भारत के निम्नलिखित जीवों पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से संकटापन्न है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) |