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अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन

  • 14 Feb 2024
  • 6 min read

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

हाल के शोध से पता चला है कि मानव उत्सर्जन (anthropogenic emissions) 2025 और 2095 के बीच अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) के आसन्न पतन को तेज़ कर सकता है।

अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) क्या है? 

  • परिचय: 
    • AMOC पृथ्वी की सबसे बड़ी जल संचलन प्रणालियों में से एक है इसके तहत महासागरों की धाराएंँ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से गर्म और लवणीय जल को उत्तर दिशा जैसे कि पश्चिमी यूरोप की ओर ले जाती हैं तथा दक्षिण की ओर ठंडा जल भेजती हैं।
      • यह विश्व स्तर पर गर्मी के पुनर्वितरण, क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु को प्रभावित करने, विशेष रूप से यूरोप, उत्तरी अमेरिका तथा भूमध्य रेखा के पास तापमान को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • AMOC के कार्य: 
    • गर्म जल का परिवहन: AMOC उष्णकटिबंध से उत्तरी गोलार्द्ध की ओर गर्म सतही जल ले जाता है, जो यूरोप जैसे क्षेत्रों को गर्म करने में योगदान करते हैं।
    • शीतलता एवं घनत्व में वृद्धि: जैसे-जैसे गर्म सतह का जल ध्रुवों की ओर बढ़ता है, वायुमंडल में गर्मी के कारण वह धीरे-धीरे ठंडा हो जाता है। इसके अलावा आर्कटिक की पिघलती बर्फ से ठंडा, ताज़ा पानी ठंडे महासागर में समाहित हो जाता है।
    • डाउनवेलिंग: एक बार ठंडा होने पर, सघन, शीत जल डाउनवेलिंग नामक प्रक्रिया में समुद्र की गहरी परतों में चला जाता है।
      • यह बहाव मुख्य रूप से उत्तरी अटलांटिक महासागर में होता है, जहाँ सघन जलराशि बनती है और दक्षिण की ओर बहती हैं।
    • दक्षिण की ओर प्रवाह: ठंडा, शीत जल समुद्र तल के साथ दक्षिण की ओर बहता है, अटलांटिक बेसिन में विशाल दूरी तय करता है।
      • यह दक्षिण की ओर प्रवाह AMOC का प्रतिनिधित्व करता है, जहाँ ठंडा, सघन जल पूरे समुद्र में गर्मी और पोषक तत्त्वों का पुनर्वितरण करता है।
      • जैसे ही जल दुबारा सतह पर आता है, यह फिर से गर्म होना शुरू हो जाता है, जिससे AMOC का परिसंचरण चक्र पूरा हो जाता है।

  • हिंद महासागर की भूमिका: जैसे-जैसे हिंद महासागर तेज़ी से गर्म होता है, वैसे-वैसे अधिक होती है। यह अटलांटिक सहित विश्व के अन्य हिस्सों से हिंद महासागर की ओर अधिक हवा खींचता है। हिंद महासागर में इतनी अधिक वर्षा होने से अटलांटिक महासागर में कम वर्षा होगी।
    • कम वर्षा से अटलांटिक के उष्णकटिबंधीय हिस्से के जल में अधिक लवणता हो जाएगी क्योंकि इसे कम करने के लिये उतना वर्षा जल नहीं होगा।
    • अटलांटिक में यह खारा जाल, जैसे ही यह AMOC के माध्यम से उत्तर की ओर आएगा, सामान्य से कहीं अधिक तेज़ी से ठंडा हो जाएगा और कम हो जाएगा।
    • यह AMOC के लिये एक शुरुआत के तौर पर काम करेगा, जिससे सर्कुलेशन तेज़ होगा।
  • वैश्विक जलवायु में योगदान: यह चक्र ऊष्मा वाहक बेल्ट के रूप में कार्य करता है जिसके अंतर्गत यह उत्तरी अक्षांशों को ऊष्मित करता है तथा दक्षिणी अक्षांशों को शीतलित करता है जिससे समग्र पृथ्वी की जलवायु को स्थिर करने में सहायता प्राप्त होती है।
  • खतरा: वर्षण के बढ़े हुए स्तर तथा ग्रीनलैंड की हिम परत में तेज़ी से हुए विरलन के परिणामस्वरूप उत्तरी अटलांटिक में शीतल ताज़े जल की मात्रा में वृद्धि हुई है।
    • अतिरिक्त शीतल जल के इस प्रवाह से जल की लवणता और घनत्व हुई है जिससे गर्म महासागर की परत संकुचित हो रही है तथा ठंडी महासागर की परत का विस्तार हो रहा है।
    • नतीजतन AMOC धीमा हो रहा है जिससे जोखिम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
    • इसके अतिरिक्त मानवजनित गतिविधियाँ, जैसे कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, समुद्र के तापमान और परिसंचरण पैटर्न को प्रभावित कर सकती हैं जिससे AMOC प्रभावित हो सकता है।
  • संभावित व्यापक प्रभाव:
    • AMOC के अव्यवस्थित होने से वर्षण के पैटर्न में बदलाव आ सकता है जो संभावित रूप से दक्षिणी अमेज़ॅन वर्षावन को अस्थिर कर सकता है तथा इसे सवाना जैसे पारिस्थितिकी तंत्र में पारिवर्तित कर सकता है।
    • दक्षिणी गोलार्द्ध में समुद्री जल में ऊष्मा बढ़ने से पश्चिमी अंटार्कटिक की हिम परत की विरलन में तीव्रता आ सकती है जिससे समुद्र का स्तर बढ़ सकता है।
    • दक्षिण एशिया और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में मानसून परिसंचरण के कमज़ोर होने से कृषि, जल संसाधनों तथा क्षेत्रीय जलवायु पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

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