प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 22 अक्तूबर, 2020
- 22 Oct 2020
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PMKSY-AIBP के तहत परियोजनाओं के घटकों की जियो टैगिंग
(Geo tagging of the components of projects under PMKSY-AIBP)
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (PMKSY-AIBP) के तहत परियोजनाओं के घटकों की जियो टैगिंग के लिये एक मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च किया गया है।
- PMKSY-AIBP की शुरुआत जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग (Department Of Water Resources, RD & GR) के तहत की गई है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम
(PMKSY-AIBP)
- शुरुआत- 1996-97 में जल संसाधन मंत्रालय द्वारा।
- कार्यान्वयन- सिंचाई परियोजनाओं में तेज़ी लाने के लिये।
- पहले से चल रही तथा नई प्रमुख और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं पर विचार किया जाता है।
- विशेष श्रेणी के राज्य/क्षेत्र की लघु सिंचाई परियोजनाओं पर भी विचार किया जाता है।
- मंत्रालय ने इस एप्लीकेशन का विकास भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्पेस एप्लीकेशंस एंड जियो-इन्फॉर्मेटिक्स (BISAG-N) की सहायता से किया है।
- इस मोबाइल एप को विकसित करने का उद्देश्य PMKSY-AIBP के तहत किये जा रहे कार्यों की गति तथा परियोजनाओं की वास्तविक स्थिति का पता लगाना है।
- परियोजनाओं के अंतर्गत समय-समय पर कार्यों की प्रगति की समीक्षा करने हेतु एक ऑनलाइन मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (MIS) भी विकसित किया गया है।
- प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के कमांड एरिया के अंतर्गत फसलीकृत क्षेत्र का आकलन करने के लिये रिमोट सेंसिंग तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा है।
- स्थान, नहर का प्रकार/संरचना, पूर्णता की स्थिति आदि जैसे अन्य विवरणों के साथ परियोजना घटक की छवि (Image) लेने के लिये निगरानी टीम/परियोजना प्राधिकारी BISAG-N द्वारा विकसित इस मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग कर सकते हैं।
- प्राप्त सूचना को उपयोगकर्त्ता द्वारा इस उद्देश्य के लिये विकसित GIS पोर्टल पर जियो-टैगिंग हेतु प्रस्तुत किया जा सकता है।
जियो-टैगिंग (Geo-Tagging)
- जियोटैगिंग मेटा डेटा के रूप में भौगोलिक जानकारी को विभिन्न प्रकार से मीडिया से जोड़ने की प्रक्रिया है।
- इस मेटा डेटा में आमतौर पर अक्षांश और देशांतर जैसे निर्देशांक होते हैं, लेकिन इसमें दिक्कोण, ऊँचाई, दूरी और स्थान का नाम भी शामिल हो सकता है।
- जियो-टैगिंग का उपयोग आमतौर पर तस्वीरों के लिये किया जाता है और इससे लोगों को बहुत सी विशिष्ट जानकारी (जैसे- तस्वीर कहाँ ली गई थी या किसी सर्विस में लॉग ऑन करने वाले मित्र का सटीक स्थान) प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
चुनावों में खर्च की सीमा से जुड़े मुद्दों की जाँच के लिये समिति
(Committee to Examine Issues Concerning Expenditure Limits)
भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India- ECI) ने मतदाताओं की संख्या में वृद्धि और महँगाई दर में बढ़ोतरी तथा अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों द्वारा किये जाने वाले चुनावी खर्च की सीमा से जुड़े मुद्दों का परीक्षण करने के लिये एक समिति का गठन किया है।
- समिति का गठन पूर्व राजस्व सेवा अधिकारी और महानिदेशक (अन्वेषण) श्री हरीश कुमार तथा महासचिव तथा महानिदेशक (व्यय) श्री उमेश सिन्हा की सदस्यता में किया गया है।
- समिति अपने गठन के 120 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी।
- उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के चलते विधि और न्याय मंत्रालय ने 19 अक्तूबर, 2020 को निर्वाचन अधिनियम 1961 के नियम संख्या 90 में संशोधन अधिसूचित कर वर्तमान खर्चों की सीमा में 10% की वृद्धि की है।
- खर्च की सीमा में की गई यह वृद्धि वर्तमान में जारी चुनावों में भी तत्काल प्रभाव से लागू होगी।
- इससे पहले 28 फरवरी, 2014 को एक अधिसूचना के माध्यम से चुनावी खर्च की सीमा में वृद्धि की गई थी, जबकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के संदर्भ में 10 अक्तूबर, 2018 को इसमें संशोधन किया गया था।
यह समिति निम्नलिखित संदर्भों के आधार पर परीक्षण करेगी-
- देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाताओं की संख्या में बदलाव तथा खर्च पर इसके प्रभाव का आकलन।
- लागत मुद्रास्फीति सूचकांक में बदलाव और इसके चलते हाल के चुनावों में उम्मीदवारों द्वारा किये जाने वाले खर्च के तरीकों का आकलन।
- खर्च पर प्रभाव डालने वाले अन्य पहलुओं का परीक्षण।
- अन्य संबंधित मुद्दों का भी परीक्षण।
- उपरोक्त के अलावा समिति राजनीतिक दलों और अन्य संबंधित पक्षों से उनके विचार भी जानेगी।
खर्च में वृद्धि की आवश्यकता
- पिछले 6 वर्षों में चुनावी खर्च की सीमा में कोई वृद्धि नहीं की गई है, जबकि मतदाताओं की संख्या 834 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2019 में 910 मिलियन और अब 921 मिलियन हो गई है।
- इसके अलावा लागत मुद्रास्फीति में भी वृद्धि हुई है जो 220 से बढ़कर वर्ष 2019 में 280 और अब 301 के स्तर पर पहुँच गई है।
उड़ान दिवस
(Udan Day)
21 अक्तूबर, 2020 को उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना की चौथी वर्षगाँठ मनाई गई तथा इस अवसर पर 21 अक्तूबर को उड़ान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा भी की गई क्योंकि इसी दिन ‘उड़ान’ योजना के दस्तावेज़ पहली बार जारी किये गए थे।
उड़ान योजना
- क्षेत्रीय संपर्क योजना- 'उड़े देश का आम नागरिक' (UDAN) भारत सरकार की एक महत्त्वाकाँक्षी योजना है जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय हवाई मार्गों द्वारा आम लोगों को सस्ते और सुलभ हवाई यात्रा का लाभ उपलब्ध कराना है।
- देश के उड्डयन क्षेत्र में नए हवाई अड्डों और हवाई मार्ग को जोड़ने में उड़ान योजना का अहम योगदान रहा है।
- संपूर्ण भारत में उड़ान योजना के अंतर्गत 285 हवाई मार्गो के अंतर्गत 50 गैर-सेवारत अथवा सेवारत हवाई अड्डों को जोड़ा गया है। इसमें 5 हेलीपोर्ट भी शामिल हैं।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण इस योजना के लिये बुनियादी ढाँचा उपलब्ध कराने वाली एजेंसी के रूप में कार्य करता है तथा यह वर्ष 2024 तक 100 हवाई अड्डों/वाटरड्रोम/हेलीपोर्ट विकसित करने का लक्ष्य रखता है।
ब्लू डॉट नेटवर्क
(Blue Dot Network- BDN)
अमेरिका में सीनेटरों के एक द्विदलीय समूह ने ऑस्ट्रेलिया को वार्षिक नौसैनिक अभ्यास ‘मालाबार’ के लिये आमंत्रित किये जाने के फैसले का समर्थन किया है और साथ ही भारत को ‘ब्लू डॉट नेटवर्क’ (Blue Dot Network) में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया है।
- ब्लू डॉट नेटवर्क की शुरुआत नवंबर, 2019 में बैंकाक (थाईलैंड) में आयोजित 35वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी।
- यह अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय विकास वित्त निगम (U.S. International Development Finance Corporation) के नेतृत्त्व में जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन (JBIC) तथा ऑस्ट्रेलिया के विदेशी मामले और व्यापार विभाग के बीच साझा सहयोग है।
- इसका उद्देश्य सरकारी, निजी क्षेत्रकों को एक साथ लाकर साझा मानकों के दायरे में वैश्विक अवसंरचना विकास पर बल देना है।
- इसका कार्य वैश्विक अवसंरचना सिद्धांतों पर आधारित परियोजनाओं का प्रमाणन करना है।
- इस नेटवर्क द्वारा जारी प्रमाणन बाज़ार चालित, पारदर्शी तथा स्थायी विकास परियोजनाओं के लिये मान्य वैश्विक प्रतीक के रूप में कार्य करेगा।
- इस प्रकार BDN विकासशील तथा उदीयमान अर्थव्यवस्था वाले देशों में अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं के लिये निजी पूंजी निवेश को आकर्षित करेगा।
- BDN का नेतृत्त्व संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा किये जाने के कारण इसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के खिलाफ प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है।
- उल्लेखनीय है कि चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में प्रत्यक्ष वित्त प्रदान करने और सार्वजनिक ऋण की व्यवस्था है, जबकि BDN में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।