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कृषि

अरोमा मिशन और फ्लोरीकल्चर मिशन

  • 22 Sep 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लैवेंडर या बैंगनी क्रांति, फ्लोरीकल्चर, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, अरोमा मिशन

मेन्स के लिये:

अरोमा मिशन और फ्लोरीकल्चर मिशन के उद्देश्य  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने के लिये जम्मू और कश्मीर हेतु एकीकृत अरोमा डेयरी उद्यमिता (Integrated Aroma Dairy Entrepreneurship) का प्रस्ताव रखा।

  • अरोमा मिशन जिसे लोकप्रिय रूप से "लैवेंडर या बैंगनी क्रांति" (Lavender or Purple Revolution) के रूप में भी जाना जाता है, की शुरुआत जम्मू-कश्मीर से हुई है और इसके अंतर्गत उन किसानों का जीवन स्तर बदल जाएगा जो लैवेंडर उगाने, आकर्षक लाभ कमाने तथा अपने जीवन को बेहतर बनाने में सक्षम हैं।
  • इससे पहले 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में फ्लोरीकल्चर मिशन (floriculture Mission) शुरू किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • अरोमा मिशन:
    • उद्देश्य: 
      • यह मिशन ऐसे आवश्यक तेलों के लिये सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देगा, जिनकी अरोमा (सुगंध) उद्योग में काफी अधिक मांग है।
      • यह मिशन भारतीय किसानों और अरोमा (सुगंध) उद्योग को ‘मेन्थॉलिक मिंट’ जैसे कुछ अन्य आवश्यक तेलों के उत्पादन और निर्यात में वैश्विक प्रतिनिधि बनने में मदद करेगा। 
      • इसका उद्देश्य उच्च लाभ, बंजर भूमि के उपयोग और जंगली एवं पालतू जानवरों से फसलों की रक्षा करके किसानों को समृद्ध बनाना है।
    • नोडल एजेंसी: 
      • इसकी नोडल एजेंसी सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय और सुगंधित पौधा संस्थान (CSIR-CIMAP), लखनऊ है।
      • पालमपुर स्थित CSIR- इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (IHBT) और जम्मू स्थित CSIR- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (IIIM) भी इसमें शामिल हैं।
    • कवरेज:
      • इस मिशन के तहत सभी वैज्ञानिक हस्तक्षेप विदर्भ, बुंदेलखंड, गुजरात, मराठवाड़ा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और अन्य राज्यों के ऐसे सभी क्षेत्रों में लागू होंगे, जहाँ बार-बार मौसम की चरम घटनाएँ दर्ज की जाती हैं और जहाँ आत्महत्याओं की दर अधिकतम है।
      • सुगंधित पौधों (Aromatic Plant) में लैवेंडर, गुलाब, मुश्क बाला (इंडियन वेलेरियन) आदि शामिल हैं।
    • दूसरे चरण का शुभारंभ:
      • सीएसआईआर-आईआईआईएम-जम्मू ने पहले चरण की सफलता के बाद फरवरी 2021 में अरोमा मिशन चरण- II की घोषणा की।
      • यह विपणन, खेती को बढ़ावा देने और उच्च मूल्य वाले औषधीय तथा सुगंधित पौधों (MAP) के प्रसंस्करण, बेहतर किस्मों एवं उनकी कृषि प्रौद्योगिकियों के विकास, आसवन इकाइयों व प्रसंस्करण सुविधाओं की स्थापना, कौशल और उद्यमिता विकास, मूल्य आदि के लिये सहकारी समितियों की स्थापना पर केंद्रित है।
    • महत्त्व
      • वर्ष 2022 तक कृषि आय को दोगुना करने की सरकारी नीति के साथ तालमेल बिठाने के अलावा इस मिशन ने महिला किसानों को रोज़गार भी प्रदान किया है जिससे समावेशी विकास को गति मिली।
  • फ्लोरीकल्चर मिशन:
    • फ्लोरीकल्चर: 
      • यह बागवानी की एक शाखा है जो सजावटी पौधों की खेती, प्रसंस्करण और विपणन के साथ-साथ छोटे या बड़े क्षेत्रों के भू-निर्माण तथा बगीचों के रखरखाव से संबंधित है ताकि आसपास का वातावरण सौंदर्यपूर्ण और सुखद दिखाई दे।
    • उद्देश्य:
      • इसका उद्देश्य मधुमक्खी पालन के लिये वाणिज्यिक पुष्प फसलों, मौसमी/वार्षिक फसलों और फूलों की फसलों की खेती पर ध्यान केंद्रित करना।
      • कुछ लोकप्रिय फसलों में ग्लेडियोलस, कन्ना, कार्नेशन, गुलदाउदी, जरबेरा, लिलियम, गेंदा, गुलाब, कंद आदि शामिल हैं।
    • कार्यान्वयन एजेंसियाँ:
    • फ्लोरीकल्चर बाज़ार: 
      • भारतीय फ्लोरीकल्चर का बाज़ार वर्ष 2018 में 157 बिलियन रुपए का था और वर्ष 2026 तक इसके 661 बिलियन रुपए तक पहुँचने की उम्मीद है, जो वर्ष 2021-2026 के दौरान 19.2% की यौगिक वार्षिक विकास दर (Compound Annual Growth Rate) प्रदर्शित करता है।
    • महत्त्व:
      • रोज़गार सृजन: फ्लोरीकल्चर में नर्सरी उगाने, फूलों की खेती, नर्सरी व्यापार के लिये उद्यमिता विकास, मूल्यवर्द्धन और निर्यात के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार प्रदान करने की क्षमता है।
      • आयात प्रतिस्थापन: भारत में विविध कृषि-जलवायु और एडैफिक स्थितियाँ (मिट्टी के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुण) एवं समृद्ध पौधों की विविधता है, फिर भी इसका वैश्विक फ्लोरीकल्चर के बाज़ार में केवल 0.6% हिस्सा है।
        • भारत द्वारा प्रत्येक वर्ष विभिन्न देशों से कम-से-कम 1200 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के फूलों की खेती के उत्पादों का आयात किया जाता है।

स्रोत: पीआईबी

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