सूर्य की घूर्णन गति में अक्षांशीय परिवर्तन
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारतीय खगोलविदों ने पहली बार भूमध्य रेखा से लेकर उसके ध्रुवीय क्षेत्रों तक सूर्य की घूर्णन गति में परिवर्तन का प्रतिचित्रण किया
- अध्ययन में तमिलनाडु स्थित कोडईकनाल सौर वेधशाला से किये गए सूर्य के 100 वर्षों के दैनिक प्रेक्षण का उपयोग किया गया।
अध्ययन से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- सूर्य के क्रोमोस्फीयर के घूर्णन का प्रतिचित्रण: खगोलविदों ने पहली बार सूर्य के वर्णमंडल (Chromosphere) की घूर्णन गति में परिवर्तन का सफलतापूर्वक प्रतिचित्रण किया।
- वर्णमंडल प्लाज़्मा की एक पतली परत है जो सूर्य की दृश्य सतह (प्रकाशमंडल) और कोरोना (सूर्य का ऊपरी परिमंडल) के बीच स्थित होती है।
- सूर्य के घूर्णन में परिवर्तन: सूर्य के विषुवत् वृत्त का चक्रण इसके ध्रुवों की अपेक्षा अधिक तीव्र होता है। विषुवत् वृत्त क्षेत्र को एक घूर्णन पूरा करने में केवल 25 दिन का समय लगता है जबकि ध्रुवों की अवधि 35 दिन है।
- सूर्य के विषुवत् वृत्त में प्रति दिन 13.98 डिग्री का घूर्णन होता है जबकि 80 डिग्री अक्षांश पर यह घूर्णन दर धीमी होकर 10.5 डिग्री प्रति दिन हो जाती है।
- कोडईकनाल सौर वेधशाला की भूमिका: वेधशाला के 100 वर्षों के रिकॉर्ड से सौर प्लेज और नेटवर्क सेल का उपयोग करके, खगोलविद सभी अक्षांशों पर सूर्य की घूर्णन गति का माप करने में सक्षम हुए।
- प्लेज क्षीण चुंबकीय क्षेत्र वाले प्रकाशमान क्षेत्र हैं। ये वर्णमंडल में पाए जाते हैं और सनस्पॉट से 3 से 10 गुना बड़े होते हैं।
- नेटवर्क सेल में क्षीण चुंबकीय क्षेत्र होते हैं और एकल रूप में सनस्पॉट से इनका आकार थोड़ा बड़ा होता है किंतु सनस्पॉट के समूहों से इनका आकार छोटा होता है।
- सनस्पॉट के विपरीत, प्लेज और नेटवर्क सदैव सूर्य की सतह पर उपस्थित रहते हैं, जिससे वैज्ञानिक ध्रुवों पर भी घूर्णन दर की जाँच कर पाते हैं।
- सनस्पॉट वे क्षेत्र हैं जिनका वर्ण सूर्य की सतह पर काला प्रतीत होता है। इनका वर्ण काला प्रतीत होता है क्योंकि सूर्य की सतह के अन्य भागों की तुलना में इनका ताप कम होता है।
- निष्कर्षों का महत्त्व: इस अंतरात्मक घूर्णन को समझना आवश्यक है क्योंकि यह सौर डायनेमो, 11-वर्षीय सौर चक्र और इसकी तीव्र क्रिया की अवधि से संबंधित है जिनसे पृथ्वी पर चुंबकीय विक्षोभ भी उत्पन्न होते हैं।
नोट:
- 19 वीं शताब्दी में अंग्रेज़ खगोलशास्त्री रिचर्ड कैरिंगटन ने प्रथमतः सनस्पॉट का प्रेक्षण कर अंतरात्मक घूर्णन की खोज की थी।
- हालाँकि, सनस्पॉट अधिकांशतः 35 डिग्री से निम्न अक्षांशों तक ही सीमित होते हैं तथा उच्च-अक्षांश घूर्णन माप के लिये उपयुक्त नहीं होते हैं।
सूर्य के परिमंडल से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- सूर्य का परिमंडल अनेक परतों से मिलकर बना है, जिनका तापमान और अभिलक्षण भिन्न-भिन्न होता है:
- प्रकाशमंडल: यह सूर्य की दृश्यमान सतह है जो आंतरिक भाग और परिमंडल के बीच की सीमा को चिह्नित करती है।
- वर्णमंडल (क्रोमोस्फीयर): यह प्रकाशमंडल के ऊपर उपस्थित एक असम परत है जिसके तापमान में 6000°C से लगभग 20,000°C की वृद्धि होती है।
- संक्रमण क्षेत्र: यह सूर्य के परिमंडल की विरल और अत्यंत असम परत है जो तप्त कोरोना को अति शीतित वर्णमंडल से अलग करती है।
- कोरोना: यह सूर्य का बाह्य परिमंडल है। यहाँ तापमान अधःस्थ वर्णमंडल अथवा प्रकाशमंडल से बहुत अधिक होता है।
- कोरोना के बाहर सौर पवन है, जो कोरोना से उत्पन्न आवेशित कणों (प्लाज़्मा) का बहिः प्रवाह है।
- सौर पवन अंतरिक्ष में दूर तक विस्तृत है जो ग्रहीय परिमंडल को प्रभावित करती है तथा यह ध्रुवीय ज्योति (प्रकाश पुंज) के बनने में सहायक होती हैं।
कोडईकनाल सौर वेधशाला
- इसका संचालन भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) द्वारा किया जाता है तथा यह दक्षिण भारत में पलानी पर्वत शृंखला में स्थित है।
- IIA, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त संस्थान है।
- इसकी स्थापना पृथ्वी के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव का अध्ययन करने और मानसून प्रतिरूप को बेहतर ढंग से समझने के लिये की गई थी।
- इस वेधशाला में 100 से अधिक वर्षों से किये गए सौर प्रेक्षण का डेटा मौजूद है जो सौर प्रेक्षण का सबसे व्यापक डेटा है।
- इसकी प्रमुख उपलब्धियों में से एक वर्ष 1909 में एवरशेड प्रभाव की खोज थी जो सौर परिमंडल में गैसों की गति से संबंधित है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. अंतरिक्ष में कई सौ कि० मी०/से० की गति से यात्रा कर रहे विद्युत्-आवेशी कण यदि पृथ्वी के धरातल पर पहुँच जाएँ, तो जीव-जंतुओं को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं। ये कण किस कारण से पृथ्वी के धरातल पर नहीं पहुँच पाते? (2012) (a) पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति उन्हें ध्रुवों की ओर मोड़ देती है, उत्तर: (a) |
भारत का पहला कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर मल्टी-ओमिक्स डेटा पोर्टल
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इंडियन कैंसर जीनोम एटलस (ICGA) के तहत देश के कैंसर जीनोमिक्स भंडार के रूप में भारत का पहला व्यापक कैंसर मल्टी-ओमिक्स डेटा पोर्टल शुरू किया गया है।
- इससे भारत के कैंसर रोगियों से संबंधित डेटा तक पहुँच उपलब्ध होगी।
भारतीय कैंसर जीनोम एटलस (ICGA)
- यह भारत में कैंसर जीनोमिक्स, ट्रांसक्रिप्टोमिक्स और प्रोटिओमिक्स की मैपिंग करने वाली एक राष्ट्रीय पहल है जो सार्वजनिक, निजी और परोपकारी सहयोग द्वारा समर्थित एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में कार्यरत है।
- भारत में कैंसर के निदान और उपचार को बढ़ावा देने के लिये इसमें 50 से अधिक चिकित्सकों, शोधकर्त्ताओं तथा डेटा विश्लेषकों को शामिल करने के साथ वैश्विक स्तर पर कैंसर संबंधी वैज्ञानिक समझ में योगदान मिलता है।
कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर मल्टी-ओमिक्स डेटा पोर्टल की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- उद्देश्य:
- इसका लक्ष्य भारत विशिष्ट कैंसर डेटासेट तैयार करना है ताकि भारतीयों के अनुरूप वैयक्तिकृत कैंसर उपचार प्रोटोकॉल तैयार किया जा सके तथा भारत और पश्चिमी देशों के कैंसर रोगियों के बीच आणविक स्तर के अंतर को पहचाना जा सके।
- पोर्टल की मुख्य विशेषताएँ:
- मल्टी-ओमिक्स डेटा: यह स्तन कैंसर के लिये जीनोमिक, ट्रांसक्रिप्टोमिक और प्रोटिओमिक डेटा प्रदान करने पर केंद्रित है जिसकी शुरुआत 50 रोगियों से की गई है और इसे 500 से अधिक रोगियों तक विस्तारित करने की योजना है।
- इससे स्तन कैंसर के रोगियों के डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA), राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) और प्रोटीन प्रोफाइल संबंधित डेटा मिलेगा, जिसे नैदानिक परिणामों के साथ एकीकृत किया जाएगा।
- बाद में इस डेटासेट को फेफड़े के कैंसर और अन्य कैंसर के रोगियों तक भी विस्तारित किया जाएगा।
- सी बायोपोर्टल (cBioPortal) एकीकरण: इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सी बायोपोर्टल प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है, जो वैश्विक कैंसर अनुसंधान प्रयासों के साथ सहज एकीकरण की सुविधा प्रदान करने पर केंद्रित है।
- यह विश्व भर के शोधकर्त्ताओं को सहयोगात्मक कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा देने की सुविधा प्रदान करता है।
- निशुल्क पहुँच: इसमें बायोटेक-प्राइड (डेटा एक्सचेंज के माध्यम से अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना) दिशानिर्देशों के तहत नैतिक डेटा-साझाकरण प्रथाओं पर बल दिया गया है, जो वैज्ञानिक समुदाय के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में सहायक है।
मल्टी ओमिक्स
- मल्टी-ओमिक्स जीव विज्ञान के संबंध में एक ऐसा समग्र दृष्टिकोण है जिसके तहत जैविक प्रक्रियाओं की अधिक व्यापक समझ हासिल करने के क्रम में कई "ओमिक्स" क्षेत्रों से डेटा शामिल किया जाता है।
- इन क्षेत्रों में शामिल हैं:
- जीनोमिक्स: DNA के संपूर्ण सेट (इसके सभी जीनों सहित) का अध्ययन।
- ट्रांसक्रिप्टोमिक्स: किसी कोशिका, ऊतक या जीव में व्यक्त RNA अणुओं के संपूर्ण सेट का अध्ययन।
- एपिजेनोमिक्स: एपिजेनेटिक परिवर्तनों या जीन अभिव्यक्ति में परिवर्तनों का अध्ययन, जिससे DNA अनुक्रम में बदलाव नहीं होता है।
- प्रोटिओमिक्स: प्रोटीनों की अंतःक्रिया, कार्यप्रणाली और संरचनाओं तथा उनकी कोशिकीय गतिविधियों का अध्ययन
भारत में कैंसर की स्थिति
- वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर अनुमानतः 20 मिलियन नए कैंसर के मामले सामने आए और 9.7 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई।
- वर्ष 2022 में भारत में कैंसर के 1,413,316 नए मामले दर्ज किये गए, जिनमें महिला रोगियों की संख्या कुछ अधिक थी।
- इनमें स्तन कैंसर सबसे अधिक प्रचलित (सभी मामलों में 13.6% की हिस्सेदारी) था तथा इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी 26% से अधिक थी।
- अन्य महत्त्वपूर्ण कैंसरों में होंठ और मुख गुहा कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय कैंसर, फेफड़ों का कैंसर तथा ग्रासनली कैंसर शामिल थे।
अधिक पढ़ें: भारत में कम आयु वाले बच्चों में कैंसर को लेकर बढ़ती चिंता।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया 'मिशन इंद्रधनुष' किससे संबंधित है? (2016) (a) बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण उत्तर: (a) प्रश्न. कैंसरग्रस्त ट्यूमर के उपचार के संदर्भ में, साइबरनाइफ नामक एक उपकरण चर्चा में रहा है। इस संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है? (2010) (a) यह एक रोबोटिक इमेज गाइडेड सिस्टम है। उत्तर: (d) प्रश्न. 'RNA अंतर्क्षेप [RNA इंटरफे्रेंस (RNAi)]' प्रौद्योगिकी ने पिछले कुछ वर्षों में लोकप्रियता हासिल कर ली है। क्यों? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) 1, 2 और 4 उत्तर: (a) |
स्वास्थ्य पर जेब से होने वाले खर्च में कमी
स्रोत: BS
हाल ही में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) अनुमान 2021-22 जारी किया गया, जिसके अनुसार सत्र 2021-22 में कुल स्वास्थ्य व्यय (Total Health Expenditure- THE) में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) घटकर 39.4% रह गया, जो सत्र 2017-18 में 48.8% था।
- यह वित्तीय सत्र 2025-26 तक OOPE को THE के 35% तक कम करने के सरकार के उद्देश्य के अनुरूप है।
- OOPE में गिरावट के कारण:
- THE में सरकार की हिस्सेदारी 40.8% से बढ़कर 48% हो गई।
- आयुष्मान भारत जैसी पहलों ने स्वास्थ्य कवरेज तक व्यापक पहुँच को सुगम बनाया है।
- निजी स्वास्थ्य बीमा कवरेज में वृद्धि हुई जो सत्र 2017-18 में 5.8% से बढ़कर 2021-22 में 7.4% हो गई।
- स्वास्थ्य व्यय में रुझान:
- स्वास्थ्य के लिये सामाजिक सुरक्षा व्यय सत्र 2017-18 में 9% से घटकर सत्र 2021-22 में 8.7% हो गया।
- सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सरकारी स्वास्थ्य व्यय सत्र 2017-18 में 1.35% से बढ़कर 2021-22 में 1.84% हो गया। (लक्ष्य: वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद का 2.5%)
- सत्र 2017-18 और सत्र 2021-22 के दौरान प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य व्यय लगभग दोगुना हो गया।
- NHA अनुमान एक वार्षिक प्रकाशन है जो भारत में स्वास्थ्य देखभाल व्यय का अनुमान प्रदान करता है।
- इसमें बताया गया है कि भारत की स्वास्थ्य सेवा तंत्र में धन का प्रवाह किस प्रकार होता है, इसे किस प्रकार खर्च किया जाता है, स्वास्थ्य सेवा कैसे प्रदान की जाती है, तथा किस प्रकार की सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
- आधारित – 'स्वास्थ्य लेखा प्रणाली (SHA), 2011' (WHO द्वारा)।
- प्रकाशितकर्त्ता – राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (NHSRC)।
परम रुद्र सुपरकंप्यूटर
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में, प्रधानमंत्री ने उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) में आत्मनिर्भरता के लिये भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए तीन PARAM रुद्र सुपर कंप्यूटरों को वर्चुअली लॉन्च किया।
- सुपर कंप्यूटर पुणे, दिल्ली और कोलकाता में तैनात किये गए हैं:
- पुणे: जायंट मीटर रेडियो टेलीस्कोप (GMRT) का उपयोग फास्ट रेडियो बर्स्ट (FRB) जैसी खगोलीय घटनाओं के अन्वेषण के लिये किया जाएगा।
- तीव्र रेडियो प्रस्फुटन विद्युत चुंबकीय विकिरण (प्रकाश) का एक प्रदीप्त और संक्षिप्त विस्फोट है जो रेडियो-तरंग आवृत्तियों में देखा जाता है।
- दिल्ली: अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र (IUAC) द्वारा इसका उपयोग पदार्थ विज्ञान और परमाणु भौतिकी में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये किया जाएगा।
- कोलकाता: एस.एन. बोस सेंटर द्वारा इसका उपयोग भौतिकी, अंतरिक्ष विज्ञान और पृथ्वी विज्ञान में अनुसंधान के लिये किया जाएगा।
- पुणे: जायंट मीटर रेडियो टेलीस्कोप (GMRT) का उपयोग फास्ट रेडियो बर्स्ट (FRB) जैसी खगोलीय घटनाओं के अन्वेषण के लिये किया जाएगा।
- PARAM रुद्र सुपरकंप्यूटर राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) का हिस्सा हैं।
- NSM के संदर्भ में: इसका उद्देश्य पूरे भारत में उन्नत कंप्यूटिंग प्रणालियों का एक नेटवर्क बनाना है।
- यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के बीच एक सहयोग है ।
- सुपरकंप्यूटर उन्नत कंप्यूटिंग प्रणालियाँ हैं जिन्हें जटिल और डेटा-गहन कार्यों के प्रबंधन के लिये डिज़ाइन किया गया है जिनके लिये महत्त्वपूर्ण कंप्यूटेशनल क्षमता की आवश्यकता होती है।
अधिक पढ़ें: राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM)
सेल फोन में आपातकालीन चेतावनी संदेश
स्रोत: बीएस
हाल ही में दूरसंचार विभाग (DoT) ने अनिवार्य किया है कि भारत में सभी फीचर फोन में हिंदी और अंग्रेज़ी में आपातकालीन संदेशों को ऑटो-रीडआउट करना अनिवार्य होगा। इस आदेश ने मोबाइल निर्माताओं के बीच चिंता उत्पन्न कर दी है।
- फीचर फोन बेसिक सेल फोन की तुलना में अधिक सुविधाएँ प्रदान करते हैं लेकिन स्मार्टफोन जितने उन्नत नहीं होते हैं।
- दूरसंचार विभाग के आदेश का मुख्य प्रावधान:
- भारत में बेचे जाने वाले सभी फोनों को हिंदी और अंग्रेज़ी में आपातकालीन संदेशों के ऑटो-रीडआउट करना अनिवार्य होगा, साथ ही निर्माताओं को पूर्ण भाषा समर्थन प्राप्त होने तक प्रत्येक वर्ष चार अतिरिक्त भारतीय भाषाओं के लिये समर्थन जोड़ना होगा।
- मानक स्थितियों के तहत फोनों में चेतावनी संकेत (साउंड, वाइब्रेशन, लाइट) 30 सेकंड तक तथा ऑटो-रीडआउट वाले संदेशों के लिये 15 सेकंड तक या यूज़र द्वारा स्वीकार किये जाने तक बने रहने चाहिये।
- फोन निर्माताओं की चिंताएँ:
- फीचर फोन में टेक्स्ट-टू-ऑडियो रूपांतरण के लिये पर्याप्त मेमोरी का अभाव होता है।
- नई आवश्यकताओं से उत्पादन लागत बढ़ेगी।
- फोन का रिडिज़ाइन करने से उत्पादन समयसीमा प्रभावित होगी।
- छोटे भारतीय ब्रांडों को भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी (आपदा अलर्ट के लिये सेल ब्रॉडकास्टिंग सेवा) अधिनियम, 2023 का अनुपालन करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनकी बाज़र स्थिति खतरे में पड़ सकती है।
- अधिनियम में यह प्रावधान है कि सेल प्रसारण क्षमता के बिना भारत में किसी भी स्मार्टफोन या फीचर फोन का निर्माण या बिक्री नहीं की जा सकती।
अधिक पढ़ें: आपातकालीन चेतावनी प्रणाली
न्यूनतम मज़दूरी में वृद्धि
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में, केंद्र सरकार ने कृषि और औद्योगिक श्रमिकों के लिये केंद्रीय न्यूनतम मज़दूरी में वृद्धि की है।
- यह वृद्धि न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के तहत की गई है, जो केंद्र और राज्य सरकारों को न्यूनतम मज़दूरी तय करने, समीक्षा करने तथा संशोधित करने का अधिकार देता है।
- न्यूनतम या फ्लोर वेतन वह न्यूनतम पारिश्रमिक है जो नियोक्ताओं को अपने श्रमिकों को देने के लिये कानूनी रूप से आवश्यक है।
- सरकार वर्ष में दो बार न्यूनतम मज़दूरी दरों में संशोधन करती है।
- ये समायोजन औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) से जुड़े हैं।
- CPI-IW एक निश्चित समयावधि में औद्योगिक श्रमिकों द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की निश्चित टोकरी की खुदरा कीमतों में सापेक्ष परिवर्तन को मापता है ।
- श्रम और रोज़गार मंत्रालय का श्रम ब्यूरो CPI-IW जारी करता है।