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भारत में कम आयु वाले बच्चों में कैंसर को लेकर बढ़ती चिंता

  • 27 Jan 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, कैंसर, कैंसर के प्रकार, नेशनल कैंसर ग्रिड, राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस

मेन्स के लिये:

कैंसर की रोकथाम, भारत में कम आयु वाले बच्चों में कैंसर, कैंसर की रोकथाम के लिये की गई पहल।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

भारत में कम आयु वाले बच्चों में कैंसर एक उभरती हुई प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है, जिसमें कैंसर रोगियों की उल्लेखनीय संख्या 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों की है।

  • इंडिया पीडियाट्रिक जर्नल में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन भारत में कम आयु वाले बच्चों में कैंसर की व्यापकता, प्रकार और चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।

अध्ययन के प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • अध्ययन विवरण और डेटा:
    • यह अध्ययन राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (NCRP) के भारत में कम आयु वाले बच्चों में कैंसर से संबंधित सबसे बड़े डेटासेट पर आधारित है।
  • भारत में कैंसर के मामले (2012-2019):
    • भारत में वर्ष 2012 से 2019 के बीच कैंसर के मामले 1,332,207 दर्ज किये गए।
      • इनमें से लगभग 3.2% और 4.6% मामले क्रमशः 0-14 वर्ष तथा 0-19 वर्ष आयु वर्ग से संबंधित थे।
      • भारत में सभी कैंसर रोगियों में से 3% से अधिक मरीज़ 15 वर्ष से कम उम्र के हैं; 4.6% मरीज़ 20 से कम उम्र के।
    • 0-4 और 5-9 आयु वर्ग में कैंसर के सभी मामलों में क्रमशः 42.1% और 42.5% ल्यूकीमिया के कारण होते हैं।
  • विभिन्न आयु समूहों में कैंसर:
    • कम आयु वाले बच्चों में कैंसर के तीसरे संस्करण के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण के आधार पर इसे 0-14 और 0-19 वर्ष के दो आयु समूहों में विभाजित किया गया है।
      • 0-19 वर्ष के आयु वर्ग में, प्रमुखतः ल्यूकीमिया (36%), लिम्फोमा (12%), अस्थि (11%) और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र ट्यूमर (10%) हैं।
      • 0-14 वर्ष के आयु वर्ग में कैंसर के चार प्रमुख समूह ल्यूकीमिया (40%), लिम्फोमा (12%), केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) ट्यूमर (11%) और अस्थि का कैंसर (8%) हैं।
  • नॉन-हॉजकिन लिंफोमा और लैंगिक आधार पर भिन्नताएँ:
    • नॉन-हॉजकिन लिंफोमा हार्मोनल और जैविक परिवर्तनों से संबंधित है, यह उम्र के साथ बढ़ता है, खासकर पुरुषों में।
    • अध्ययन के अनुसार, अस्थि के ट्यूमर लड़कियों को अधिक नुकसान पहुँचाते हैं क्योंकि उनमें अस्थि-पंजर पहले ही परिपक्व हो जाते हैं।
  • लैंगिक असमानताएँ और सामाजिक निर्धारक:
    • अध्ययन में बताए गए आयु वर्गों में कैंसर पीड़ितों में अधिक संख्या लड़कों की होती है, इसका कारण है कि उनके जन्म को लड़कियों के जन्म की तुलना में अधिक प्राथमिकता दिया जाना तथा लैंगिक भेदभाव है।
      • कैंसर रजिस्ट्री में लैंगिक असमानता निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में रिपोर्ट किये गए आँकड़ों को प्रतिबिंबित करती है, इसका कारण महिला साक्षरता दर में कमी को बताया गया है।
        • विश्व स्तर पर कैंसर के मामलों में से 90% मामले निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रिपोर्ट किये जाते हैं, किंतु बाल चिकित्सा कैंसर अनुसंधान के लिये उन्हें 0.1% से भी कम वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • भारत में CNS ट्यूमर रजिस्ट्रीकरण में चुनौतियाँ:
    • भारत में CNS ट्यूमर का इलाज समर्पित कैंसर केंद्रों के बजाय मल्टीस्पेशलिटी अस्पतालों में न्यूरोसर्जिकल केंद्रों में किया जा सकता है।
    • NCRP वर्तमान में केवल 'दुर्दम' (जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ग्रेड 3 और 4 के रूप में परिभाषित किया गया है) CNS ट्यूमर्स को पंजीकृत करता है।
  • कैंसर के प्रकारों में वैश्विक असमानताएँ:
    • द लैंसेट ऑन्कोलॉजी (2017) के एक अध्ययन के अनुसार ल्यूकीमिया तथा अस्थि के कैंसर के मामलों का अनुपात भारत की तुलना में वैश्विक स्तर पर अधिक है।
    • इसके अतिरिक्त CNS ट्यूमर के मामलों का अंतर्राष्ट्रीय वितरण (17-26%) भी भारत की तुलना में अधिक है।

प्रमुख शब्दावली:

  • कैंसर:
    • यह एक जटिल और व्यापक शब्द है जिसका उपयोग शरीर में असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि तथा संचरण से होने वाली बीमारियों के एक समूह का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
      • ये असामान्य कोशिकाएँ, जिन्हें कैंसर कोशिकाएँ कहा जाता है, स्वस्थ ऊतकों और अंगों पर आक्रमण करने तथा उन्हें नष्ट करने की क्षमता रखती हैं।
    • एक स्वस्थ शरीर में कोशिकाएँ विनियमित तरीके से विकसित होती हैं, विभाजित होती हैं और नष्ट हो जाती हैं, जिससे ऊतकों तथा अंगों के सामान्य कार्यान्वयन की अनुमति मिलती है।
      • हालाँकि कैंसर के मामले में कुछ आनुवंशिक उत्परिवर्तन या असामान्यताएँ इस सामान्य कोशिका चक्र को बाधित करती हैं, जिससे कोशिकाएँ विभाजित होती हैं और अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं।
  • ल्यूकीमिया:
    • ल्यूकीमियाश्वेत रक्त कोशिकाओं का कैंसर है जो अस्थि मज्जा में शुरू होता है।
    • ल्यूकीमिया अस्थि मज्जा तथा लसीका (lymphatic) तंत्र सहित शरीर के रक्त उत्पादन करने वाले ऊतकों से संबंधित कैंसर है।
      • लसीका तंत्र वाहिकाओं, ऊतकों तथा अंगों का एक जाल है जो शरीर में द्रव संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
  • लिंफोमास:
    • लिंफोमा लसीका तंत्र की कोशिकाओं में शुरू होने वाले कैंसर को संदर्भित करने वाला एक शब्द है।
      • लिंफोमा के दो मुख्य प्रकार हैं जिनमें हॉजकिन (Hodgkin) लिंफोमा (हॉजकिन रोग) तथा गैर-हॉजकिन लिंफोमा (Non-Hodgkin lymphoma- NHL) शामिल हैं।
      • हॉजकिन लिंफोमा का उपचार किया जा सकता है। NHL का उपचार कैंसर के प्रकार पर निर्भर करता है।
    • ल्यूकीमिया तथा लिंफोमा दोनों लिंफोसाइटों में उत्पन्न होते हैं। हालाँकि ल्यूकीमिया आमतौर पर अस्थि मज्जा में उत्पन्न होता है तथा रक्तप्रवाह के माध्यम से संचारित होता है जबकि लिंफोमा आमतौर पर लिम्फ नोड्स अथवा प्लीहा (Spleen) में उत्पन्न होता है एवं लसीका तंत्र के माध्यम से फैलता है।
  • अस्थि कैंसर:
    • यह अस्थि में असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित स्थिति को दर्शाता है। यह सामान्य अस्थि के ऊतकों को नष्ट कर देता है।
    • इस प्रकार की अस्थि का कैंसर अमूमन बच्चों तथा युवा वयस्कों में पैर अथवा बाँह की अस्थियों में होता है।
  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) ट्यूमर:
    • मस्तिष्क अथवा रीढ़ की अस्थि में असामान्य कोशिकाओं के उत्पन्न होने से ट्यूमर/अबुर्द होता है।
    • CNS ट्यूमर के दो प्रकार हो सकते हैं जिनमें दुदर्म (Malignant) अथवा सुदम (Benign) शामिल है। दोनों स्थिति में ही चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है।
      • कैंसरयुक्त ट्यूमर दुदर्म होता है जिसका अर्थ है कि यह तेज़ी से बढ़ सकता है तथा शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है।
      • सुदम ट्यूमर का अर्थ है कि ट्यूमर फैलने की गति धीमी होगी तथा यह शरीर के अन्य भागों को प्रभावित नहीं करेगा।

कैंसर के उपचार से संबंधित भारत की पहल क्या हैं?

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