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सामाजिक न्याय

भारत में कैंसर के मामले और उपचार

  • 23 Oct 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सर्वाइकल कैंसर, जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्रीज़ (PBCR), द लैंसेट, राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान और अनुसंधान केंद्र, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR)

मेन्स के लिये:

भारत में विभिन्न प्रकार के कैंसर के बढ़ते मामले और स्वास्थ्य क्षेत्र पर इसका प्रभाव    

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथ-ईस्ट एशिया में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि पूरे भारत में सर्वाइकल कैंसर के रोगियों के जीवित रहने की दर में महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय असमानताएँ मौजूद है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:

  • उत्तरजीविता दर:
    • भारत में वर्ष 2012 और 2015 के दौरान सर्वाइकल कैंसर के लगभग 52 प्रतिशत मरीज़ों का सफलतापूर्वक उपचार किया गया।
  • सभी क्षेत्रों में भिन्नताएँ: 
    • अध्ययन में भाग लेने वालों में अहमदाबाद के शहरी PBCR ने सर्वाधिक 61.5% उत्तरजीविता दर प्रदर्शित की, इसके बाद तिरुवनंतपुरम में 58.8% और कोल्लम में 56.1% उत्तरजीविता दर दर्ज की गई। इसके विपरीत त्रिपुरा में न्यूनतम उत्तरजीविता दर (31.6%) दर्ज की गई। 
  • क्षेत्रीय असमानताओं में योगदान देने वाले कारक:
    • अध्ययन में कहा गया है कि नैदानिक सेवाओं तक पहुँच, प्रभावी उपचार, नैदानिक ​​देखभाल सुविधाओं से दूरी, यात्रा लागत, सह-रुग्णताएँ और गरीबी जैसे कारकों ने उत्तरजीविता दर को प्रभावित किया।

सर्वाइकल कैंसर:

  • सर्वाइकल कैंसर अर्थात् गर्भाशय ग्रीवा कैंसर महिला के गर्भाशय ग्रीवा (योनि से गर्भाशय का प्रवेश द्वार) में होने वाला एक प्रकार का कैंसर है।
  • सर्वाइकल कैंसर के लगभग सभी मामले (99 प्रतिशत) उच्च जोखिम वाले ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) के संक्रमण से जुड़े हैं, जो यौन संपर्क के माध्यम से फैलने वाला वायरस है।
  • दो HPV प्रकार (16 और 18) लगभग 50 प्रतिशत उच्च श्रेणी के सर्वाइकल प्री-कैंसर के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • वैश्विक स्तर पर महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर चौथा सबसे सामान्य कैंसर है। वर्ष 2020 में विश्व में इसके लगभग 90 प्रतिशत नए मामले और मृत्यु निम्न तथा मध्यम आय वाले देशों में हुईं।
  • व्यापक सर्वाइकल कैंसर के नियंत्रण में प्राथमिक रोकथाम (HPV टीकाकरण), माध्यमिक रोकथाम (कैंसर पूर्व घावों की जाँच और उपचार), तृतीयक रोकथाम (आक्रामक सर्वाइकल कैंसर का निदान व उपचार) तथा प्रशामक देखभाल शामिल हैं।

कैंसर के उपचार के दौरान स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के समक्ष चुनौतियाँ: 

  • कैंसर की विविधताएँ: कैंसर कोई एक बीमारी नहीं है बल्कि बीमारियों का एक समूह है जो असामान्य कोशिकाओं के अनियंत्रित विभाजन और वृद्धि की विशेषता है। कैंसर की विविधता इसके लिये एक सार्वभौमिक उपचार ढूँढना चुनौतीपूर्ण बनाती है, क्योंकि प्रत्येक प्रकार के उपचार के लिये एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता हो सकती है।
  • विलंब से निदान: अधिकतर कैंसर के मामलों का निदान बीमारी के उन्नत अर्थात् अंतिम चरण में किया जाता है, जिससे पूर्ण इलाज की संभावना कम हो जाती है। रोग का शीघ्र पता लगाने के तरीके खोजना और सार्वजनिक जागरूकता इस दिशा में महत्त्वपूर्ण हैं लेकिन कई क्षेत्रों में प्रायः इसकी कमी देखी जाती है।
  • उपचार विषाक्तता: पारंपरिक कैंसर उपचार, जैसे; कीमोथेरेपी और विकिरण थेरेपी के गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जो रोगी के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं। कम दुष्प्रभावों के साथ लक्षित उपचार विकसित करना एक चुनौती है।
  • उपचार के प्रति प्रतिरोध: कुछ कैंसर समय के साथ उपचार के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं, जिससे उपचार करना कठिन हो जाता है। प्रतिरोध पर काबू पाने के लिये रणनीति को विकसित करना एक प्रमुख चुनौती है।
  • उपचार की लागत: कैंसर का उपचार अत्यधिक महँगा होता है और सभी मरीज़ इसे वहन भी नहीं कर सकते। कैंसर की दवाओं और उपचार की उच्च लागत कैंसर के उपचार में एक बहुत बड़ी बाधा है।
  • देखभाल तक अभिगम का अभाव: कई क्षेत्रों, विशेष रूप से कम आय वाले देशों में कैंसर देखभाल सुविधाओं और विशेषज्ञों तक अभिगम का अभाव है। यह कैंसर के परिणामों में क्षेत्रीय असमानताओं में योगदान देता है।
    • इसके अतिरिक्त कानून और योजनाओं के तहत अपने अधिकारों एवं दायित्वों को लेकर मरीज़ों में जागरूकता की कमी तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये अपर्याप्त प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण से समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
  • विशिष्ट देखभाल की सीमित उपलब्धता: नवीनतम तकनीक एवं कुशल स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों से सुसज्जित विशिष्ट कैंसर देखभाल केंद्र केवल शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित हैं जिससे ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्र वंचित रह जाते हैं।
  • कलंक और भय: सांस्कृतिक और सामाजिक कलंक के कारण निदान एवं उपचार में देरी हो सकती है, क्योंकि मरीज़ डर, शर्म या गलत सूचना के कारण सहायता लेने से बचते हैं।

देश में कैंसर उपचार व देखभाल में क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने के उपाय:

  • जागरूकता और शिक्षा: कैंसर की रोकथाम, बीमारी के बारे में शीघ्र पता लगाने और उपलब्ध उपचारों के बारे में जन जागरूकता अभियान शुरू करना चाहिये। इन अभियानों को विभिन्न क्षेत्रों और भाषाओं के अनुरूप बनाया जाना चाहिये।
  • निवारक उपाय: स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देना, तंबाकू के उपयोग को कम करना तथा नियमित जाँच और टीकाकरण (उदाहरण के लिये सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिये HPV वैक्सीन) के महत्त्व पर ज़ोर देना।
  • प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को सुदृढ़ बनाना: वंचित क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता और पहुँच में सुधार करना। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों का एक नेटवर्क विकसित करना जो संभावित कैंसर के मामलों की पहचान कर उन्हें संदर्भित कर सके।
  • टेलीमेडिसिन: दूरदराज़ के क्षेत्रों में कैंसर परामर्श एवं शिक्षा प्रदान करने के लिये टेलीमेडिसिन और मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों का उपयोग करना, इससे मरीज़ों को विशेषज्ञ की राय तथा मार्गदर्शन प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है।
  • सरकारी पहल: राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम जैसी सरकार प्रायोजित कैंसर देखभाल पहलों को लागू करना और वित्त पोषित करना। वंचित क्षेत्रों में कैंसर उपचार केंद्रों के निर्माण और उन्नयन के लिये संसाधन आवंटित करना।
  • रियायती उपचार: सरकारी योजनाओं और बीमा कार्यक्रमों के माध्यम से, मुख्यतः आर्थिक रूप से वंचित रोगियों के लिये, कैंसर के उपचार हेतु सब्सिडी प्रदान करना।
  • अनुसंधान और विकास: लागत प्रभावी उपचार एवं निदान विकसित करने के लिये कैंसर अनुसंधान और नवाचार में निवेश करना। सरकार, शिक्षा जगत और निजी क्षेत्र के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित करना।
  • सामुदायिक सहभागिता: जागरूकता अभियानों और सहायता सेवाओं में स्थानीय समुदायों एवं गैर सरकारी संगठनों को शामिल करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)

  1. टैक्सस वृक्ष प्राकृतिक रूप से हिमालय में पाया जाता है।
  2. टैक्सस वृक्ष रेड डेटा बुक में सूचीबद्ध है।
  3. "टैक्सोल" नामक दवा टैक्सस के पेड़ों से प्राप्त की जाती है और पार्किंसंस रोग के निवारण हेतु प्रभावी है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (B)

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