नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

एडिटोरियल


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत और उन्नत कम्प्यूटिंग तकनीक

  • 13 Jun 2022
  • 12 min read

यह एडिटोरियल 10/06/2022 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित ‘‘In an Era of Cyber Wars, India Needs A Fortified Computing Ecosystem’’ लेख पर आधारित है। इसमें सुपरकंप्यूटर और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाने के संबंध में भारत की पहल और इससे जुड़ी चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

21वीं सदी को सूचना प्रौद्योगिकी से संचालित सदी के रूप में चिह्नित किया गया है जहाँ भारत वैश्विक आकर्षण के केंद्र में होने की स्थिति रखता है और इसे ‘नॉलेज पावरहाउस’ माना जाता है।

उन्नत तंत्र ने कंप्यूटिंग के क्षेत्र पर अधिकार जमा लिया है जहाँ सरकार और निजी कंपनियाँ आर्थिक और रणनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिये स्वदेशी कंप्यूटिंग शक्ति को बढ़ाने के एक ‘हाई-स्टेक’ दौड़ में शामिल हैं।

अब जबकि भारत का डेटा प्रोडक्शन अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर है, उन्नत कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर कम्प्यूटेशनल क्षमताओं में सुधार लाने की आवश्यकता है।

उन्नत कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी - भारत ने कितनी प्रगति की है?

  • राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन: राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM), 2015 इस संबंध में भारत सरकार द्वारा उठाया गया पहला कदम था।
    • यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा संयुक्त रूप से वित्तपोषित कार्यक्रम है।
    • इसका मुख्य उद्देश्य सुपर कंप्यूटर के विकास में अनुसंधान को बढ़ावा देना और एक राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग ग्रिड का निर्माण करना है।
      • मई, 2022 तक की स्थिति के अनुसार भारत के पास सार्वजनिक रूप से घोषित 15 सुपरकंप्यूटर हैं जो 24 पेटाफ्लॉप्स की संयुक्त निष्पादन क्षमता रखते हैं।
    • NSM ने हाल ही में आईआईटी रुड़की में ‘परम गंगा’ (PARAM Ganga) नामक उच्च प्रदर्शन कम्प्यूटेशनल (HPC) सुविधा स्थापित की है।
      • मिशन के अंतर्गत एनआईटी तिरुचिरापल्ली में ‘परम पोरुल’ (PARAM PORUL) नामक एक अत्याधुनिक सुपरकंप्यूटर का भी अनावरण किया गया है।
      • परम सिद्धि-एआई (PARAM Siddhi-AI) NSM के तहत निर्मित भारत का सबसे तेज़ सुपरकंप्यूटर है।
  • क्वांटम कंप्यूटिंग: वर्ष 2018 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने क्वांटम-सक्षम विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Quantum-Enabled Science & Technology- QuEST) नामक एक कार्यक्रम का अनावरण किया और अनुसंधान में तेज़ी लाने के लिये अगले तीन वर्षों में 80 करोड़ रुपए के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है।
    • वर्ष 2020 के बजट संभाषण में भारत की वित्त मंत्री ने देश में क्वांटम उद्योग के सशक्तीकरण के लिये अगले पाँच वर्षों में 8000 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ क्वांटम तकनीक एवं उसके अनुप्रयोग पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Quantum Technologies and Applications- NM-QTA) की घोषणा की।
    • वर्ष 2021 में सरकार ने स्वदेशी रूप से विकसित क्वांटम कुंजी वितरण (Quantum Key Distribution- QKD) समाधान का अनावरण किया।
    • भारत का घरेलू निजी क्षेत्र भी क्वांटम कंप्यूटिंग हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और एल्गोरिदम के विकास में संलग्न रहा है।

भारत में इन तकनीकों को अपनाने से संबद्ध चुनौतियाँ

  • धीमी विकास दर: हालाँकि भारत में सुपर कंप्यूटरों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है, विश्व के शीर्ष 500 सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटरों के वितरण को देखें तो कुल में भारत की हिस्सेदारी मात्र6% है।
    • भारत को सुपरकंप्यूटरों का एक इंटरकनेक्टेड ग्रिड विकसित करने से पहले अभी लंबा रास्ता तय करना है।
  • विधायी प्रक्रियाओं में धीमी प्रगति: NM-QTA की घोषणा वर्ष 2020 के बजट भाषण में की गई थी लेकिन मिशन को अभी तक अनुमोदन नहीं मिला है, न ही वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान NM-QTA के तहत कोई धन आवंटित, वितरित या उपयोग किया गया।
  • निजी क्षेत्र की सीमित भागीदारी: केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने यह भी बताया कि NM-QTA के लिये अभी तक किसी भी निजी क्षेत्र के भागीदार की पहचान नहीं की गई है, न ही राष्ट्रीय मिशन के संबंध में परामर्श के लिये सरकार से बाहर के किसी भी व्यक्ति/एजेंसी से कोई संपर्क किया गया है।
    • सरकार को इन कंपनियों द्वारा की गई प्रगति को चिह्नित करना चाहिये।
  • विदेशी कच्चे माल पर निर्भरता: उन्नत कंप्यूटिंग सुविधाओं के निर्माण की क्षमता कच्चे माल पर टिकी हुई है।
    • पूरी प्रणाली का पूर्णतः स्वदेशी रूप से निर्माण करना असंभव ही होगा। इसी संदर्भ में फिर हाई-टेक आयात पर निर्भरता रखनी होती है।
    • इसके अलावा, व्यापार बाधाएँ, निर्यात नियंत्रण तंत्र और आयात प्रतिबंध, इन प्रणालियों के निर्माण खंडों तक पहुँच को बाधित कर सकते हैं।

किन क्षेत्रों में कार्य किये जाने की आवश्यकता है?

  • बेहतर नीति निर्माण और विनियमन: अगले 10-15 वर्षों के लिये एक व्यापक रणनीति विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये, जहाँ यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि संसाधनों का कोई गलत आवंटन न हो और किये जा रहे प्रयास उन प्रमुख क्षेत्रों में केंद्रित हों जो आर्थिक और रणनीतिक लाभ दोनों प्रदान करें।
    • अकादमिक संस्थानों के साथ-साथ सरकारी शोध संस्थानों के भीतर ऐसी उन्नत कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों के लिये समर्पित उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना पर प्राथमिक ध्यान दिया जाना चाहिये।
    • भारत सरकार के अधिकांश परिव्यय को ऐसे संस्थानों में उपयोग किया जाना चाहिये। यह दो तरह से लाभांश का भुगतान कर सकता है:
      • यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण बौद्धिक संपदा (IP) अवसंरचना के निर्माण में मदद करेगा जिसका उपयोग देश के लाभ के लिये किया जा सकता है।
      • अनुसंधान एवं शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने से प्रतिभा पूल में भी सुधार होगा और यह घरेलू प्रौद्योगिकी कार्यबल को प्रबल करेगा।
  • टेक-ट्रेडमें उदारीकरण: सुपरकंप्यूटर के लिये उन्नत प्रोसेसर और क्वांटम कंप्यूटर के लिये क्रायोजेनिक कूलिंग सिस्टम एक प्रमुख आवश्यकता है। लेकिन स्वदेशी रूप से इन्हें विकसित किये जाने में समय लगेगा।
    • सूचना प्रौद्योगिकी समझौते (Information Technology Agreement) जैसे बहुपक्षीय व्यापार समझौतों को अपनाने के साथ-साथ आयात शुल्क में कटौती करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिये।
    • एक उदार प्रौद्योगिकी व्यापार नीति की ओर आगे बढ़ने से देश को अपने कंप्यूटिंग कार्यक्रम में तेज़ी लाने में मदद मिल सकती है।
  • राष्ट्रव्यापी कंप्यूटिंग ग्रिड: चीन का राष्ट्रीय कंप्यूटिंग नेटवर्क देश भर में डेटा केंद्रों और कंप्यूटिंग क्लस्टरों के निर्माण हेतु एक भौगोलिक दृष्टिकोण रखता है। भारत में भी कंप्यूटिंग अवसंरचना के विकास के लिये इसके ब्लूप्रिंट से प्रेरणा ली जा सकती है।
    • चीन में ‘ईस्टर्न डेटा एंड वेस्टर्न कंप्यूटिंग’ की अवधारणा प्रस्तावित की गई है जिसमें प्रौद्योगिकी-संरेखित देश के पूर्वी भाग में अवस्थित केंद्रों में संग्रहीत डेटा के प्रबंधन के लिये देश के कम विकसित पश्चिमी भागों में कंप्यूटिंग अवसंरचना का निर्माण करना शामिल है ।
    • भारत में कंप्यूटिंग ग्रिड भी ऐसे ही एक पैटर्न का अनुसरण कर सकता है। सरकार ने अब तक कंप्यूटिंग सिस्टम के मेजबान के रूप में शैक्षणिक अनुसंधान संस्थानों पर ही ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन अब उसे इन सुविधाओं के प्रसार पर विचार करना चाहिये।
      • एक बेहतर नेटवर्क के निर्माण से एक उन्नत कंप्यूटिंग ग्रिड के कार्यकरण में सुधार होगा और यह वृहत स्तर पर डेटा प्रोसेसिंग को आसानी से संभाल सकेगा।
  • सैन्य दृष्टिकोण से कंप्यूटिंग को आगे बढ़ाना: भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी अपनी कंप्यूटिंग रणनीति पर ध्यान देना चाहिये।
    • भारत की कंप्यूटिंग शक्ति को सैन्य दृष्टिकोण से विकसित करना आवश्यक है; यह सेना को उन्नत बनाने में सहयोग देगा और कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी में सुधार करेगा।
      • सूचना युद्ध और सीमा-पार से साइबर सुरक्षा खतरों के इस युग में वर्द्धित कम्प्यूटेशनल क्षमता एक आवश्यक जोखिम-शमन साधन है।
    • नौसैनिक अड्डों, वायु कमान नियंत्रण केंद्रों और सीमा चौकियों जैसे रणनीतिक परिवेशों में उन्नत कंप्यूटिंग सुविधाओं का होना महत्त्वपूर्ण सैन्य खुफिया सूचनाओं से संबंधित डेटा के तेज़ विश्लेषण और रियल-टाइम प्रसंस्करण में मदद कर सकता है।

अभ्यास प्रश्न: भारत में उन्नत प्रौद्योगिकियों (सुपरकंप्यूटरों की स्थापना, क्वांटम कंप्यूटिंग) को अपनाने से संबद्ध प्रमुख चुनौतियाँ कौन-सी हैं। इनके अंगीकरण में तेज़ी लाने के लिये उठाए जा सकने वाले कदमों की चर्चा कीजिये।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow