प्रारंभिक परीक्षा
सोलर जेट
- 09 Mar 2022
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भारतीय तारा भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics- IIA) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में सूर्य के क्रोमोस्फीयर में प्लाज़्मा जेट के पीछे के विज्ञान का पता लगाया है।
- क्रोमोस्फीयर वायुमंडलीय परत है जो कि सूर्य की दिखाई देने वाली सतह के ठीक ऊपर होती है।
- IIA भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त संस्थान है।
सोलर जेट या स्पिक्यूल्स क्या हैं?
- सोलर जेट या स्पिक्यूल्स, पतली घास जैसी प्लाज़्मा संरचनाओं के रूप में दिखाई देते हैं जो सतह से लगातार ऊपर उठते रहते हैं और फिर गुरुत्त्वाकर्षण द्वारा नीचे लाए जाते हैं।
- इन स्पिक्यूल्स द्वारा वहन की जाने वाली ऊर्जा की मात्रा और गति सौर प्लाज़्मा भौतिकी में मौलिक रुचि का विषय है।
- जिन प्रक्रियाओं द्वारा सौर पवन को प्लाज़्मा की आपूर्ति की जाती है और सौर वायुमंडल एक मिलियन डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाता है, उनके बारे में अभी तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
सूर्य की संरचना
वैज्ञानिकों के निष्कर्ष:
- जब किसी तरल पदार्थ को स्पीकर के ऊपर रखा जाता है तथा संगीत चालू किया जाता है, तो तरल पदार्थ की मुक्त सतह अस्थिर हो जाती है और यह कंपन करना शुरू कर देती है।
- सौर प्लाज़्मा की परिकल्पना चुंबकीय क्षेत्र लाइन्स के रूप में भी की जा सकती है जो कि काफी हद तक पॉलिमर विलयन/घोल में लंबी शृंखलाओं की तरह होती हैं।
- वैज्ञानिकों ने यह पाया कि एक स्पीकर पर पेंट जेट्स के संदीप्त होने की प्रक्रिया में अंतर्निहित भौतिकी सौर प्लाज़्मा जेट्स की भौतिकी के समरूप ही है।
- वैज्ञानिकों ने विस्तार पूर्वक यह बताया कि दिखाई देने वाली सौर सतह (फोटोस्फीयर) के ठीक नीचे प्लाज़्मा संवहन की स्थिति में होता है जो कि निचली सतह पर किसी बर्तन में उबलते हुए गर्म पानी के समान प्रतीत होता है।
- यह गर्म-सघन कोर में परमाणु ऊर्जा द्वारा संचालित होता है।
प्लाज़्मा क्या है?
- प्लाज़्मा एक गर्म, आवेशित गैस है जो धनात्मक आयनों और मुक्त गति वाले इलेक्ट्रॉनों से मिलकर बनी होती है। इसमें ठोस, द्रव और गैसों से अलग अद्वितीय गुण होते हैं।
- उच्च तापमान पर इलेक्ट्रॉन परमाणु के नाभिक से अलग हो जाते हैं और प्लाज़्मा या पदार्थ की आयनित अवस्था बन जाते हैं।
- प्लाज़्मा को पदार्थ की चौथी अवस्था के रूप में भी जाना जाता है।