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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

आपातकालीन चेतावनी प्रणाली

  • 15 Nov 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में आपातकालीन चेतावनी प्रणालियाँ, चक्रवात, बाढ़, भूस्खलन, भूकंप

मेन्स के लिये:

भारत की आपातकालीन चेतावनी प्रणालियों के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ, आपदा और आपदा प्रबंधन

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 3 नवंबर, 2023 को नेपाल में आए 6.4 तीव्रता के भूकंप तथा उसके बाद के झटके (आफ्टरशॉक) ने दिल्ली तथा उसके आसपास आपातकालीन चेतावनी प्रणालियों की गंभीर कमियों को उजागर किया है।

  • संबद्ध क्षेत्र में भूकंप के झटके के दौरान सरकारी एवं निजी चेतावनी तंत्र भूकंप वाले क्षेत्रों के लोगों को सचेत करने में असफल रहे।
  • आपातकालीन चेतावनी प्रणालियाँ ऐसी व्यवस्थाएँ हैं जो भूकंप, चक्रवात, बाढ़, भूस्खलन आदि जैसी आसन्न अथवा चल रही आपदाओं की प्रारंभिक चेतावनी एवं अधिसूचना प्रदान करती हैं।

भारत में आपातकालीन चेतावनी प्रणालियाँ क्या हैं?

  • गूगल की एंड्रॉइड भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली: 
    • यह एक ऐसी सुविधा है जो भूकंपीय गतिविधि का पता लगाने तथा संभावित भूकंपों के बारे में उपयोगकर्त्ताओं को सचेत करने के लिये एंड्रॉइड स्मार्टफोन में सेंसर का उपयोग करती है।
      • यह भूकंप का पता लगाने एवं विश्लेषण को बेहतर बनाने के लिये डेटा एकत्र कर उसे भूकंप विज्ञान एजेंसियों के साथ साझा करती है।
    • Google ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के सहयोग से भारत में यह सुविधा सितंबर 2023 में लॉन्च की थी।
    • Google की चेतावनी प्रणाली संशोधित मरकली तीव्रता (Modified Mercalli Intensity- MMI) परिमापक के माध्यम से कार्य करती है, जो रिक्टर स्केल का एक विकल्प है।
      • MMI परिमापक किसी विशिष्ट स्थान पर भूकंप के प्रभाव को मापता है। यह भूकंप के प्रभावों का वर्णन करता है, जिसमें लोगों के अनुभव के साथ इमारतों व वस्तुओं की स्थिति शामिल होती है।
        • MMI परिमापक रिक्टर स्केल से भिन्न होता है तथा इसकी रेंज 1 से 12 तक होती है।
  • सेल ब्रॉडकास्ट अलर्ट सिस्टम (CBAS): 
    • CBAS अत्याधुनिक तकनीक का प्रतिनिधित्व करता है जो निर्दिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों के अंदर सभी मोबाइल उपकरणों पर महत्त्वपूर्ण और संवेदनशील आपदा प्रबंधन संदेशों को समय पर प्रसारित करने का अधिकार देता है, भले ही प्राप्तकर्त्ता निवासी हों या आगंतुक।
    • सेल ब्रॉडकास्ट के सामान्य अनुप्रयोगों में आपातकालीन अलर्ट जैसे गंभीर मौसम की चेतावनी (जैसे- सुनामी, अचानक बाढ़, भूकंप), सार्वजनिक सुरक्षा संदेश, निकासी नोटिस और अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी देना शामिल है।
    • इसे दूरसंचार विभाग (DOT) और NDMA तथा अन्य एजेंसियों के सहयोग से विकसित किया गया है ताकि लोगों को अलर्ट किया जा सके।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS)
    • यह भारत और उसके पड़ोसी देशों में भूकंपीय गतिविधि की निगरानी तथा रिपोर्टिंग के लिये ज़िम्मेदार एजेंसी है।
    • यह पूरे देश में भूकंपीय वेधशालाओं का एक नेटवर्क संचालित करता है और भूकंप एवं सुनामी पर वास्तविक समय डेटा तथा जानकारी प्रदान करता है।
    • यह जनता को भूकंप की चेतावनी और अपडेट प्रदान करने के लिये भूकैंप (BhooKamp) नामक एक वेबसाइट तथा एक मोबाइल एप भी संचालित करता है।

आपातकालीन चेतावनी प्रणालियों की कमियाँ और चुनौतियाँ क्या हैं?

  • समन्वय और एकीकरण का अभाव:
    • भारत में एकल, मानकीकृत आपातकालीन चेतावनी प्रणाली का अभाव है, जिसके परिणामस्वरूप जनता और अधिकारियों दोनों को असंगत एवं अविश्वसनीय जानकारी मिलती है।    
      • कई एजेंसियाँ और प्लेटफॉर्म स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं, जिससे भ्रम, दोहराव के साथ अलर्ट करने में देरी होती है।
    • दिल्ली के आसपास हाल के झटकों के दौरान NCS वेबसाइट और एप क्रैश हो गए, जिससे ट्रैफिक में अचानक वृद्धि का सामना करना पड़ा, जबकि झटकों को लेकर वास्तविक समय की जानकारी महत्त्वपूर्ण थी।
      • यह घटना आपातकालीन स्थितियों के प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण समन्वय चुनौतियों पर प्रकाश डालती है।
  • सटीकता और समयबद्धता का अभाव:
    • भारत में आपातकालीन चेतावनी प्रणालियाँ आपदाओं के स्थान, परिमाण, तीव्रता और प्रभाव के विषय में सटीक तथा समय पर जानकारी प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं।
      • यह डेटा संग्रह, विश्लेषण और ट्रांसमिशन में सीमाओं के कारण है।
  • जागरूकता और तैयारी की कमी:
    • जनता और अधिकारियों के बीच जागरूकता और तैयारियों की कमी के कारण भारत में आपातकालीन चेतावनी प्रणालियाँ प्रभावी ढंग से जनता तक पहुँचने और उन्हें सूचित करने में सक्षम नहीं हैं।
      • बहुत से लोग नहीं जानते कि अलर्ट तक कैसे पहुँच प्राप्त करें, कैसे व्याख्या करें और उस पर प्रतिक्रिया दें तथा अक्सर उन्हें गलत अलार्म के रूप में अनदेखा या खारिज़ कर देते हैं।
    • आपदा जोखिमों और शमन उपायों तथा प्रतिक्रिया तंत्र को लेकर सार्वजनिक शिक्षा तथा जागरूकता अभियानों की कमी देखी गई है।

आगे की राह

    • SMS, वॉयस कॉल, सोशल मीडिया और पारंपरिक माध्यमों जैसे कई चैनलों को शामिल करते हुए एक एकीकृत आपातकालीन चेतावनी प्रणाली विकसित करना।
      • MoES, DoT, NDMA, IMD और NCS जैसी प्रमुख एजेंसियों के साथ निर्बाध समन्वय तथा एकीकरण स्थापित करना।
    • डेटा संग्रह, विश्लेषण और ट्रांसमिशन को बढ़ाने के लिये उपग्रहों तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का लाभ लेना।
    • भूकंपीय वेधशालाओं का विस्तार करके अतिरिक्त सेंसर तैनात करना और कंप्यूटिंग क्षमताओं को उन्नत करके बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना।
      • आपदा के स्थान, परिमाण और प्रभाव पर विस्तृत विवरण प्रदान करते हुए तत्काल अलर्ट जारी करने का लक्ष्य तय करना।
    • जनता को आपदा जोखिमों, शमन उपायों और आपातकालीन चेतावनी प्रणालियों की कार्यक्षमता के बारे में सूचित और संलग्न करना।
    • चेतावनी प्रणालियों और प्रतिक्रिया तंत्रों का परीक्षण एवं परिशोधन के लिये हितधारकों एवं समुदायों को शामिल करते हुए लगातार अभ्यास करना।

      सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

    प्रश्न. आपदा प्रबंधन में प्रतिक्रियात्मक उपागम से हटते हुए भारत सरकार द्वारा आरंभ किये गए अभिनूतन उपायों की विवेचना कीजिये। (2020)

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