विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
फास्ट रेडियो बर्स्ट
- 22 Feb 2022
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पुणे में ‘नेशनल सेंटर ऑफ रेडियो एस्ट्रोफिज़िक्स’ (NCRA-TIFR) और अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के खगोलविदों ने एक ‘फास्ट रेडियो बर्स्ट’ (FRB) की मेज़बान आकाशगंगा से परमाणु हाइड्रोजन गैस के वितरण का मानचित्रण करने हेतु ‘विशालकाय मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप’ (GMRT) का उपयोग किया।
‘फास्ट रेडियो बर्स्ट’ क्या है?
- पहले ‘फास्ट रेडियो बर्स्ट’ को वर्ष 2007 में खोजा गया था और तभी से वैज्ञानिक इसके मूल स्रोत को खोजने की दिशा में काम कर रहे हैं।
- FRB रेडियो तरंगों के चमकदार विस्फोट होते हैं (रेडियो तरंगें बदलते चुंबकीय क्षेत्रों के साथ खगोलीय पिंडों द्वारा उत्पन्न की जाती हैं) जिनकी अवधि मिलीसेकंड-स्केल में होती है, जिसके कारण उनका पता लगाना और आकाश में उनकी स्थिति निर्धारित करना मुश्किल होता है।
- ये असाधारण घटनाएँ एक सेकंड के हज़ारवें हिस्से में उतनी ही ऊर्जा उत्पन्न करती हैं जितनी कि सूर्य एक वर्ष में करता है।
- यह पता लगाना कि ये विस्फोट कहाँ से और विशेष रूप से किस आकाशगंगा से उत्पन्न होते हैं, इसे निर्धारित करने में यह बात महत्त्वपूर्ण है कि किस प्रकार की खगोलीय घटनाएंँ ऊर्जा की इतनी तीव्र चमक को उत्पन्न करती हैं।
- सबसे प्रसिद्ध रेडियो बर्स्ट में से एक FRB20180916B है।
- FRB को वर्ष 2018 में खोजा गया और यह हमसे केवल 500 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर एक अन्य आकाशगंगा में है।
- FRB अब तक का सबसे नज़दीकी है और इसका एक बर्स्ट पैटर्न है जिसका हर 16 दिनों में दोहराव होता है जिसमें चार दिन बर्स्ट और 12 दिन इसके सापेक्षित रूप से शांत होने में लगते हैं। यह पूर्वानुमेयता (Predictability) इसे शोधकर्त्ताओंके अध्ययन हेतु एक आदर्श वस्तु बनाती है।
अध्ययन के महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- FRB (FRB20180916B) मेज़बान आकाशगंगा का हाल ही में विलय हुआ है और इस विलय की घटना के कारण FRB सबसे बड़े पैमाने पर बनने वाला तारा है।
- मेज़बान आकाशगंगा में निहित परमाणु हाइड्रोजन गैस पास की आकाशगंगाओं की तुलना में दस गुना अधिक थी लेकिन इतनी अधिक परमाणु हाइड्रोजन गैस के बावजूद इसमें तारों की संख्या अपेक्षाकृत कम थी। इस प्रकार यह इंगित करता है कि हाल ही में दो आकाशगंगाओं के बीच संभावित विलय के बाद अधिशेष हाइड्रोजन गैस को प्राप्त/अधिग्रहण किया गया था।
जायंट मीटर-वेव रेडियो टेलीस्कोप (GMRT):
- GMRT 45 मीटर व्यास के पूरी तरह से संचालित तीस परवलयिक रेडियो दूरबीनों की एक शृंखला है। यह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (NCRA-TIFR) के नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिज़िक्स द्वारा संचालित है।
- GMRT एक स्वदेशी परियोजना है। इसका डिज़ाइन 'स्मार्ट' अवधारणा पर आधारित है।
- यह रेडियो स्पेक्ट्रम के मीटर तरंगदैर्ध्य भाग पर कार्य करता है क्योंकि भारत में स्पेक्ट्रम के इस हिस्से में मानव निर्मित रेडियो हस्तक्षेप काफी कम है और कई उत्कृष्ट खगोल भौतिकी समस्याएँ हैं जिनका मीटर तरंगदैर्ध्य पर सबसे अच्छा अध्ययन किया जाता है।
- GMRT पुणे की अवस्थिति हेतु कई महत्त्वपूर्ण मानदंडों को पूरा करता है जैसे कम ध्वनि वाले मानव निर्मित रेडियो, अच्छे संचार की उपलब्धता, औद्योगिक, शैक्षिक एवं अन्य बुनियादी ढाँचे।