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पीआरएस कैप्सूल्स

विविध

अप्रैल 2023

  • 30 Apr 2023
  • 22 min read

PRS के प्रमुख हाइलाइट्स

  संसद  

बजट सत्र 2023 का समापन

इस सत्र के दौरान संसद ने तीन बिल पेश किये और एक पारित किया। अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023; तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023; वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 को पेश किया गया और फिर समितियों के पास भेज दिया गया। प्रतिस्पर्द्धा  (संशोधन) विधेयक, 2022 को पारित किया गया। 


  मैक्रोइकोनॉमिक विकास  

रेपो दर अपरिवर्तित

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने पॉलिसी रेपो दर (जिस दर पर RBI बैंकों को ऋण देता है) को 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया है। समिति के अन्य निर्णयों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • स्थायी जमा सुविधा दर (जिस दर पर RBI कोलेट्रल दिये बिना बैंकों से उधार लेता है) को 6.25% पर बरकरार रखा गया है।
  • सीमांत स्थायी सुविधा दर (जिस दर पर बैंक अतिरिक्त धन उधार ले सकते हैं) और बैंक दर (जिस दर पर RBI विनिमय के बिल खरीदता है) को 6.75% पर बरकरार रखा गया है।
  • MPC ने यह सुनिश्चित करने के लिये समायोजन की वापसी पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय किया कि विकास का समर्थन करते हुए मुद्रास्फीति धीरे-धीरे लक्ष्य के अनुरूप हो।

  पर्यावरण  

तटीय जलकृषि (प्राधिकरण) संशोधन विधेयक, 2023

लोकसभा में तटीय जलकृषि (प्राधिकरण) संशोधन विधेयक, 2023 पेश किया गया। यह विधेयक तटीय जलकृषि प्राधिकरण अधिनियम, 2005 में संशोधन करता है। अधिनियम ने तटीय जलीय कृषि को विनियमित करने के लिये तटीय जलीय कृषि प्राधिकरण की स्थापना की, जो नियंत्रित परिस्थितियों में मछली पालन और खेती को संदर्भित करता है। विधेयक की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • संबद्ध तटीय जलकृषि गतिविधियों का विनियमन: अधिनियम तटीय जलीय कृषि फार्मों को नियंत्रित करता है जहाँ कई प्रकार की गतिविधियाँ होती हैं, जैसे खारे पानी में नियंत्रित परिस्थितियों में झींगा या दूसरे जलीय जीवों को पालना। विधेयक में कहा गया है कि ऐसा कोई भी केंद्र जो कि तटीय जलीय कृषि या उससे संबंधित गतिविधि में शामिल है, उसे भी तटीय जलीय कृषि इकाई के  रूप में विनियमित किया जाएगा। संबद्ध गतिविधियों में न्यूक्लियस प्रजनन केंद्र, हैचरी, ब्रूड स्टॉक गुणन केंद्र और फार्म शामिल हैं। विधेयक ऐसी इकाइयों के पंजीकरण एवं विनियमन का प्रावधान करता है।
  • कुछ संरक्षित क्षेत्रों में अनुमति दी जाने वाली गतिविधियाँ:
    • अधिनियम तटीय जलीय कृषि पर प्रतिबंध लगाता है:
      • उच्च ज्वार रेखाओं से 200 मीटर के भीतर  
      • पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत तटीय विनियमन क्षेत्रों के भीतर खाड़ियों, नदियों और बैकवाटर में।
    • ये निषेध इन पर लागू नहीं होते:
      • तटीय जलकृषि फार्म जो 19 फरवरी, 1991 को ऐसे क्षेत्रों में मौजूद थे।
      • सरकारी अनुसंधान संस्थानों द्वारा संचालित गैर-व्यावसायिक और प्रायोगिक फार्म।
    • यह विधेयक तटीय जलकृषि गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिये इसे संशोधित करता है: 
      • पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र या पहाड़ों, घाटियों या ज्वालामुखी जैसी भू-आकृतिक विशेषताएँ
      • समुद्र में नो-डेवलपमेंट ज़ोन्स और खाड़ियों, नदियों तथा बैकवॉटर्स में बफर ज़ोन
      • तटीय विनियमन क्षेत्रों में खाड़ियों, नदियों और बैकवाटर्स। 
    • संबंधित गतिविधियों को कुछ छूट दी गई है। उदाहरण के लिये:
      • गैर-विकास क्षेत्रों में हैचरी, न्यूक्लियस प्रजनन केंद्र और ब्रूड स्टॉक मल्टीप्लिकेशन सेंटर्स और फार्म्स की अनुमति होगी।
      • तटीय विनियमन क्षेत्रों में सीवीड कल्चर, पेन कल्चर, राफ्ट कल्चर और केज कल्चर गतिविधियों की अनुमति होगी।
      •  यह 16 दिसंबर, 2005 से लागू होगा।

  ऊर्जा  

मसौदा विद्युत (संशोधन) नियम, 2023 

मसौदा नियम विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत जारी विद्युत नियम, 2005 में संशोधन करने का प्रयास करते हैं। वर्ष 2005 के नियम विद्युत व्यवस्था में विभिन्न संस्थाओं के कामकाज़ से संबंधित शर्तों को निर्दिष्ट करते हैं।

प्रस्तावित मुख्य संशोधन निम्नलिखित हैं:

  • वित्तीय स्थिरता के लिये रूपरेखा: राज्य विद्युत नियामक आयोग टैरिफ निर्धारित करते समय वितरण लाइसेंसधारियों हेतु नुकसान में कमी की ट्राजेक्टरी (Trajectory) तय करते हैं। मसौदा नियमों में यह जोड़ने का प्रस्ताव है कि इस प्रकार की  ट्राजेक्टरी राज्य सरकार द्वारा सहमत और किसी भी राष्ट्रीय योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित ट्राजेक्टरी के अनुसार होनी चाहिये।
  • AT&C हानि न्यूनीकरण रणनीति:
    • मसौदा नियमों में यह भी जोड़ा गया है कि स्वीकृत AT&C हानि न्यूनीकरण  रणनीति से किसी भी प्रकार के विचलन की स्थिति में अतिरिक्त लाभ होने पर लाभ का दो-तिहाई हिस्सा, टैरिफ के ज़रिये उपभोक्ताओं को दिया जाएगा और शेष लाइसेंसधारी को प्राप्त होगा। 
    • कुल तकनीकी और वाणिज्यिक (AT&C) हानि विद्युत का वह अनुपात होती है जिसके लिये लाइसेंसधारक को कुल खरीदी गई बिजली का कोई भुगतान नहीं मिलता।
  • ड्राफ्ट नियमों के तहत राज्य आयोग को टैरिफ निर्धारित करते समय विद्युत खरीद की सभी विवेकपूर्ण लागतों पर विचार करने की आवश्यकता है। वितरण प्रणाली के विकास और रखरखाव से संबंधित परिसंपत्ति निर्माण की पूरी लागत उपभोक्ताओं को देनी होगी।
  • सब्सिडी का लेखा-जोखा: 2005 के नियमों में प्रावधान है कि विद्युत के खुदरा वितरण के लिये सब्सिडी का लेखा-जोखा वितरण लाइसेंसधारी द्वारा किया जाएगा। मसौदा नियमों में कहा गया है कि राज्य आयोग प्रत्येक वितरण लाइसेंसधारी हेतु एक त्रैमासिक रिपोर्ट जारी करेगा। इस रिपोर्ट में सब्सिडी विधेयक, राज्य सरकार द्वारा भुगतान की गई सब्सिडी और देय राशि का विवरण दिया जाना चाहिये। संबंधित तिमाही के अंत से 45 दिनों के भीतर रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिये। राज्य आयोग सब्सिडी एवं भुगतान के लिये विधेयक तैयार करने से संबंधित गैर-अनुपालन के लिये संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।

  पेट्रोलियम  

घरेलू गैस मूल्य निर्धारण 

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने संशोधित घरेलू प्राकृतिक गैस मूल्य निर्धारण दिशा-निर्देशों को मंज़ूरी दी। ये दिशा-निर्देश नए घरेलू गैस मूल्य निर्धारण दिशा-निर्देश, 2014 में संशोधन करते हैं। नए दिशा-निर्देश निम्नलिखित से उत्पादित गैस पर लागू होते हैं:

 (i) तेल और प्राकृतिक गैस निगम/ऑयल इंडिया लिमिटेड (Oil and Natural Gas Corporation/Oil India Limited- ONGC/OIL) के नामांकन क्षेत्र।
 (ii) नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (NELP) अवरुद्ध करती है।
 (iii) पूर्व NELP ब्लॉक जहाँ उत्पादन साझेदारी अनुबंध (PSC) हेतु कीमतों के लिये सरकार की मंज़ूरी की आवश्यकता होती है।

  • मूल्य निर्धारण तंत्र:
    • प्रशासित मूल्य तंत्र:
      • ONGC/OIL द्वारा उत्पादित गैस के लिये प्रशासित मूल्य तंत्र (APM) कीमत प्रारंभिक न्यूनतम और अधिकतम कीमत के अधीन है:
        • न्यूनतम मूल्य: $4/मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (MMBTU)।
        • अधिकतम कीमत: $6.5/MMBTU।
      • अधिकतम कीमत दो वित्तीय वर्षों तक बरकरार रखी जाएगी और फिर प्रत्येक वर्ष $0.25/MMBTU बढ़ाई जाएगी।
  • न्यू वेल्स या वेल इंटरवेंशन के लिये मूल्य निर्धारण:
    • नए कुओं या नामांकन क्षेत्रों में हस्तक्षेप से उत्पादित गैस की कीमत एपीएम कीमतों पर 20% प्रीमियम पर हो सकती है।
    • न्यू वेल्स या वेल इंटरवेंशन क्षेत्रों में वेल्स के हस्तक्षेप से उत्पादित गैस APM कीमतों के 20% प्रीमियम पर प्राइसिंग की अनुमति होगी।
    • APM कीमतों की गणना भारतीय क्रूड बास्केट मूल्य की दैनिक कीमतों के मासिक औसत के रूप में की जाती है।
    • पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (Petroleum Planning and Analysis Cell- PPAC) द्वारा मासिक कीमतें घोषित की जाएंगी।

पिछले दिशा-निर्देशों के साथ तुलना:

  • 2014 के दिशा-निर्देशों के तहत कीमतें चार गैस ट्रेडिंग केंद्रों की मात्रा भारित कीमतों के आधार पर निर्धारित की गईं:
    • हेनरी हब
    • अलबेना
    • नेशनल बैलेंसिंग पॉइंट
    • रूस
  • पिछली मूल्य निर्धारण संरचना में काफी समय अंतराल था और यह अत्यधिक अस्थिर थी।
  • नए दिशा-निर्देश गैस की कीमतों को भारतीय कच्चे तेल से जोड़ते हैं, जो भारत की खपत बास्केट के लिये अधिक प्रासंगिक है।

  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण  

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी विनियम 

राष्ट्रीय सहायता प्राप्त प्रजनन प्रौद्योगिकी और सरोगेसी बोर्ड (राष्ट्रीय बोर्ड) ने सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम,  2021 के तहत सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी  (ART) विनियम, 2023 को अधिसूचित किया है। 2021 का अधिनियम ART सेवाओं के विनियमन का प्रावधान करता है। इसके तहत ART सेवाएँ ऐसी तकनीक हैं जिसके ज़रिये मानव शरीर के बाहर शुक्राणु या ओसाइट (अपरिपक्व एग सेल्स) को रखकर और एक महिला के प्रजनन प्रणाली में गैमेट या एंब्रेयो को ट्रांसफर करके गर्भधारण कराया जाता है। उदाहरणों में गैमेट डोनेशन और इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन शामिल हैं। 2023 के विनियम निर्दिष्ट करते हैं कि ओसाइट को डोनर से उनकी सहमति से प्राप्त किया जाना चाहिये।


  दूरसंचार  

भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी (आपदा अलर्ट के लिये सेल ब्रॉडकास्टिंग सेवा) नियम, 2023 

संचार मंत्रालय ने भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी (आपदा अलर्ट के लिये सेल ब्रॉडकास्टिंग सेवा) नियम, 2023 को अधिसूचित किया है। नियमों को भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 के तहत अधिसूचित किया गया है। नियमों की मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं:

  • फोन निर्माताओं पर दायित्व: नियमों के लागू होने के छह महीने बाद फोन निर्माताओं को स्मार्टफोन या फीचर फोन की बिक्री या निर्माण से पहले कुछ सुविधाओं को सुनिश्चित करना होगा। 
  • इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: 
    • अंग्रेज़ी और हिंदी भाषाओं में सेल ब्रॉडकास्ट संदेश प्राप्त करने के लिये अनिवार्य सपोर्ट। 
    • कम-से-कम तीस सेकंड के लिये अलर्ट साउंड, वाइब्रेशन और लाइट की अवधि।
    • स्क्रीन पर सेल ब्रॉडकास्ट संदेशों को तब तक बनाए रखना जब तक कि प्रयोगकर्त्ता द्वारा उसे स्वीकार नहीं किया जाता।
    • सेल ब्रॉडकास्ट में किसी परिभाषित क्षेत्र में एक ही समय में प्रसारण के एक तरीके से कई मोबाइल टेलीफोन उपयोगकर्त्ताओं को संदेश भेजने को कहा जाता है। 
    • इसके अलावा नियमों के लागू होने के 12 महीनों के बाद सभी स्मार्टफोन या फीचर फोन में सेल ब्रॉडकास्ट संदेशों को प्राप्त करने और उन्हें ऑटोमैटिक तरीके से पढ़ने से संबंधित सपोर्ट होना चाहिये।
    • संदेशों को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची के अनुसार सभी भारतीय भाषाओं में पढ़ा जाना चाहिये, जो कि फीचर फोन की मेमोरी के अधीन होगा। 
  • मौजूदा स्मार्टफोन में सेल ब्रॉडकास्ट: 
    • मोबाइल फोन के निर्माता और ऑपरेटिंग सिस्टम डेवलपर संविधान की आठवीं अनुसूची के अनुसार सभी भाषाओं में सेल ब्रॉडकास्ट संदेशों को प्राप्त करने तथा उन्हें ऑटोमैटिक रूप से पढ़ने की सुविधा प्रदान करने की संभावना तलाशेंगे।
    • यह नियम लागू होने से चार साल पहले भारत में बेचे जाने वाले स्मार्टफोन पर लागू होगा। 
    • सभी निर्माता और डेवलपर नियमों के शुरू होने के छह महीने के भीतर इस दायित्व को पूरा करने का प्रयास करेंगे।

  जनजातीय मामले  

केंद्रीय क्षेत्र की योजना 

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना- उत्तर-पूर्वी क्षेत्र से जनजातीय उत्पादों के संवर्द्धन हेतु मार्केटिंग और रसद विकास कार्य शुरू किया है।  

  • योजना की मुख्य विशेषताएँ
    • यह योजना आदिवासी शिल्पकारों का राजस्व बढ़ाने में सहायता करने का प्रयास करती है। 
    • योजना के क्रियान्वयन के लिये 143 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं। 
    • यह योजना आदिवासी शिल्पकारों द्वारा बनाए गए उत्पादों के लिये इन्क्यूबेशन सपोर्ट, कौशल विकास, सोर्सिंग और खरीद सहायता, मार्केटिंग, परिवहन सहायता प्रदान करेगी तथाआदिवासी शिल्पकारों के उत्पादों का प्रचार करेगी।
    •  यह जनजातीय कारीगर मेलों का आयोजन कर जनजातीय कारीगरों/उत्पादकों को सूचीबद्ध करने का भी प्रयास करेगी। 
    • उत्तर पूर्वी क्षेत्र के जनजातीय उत्पादों के लिये ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मार्केटिंग लिंकेंज प्रदान किये जाएंगे।

  शिपिंग  

सागरमाला नवाचार और स्टार्टअप नीति 

बंदरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने सागरमाला नवाचार और स्टार्टअप नीति का मसौदा जारी किया है। यह नीति निम्नलिखित के लिये समुद्री स्टार्टअप्स को सहयोग देने हेतु एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने का प्रयास करती है: 

(i) क्षेत्र में तकनीकी आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करना।
(ii) उद्योग को प्रतिस्पर्द्धी बनाना।
(iii) रोज़गार प्रदान करना।

नीति की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • समुद्री नवाचार केंद्र: ये हब इनक्यूबेटर, एक्सीलरेटर, प्रोटोटाइप के लिये फैब्रिकेशन स्पेस और रेंटल को-वर्किंग स्पेस की सुविधाओं के साथ स्थापित किये जाएंगे। प्रारंभ में बंदरगाहों, जलमार्गों और तटों हेतु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र (IIT  मद्रास) इस तरह का पहला हब विकसित करेगा। निकट भविष्य में अन्य शैक्षणिक संस्थानों में ऐसे केंद्रों को स्थापित किये जाने की उम्मीद है। नीति के तहत प्रस्तावित वित्तीय सहायता के अतिरिक्त उन्हें निवेश आकर्षित करना होगा।
  • फंडिंग सपोर्ट: स्टार्टअप्स के लिये वार्षिक वित्तीय सहायता एक शीर्ष समिति द्वारा तय की जाएगी और यह संशोधन के अधीन होगी। फंडिंग विभिन्न रूपों में उपलब्ध होगी जैसे: 
    (i) सीड फंड स्कीम- न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद/सेवा के लिये 50 लाख रुपए तक।
    (ii) तकनीकी पायलट अनुदान- प्रोपराइटरी टेक्नोलॉजी के व्यावसायीकरण के लिये 100 लाख रुपए तक। 
  • यह नीति स्टार्टअप्स के लिये पात्रता मानदंड और चयन प्रक्रिया को भी निर्दिष्ट करती है।
  • स्टार्टअप निगरानी और मूल्यांकन समूह: प्रत्येक हब स्टार्टअप निगरानी और मूल्यांकन समूह द्वारा शासित होगा जो स्टार्टअप नीति को संचालित, आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने, स्टार्टअप के लिये मूल्यांकन मानदंड स्थापित करने तथा मंत्रालय को नीतिगत हस्तक्षेप का सुझाव देने हेतु ज़िम्मेदार होगा।
  • शीर्ष समिति: एक समिति गठित की जाएगी जो कार्यक्रम का मार्गदर्शन और अनुमोदन प्रदान करेगी। समिति विभिन्न संस्थानों के हब की प्रगति की समीक्षा करेगी। समिति स्टार्टअप के लिये पात्रता तथा मूल्यांकन मानदंड भी निर्दिष्ट कर सकती है। इसमें दस सदस्य होंगे, जिसकी अध्यक्षता मंत्रालय के सचिव करेंगे।
  • सागरमाला स्टार्टअप पोर्टल: मंत्रालय को एक पोर्टल विकसित और कार्यान्वित करना होगा, जो कि स्टार्टअप संबंधी सभी गतिविधियों के लिये सिंगल विंडो सॉल्यूशन के तौर पर काम करेगा। इनमें समस्या विवरण को पब्लिश करना, एप्लीकेशन प्रोसेस और नॉलेज रिसोर्स शामिल हैं।
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