प्रिलिम्स फैक्ट्स (04 Nov, 2024)



सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 149वीं जयंती के उपलक्ष्य पर भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में उनकी अविस्मरणीय भूमिका के सम्मान में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसे राष्ट्रीय एकता दिवस (31 अक्तूबर) के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय एकता दिवस क्या है?

  • परिचय: 
    • राष्ट्रीय एकता दिवस पटेल के मूल्यों- एकता, अखंडता और समावेशिता का स्मरणोत्सव है। 
      • संस्कृतियों, भाषाओं और धर्मों में व्यापक विविधता वाले देश में यह दिवस भारत के लोगों के बीच एकजुटता की भावना को बढ़ावा देने के महत्त्व पर ज़ोर देता है। 
    • यह दिवस नागरिकों को एकजुट होकर चुनौतियों का समाधान करने, विविधता का उत्सव मनाने और राष्ट्र के भीतर सद्भाव को बढ़ावा देने के लिये चिंतन करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
  • स्टैच्यू ऑफ यूनिटी:
    • 31 अक्तूबर 2018 को  सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन गुजरात के केवडिया में किया गया, जिसकी ऊँचाई 182 मीटर (600 फीट) है।
      • नर्मदा नदी और सरदार सरोवर बाँध (कंक्रीट की मात्रा की दृष्टि से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा भाराश्रित बाँध) के सामने, यह प्रतिमा साधु बेट द्वीप पर स्थित है।
    • वर्ष 2020 में भारत की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के आठ अजूबों की सूची में शामिल किया गया था।

Statue_of_Unity

सरदार वल्लभभाई पटेल कौन थे?

  • जन्म: उनका जन्म 31 अक्तूबर 1875 को नाडियाड, गुजरात में हुआ।
    • उनका परिवार लेवा पाटीदार समुदाय से था।
  • कॅरियर: इंग्लैंड में विधि अध्ययन कर, रोमन विधि में पुरस्कार अर्जित किया और वर्ष 1913 में बैरिस्टर के रूप में भारत लौट आए।
  • उपाधि और विरासत: अपने दृढ़ संकल्प और दृढ़ दृष्टिकोण के कारण उन्हें "भारत के लौह पुरुष" के नाम से जाना जाता है। उन्हें राष्ट्रीय एकता और समुत्थानशीलता का प्रतीक माना जाता है।
  • राजनीतिक उत्थान:
    • राष्ट्रीय आंदोलन में सहभागिता: पटेल महात्मा गांधी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए।
    • खेड़ा सत्याग्रह (1918): उन्होंने सूखे के कारण खराब फसल से प्रभावित किसानों के लिये कर छूट की मांग करते हुए खेड़ा सत्याग्रह में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • बारदोली सत्याग्रह (1928): बारदोली सत्याग्रह के दौरान अनुचित कर वृद्धि के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन किया, जिसके कारण उन्हें इस नेतृत्व के लिये "सरदार" की उपाधि प्रदान की गई।
  • भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भूमिका:
    • असहयोग और सविनय अवज्ञा: गांधीजी के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह जैसे आंदोलनों का नेतृत्व किया और इसमें शामिल होने के कारण उन्हें अनेक बार कारावास का दंड दिया गया।
    • कॉन्ग्रेस की अध्यक्षता: वर्ष 1931 में कॉन्ग्रेस के 46वें अधिवेशन की अध्यक्षता की, जिसमें गांधी-इरविन समझौते पर चर्चा हुई।
    • भारत छोड़ो आंदोलन (1942): भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इस प्रमुख चरण के दौरान पटेल को गिरफ्तार कर कारावास का दंड दिया गया।
  • स्वतंत्रता पश्चात् योगदान:
    • रियासतों का एकीकरण: 562 रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने में अग्रणी भूमिका निभाई, जिससे लाखों लोगों के लिये स्थिरता और लोकतंत्र सुनिश्चित हुआ।
    • भारत की सिविल सेवाओं का सुदृढ़ीकरण: पटेल ने आधुनिक अखिल भारतीय सेवाओं की स्थापना करने और देश के प्रशासनिक ढाँचे को सुदृढ़ करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
      • नौकरशाही प्रणाली को सुदृढ़ बनाने में उनके योगदान के लिये उन्हें "भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक संत" की संज्ञा दी जाती है।
      • राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस (21 अप्रैल) सरदार पटेल के 1947 के भाषण का सम्मान करता है, जिसमें उन्होंने सिविल सेवकों को "भारत का इस्पाती ढाँचा" कहा था तथा लोकसेवा के प्रति उनके समर्पण को सुदृढ़ किया था।
    • अध्यक्षता और समिति कार्य: संविधान सभा में मौलिक अधिकार, अल्पसंख्यक तथा जनजातीय एवं अपवर्जित क्षेत्रों पर सलाहकार समिति की अध्यक्षता की।

Sardar_Vallabhbhai_Patel

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. खेड़ा के किसानों के पक्ष में महात्मा गांधी के सत्याग्रह संघटित करने का क्या कारण था ? (2011) 

  1. अकाल पड़ने के बाबजूद प्रशासन ने भू-राजस्व की उगाही स्थगित नहीं की थी।
  2. प्रशासन का यह प्रस्ताव था कि गुजरात में स्थाई बंदोबस्त लागू कर दिया जाए।

उपर्युक्त में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 व 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a)


प्रश्न. 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कराची अधिवेशन के लिये, सरदार पटेल की अध्यक्षता में, जिन्होंने  मौलिक अधिकार और आर्थिक कार्यक्रम पर संकल्प का मसौदा तैयार किया? (2010) 

(a) महात्मा गांधी 
(b) पंडित जवाहरलाल नेहरू 
(c) डॉ. राजेंद्र प्रसाद 
(d) डॉ. बी. आर. अंबेडकर 

उत्तर: (b)


आयुर्वेद दिवस 2024

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

आयुष मंत्रालय ने 29 अक्तूबर, 2024 को 9वाँ आयुर्वेद दिवस मनाया, जिसकी थीम थी "वैश्विक स्वास्थ्य के लिये आयुर्वेद नवाचार।"

  • प्रधानमंत्री ने कई स्वास्थ्य परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिसमें सुलभ आयुर्वेद के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया।

आयुर्वेद क्या है?

  • परिचय: आयुर्वेद समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिये शरीर, मन और आत्मा में संतुलन प्राप्त करने पर केंद्रित है। 
    • आयुर्वेद शब्द दो संस्कृत शब्दों से लिया गया है: “आयु”, जिसका अर्थ है जीवन और “वेद”, जिसका अर्थ है ज्ञान।  
  • ऐतिहासिक संदर्भ: आयुर्वेद की उत्पत्ति वेदों (5000-1000 ईसा पूर्व) से हुई है और यह सबसे पुरानी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में से एक है।
    • रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में पौधों पर आधारित उपचार तथा शल्य चिकित्सा का उल्लेख मिलता है।
      • 1000 ईसा पूर्व के आस-पास चरक और सुश्रुत संहिता ने आयुर्वेद के सिद्धांतों की स्थापना की, बाद में वाग्भट्ट के अष्टांग संग्रह तथा अष्टांग हृदय (आयुर्वेदिक ग्रंथ) द्वारा इसका विस्तार किया गया।
    • 19वीं-20वीं शताब्दी तक भारत ने आयुर्वेद शिक्षा को औपचारिक रूप दे दिया था, जिससे संरचित कार्यक्रम और एक समृद्ध उद्योग का निर्माण हुआ जो सार्वजनिक तथा निजी स्वास्थ्य सेवा को समर्थन देता था।
  • आयुर्वेद दिवस: भारत सरकार वर्ष 2016 से आयुर्वेदिक सिद्धांतों, औषधीय जड़ी-बूटियों और जीवनशैली प्रथाओं के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रत्येक वर्ष धन्वंतरि जयंती (धनतेरस) को आयुर्वेद दिवस मनाती आ रही है।
    • आयुर्वेद का प्रवर्तन माहानतम चिकित्सक धन्वंतरि ने किया, जिन्हें यह ज्ञान भगवान ब्रह्मा से प्राप्त हुआ था।  
  • अंतर्राष्ट्रीय पहुँच: व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से आयुर्वेद विश्व स्तर पर फैल गया, जिससे तिब्बत, चीन तथा अन्य स्थानों पर पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ प्रभावित हुईं।
    • आयुर्वेद को अब 24 देशों में पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त है तथा 100 से अधिक देश आयुर्वेदिक उत्पादों का आयात करते हैं।
    • इस अंतर्राष्ट्रीय मान्यता को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) विशेषज्ञ कार्य समूह, बिम्सटेक टास्कफोर्स और पारंपरिक चिकित्सा पर ब्रिक्स उच्च स्तरीय फोरम जैसे सहयोगी प्लेटफार्मों द्वारा आगे बढ़ाया गया है, जो नीति संरेखण तथा वैश्विक स्वास्थ्य सेवा एकीकरण को बढ़ावा देते हैं।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आयुर्वेद को ICD-11 TM मॉड्यूल 2 में शामिल किया, जिससे आयुर्वेदिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों का सटीक दस्तावेज़ीकरण संभव हो सका।
      • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आयुर्वेद अभ्यास और प्रशिक्षण के लिये भी मानक निर्धारित किये, जिससे वैश्विक गुणवत्ता मानकों में वृद्धि हुई।

थीम का महत्त्व क्या है?

इस थीम का उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिये आयुर्वेदिक नवाचार को बढ़ावा देना है।

  • प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
  • प्रमुख फोकस क्षेत्र:
    • महिला स्वास्थ्य: महिलाओं से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के लिये आयुर्वेद की समग्र पद्धतियों का उपयोग करना।
    • कार्यस्थल कल्याण: कार्यस्थल पर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिये आयुर्वेदिक सिद्धांतों को लागू करना। 
    • स्कूल कल्याण कार्यक्रम: बच्चों में आयुर्वेदिक कल्याण को प्रोत्साहित करना, जिसमें प्रतिरक्षा-बढ़ाने और व्यक्तिगत पोषण संबंधी मार्गदर्शन शामिल है।
    • खाद्य नवप्रवर्तन: आयुर्वेदिक आहार सिद्धांतों और खाद्य नवप्रवर्तनों की खोज, पारंपरिक एवं आधुनिक पाक तकनीकों का सम्मिश्रण।
  • निवारक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देकर आयुर्वेद सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) 3 तथा सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) का समर्थन करता है।


सर्वोच्च न्यायालय: केवल डॉक्टरों को खराब परिणामों के लिये लापरवाह नहीं माना जा सकता

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि चिकित्सा पेशेवरों को केवल असफल उपचार परिणामों के कारण चिकित्सकीय लापरवाही के लिये उत्तरदायी नहीं ठहराया जाना चाहिये।

  • चिकित्सकीय लापरवाही, जिसे सामान्यतः चिकित्सा कदाचार के रूप में जाना जाता है, तब उत्पन्न होती है जब एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता किसी रोगी के लिए देखभाल के मानक मानदंडों का पालन नहीं करता है, जिसके परिणामस्वरूप हानि, चोट या यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
    • सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, किसी डॉक्टर को केवल इसलिये चिकित्सीय लापरवाही के लिये तुरंत उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि मरीज़ ने सर्जरी या उपचार पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी।
      • उत्तरदायित्व केवल तभी स्थापित किया जा सकता है जब साक्ष्य यह दर्शाए कि डॉक्टर अपने कर्त्तव्यों का पालन करने में आवश्यक कौशल का प्रयोग करने में विफल रहे।
    • इन मामलों में "रेस इप्सा लोक्विटुर" (जिसका अर्थ है " the thing speaks for itself अर्थात् वस्तु स्वयं बोलती है") का सिद्धांत लागू नहीं होता।
  • रेस इप्सा लोकिटुर सिद्धांत: तात्पर्य यह है कि लापरवाही स्पष्ट है और इसके लिये किसी अतिरिक्त साक्ष्य की आवश्यकता नहीं है। 
  • हालाँकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि नकारात्मक परिणाम स्वतः ही लापरवाही का संकेत नहीं है।

और पढ़ें: BNS के तहत चिकित्सकीय लापरवाही


नभमित्र एप्लीकेशन

स्रोत: पी.आई.बी. 

हाल ही में नभमित्र एप्लीकेशन ने वेसल कम्युनिकेशन और सपोर्ट सिस्टम का उपयोग करके चक्रवात दाना के दौरान समुद्र में मछुआरों की सहायता की।

  • नभमित्र जहाज़ की स्थिति, मार्ग और गति की वास्तविक समय में निगरानी करने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे चक्रवात जैसी प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों के दौरान मछुआरों को सुरक्षित रूप से तट पर लौटने में सहायता मिलती है।
  • यह मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की एक पहल है जिसमें स्वदेशी ट्रांसपोंडर प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है।
  • परंपरागत रूप से, अधिकारी जहाजों से संपर्क करने के लिये अति उच्च आवृत्ति रेडियो तरंगों और फोन कॉल पर निर्भर थे, लेकिन मोबाइल नेटवर्क की अनुपस्थिति के कारण दूर के जल में मछली पकड़ने वाली नौकाओं का पता लगाना मुश्किल था।

और पढ़ें: मछुआरों के लिये संकट चेतावनी ट्रांसमीटर


बैलोन डी'ओर पुरस्कार 2024

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड

हाल ही में स्पेनिश फुटबॉल खिलाड़ी रोड्री और ऐताना बोनमाटी ने क्रमशः सर्वश्रेष्ठ पुरुष और महिला फुटबॉल खिलाड़ी के लिये बैलोन डी'ओर पुरस्कार 2024 जीता।

  • मैनचेस्टर सिटी के रोड्री ने अपना पहला बैलोन डी'ओर जीता और 1960 के बाद से पुरुषों का यह पुरस्कार जीतने वाले पहले स्पेनिश खिलाड़ी बन गए।
    • जबकि एफ.सी. बार्सिलोना की ऐताना बोनमाटी ने महिला फुटबॉल में अपना बैलोन डी'ओर खिताब बनाए रखा।
  • लियोनेल मेस्सी के नाम सबसे अधिक बार बैलोन डी'ओर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड है, उन्होंने इसे आठ बार जीता है।
  • अन्य पुरस्कार:
    • वर्ष का सर्वश्रेष्ठ पुरुष क्लब: रियल मैड्रिड।
    • महिला क्लब ऑफ द ईयर: एफ.सी. बार्सिलोना।
  • बैलोन डी'ओर एक वार्षिक फुटबॉल पुरस्कार है जो 1956 से फ्राँस फुटबॉल पत्रिका द्वारा पिछले सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को सम्मानित करने के लिये दिया जाता है।

और पढ़ें: इंडियन फुटबॉल का विज़न 2047


भारत का पहला बायोमैनुफैक्चरिंग इंस्टीट्यूट

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में मोहाली में भारत के पहले बायोमैनुफैक्चरिंग इंस्टीट्यूट, "BRIC-नेशनल एग्री-फूड बॉयोमैनुफैक्चरिंग इंस्टीट्यूट" (BRIC-NABI) का उद्घाटन किया गया। 

  • BRIC-NABI का परिचय: कृषि-तकनीक नवाचारों में सुधार करने के उद्देश्य से जैव प्रौद्योगिकी और जैव प्रसंस्करण की दक्षता का संयोजन करते हुए इस संस्थान का गठन राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (NABI) तथा नवोन्मेषी एवं अनुप्रयुक्त जैव प्रसंस्करण केंद्र (CIAB) का संविलय करके किया गया है।
    • इसका उद्देश्य उन्नत जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत के कृषि-खाद्य क्षेत्र को बढ़ावा देना, सतत् पद्धतियों का समर्थन करने के लिये उच्च उपज वाली फसलों, रोग प्रतिरोधी फसलों, जैव उर्वरकों एवं जैवपीड़कनाशी के लिये कृषि अनुसंधान एवं विकास को बढ़ाना है।
  • बायोनेस्ट इनक्यूबेशन सेंटर का शुभारंभ: यह केंद्र कृषि-खाद्य स्टार्टअप्स को सहायता प्रदान करेगा एवं अनुसंधान व उद्योग का सेतुबंधन करते हुए स्थानीय युवाओं, महिलाओं व किसानों का सशक्तीकरण करेगा।
  • BioE3 नीति: इस नीति के अंतर्गत BioE3 नीति के पर्यावरण अनुकूल लक्ष्यों के अनुरूप कृषि, खाद्य, औषध और ऊर्जा क्षेत्रों में बायोमैनुफैक्चरिंग अनुप्रयोगों का अन्वेषण किया जाएगा।
    • उच्च प्रभाव वाली विज्ञान रणनीति के प्रति प्रशासन की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए BioE3 नीति आर्थिक विकास, रोज़गार सृजन और पर्यावरण संरक्षण में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डालती है।
  • विज्ञान-संचालित अर्थव्यवस्था: BRIC-NABI की स्थापना बायोमैनुफैक्चरिंग पर केंद्रित विज्ञान-संचालित अर्थव्यवस्था की दिशा में एक बड़ा कदम है। 
    • यह भारत को सतत् विकास और ज्ञान आधारित उद्योगों में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित करने में सहायक है।

और पढ़ें: भारतीय कृषि में प्रौद्योगिकी