शासन व्यवस्था
आयुष पर प्रथम अखिल भारतीय सर्वेक्षण
- 18 Jun 2024
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:आयुष पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण, आयुष, आयुष मंत्रालय, राष्ट्रीय आयुष मिशन मेन्स के लिये:आयुष से संबंधित पहल, पारंपरिक चिकित्सा का महत्त्व |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (Ayurveda, Yoga & Naturopathy, Unani, Siddha and Homoeopathy-AYUSH) चिकित्सा प्रणालियों पर एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण के निष्कर्ष जारी किये।
सर्वेक्षण की मुख्य-मुख्य बातें क्या हैं?
- परिचय
- यह जुलाई 2022 से जून 2023 की अवधि के लिये राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा आयुष पर आयोजित पहला अखिल भारतीय सर्वेक्षण है जो भारत के लोगों द्वारा स्वास्थ्य की इन पारंपरिक देखभाल प्रथाओं के उपयोग के संबंध में बहुमूल्य सूचना प्रदान करता है
- इस सर्वेक्षण में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ दूरवर्ती ग्रामों के अतिरिक्त समग्र भारतीय संघ को शामिल किया गया।
- उद्देश्य: निम्नलिखित के संबंध में जानकारी एकत्र करना:
- स्वास्थ्य सेवा की पारंपरिक प्रणाली (चिकित्सा की आयुष प्रणाली) के संबंध में जन जागरूकता,व्याधियों की रोकथाम अथवा उनके उपचार हेतु आयुष का उपयोग,
- घरेलू उपचार, औषधीय पौधों, स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा/लोक चिकित्सा के बारे में परिवारों की जागरूकता।
- आयुष चिकित्सा प्रणालियों का उपयोग करके उपचार के लिये घरेलू व्यय के बारे में जानकारी एकत्र करना।
- प्रमुख निष्कर्ष:
- AYUSH के प्रति जागरूकता:
- ग्रामीण भारत में लगभग 95% पुरुष और महिलाएँ (15 वर्ष और उससे अधिक आयु के) आयुष से परिचित हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह जागरूकता दर लगभग 96% है।
- ग्रामीण भारत के लगभग 79% घरों में और शहरी भारत के लगभग 80% घरों में कम से कम एक सदस्य को औषधीय पौधों तथा घरेलू दवाओं के बारे में जानकारी होती है।
- लगभग 24% घरों (ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में) के कम से कम एक सदस्य को परंपरागत चिकित्सा या स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा के बारे में जानकारी होती है।
- AYUSH के प्रति जागरूकता:
- AYUSH का अनुप्रयोग:
- विगत 365 दिनों के दौरान शहरी क्षेत्रों के लगभग 53% लोगों एवं ग्रामीण क्षेत्रों के 46% लोगों ने बीमारियों की रोकथाम या उपचार हेतु आयुष का उपयोग किया है।
- AYUSH उपचार हेतु किया गया व्यय:
- बीमारियों की रोकथाम या उपचार के क्रम में AYUSH पद्धति पर प्रति व्यक्ति औसत व्यय शहरी क्षेत्रों में 574 रुपए तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 472 रुपए था।
- उद्देश्यानुसार आयुष प्रणाली का उपयोग:
- योगाभ्यास:
- ग्रामीण भारत में लगभग 1.1 करोड़ परिवारों और शहरी भारत में लगभग 1.4 करोड़ परिवारों में कम-से-कम एक सदस्य नियमित रूप से योग का अभ्यास करता पाया जाता है।
आयुष
- आयुष भारत में प्रचलित चिकित्सा प्रणालियों का संक्षिप्त नाम है जैसे:
- आयुर्वेद: समग्र कल्याण पर केंद्रित प्राचीन चिकित्सा प्रणाली।
- योग: शारीरिक मुद्राओं एवं ध्यान के माध्यम से तन, मन और आत्मा का एकीकरण।
- प्राकृतिक चिकित्सा: जल, वायु तथा आहार जैसे तत्त्वों के उपयोग से प्राकृतिक उपचार।
- यूनानी: हास्य सिद्धांत(Humoral Theory) और हर्बल उपचार के उपयोग से संतुलन की स्थापना।
- सिद्ध: पाँच तत्त्वों और ह्यूमर तमिल चिकित्सा का आधार है।
- होम्योपैथी: स्व-उपचार प्रतिक्रियाओं को उत्तेजित करने हेतु धीमी उपचार प्रक्रिया।
- ये प्रणालियाँ पारंपरिक चिकित्सा दर्शन पर आधारित हैं और रोगों की रोकथाम तथा स्वास्थ्य संवर्द्धन की स्थापित अवधारणाओं के साथ स्वस्थ जीवन जीने का एक तरीका प्रस्तुत करती हैं।
- आयुष मंत्रालय भारत में आयुष की शिक्षा, अनुसंधान और प्रचार-प्रसार के विकास के लिये उत्तरदायी है।
भारत में आयुष को बढ़ावा देने से संबंधित सरकारी योजनाएँ क्या हैं?
- केंद्र प्रायोजित योजनाएँ:
- राष्ट्रीय आयुष मिशन:
- इसे भारत में पारंपरिक और लागत प्रभावी आयुष चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2014 में लॉन्च किया गया था।
- यह आयुष में बुनियादी ढाँचे के विकास को मज़बूत करने, शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के साथ गुणवत्ता नियंत्रण पर केंद्रित है।
- राष्ट्रीय आयुष मिशन:
- केंद्रीय क्षेत्रक योजनाएँ:
- आयुर्ज्ञान:
- इस योजना का उद्देश्य आयुष में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना है और इसे वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 की अवधि के लिये अनुमोदित किया गया है।
- इसमें दो घटक शामिल हैं: आयुष पेशेवरों के लिये प्रशिक्षण प्रदान करने और ज्ञान अंतराल को पाटने हेतु आयुष में क्षमता निर्माण एवं सतत् चिकित्सा शिक्षा (Continuing Medical Education- CME) तथा आयुष प्रणालियों में अनुसंधान का समर्थन करने के लिये आयुष में अनुसंधान एवं नवाचार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों से जुड़े प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना।
- आयुर्वेदस्वास्थ्य:
- आयुर्वेदस्वास्थ्य (AYURSWASTHYA) योजना के उत्कृष्टता केंद्र कार्यक्रम के तहत आयुष में काम करने वाले संगठनों और संस्थानों को फंड दिया जाता है। इस फंड से उन्हें अपनी सुविधाओं, शोध तथा समग्र संचालन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
- चैंपियन सेवा क्षेत्र योजना:
- इसका उद्देश्य भारत में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देना है। यह आयुर्वेद और योग जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा देने से कहीं आगे है।
- इस योजना का उद्देश्य भारत में इन अद्वितीय स्वास्थ्य देखभाल विकल्पों की तलाश करने वाले अंतर्राष्ट्रीय रोगियों, पर्यटकों और आगंतुकों को आकर्षित करना भी है।
- आयुष में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना:
- इसका उद्देश्य आयुष चिकित्सा पद्धति के बारे में जागरूकता और रुचि को बढ़ावा देना, मज़बूत करना तथा आयुष के अंतर्राष्ट्रीय प्रचार, विकास एवं मान्यता को सुविधाजनक बनाना है।
- आयुष औषधि गुणवत्त एवं उत्पादन संवर्द्धन योजना:
- इसका उद्देश्य भारत में आयुष औषधियों की गुणवत्ता एवं विनिर्माण को उन्नत करना है, जिससे वे अधिक सुरक्षित, अधिक विश्वसनीय बन सकें तथा सम्भवतः विश्वभर में निर्यात की जा सकें।
- औषधीय पौधों का संरक्षण, विकास एवं सतत् प्रबंधन:
- इसका उद्देश्य औषधीय पौधों का संवर्द्धन, खेती और संरक्षण करना है।
- आयुष मंत्रालय द्वारा स्थापित राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड का उद्देश्य औषधीय पौधों की वृद्धि और खेती को समर्थन देना तथा विभिन्न मंत्रालयों, विभागों तथा संगठनों के बीच विकास प्रयासों का समन्वय करना है।
- आयुर्ज्ञान:
आयुष से संबंधित अन्य योजनाएँ
- आयुष क्षेत्र पर नए पोर्टल
- आयुष उद्यमिता कार्यक्रम
- आयुष वेलनेस सेंटर
- ACCR पोर्टल और आयुष संजीवनी एप
- आयुष समग्र वेलनेस सेंटर (AYUSH HWC)
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न. भारत में निवारक स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने और पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर बोझ को कम करने में आयुष चिकित्सा प्रणालियों की भूमिका पर चर्चा कीजिये। समग्र स्वास्थ्य सेवा दृष्टिकोण के लिये आयुष की शक्तियों को तथा अधिक एकीकृत करने एवं उनका लाभ उठाने के उपाय सुझाइये। |
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