प्रिलिम्स फैक्ट्स (11 Oct, 2023)



अरुणाचल प्रदेश को तीन उत्पादों के लिये मिला GI टैग

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

अरुणाचल प्रदेश को हाल ही में अरुणाचल याक चुरपी, खाव ताई (खामती चावल) और तांगसा वस्त्र के लिये भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किया गया है।

अरुणाचल याक चुरपी, खाव ताई और तांगसा वस्त्र की विशिष्टता: 

  • अरुणाचल याक चुरपी:
    • उत्पत्ति: अरुणाचल याक चुरपी अरुणाचली याक के दुग्ध से बनाई जाती है। अरुणाचली याक एक दुर्लभ नस्ल की याक है जो मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग और तवांग ज़िलों में पाई जाती है।
    • जनजातीय याक चरवाहे: यह दुग्ध ब्रोकपास जनजाति द्वारा पाले गए याक से प्राप्त किया जाता है। यह समुदाय याक पालन में निपुण होता है।
      • ये चरवाहे मौसम परिवर्तित होने पर प्रवास करते हैं, गर्मियों के दौरान ये अपने याक को अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्र पर ले जाते हैं तथा सर्दियों में मध्य ऊँचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में प्रवास करते हैं, क्योंकि गर्मियों के दौरान याक निम्न ऊँचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों पर जीवित नहीं रह सकते हैं।
    • स्वास्थ्य लाभ और उपयोग: चुरपी प्रोटीन से भरपूर होता है और अरुणाचल प्रदेश के दुर्लभ, ठंडे एवं पर्वतीय क्षेत्रों में पोषण के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करता है।

  • खाव ताई (खामती चावल):
    • खाव ताई चबाने योग्य चावल की चिपचिपी प्रकार की किस्म है, जिसकी कृषि नामसाई क्षेत्र में पारंपरिक खम्पती जनजाति के किसानों द्वारा की जाती है।
  • तांग्सा टेक्सटाइल:
    • चांगलांग ज़िले की तांग्सा जनजाति द्वारा तैयार किये गए तांग्सा टेक्सटाइल उत्पाद अपने अनोखे डिज़ाइन और जीवंत रंगों के लिये प्रसिद्ध हैं।
      • यह पारंपरिक शिल्प कौशल इस क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है।

GI टैग:

  • भौगोलिक संकेत (GI) टैग कुछ उत्पादों पर प्रयुक्त एक चिह्न है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबद्ध है।
    • उदाहरण के लिये, दार्जिलिंग चाय, कांचीपुरम सिल्क आदि।
  • भौगोलिक संकेतों को पेरिस कन्वेंशन के अनुच्छेद 1(2) एवं 10 के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के एक भाग के रूप में मान्यता दी गई है और इन्हें बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (TRIPS) समझौते के अनुच्छेद 22-24 के तहत भी मान्यता प्राप्त है।
    • विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) के सदस्य के रूप में भारत ने इस प्रकार के संकेतको की सुरक्षा के लिये भौगोलिक संकेत अधिनियम, 1999 को लागू किया, जो 15 सितंबर, 2003 से प्रभावी हुआ।
    • एक पंजीकृत GI टैग 10 वर्षों के लिये मान्य होता है। इसे समय-समय पर 10-10 वर्ष की अगली अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किसको/किनको 'भौगोलिक सूचना (जिओग्राफिकल इंडिकेशन)' की स्थिति प्रदान की गई है? (2015)

  1. बनारस के जरी वस्त्र एवं साड़ी 
  2. राजस्थानी दाल-बाटी-चूरमा 
  3. तिरुपति लड्डू

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत में माल के भौगोलिक संकेत (रजिस्ट्रेशन और संरक्षण) अधिनियम,1999 को निम्नलिखित में से किससे संबंधित दायित्वों के अनुपालन के लिये लागू किया गया था? (2018)

(a) आई.एल.ओ.
(b) आई.एम.एफ.
(c) यू.एन.सी.टी.ए.डी.
(d) डब्ल्यू.टी.ओ.

उत्तर: (d)


बाघ और एशियाई जंगली कुत्ते का सह-अस्तित्व

स्रोत: द हिंदू

एक हालिया अध्ययन, 'क्या ढोल अर्थात् एशियाई जंगली कुत्ते स्वयं को अपने समस्थानिकों (Sympatric) से पृथक करते/पाते हैं?' 'उष्णकटिबंधीय वनों में आवास उपयोग तथा मांसाहारियों के सह-अस्तित्व', में शोधकर्त्ताओं ने असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान के भीतर ढोलों या एशियाई जंगली कुत्तों (Cuon alpinus) और बाघों के बीच सह-अस्तित्व के संबंध में एक रोचक अंतर्दृष्टि का खुलासा किया है।

  • यह अध्ययन उन कारकों पर प्रकाश डालता है जो इस विशिष्ट मांसाहार संबंध को आयाम देते हैं और उनकी अन्योन्य क्रिया तथा आवास प्राथमिकताओं में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

अध्ययन के मुख्य तथ्य:

  • असम के मानस नेशनल पार्क में किये गए अध्ययन से ढोल (एशियाई जंगली कुत्तों) और बाघों के बीच एक आश्चर्यजनक सकारात्मक संबंध का पता चला जो विरोधाभासी अन्योन्य क्रिया की पूर्व धारणाओं को चुनौती देता है।
  • ढोल और बाघों के बीच सकारात्मक संबंध का कारण शिकार की उपलब्धता या निवास स्थान की उपयुक्तता की ओवरलैपिंग हो सकते हैं, जो कार्यस्थल पर अधिक जटिल पारिस्थितिक गतिकी का सुझाव देते हुए आगामी शोध की आवश्यकता को भी प्रेरित करता है।
    • शोध के अनुसार, क्लाउडेड लेपर्ड्स (नियोफेलिस नेबुलोसा) के विपरीत सोन कुत्तों/ढोल की गतिविधियों में सामान्य तेंदुओं/लेपर्ड्स के साथ सर्वाधिक अस्थायी समानताएँ पाई गईं।
  • निवास स्थान के नुकसान, शिकार की उपलब्धता में कमी, बीमारी और अन्य प्रजातियों के साथ संघर्ष के परिणामस्वरूप ढोल प्रजाति की आबादी में गिरावट को देखते हुए यह अध्ययन ढोल के संरक्षण हेतु मानस राष्ट्रीय उद्यान के महत्त्व पर ज़ोर देता है।

सोन कुता/ढोल (Dhole):

  • परिचय:
    • ढोल (कुओन अल्पिनस) एक जंगली मांसाहारी जानवर है तथा कैनिडे समूह और स्तनधारी वर्ग से संबंधित है।
  • प्राकृतिक आवास:
    • ढोल मुख्यतः दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाते हैं,इनकी एक बड़ी आबादी चीन में निवास करती है। ऐतिहासिक रूप से वे पूरे दक्षिणी रूस और दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाते थे।
    • वर्ष 2020 में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, ये भारत में पश्चिमी और पूर्वी घाट, मध्य भारत तथा पूर्वोत्तर भारत में पाए जाते हैं। इनके संरक्षण में कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश राज्यों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
  • संरक्षण स्थिति:
  • मानस राष्ट्रीय उद्यान:
    • यह भारत के असम में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान, प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व, हाथी रिज़र्व और एक बायोस्फीयर रिज़र्व है। यह भूटान के रॉयल मानस नेशनल पार्क से सीमा साझा करता है।
    • इसे वर्ष 1990 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया तथा वर्ष 1988 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ।
    • मानस राष्ट्रीय उद्यान में भारतीय प्रजाति के एक सींग वाले गैंडे, एशियाई हाथियों, बाघों, क्लाउडेड लेपर्ड, हूलॉक गिब्बन जैसे जीवों की विविध प्रजातियों को संरक्षित किया जाता है।

 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. निम्नलिखित रक्षित क्षेत्रों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. बांदीपुर
  2. भीतरकणिका
  3. मानस
  4. सुन्दरबन

उपर्युक्त में से कौन से बाघ-आरक्षित क्षेत्र घोषित हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


विश्व कपास दिवस 2023

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में वस्त्र मंत्रालय ने भारतीय कपास निगम (CCI) और EU-संसाधन दक्षता पहल के सहयोग से विश्व कपास दिवस (7 अक्तूबर, 2023) के लिये एक सम्मेलन की मेज़बानी की जिसमें कपास मूल्य शृंखला में सर्वोत्तम प्रथाओं एवं संधारणीय तरीकों पर चर्चा की गई।

  • सम्मेलन में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का उपयोग करके "बेल आइडेंटिफिकेशन एंड ट्रैसेबिलिटी सिस्टम" (BITS) की शुरुआत की गई।
  • इसने ट्रेसेबिलिटी के साथ गुणवत्तापूर्ण कपास के लिये Kasturi कपास कार्यक्रम की शुरुआत भी की।

बेल आइडेंटिफिकेशन एंड ट्रैसेबिलिटी सिस्टम (BITS) और कस्तूरी कपास कार्यक्रम

  •  बेल आइडेंटिफिकेशन एंड ट्रैसेबिलिटी सिस्टम (BITS): 
    • BITS कपास उद्योग में एक तकनीकी पहल है जिसमे कपास के बंडलों को विशिष्ट QR कोड निर्दिष्ट करने के लिये ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है।
    • उद्देश्य: 
      • BITS को यह सुनिश्चित करने के लिये पेश किया गया था कि कपास की गाँठों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी, जैसे कि उनकी गुणवत्ता, विविधता, उत्पत्ति और प्रसंस्करण विवरण, घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों प्रकार के खरीदारों के लिये पारदर्शिता एवं सुलभता से उपलब्ध हो।
    • कपास की जानकारी:
      • कपास खरीदार, कपड़ा उत्पादक और अन्य जैसे हितधारक QR कोड को स्कैन करके कपास के बंडलों की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
    • कार्यान्वयन:
      • BITS को भारतीय कपास निगम (Cotton Corporation of India- CCI) द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से कार्यान्वित किया जाता है।
  • कस्तूरी कपास कार्यक्रम:
    • कस्तूरी कपास कार्यक्रम भारत में वस्त्र मंत्रालय द्वारा प्रीमियम गुणवत्ता वाले कपास के उत्पादन और उपलब्धता को बढ़ावा देने के लिये शुरू की गई एक पहल है।
      • इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन की देखरेख वस्त्र मंत्रालय के संरक्षण में CCI और TEXPROCIL द्वारा की जा रही है।
    • प्रमाणित गुणवत्ता:
      • कस्तूरी कपास कोई साधारण कपास नहीं है; यह कुछ गुणवत्ता मानकों को पूरा करने वाला प्रमाणित कपास है जिसमें फाइबर की लंबाई, मज़बूती, रंग और अन्य विशेषताएँ शामिल हैं जो इसे प्रीमियम वस्त्र उत्पादों के लिये उपयुक्त बनाती हैं।

कपास से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • परिचय: यह एक प्रमुख खरीफ फसल है जिसे पूरी तरह तैयार होने में लगभग 6 से 8 महीने लगते हैं।
    • इसे शुष्क जलवायु में भी उगाया जा सकता है।
    • विश्व के 2.1% कृषि योग्य भूमि पर कपास की खेती की जाती है, यह विश्वभर में 27% वस्त्र आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।
  • तापमान: लगभग 21-30°C के बीच
  • वर्षा: लगभग 50-100 से.मी.
  • मृदा का प्रकार: अच्छी जल निकासी वाली काली कपास मृदा (रेगुर मृदा) (जैसे दक्कन पठार की मृदा)
  • उत्पाद: फाइबर, तेल और पशु आहार।
  • शीर्ष कपास उत्पादक देश: भारत > चीन > अमेरिका
  • भारत में शीर्ष कपास उत्पादक राज्य: गुजरात > महाराष्ट्र > तेलंगाना > आंध्र प्रदेश > राजस्थान।
  • कपास की चार कृषि योग्य प्रजातियाँ: गॉसिपियम आर्बोरियम, जी.हर्बेसियम, जी.हिरसुटम और जी.बारबाडेंस।
    • गॉसिपियम आर्बोरियम और जी.हर्बेशियम को ओल्ड वर्ल्ड कॉटन अथवा एशियाई कपास के रूप में जाना जाता है।
    • जी. हिरसुटम को ‘अमेरिकन कॉटन’ या ‘अपलैंड कॉटन’ और जी. बारबडेंस को ‘इजिप्शियन कॉटन’ के रूप में भी जाना जाता है। ये दोनों नई वैश्विक कपास प्रजातियाँ हैं।
  • हाइब्रिड कपास: यह विभिन्न आनुवंशिक विशेषताओं वाले दो मूल पौधों के संक्रमण द्वारा बनाया गया कपास है। हाइब्रिड अक्सर प्रकृति में अनायास और बेतरतीब ढंग से निर्मित होते हैं जब खुले-परागण वाले पौधे अन्य संबंधित किस्मों के साथ स्वाभाविक रूप से पर-परागण करते हैं।
  • बी.टी. कपास: यह आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव अथवा कपास की आनुवंशिक रूप से संशोधित कीट-रोधी किस्म है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न1. भारत में काली कपास मृदा की रचना निम्नलिखित में से किसके अपक्षयण से हुई है? (2011) 

(a) भूरी वन मृदा
(b) विदरी (फिशर) ज्वालामुखीय चट्टान
(c) ग्रेनाइट और शिस्ट
(d) शेल और चूना-पत्थर

उत्तर: (b)


प्रश्न 2. निम्नलिखित विशेषताएँ भारत के एक राज्य की विशिष्टताएँ हैंः (2011)

  1. उसका उत्तरी भाग शुष्क एवं अर्द्धशुष्क है।
  2. उसके मध्य भाग में कपास का उत्पादन होता है।
  3. उस राज्य में खाद्य फसलों की तुलना में नकदी फसलों की खेती अधिक होती है।

उपर्युक्त सभी विशिष्टताएँ निम्नलिखित में से किस एक राज्य में पाई जाती हैं?

(a) आंध्र प्रदेश
(b) गुजरात
(c) कर्नाटक
(d) तमिलनाडु

उत्तर: (b)


प्रश्न 3. भारत में पिछले पांँच वर्षों में खरीफ फसलों की खेती के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये (2019)

  1. चावल की खेती का क्षेत्रफल सबसे अधिक है।
  2. ज्वार की खेती के तहत क्षेत्रफल तिलहन की तुलना में अधिक है। 
  3. कपास की खेती का क्षेत्रफल गन्ने के क्षेत्रफल से अधिक है। 
  4. गन्ने की खेती के क्षेत्रफल में लगातार कमी आई है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


हिंद महासागर रिम एसोसिएशन

स्रोत: द हिंदू

11 अक्तूबर, 2023 को कोलंबो, श्रीलंका में होने वाली 23वीं मंत्रिपरिषद की बैठक के दौरान श्रीलंका, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) की अध्यक्षता संभालने के लिये तैयार है। यह वर्ष 2023 से 2025 तक इस एसोसिएशन की अध्यक्षता करेगा।  

  • बांग्लादेश ने नवंबर 2021 से नवंबर 2023 तक इसकी अध्यक्षता की।

हिंद महासागर रिम एसोसिएशन: 

  • परिचय: 
    • IORA का दृष्टिकोण वर्ष 1995 में दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन राष्ट्रपति, नेल्सन मंडेला की भारत यात्रा के दौरान प्रकाश में आया, जहाँ उन्होंने कहा, "इतिहास और भूगोल के तथ्यों की प्राकृतिक प्रेरणा की अवधारणा के आलोक में सामाजिक-आर्थिक सहयोग हेतु हिंद महासागर क्षेत्र के देशों को खुद को मज़बूत बनाना चाहिये।"
    • इससे मार्च 1995 में हिंद महासागर रिम इनीशिएटिव और मार्च 1997 में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (तब इसे क्षेत्रीय सहयोग के लिये हिंद महासागर रिम एसोसिएशन के रूप में जाना जाता था) का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  • सदस्य: 
    • वर्तमान में IORA के 23 सदस्य देश और 11 संवाद भागीदार हैं।
      • सदस्य: ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, कोमोरोस, फ्राँस, भारत, इंडोनेशिया, ईरान, केन्या, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, मोजाम्बिक, ओमान, सेशेल्स, सिंगापुर, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, तंजानिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, यमन।
      • संवाद भागीदार: चीन, मिस्र, सऊदी अरब, जर्मनी, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम तथा संयुक्त राज्य अमेरिका।
  • सचिवालय: मॉरीशस
  • 6 प्राथमिकता वाले तथा 2 फोकस क्षेत्र:

  • हिंद महासागर:
    • व्यापार मार्गों से जुड़े तीसरे सबसे बड़े महासागर के रूप में यह विश्व के आधे कंटेनर जहाज़ों के साथ एक-तिहाई थोक कार्गो यातायात तथा दो-तिहाई तेल शिपमेंट को ले जाने वाले प्रमुख समुद्री मार्गों पर नियंत्रण रखता है, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और परिवहन के लिये हिंद महासागर एक महत्त्वपूर्ण जीवन रेखा बना हुआ है। 

प्रश्न. 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल को-ऑपरेशन (IOR_ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

1. इसकी स्थापना हाल ही में घटित समुद्री डकैती की घटनाओं और तेल अधिप्लाव (आयल स्पिल्स) की दुर्घटनाओं के प्रतिक्रियास्वरूप की गई है। 
2. यह एक ऐसी मैत्री है जो केवल समुद्री सुरक्षा हेतु है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: D


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 अक्तूबर, 2023

इंटरनेशनल डे ऑफ द गर्ल

हाल ही में चेन्नई की एक 21 वर्षीय महिला को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस (इंटरनेशनल डे ऑफ द गर्ल) 2023 के उपलक्ष्य में ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता में विजयी होने के बाद एक राजनयिक की भूमिका में पूरे दिन समय बिताने का अवसर मिला।

  • प्रतिवर्ष 11 अक्तूबर को मनाया जाने वाला इंटरनेशनल डे ऑफ द गर्ल पहली बार वर्ष 2012 में मनाया गया था।
  • वर्ष 1995 में बीजिंग घोषणा और प्लेटफाॅर्म फाॅर एक्शन द्वारा बालिकाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिये एक कार्य योजना का प्रस्ताव रखा गया था।
  • वर्ष 2011 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस घोषित करने के लिये संकल्प 66/170 को अंगीकृत किया।
    • इस दिवस का उद्देश्य बालिकाओं की शिक्षा, उनके अधिकारों और लैंगिक समानता के महत्त्व को बढ़ावा देना है।
    • यह वैश्विक समुदाय से वचनद्धताओं की पुष्टि के साथ ही बालिकाओं को सशक्त बनाने वाले बदलाव लाने हेतु आवश्यक कार्रवाई में साहसपूर्वक योगदान करने का आह्वान करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 का विषय है: "बालिकाओं के अधिकारों में निवेश: हमारा नेतृत्व, हमारा कल्याण (Invest in Girls' Rights: Our Leadership, Our Well-being)।"

और पढ़ें…अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस

टेली मानस सेवा

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने टेली मानसिक स्वास्थ्य सहायता एवं राज्यों में नेटवर्किंग (टेली मानस) सेवा की सफलता पर प्रकाश डाला।

  • टेली मानस सेवा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2022 पर शुरू की गई एक मानसिक स्वास्थ्य परामर्श सेवा है।
  • टेली मानस का उद्देश्य सभी भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) के एक डिजिटल घटक के रूप में 24X7 टेली-मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से न्यायसंगत, सुलभ, किफायती और गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना है।
  • टेली मानस हेल्पलाइन ऑडियो कॉलिंग और ऑटो-कॉल बैक सिस्टम के साथ टोल-फ्री पहुँच प्रदान करती है। प्रशिक्षित परामर्शदाता ज़रूरत पड़ने पर विशेषज्ञों को संदर्भित करते हुए ऑडियो तथा वीडियो विकल्पों सहित देखभाल प्रदान करते हैं।
    • तत्काल व्यक्तिगत देखभाल के लिये स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों से तृतीयक देखभाल केंद्रों तक ई-संजीवनी के माध्यम से स्वास्थ्य केंद्रों में रेफरल की व्यवस्था की जाती है।
  • टेली मानस ने 11 अक्तूबर, 2023 तक 3,50,000 से अधिक लोगों को परामर्श दिया है और इस हेल्पलाइन पर प्रतिदिन 1,000 से अधिक कॉल प्राप्त हो रही हैं।

और पढ़ें… विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2022, भारत की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा: ई-संजीवनी

इंद्रधनुष की प्रकाशिक परिघटना

इंद्रधनुष, एक मौसम संबंधी अद्भुत वायुमंडलीय प्रकाशीय परिघटना है जो वर्षा के बाद अपने उज्ज्वल रंगों के साथ आकाश को सुशोभित करता है, इसका अस्तित्व जल की बूँदों द्वारा प्रकाश के परावर्तन, अपवर्तन और प्रकीर्णन के कारण होता है। भारी वर्षा के बाद ये प्रकाशिक परिघटनाएँ क्षितिज पर इस प्रकार विस्तृत प्रतीत होती हैं, जैसे कि पृथ्वी की सतह को छू रही हों। यह एक दृष्टि संबंधी प्रकाशिक भ्रम है, जो वास्तव में आकाश में किसी विशिष्ट स्थान पर नहीं होता।

  • जब सूर्य की किरणें बारिश की बूँदों से टकराती है, तो कुछ प्रकाश परावर्तित हो जाता है। चूँकि विद्युत-चुंबकीय स्पेक्ट्रम कई अलग-अलग तरंगदैर्घ्य के प्रकाश से बना होता है और प्रत्येक तरंगदैर्घ्य एक अलग कोण पर परावर्तित होता है। इस प्रकार स्पेक्ट्रम अलग हो जाता है, जिससे इंद्रधनुष बनता है।
    • प्रत्येक वर्षा बूँद अनिवार्य रूप से एक लघु प्रिज़्म के रूप में कार्य करती है, जो प्रकाश को उसके घटक रंगों में अपवर्तित और प्रकीर्णित करती है।
    • जिस कोण पर ये रंग पर्यवेक्षक की आँख तक पहुँचते हैं वह स्थिर रहता है।
  • आकाश में इंद्रधनुष का स्थान सूर्य की स्थिति से निर्धारित होता है।
    • वर्षा की बूँदें, विशिष्ट कोणों पर सूर्य के विपरीत दिशा में उन्मुख होकर एक पूर्ण चक्र बना सकती हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर से हम क्षितिज के कारण इसकी केवल एक चाप ही देख पाते हैं।
    • लेकिन डूबते सूर्य जैसी विशेष परिस्थितियों में पहाड़ की चोटियों या गर्म हवा के गुब्बारे जैसे उच्च सुविधाजनक बिंदुओं से पर्यवेक्षक इस अद्भुत प्रकाशिक परिघटना के पूर्ण गोलाकार प्रदर्शन का अनुभव कर सकते हैं।

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राष्ट्रीय जलमार्ग 44 (इचामती नदी)

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय जलमार्ग 44 पर एक महत्त्वपूर्ण ड्रेजिंग कार्य शुरू किया गया है, जिसमें पश्चिम बंगाल की इचामती नदी भी शामिल है। इस परियोजना का उद्देश्य इचामती नदी की नौवहन गहराई को बढ़ाना है, जिससे ज्वारीय प्रभावों को प्रबंधित करने की इसकी क्षमता को बढ़ाने में सहायता मिलेगी।

  • इचामती नदी, जो भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा के रूप में कार्य करती है, इन दोनों देशों से होकर बहती है तथा इसके तीन विशिष्ट खंड हैं। इसके अतिरिक्त पश्चिम बंगाल के उत्तर 24-परगना ज़िले में स्थित ऑक्सबो झील का भी स्रोत है।
    • हालाँकि नदी में गाद जमा होने से इसे चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे शुष्क मौसम में इसका प्रवाह कम हो जाता है तथा वर्षा के मौसम में बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है।
  • इचामाती जैसे राष्ट्रीय जलमार्ग परिवहन के लिये आवश्यक हैं, भारत में कुल 14,500 किलोमीटर तक फैले 111 ऐसे अंतर्देशीय जलमार्ग मौजूद हैं

उत्तर-पश्चिमी अफगानिस्तान में भूकंप के झटके

हाल ही में उत्तर-पश्चिमी अफगानिस्तान में आए 6.3 तीव्रता के भूकंप से जान-माल की भारी तबाही हुई है।

  • इस विनाशकारी भूकंप के कारण यहाँ के निवासियों का जीवन काफी निराशापूर्ण स्थिति में है, वे मौजूदा प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरने तथा अपने जीवन को पुन: व्यवस्थित करने के लिये निरंतर संघर्षरत हैं।
  • भूकंप, पृथ्वी के अचानक तीव्र गति से कंपन की घटना है। इन हलचलों के परिणामस्वरूप भूकंपीय तरंगों के रूप में ऊर्जा मुक्त हो सकती है, जो पृथ्वी के माध्यम से फैलती है, जिससे ज़मीन हिलने लगती है।
    • पृथ्वी की सतह पर वह बिंदु जिसके ठीक ऊपर भूकंप उत्पन्न होता है उसे उपरिकेंद्र (एपिसेंटर) कहा जाता है और पृथ्वी के भीतर का वह स्थान जहाँ भूकंप की ऊर्जा निकलती है उसे हाइपोसेंटर या फोकस के रूप में जाना जाता है।

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