सामाजिक न्याय
लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण अंतराल
- 21 Jul 2023
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र, महिला सशक्तीकरण सूचकांक (WEI), वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक (GGPI) मेन्स के लिये:महिला सशक्तीकरण तथा लैंगिक समानता प्राप्त करने में चुनौतियाँ और अंतराल, महिलाओं से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में विश्व भर में महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है।
- यू.एन. वीमेन और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा संयुक्त रूप से किये गए व्यापक विश्लेषण में महिला सशक्तीकरण सूचकांक (Women’s Empowerment Index- WEI) और वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक (Global Gender Parity Index- GGPI) के आधार पर 114 देशों का मूल्यांकन किया गया है।
- मौजूदा निष्कर्ष कमियों को दूर करने और अधिक न्यायसंगत एवं समावेशी विश्व की दिशा में प्रगति को बढ़ावा देने हेतु व्यापक नीति की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हैं।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
- विश्व स्तर पर केवल 1% महिलाएँ उच्च महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता वाले देशों में रहती हैं।
- नेतृत्व भूमिका और निर्णय-प्रक्रिया मुख्य रूप से पुरुष-प्रधान बनी हुई है जिससे महिलाओं के लिये अवसर सीमित हो गए हैं।
- WEI के अनुसार, महिलाएँ औसतन अपनी पूरी क्षमता का केवल 60% ही प्राप्त कर पाती हैं।
- GGPI के अनुसार, मानव विकास के प्रमुख आयामों में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में 28% पीछे हैं।
- विश्लेषण किये गए 114 देशों में से किसी ने भी पूर्ण महिला सशक्तीकरण या लैंगिक समानता प्राप्त नहीं की।
- विश्व स्तर पर 90% से अधिक महिलाएँ उन देशों में रहती हैं जो लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण प्राप्त करने में खराब या औसत दर्जे का प्रदर्शन करती हैं।
- अत्यधिक विकसित देशों में भी लैंगिक समानता की चुनौतियाँ बरकरार हैं। विश्लेषण किये गए 114 देशों में से 85 से अधिक, जिनमें आधे से अधिक उच्च या उच्चतर मानव विकास श्रेणियों में शामिल हैं, कम या मध्यम महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता दर्शाते हैं। अर्थात् केवल आर्थिक प्रगति ही लैंगिक समानता सुनिश्चित नहीं करती।
- मध्यम मानव विकास के बावजूद भारत में महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता कम है, जो लैंगिक अंतर को समाप्त करने तथा महिलाओं की स्थिति को ऊपर उठाने के लिये ठोस प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
- केवल लैंगिक समानता ही महिला सशक्तीकरण की गारंटी नहीं देती। रिपोर्ट से पता चलता है कि लैंगिक अंतर वाले किसी भी देश ने उच्च महिला सशक्तीकरण की स्थिति प्राप्त नहीं की है।
- इसके अतिरिक्त लगभग 8% महिलाएँ कम सशक्तीकरण लेकिन उच्च लैंगिक समानता वाले देशों में रहती हैं।
यू.एन. वीमेन:
- विश्व भर में महिलाओं और लड़कियों की ज़रूरतों तथा उनके अधिकारों को पूरा करने में प्रगति में तीव्रता लाने के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2010 में यू.एन. वीमेन की स्थापना की गई थी।
- यू.एन. वीमेन, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों का समर्थन करती है क्योंकि यह लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिये वैश्विक मानक निर्धारित करती है, साथ ही महिलाओं और लड़कियों को लाभ पहुँचाने वाले कानूनों, नीतियों, कार्यक्रमों और सेवाओं के डिज़ाइन के साथ उन्हें कार्यान्वित करने के लिये सरकारों तथा नागरिक समाज के साथ काम करती है।
- यू.एन. वीमेन चार प्रमुख रणनीतिक प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करती है: महिलाओं का नेतृत्व और राजनीतिक भागीदारी, महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण, महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करना और शांति, सुरक्षा तथा मानवीय कार्रवाई।
व्यापक नीति कार्रवाई के लिये सिफारिशें:
- स्वास्थ्य नीतियाँ: सरकारों को सभी के लिये लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य तक सार्वभौमिक पहुँच का समर्थन एवं प्रचार करना चाहिये।
- शिक्षा में समानता: कौशल और शिक्षा की गुणवत्ता में अंतर (विशेष रूप से STEM जैसे क्षेत्रों में) की समस्या से निपटना, डिजिटल युग में महिलाओं एवं लड़कियों को सशक्त बनाने में मदद करना।
- कार्य और जीवन के बीच संतुलन तथा परिवारों के लिये समर्थन: कार्य और जीवन के बीच संतुलन बनाने में सहायक नीतियों और सेवाओं में निवेश किया जाना चाहिये, जिसमें वहनीय तथा गुणवत्तापूर्ण बाल देखभाल, माता-पिता की अवकाश संबंधी योजनाएँ एवं लचीली कामकाजी व्यवस्थाएँ शामिल हैं।
- महिलाओं की समान भागीदारी: सार्वजनिक जीवन के सभी क्षेत्रों में लैंगिक समानता हासिल करने के लिये निर्दिष्ट लक्ष्य और कार्य योजनाओं की स्थापना की जानी चाहिये, साथ ही महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकने वाले भेदभावपूर्ण कानूनों और विनियमों को समाप्त किया जाना चाहिये।
- महिलाओं के खिलाफ हिंसा: इसके लिये रोकथाम, सामाजिक मानदंडों में बदलाव और भेदभावपूर्ण कानूनों तथा नीतियों को खत्म करने पर केंद्रित व्यापक उपायों को लागू करना महत्त्वपूर्ण है।
महिला सशक्तीकरण सूचकांक (Women's Empowerment Index- WEI):
- यह यू.एन. वीमेन और UNDP द्वारा तैयार किया जाने वाला एक समग्र सूचकांक है।
- यह पाँच आयामों के आधार पर महिला सशक्तीकरण का आकलन करता है: जीवन और अच्छा स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल निर्माण और ज्ञान, श्रम एवं वित्तीय समावेशन, निर्णय लेने में भागीदारी तथा हिंसा से मुक्ति।
- WEI विकल्प चुनने और जीवन के अवसरों का लाभ उठाने की महिलाओं की शक्ति एवं स्वतंत्रता को दर्शाता है।
- WEI का विकास साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है और लैंगिक समानता एवं महिलाओं तथा लड़कियों के सशक्तीकरण पर सतत् विकास लक्ष्य 5 (SDG5) की दिशा में सरकार की प्रगति की निगरानी के लिये आधार रेखा के रूप में कार्य करता है।
वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक (GGPI):
- GGPI एक समग्र सूचकांक है जो स्वास्थ्य, शिक्षा, समावेशन और निर्णय लेने सहित मानव विकास के प्रमुख आयामों में लैंगिक असमानताओं का आकलन करता है।
- GGPI को यू.एन. वीमेन और UNDP द्वारा 'समानता का मार्ग: महिला सशक्तीकरण एवं मानव विकास में लैंगिक समानता' शीर्षक से एक नई वैश्विक रिपोर्ट के हिस्से के रूप में विकसित किया गया है, जिसे जुलाई 2023 में लॉन्च किया गया था।
- GGPI का लक्ष्य विभिन्न संदर्भों और आयामों में पुरुषों के सापेक्ष महिलाओं की स्थिति को जानना है। यह लैंगिक समानता की बहुआयामी तथा परस्पर संबंधित प्रकृति को भी दर्शाता है।
सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक जीवन में लैंगिक अंतर को कम करने के लिये भारतीय पहल:
- आर्थिक भागीदारी और स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता:
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ: यह पहल बालिकाओं की सुरक्षा, अस्तित्व और शिक्षा सुनिश्चित करती है।
- महिला शक्ति केंद्र: इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को कौशल विकास और रोज़गार के अवसर प्रदान करके सशक्त बनाना है।
- राष्ट्रीय महिला कोष: यह एक शीर्ष सूक्ष्म-वित्त संगठन है जो गरीब महिलाओं को विभिन्न आजीविका और आय सृजन गतिविधियों के लिये रियायती शर्तों पर सूक्ष्म ऋण प्रदान करता है।
- सुकन्या समृद्धि योजना: इस योजना के तहत लड़कियों के बैंक खाते खुलवाकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया गया है।
- महिला उद्यमिता: महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार ने स्टैंड-अप इंडिया और महिला ई-हाट (महिला उद्यमियों/SHG/NGO का समर्थन करने हेतु ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म), उद्यमिता एवं कौशल विकास कार्यक्रम (ESSDP) शुरू किये हैं।
- कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय: इन्हें शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉक (EBB) में खोला गया है।
- राजनीतिक आरक्षण: सरकार ने महिलाओं के लिये पंचायती राज संस्थाओं में 33% सीटें आरक्षित की हैं।
- निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों का क्षमता निर्माण: यह महिलाओं को शासन प्रक्रियाओं में प्रभावी ढंग से भाग लेने के लिये सशक्त बनाने की दृष्टि से आयोजित किया जाता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन, विश्व के देशों के लिये 'सार्वभौम लैंगिक अंतराल सूचकांक (ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स)' का श्रेणीकरण प्रदान करता है? (2017) (a) विश्व आर्थिक मंच उत्तर: (a) |