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भारतीय अर्थव्यवस्था

विश्व व्यापार संगठन पैनल का भारत के खिलाफ फैसला

  • 19 Apr 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व व्यापार संगठन, यूरोपीय संघ, संरक्षणवाद, सूचना प्रौद्योगिकी समझौता

मेन्स के लिये:

विश्व व्यापार संगठन का भारत के खिलाफ फैसला

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में विश्व व्यापार संगठन पैनल ने यूरोपीय संघ और अन्य देशों के साथ सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों पर सीमा शुल्क संबंधी विवाद में भारत के खिलाफ फैसला सुनाया है।

प्रमुख बिंदु 

  • पृष्ठभूमि: 
    • भारत का लक्ष्य घरेलू सूचना प्रौद्योगिकी विनिर्माण को बढ़ावा देना और आयात पर अपनी निर्भरता को कम करना रहा है, लेकिन यूरोपीय संघ और अन्य देशों द्वारा इस दृष्टिकोण को चुनौती दी गई है जिनका तर्क है कि ऐसे उपाय संरक्षणवादी हैं तथा वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन करते हैं।
    • वर्ष 2019 में यूरोपीय संघ ने एकीकृत सर्किट, मोबाइल फोन और घटकों सहित विभिन्न IT उत्पादों पर 7.5% से 20% तक आयात कर लगाने के भारत के फैसले को चुनौती दी तथा  दावा किया कि ये दरें अनुमत सीमा से अधिक हैं।
    • जापान और ताइवान द्वारा भी यही शिकायत की गई है।
  • आदेश/निर्णय: 
    • पैनल का मानना था कि भारत द्वारा कुछ सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों पर लगाया गया सीमा शुल्क वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन है, इसका मुख्य कारण उन उत्पादों का सूचना प्रौद्योगिकी समझौते की शर्तों के साथ असंगत होना माना गया है।
      • ITA एक वैश्विक व्यापार समझौता है जिसका उद्देश्य IT उत्पादों की एक विस्तृत शृंखला पर सीमा शुल्क को समाप्त करना है। भारत वर्ष 1996 के वैश्विक व्यापार समझौते का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
    • इस फैसले ने वैश्विक मानदंडों और दायित्त्वों के साथ अपनी व्यापार नीतियों को संरेखित करने के लिये भारत की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
    • यह उन चुनौतियों को भी रेखांकित करता है जिनका सामना भारत जैसे विकासशील देशों को अंतर्राष्टीय व्यापार प्रतिबद्धताओं के साथ अपनी घरेलू नीति में संतुलन हेतु करना पड़ता है।
  • भारत का तर्क: 
    • भारत ने तर्क दिया कि ITA पर हस्ताक्षर करते समय स्मार्टफोन जैसे उत्पाद मौजूद नहीं थे और इसलिये यह ऐसी वस्तुओं पर टैरिफ को समाप्त करने के लिये बाध्य नहीं है।
  • आशय: 
    • यूरोपीय आयोग के अनुसार, यूरोपीय संघ भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका हिस्सा वर्ष 2021 में कुल भारतीय व्यापार का 10.8 प्रतिशत था। 
    • भारत के खिलाफ WTO के निर्णय का भारत और यूरोपीय संघ के साथ-साथ जापान तथा ताइवान के बीच व्यापार संबंधों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
    • यूरोपीय संघ और अन्य देशों द्वारा प्रस्तुत चुनौती के चलते भारत को आयात शुल्क कम करना या समाप्त करना पड़ सकता है। इसका भारत के घरेलू विनिर्माण क्षेत्र पर प्रभाव पड़ने की आशंका है, जिसे इस प्रकार के टैरिफ द्वारा संरक्षित किया गया है।

विश्व व्यापार संगठन के निर्णय के बाद भारत के पास विकल्प: 

  • भारत के पास IT टैरिफ पर WTO के फैसले के खिलाफ अपील करने का विकल्प है, लेकिन यदि भारत अपील करता है तो मामला कानूनी उत्पीड़न के तहत माना जाएगा। 
  • ऐसा इसलिये है क्योंकि WTO की शीर्ष अपीलीय पीठ न्यायाधीश नियुक्तियों के अमेरिकी विरोध के कारण अब कार्य नहीं कर रही है।
    • कानूनी शोधन (Legal Purgatory) का उपयोग ऐसी स्थिति का वर्णन करने के लिये किया जाता है जहाँ एक कानूनी मामला या विवाद बिना समाधान या स्पष्ट मार्ग के कारण अधर में लटका हो। 
    • यह स्थिति उन देशों के लिये विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है जो व्यापार विवादों को पारदर्शी और नियम-आधारित तरीके से हल करने की मांग कर रहे हैं क्योंकि यह विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान तंत्र की प्रभावशीलता को कम करता है।

विश्व व्यापार संगठन (WTO):

  • परिचय: 
    • यह वर्ष 1995 में अस्तित्त्व में आया। विश्व व्यापार संगठन द्वितीय विश्व युद्ध के मद्देनज़र स्थापित टैरिफ और व्यापार (GATT) पर सामान्य समझौते का उत्तराधिकारी है। 
      • इसका उद्देश्य संभावित व्यापार प्रवाह को सुचारु, स्वतंत्र बनाने में मदद करना है। 
      • इसमें 164 सदस्य शामिल हैं और विश्व व्यापार इनकी 98% की हिस्सेदारी है। 
    • इसे GATT के तहत आयोजित व्यापार वार्ताओं या दौरों की एक शृंखला के माध्यम से विकसित किया गया था। 
      • GATT बहुपक्षीय व्यापार समझौतों का एक समूह है जिसका उद्देश्य कोटा समाप्त करना और अनुबंध करने वाले देशों के बीच टैरिफ शुल्क में कमी करना है। 
    • विश्व व्यापार संगठन के नियम-समझौते सदस्यों के बीच बातचीत का परिणाम हैं। 
      • वर्तमान स्वरूप काफी हद तक वर्ष 1986-94 उरुग्वे दौर की वार्ता का परिणाम है, जिसमें मूल GATT में एक बड़ा संशोधन शामिल था। 
    • विश्व व्यापार संगठन का सचिवालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में स्थित है। 

  • विश्व व्यापार संगठन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन:
    • यह विश्व व्यापार संगठन का शीर्ष निर्णय लेने वाला निकाय है और आमतौर पर हर दो साल में इसकी बैठक होती है। 
    • विश्व व्यापार संगठन के सभी सदस्य मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में शामिल होते हैं और वे किसी भी बहुपक्षीय व्यापार समझौते के तहत आने वाले सभी मामलों पर निर्णय ले सकते हैं। 
  • चिंताएँ: 
    • न्यायाधीश नियुक्तियों को लेकर अमेरिकी विरोध के कारण WTO के शीर्ष अपीलीय अधिकारी अब काम नहीं कर रहे हैं।
    • वर्तमान स्थिति उन चुनौतियों को उजागर करती है जिनका सामना विश्व व्यापार संगठन को वर्तमान वैश्विक संदर्भ में व्यापार विवादों को हल करने में करना पड़ता है, देश संरक्षणवादी उपायों को तेज़ी से अपना रहे हैं जो नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली को चुनौती दे रहे हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. भारत ने WTO के व्यापार सुगम बनाने के करार (TFA) का अनुसमर्थन किया है। 
  2. TFA, WTO के बाली मंत्रिस्तरीय पैकेज 2013 का एक भाग है। 
  3. TFA, जनवरी 2016 में प्रवृत्त हुआ। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 1 और 3 
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (a) 

व्याख्या: 

  • वर्ष 2013 के बाली मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में व्यापार सुविधा समझौते (Trade Facilitation Agreement- TFA) पर बातचीत की गई थी। अत: कथन 2 सही है। 
  • यह विश्व व्यापार संगठन के दो-तिहाई सदस्यों के अनुसमर्थन के बाद 22 फरवरी, 2017 को लागू हुआ। अतः कथन 3 सही नहीं है। 
  • भारत ने 2016 में TFA की पुष्टि की थी। अतः कथन 1 सही है। 
  • TFA के तहत पारगमन में वस्तु की आवाजाही, निपटान और निकासी में तेज़ी लाने के प्रावधान शामिल हैं। यह व्यापार सुविधा एवं सीमा शुल्क व अन्य उपयुक्त अधिकारियों के बीच प्रभावी सहयोग हेतु उपायों को भी निर्धारित करता है 
  • अनुपालन के मुद्दे: इसमें भविष्य में इस क्षेत्र में तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण हेतु प्रावधान शामिल हैं। 
  • अतः विकल्प (a) सही है। 

स्रोत: द हिंदू

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