भारतीय विरासत और संस्कृति
भारत में विश्व धरोहर स्थल
- 01 Feb 2021
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यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) द्वारा सूचीबद्ध विशेष सांस्कृतिक या भौतिक महत्त्व के कारण स्थलों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में जाना जाता है। विश्व धरोहर स्थलों की सूची को ‘विश्व धरोहर कार्यक्रम’ (World Heritage Programme) द्वारा तैयार किया जाता है, यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति (World Heritage Committee) द्वारा इस कार्यक्रम को प्रशासित किया जाता है।
- यूनेस्को विश्व भर में सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर (जिसे मानवता के लिये उत्कृष्ट मूल्य माना जाता है) की पहचान, संरक्षण और सुरक्षा को प्रोत्साहित करने की कोशिश करता है।
- यूनेस्को द्वारा वर्ष 1972 में अपनाई गई विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण से संबंधित कन्वेंशन नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संधि में यह सन्निहित है।
- भारत में 30 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित सहित कुल 38 विश्व धरोहर स्थल हैं।
यूनेस्को
- यूनेस्को (UNESCO) यानी 'संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization)' संयुक्त राष्ट्र का ही एक भाग है।
- मुख्यालय - पेरिस (फ्राँस)
- गठन - 16 नवंबर, 1945
- कार्य- शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना।
- उद्देश्य - इसका उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कृति के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से शांति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है, ताकि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में वर्णित न्याय, कानून का राज, मानवाधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रता हेतु वैश्विक सहमति बन पाए।
भारत में सांस्कृतिक स्थल (30)
आगरा का किला (1983)
- यह 16वीं सदी में बना एक मुगल स्मारक है।
- इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थरों से किया गया है।
- इस किले में शाहजहाँ द्वारा निर्मित जहाँगीर महल और खास महल मौजूद हैं।
अजन्ता की गुफाएँ (1983)
- अवस्थिति: ये गुफाएँ महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास वाघोरा नदी के पास सह्याद्रि पर्वतमाला (पश्चिमी घाट) में रॉक-कट गुफाओं की एक शृंखला के रूप में स्थित हैं।
- गुफाओं की संख्या: इसमें कुल 29 गुफाएँ (सभी बौद्ध) हैं, जिनमें से 25 को विहार या आवासीय गुफाओं के रूप में, जबकि 4 को चैत्य या प्रार्थना हाल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
- गुफाओं का विकास 200 ई.पू. से 650 ईस्वी के मध्य हुआ था।
नालंदा महाविहार का पुरातात्त्विक स्थल (2016)
- तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 13वीं शताब्दी ईस्वी तक के एक मठ और शैक्षणिक संस्थान के अवशेष।
- इस महाविहार के पुरातत्त्व में स्तूप, मंदिर और विहार (आवासीय तथा शैक्षिक भवन) के साथ स्तूप, पत्थर व धातु पर मौजूद महत्त्वपूर्ण कलाकृतियाँ शामिल हैं।
- इसे भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है।
सांची का बौद्ध स्मारक (1989)
- यह वर्तमान में अस्तित्व में सबसे पुराना बौद्ध अभयारण्य है जो 12वीं शताब्दी तक भारत में एक प्रमुख बौद्ध केंद्र था।
- इसके स्तंभों, प्रासादों, मंदिरों और मठों का निर्माण अलग-अलग राज्यों द्वारा (अधिकांश पहली और दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में) किया गया है।
चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्त्व उद्यान (2004)
- इस उद्यान में प्रागैतिहासिक काल में बनाए गए प्रारंभिक हिंदू राजधानी का एक पहाड़ी किला और 16वीं शताब्दी में निर्मित गुजरात राज्य की राजधानी के अवशेष हैं।
- इन अवशेषों में 8वीं से 14वीं शताब्दियों के बीच के महल, धार्मिक इमारतें, आवासीय परिसर, कृषि आदि अवसंरचानाएँ भी शामिल हैं।
- कालिकामाता का मंदिर, पावागढ़ पहाड़ी की चोटी पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल माना जाता है, जहाँ पूरे वर्ष बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं।
- यह स्थल एकमात्र पूर्ण और अपरिवर्तित इस्लामिक पूर्व-मुगल शहर है।
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (विक्टोरिया टर्मिनस) (2004)
- भारत में विक्टोरिया युगीन गोथिक वास्तुकला का विकास भारत के पारंपरिक वास्तुकला के साथ मिलकर हुआ है।
- यह इमारत ब्रिटिश वास्तुकार एफ. डब्लू. स्टीवंस द्वारा डिज़ाइन की गई है। विक्टोरियन गोथिक (Victorian Gothic) शैली में बनी यह इमारत बॉम्बे की पहचान है।
- मध्ययुगीन इतालवी मॉडलों पर आधारित एक उच्च विक्टोरियन गोथिक (High Victorian Gothic) डिज़ाइन के अनुसार, इस टर्मिनल का निर्माण कार्य वर्ष 1878 में शुरू किया गया था जो 10 वर्षों में बनकर तैयार हुआ था।
- इस वास्तुकला के तहत बनी इमारतों के गुंबद, बुर्ज, नुकीले मेहराब आदि पारंपरिक भारतीय महल वास्तुकला से मिलते-जुलते हैं।
गोवा के चर्च और मठ (1986)
- गोवा के चर्च और मठ, विशेष रूप से बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस (Basilica of Bom Jesus) एशिया में ईसाई धर्म प्रचार के प्रारंभ का संकेत देते हैं।
- बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस में सेंट फ्राँसिस जेवियर की पवित्र कब्र भी है।
- इन स्मारकों को एशिया के प्रमुख हिस्सों में मैनुअलिन (Manueline), मैननर (Mannerist) और बारोक (Baroque) कला के प्रसार के लिये जाना जाता है।
एलीफेंटा की गुफाएँ (1987)
- एलीफेंटा को घारापुरी के पुराने नाम से जाना जाता है जो कोंकणी मौर्यों की द्वीपीय राजधानी थी।
- एलीफेंटा द्वीप महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई में गेटवे ऑफ इंडिया से 10 किमी. की दूरी पर स्थित है।
- इन गुफाओं में शैव पंथ से जुड़ी शिल्प कला का संग्रह है।
- इन गुफाओं का निर्माण 5वीं से 6वीं शताब्दी ईस्वी के मध्य हुआ था।
फतेहपुर सीकरी (1986)
- इसका निर्माण सम्राट अकबर द्वारा 16वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में कराया गया था। फतेहपुर सीकरी छोटी अवधि के लिये मुगल साम्राज्य की राजधानी भी थी।
- इसमें भारत के सबसे बड़े मस्जिदों में से एक जामा मस्जिद सहित कई अन्य स्मारक भी हैं।
ग्रेट लिविंग चोल मंदिर (1987, 2004)
- चोल साम्राज्य के राजाओं द्वारा निर्मित ये मंदिर वास्तुकला, मूर्ति कला, पेंटिंग और कांस्य ढलाई (Bronze Casting) में चोलों की सटीकता तथा पूर्णता को प्रकट करते हैं।
- यह मंदिर 11वीं और 12वीं शताब्दी में निर्मित तीन मंदिरों का समूह है: तंजावुर में बृहदेश्वर मंदिर, गंगाईकोंडचोलिसवरम में बृहदेश्वर मंदिर और दरासुरम में ऐरावतेश्वर मंदिर।
- राजेंद्र प्रथम द्वारा निर्मित गंगाईकोंडचोलिसवरम के मंदिर और राजराजा द्वारा निर्मित ऐरावतेश्वर मंदिर के विमान क्रमशः 53 मीटर और 24 मीटर ऊँचे हैं।
- बृहदेश्वर और ऐरावतेश्वर मंदिर
हम्पी में स्मारकों का समूह (1986)
- यह स्थल विजयनगर राज्य की अंतिम राजधानी थी।
- विजयनगर के शासकों द्वारा हम्पी के मंदिर और महल को 14वीं और 16वीं शताब्दी के मध्य बनवाया गया था।
- हम्पी के मंदिरों को उनकी बड़ी विमाओं, पुष्प अलंकरण, स्पष्ट नक्काशी, विशाल खम्भों, भव्य मंडपों एवं मूर्ति कला तथा पारंपरिक चित्र निरुपण के लिये जाना जाता है, जिसमें रामायण और महाभारत के विषय शामिल किये गए हैं।
महाबलीपुरम में स्मारक समूह (1984)
- पल्लव राजाओं द्वारा स्मारकों के इस समूह की स्थापना बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर 7वीं और 8वीं शताब्दी में की गई थी।
- इन मंदिरों का निर्माण मुख्य रूप से चट्टानों को तराश कर किया गया है जिनमें गुफा मंदिरों की श्रृंखला में ‘अर्जुन की तपस्या’ (Arjuna’s Penance) या ‘गंगा का अवतरण’ (Descent of the Ganges) और शोर मंदिर (Shore Temple) अधिक लोकप्रिय हैं।
- इन स्मारकों में पाँच रथ, एकाश्म मंदिर, सात मंदिरों के अवशेष शामिल हैं, इसी कारण इस शहर को सप्त पैगोडा के रूप में भी जाना जाता था।
पट्टदकल समूह के स्मारक (1987)
- कर्नाटक में पट्टदकल 7वीं और 8वीं शताब्दी के दौरान बादामी के चालुक्य राजवंश द्वारा बनवाए गए 'बेसर शैली' के मंदिरों के लिये प्रसिद्ध हैं।
- यहाँ निर्मित 10 प्रमुख मंदिरों में नौ शिव मंदिर तथा एक जैन मंदिर है, जिसमें 'विरूपाक्ष का मंदिर' सर्वाधिक प्रसिद्ध है। यह मंदिर रानी लोकमहादेवी द्वारा अपने पति की काँची के पल्लवों पर विजय के उपलक्ष्य में बनवाया गया था।
राजस्थान के पर्वतीय किले (2013)
- इस विरासत स्थल में राजस्थान के चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, सवाई माधोपुर, जैसलमेर, जयपुर और झालावाड़ में स्थित छह राजसी किले शामिल हैं।
- इस भूमि पर किलों की शानदार उपस्थिति 8वीं से 18वीं शताब्दी तक के राजपूत शासन की जीवन-शैली और प्रकृति को दर्शाती है।
- यह किलेबंदी शहरी केंद्रों, महलों, व्यापारिक केंद्रों और मंदिरों के चारों तरफ है, जहाँ कला और संस्कृति के विभिन्न रूपों का विकास हुआ है।
ऐतिहासिक शहर अहमदाबाद (2017)
- सुल्तान अहमद शाह ने साबरमती नदी के पूर्वी तट अहमदाबाद शहर की स्थापना 15वीं शताब्दी में करवाई थी। यह शहर सदियों तक गुजरात राज्य की राजधानी के रूप में था।
- यह शहर विविध धर्मों के सामंजस्यपूर्ण अस्तित्व का प्रमाण है। यहाँ की स्थापत्य विरासत में भद्र का दुर्ग, पुराने शहरों की दीवारें और द्वार तथा कई मस्जिदों एवं मकबरों के अलावा हिंदू व जैन मंदिर शामिल हैं।
हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली (1993)
- वर्ष 1570 में निर्मित इस मकबरे का लंबे समय से सांस्कृतिक महत्त्व है क्योंकि यह भारत में निर्मित पहला उद्यान-मकबरा था।
- यह मकबरा ताजमहल सहित कई अन्य वास्तुशिल्प नवाचारों के लिये प्रेरणा स्रोत था।
जयपुर शहर, राजस्थान (2019)
- जयपुर नगर (चहारदिवारी वाला नगर) की स्थापना वर्ष 1727 में सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा की गई थी।
- जयपुर नगर को वैदिक वास्तुकला के प्रकाश में व्याख्यायित स्टूडियो योजना के अनुसार बसाया गया था।
- नगर की सड़कों के ओर उपनिवेश काल से ही व्यवसाय की सुविधा है। ये सड़कें बड़े चौराहों जिन्हें चौपड़ कहा जाता है, पर एक-दूसरे से मिलती हैं।
- नगर की योजना में प्राचीन हिंदू, मुगल और पश्चिमी देशों के तत्त्वों का प्रयोग किया गया है।
खजुराहो समूह के स्मारक (1986)
- चंदेल राजवंश द्वारा 10वीं और 11वीं शताब्दी में निर्मित ये मंदिर समूह स्थापत्य कला और मूर्ति कला का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
- नागर शैली में बने यहाँ के मंदिरों की संख्या अब केवल 20 ही रह गई है, जिनमें कंदरिया महादेव का मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
- यहाँ के मंदिर दो धर्मों- जैन और हिंदू से संबंधित हैं।
महाबोधि मंदिर परिसर, बोधगया (2002)
- इस परिसर के पहले मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में कराया गया था तथा वर्तमान मंदिर अनुमानतः 5वीं या 6वीं शताब्दी में निर्मित माना जाता है।
- यह सबसे प्राचीन बौद्ध मंदिरों में से एक है जो पूरी तरह से ईंटों से बना हुआ है।
- महाबोधि मंदिर परिसर भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधित चार पवित्र स्थलों में से एक है।
भारत के पर्वतीय रेलवे (1999, 2005, 2008)
- भारत के पर्वतीय रेलवे के तीन रेलवे विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल हैं।
- दार्जिलिंग पर्वतीय रेलवे: यह रेलवे पहाड़ी यात्री रेलवे का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है।
- इसे वर्ष 1881 में शुरू किया गया। यह एक अत्यंत खुबसूरत पहाड़ी क्षेत्र में एक प्रभावी रेल लिंक स्थापित करने में आने वाली समस्या का निराकरण करने का एक साहसिक इंजीनियरिंग प्रयास है।
- नीलगिरि पर्वतीय रेलवे: यह लाइन 1891 में शुरू हुई और 1908 तक पूरी हुई, यह तमिलनाडु में 46 किलोमीटर लंबी मीटर-गेज सिंगल-ट्रैक रेलवे है।
- कालका-शिमला रेलवे: यह एक 96.6 किलोमीटर लंबा, सिंगल ट्रैक वर्किंग रेल लिंक है जिसे शिमला को जोड़ने के लिये 19वीं शताब्दी के मध्य में बनाया गया था।
कुतुब मीनार और इसके अन्य स्मारक, नई दिल्ली (1993)
- कुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक के समय में प्रारंभ और इल्तुतमिश के समय में पूर्ण हुआ था।
- इसकी ऊँचाई 72.5 मीटर और आधार का व्यास क्रमशः 14.32 मीटर और 2.75 मीटर है।
- यहाँ से प्राप्त स्मारकों में प्रमुख हैं- अली दरवाज़ा, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (द्वितीय) का लौह स्तंभ, कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद आदि।
रानी की वाव, पाटन (2014)
- इस बावड़ी का निर्माण गुजरात के सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम की स्मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने वर्ष 1050 में सरस्वती नदी के किनारे करवाया था।
- सीढ़ीदार कुएँ भारतीय उप-महाद्वीप में भूमिगत जल स्रोत एवं संग्रहण प्रणालियों का विशेष तरीका रहे हैं और इन्हें 3,000 ई. पू. बनाया जाता रहा है।
- इस परिसर की तकनीक और बारीकियों तथा अनुपातों की अत्यंत सुंदर कला क्षमता को प्रदर्शित करते हुए इसमें मारू-गुर्जर स्थापत्य शैली का उपयोग किया गया है।
लाल किला परिसर, दिल्ली (2007)
- मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा लाल किले का निर्माण वर्ष 1648 में करवाया गया था, इसका नाम लाल बलुआ पत्थर की विशाल दीवारों के नाम पर रखा गया है।
- संपूर्ण लाल किला परिसर में इस्लाम शाह सूरी द्वारा वर्ष 1546 में निर्मित सलीमगढ़ किला भी शामिल है।
- लाल किला मुगल वास्तुशिल्प नवाचार और शिल्प कौशल का पूर्ण प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है।
भीमबेटका के शैल आवास, मध्य प्रदेश (2003)
- इन आवासों की खोज वर्ष 1975 में ‘विष्णु श्रीधर वाकणकर’ ने की थी।
- यह स्थल मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले में अब्दुलागंज के समीप 'रातापानी वन्यजीव अभयारण्य' में स्थित है।
- यहाँ प्राप्त 700 से अधिक शैलाश्रयों में से 400 शैलाश्रय चित्रों द्वारा सज्जित हैं।
सूर्य मंदिर, कोणार्क (1984)
- बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर भगवान सूर्य के रथ का एक विशाल प्रतिरूप है। यह मंदिर ओडिशा के पुरी ज़िले में स्थित है।
- रथ के 24 पहियों को प्रतीकात्मक डिज़ाइनों से सजाया गया है और सात घोड़ों द्वारा इस रथ को खींचते हुए दर्शाया गया है।
- कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंग वंश के शासक नरसिंह देव प्रथम ने कराया था।
ताज महल, आगरा (1983)
- ताजमहल (आगरा) मुगल सम्राट, शाहजहाँ द्वारा अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया गया सफेद संगमरमर का एक मकबरा है। यह यमुना नदी के किनारे पर स्थित है।
- ताजमहल का निर्माण वर्ष 1631 से वर्ष 1648 तक 17 वर्षों की अवधि में पूरा हुआ था।
- यह अपने अद्वितीय बनावट और स्वरूप के लिये प्रसिद्ध है।
ली कार्बूजियर का वास्तुकला कार्य, चंडीगढ़ (2016)
- इस वास्तुकला के जन्मदाता एक प्रसिद्द स्विस-फ्रेंच आर्किटेक्ट ली कार्बूजियर (Le Corbusier) थे।
- इस वास्तुकला की धरोहर में 7 देशों में फैले 17 स्थल शामिल हैं, जिनमें आधुनिक स्थापत्य शैली की अभिव्यक्ति को देखा जाता है।
- इस स्थापत्य कला द्वारा भीड़ भरे शहरों में लोगों को बेहतर आवासीय सुविधाएँ प्रदान करने के लिये इमारतों में अपार्टमेंट और मोड्यूलर डिज़ाइन की शुरुआत की गई थी।
- ली कार्बूजियर ने चंडीगढ़ में कॉम्पलेक्स के अलावा गवर्मेंट म्यूजियम एवं आर्ट गैलरी, चंडीगढ़ आर्किटेक्चर कॉलेज का भी डिज़ाइन तैयार किया है।
जंतर-मंतर, जयपुर (2010)
- जंतर-मंतर को 18वीं शताब्दी की शुरुआत में खगोलीय स्थितियों के अवलोकन के लिये बनाया गया था। सटीक अवलोकन करने के लिये इस साइट में 20 मुख्य उपकरणों का एक सेट स्थापित किया गया था।
- यह भारतीयों द्वारा मुगल काल में पुनर्जीवित खगोलीय कौशल और ज्ञान की अभिव्यक्ति को दर्शाता है।
विक्टोरियन गोथिक एवं आर्ट डेको इंसेबल्स, मुंबई (2018)
- इस साइट में 19वीं सदी का विक्टोरियन संरचनाओं का संग्रह (अर्थात् विक्टोरियन गोथिक पुनर्जागरण के भवन) एवं समुद्र तट के साथ 20वीं सदी के आर्ट डेको भवन शामिल हैं।
- ये दोनों शैलियाँ भारतीय वास्तु तत्त्वों से मेल खाती हैं। उदाहरण के लिये विक्टोरियन नियो-गोथिक शैलियों में डिज़ाइन की गई इमारतें बालकनीयों और बरामदों से संपन्न हैं। इसी प्रकार इंडो- डेको (Indo- Deco) का उपयोग आर्ट डेको (Art Deco) में भारतीय तत्त्वों को जोड़ने के बाद उभरी शैली का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
भारत में प्राकृतिक स्थल (7)
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र (2014)
- हिमाचल प्रदेश राज्य में हिमालय के पहाड़ों के पश्चिमी भाग में स्थित यह पार्क अपनी उच्च अल्पाइन चोटियों, अल्पाइन घास के मैदानों और नदी के साथ स्थित जंगलों के लिये जाना जाता है।
- यह क्षेत्र कई नदियों सहित उनके जल ग्रहण क्षेत्र के साथ-साथ ग्लेशियर से भी घिरा हुआ है।
- यह जैव विविधता की दृष्टि से एक हॉटस्पॉट क्षेत्र है जिसमें 25 प्रकार के जंगल एवं कई प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं, इनमें से कई संकटग्रस्त स्थिति में हैं।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (1985)
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (1985)
- यह राजस्थान राज्य में स्थित एक वेटलैंड है जिसका उपयोग 19वीं शताब्दी के अंत तक बतख शूटिंग रिज़र्व के रूप में किया जाता रहा है। हालाँकि जल्द ही इसमें शिकार को प्रतिबंधित कर दिया गया और वर्ष 1982 में इस क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
- यह राष्ट्रीय उद्यान 375 पक्षी प्रजातियों और विभिन्न अन्य प्रकार के जीवों का निवास स्थल है। यह पलैरेटिक प्रवासी जलपक्षी (Palaearctic Migratory Waterfow), गंभीर रूप से लुप्तप्राय साइबेरियन क्रेन (Siberian Crane) के साथ-साथ विश्व स्तर पर संकटग्रस्त ग्रेटर स्पॉटेड ईगल (Greater Spotted Eagle) और इंपीरियल ईगल (Imperial Eagle) के लिये शीतकालीन आश्रय प्रदान करने का कार्य करता है।
- यह गैर-प्रवासी प्रजनन पक्षियों का हर वर्ष बड़ी संख्या में स्वागत करता है।
मानस वन्यजीव अभयारण्य (1985)
- मानस वन्यजीव अभयारण्य असम में स्थित एक जैव विविधता हॉटस्पॉट है। यह मानस टाइगर रिज़र्व का हिस्सा है और मानस नदी के साथ फैला हुआ है।
- फारेस्ट हिल, जलोढ़ घास के मैदान और इस स्थल के सुंदरता और शांत वातावरण का कारण उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों की एक शृंखला है।
- यह कई प्रकार की लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे- बाघ, एक सींग वाला राइनो, स्विप डियर दलदली हिरण (Swamp Deer), पिग्मी हॉग (Pygmy Hog) और बंगाल फ्लोरिकन (Bengal Florican) को रहने के लिये वातावरण प्रदान करता है।
नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (1988, 2005)
- ये दोनों सुंदर राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड राज्य में असाधारण रूप से उच्च ऊँचाई वाले पश्चिम हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं।
- नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान ऊबड़-खाबड़ और ऊँचे-ऊँचे जंगलों से युक्त है जिसमें भारत का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत-शिखर नंदा देवी विद्यमान है। इसके विपरीत, फूलों की घाटी में अल्पाइन फूलों के प्रकार देखने को मिलते हैं।
- इन पार्कों में कई प्रकार के फूलों और जीवों की प्रजातियाँ निवास करती हैं, साथ ही विश्व स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियों की एक महत्त्वपूर्ण आबादी भी शामिल है- स्नो लेपर्ड (Snow Leopard), हिमालयन मस्क डियर (Himalayan Musk Deer) आदि।
सुंदरबन नेशनल पार्क (1987)
- पश्चिमी घाट भारत के पश्चिमी तट के समानांतर एक पर्वत शृंखला है जिसका विस्तार केरल, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में है।
- यह 1600 किमी. लंबी है जो एक विशाल क्षेत्र को कवर करती है तथा पालघाट दर्रे के पास 30 किमी. के क्षेत्र में 11 डिग्री उत्तर में केवल एक बार विखंडित है।
- पश्चिमी घाट भारतीय मानसून मौसम के पैटर्न को भी प्रभावित करता हैं क्योंकि यह उन बारिश की बूंदों वाली मानसूनी हवाओं के लिये अवरोधक का कार्य करता है जो दक्षिण-पश्चिम से आती है।
- पश्चिमी घाट उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों के साथ-साथ विश्व स्तर पर 325 संकटग्रस्त प्रजातियों का निवास स्थल भी है।
भारत के मिश्रित स्थल (1)
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (2016)
- सिक्किम में स्थित इस राष्ट्रीय उद्यान में विश्व की तीसरी सबसे ऊँची चोटी, माउंट खांग्चेंडज़ोंगा ( Mount Khangchendzonga) विद्यमान है।
- पार्क में बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ और विभिन्न झीलें और ग्लेशियर शामिल हैं, जिसमें 26 किलोमीटर लंबी ज़ेमू ग्लेशियर भी शामिल है, जो माउंट खांग्चेंडज़ोंगा के आधार पर स्थित है।
- यह सिक्किम राज्य के लगभग 25% हिस्से को कवर करता है और विभिन्न स्थानिक और संकटग्रस्त पौधे और पशु प्रजातियों के लिये रहने योग्य वातावरण सुनिश्चित करता है।