अंतर्राष्ट्रीय संबंध
छठा हिंद महासागर सम्मेलन
- 17 May 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:हिंद महासागर क्षेत्र, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संघ (आसियान), बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग हेतु बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC), जलवायु परिवर्तन, समुद्री प्रदूषण मेन्स के लिये:हिंद महासागर क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
छठे हिंद महासागर सम्मेलन, जो कि ढाका, बांग्लादेश में आयोजित किया गया, के दौरान हिंद महासागर क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार एवं विस्तार प्रमुख केंद्र बिंदु रहा है।
- सम्मेलन में "शांति समृद्धि और लचीले भविष्य हेतु साझेदारी" थीम के साथ क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाए रखते हुए आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा करने के लिये 25 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
प्रमुख बिंदु
- कनेक्टिविटी: भारत हिंद महासागर क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण अभिकर्त्ता होने के नाते बेहतर कनेक्टिविटी हासिल करने में विभिन्न चुनौतियों का सामना करता है।
- दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भूमि संपर्क स्थापित करना भारत के लिये बड़ी कठिनाइयाँ हैं। चुनौतियों के बावजूद बाधाओं को दूर करने एवं कनेक्टिविटी में सुधार हेतु सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया गया है।
- भारतीय विदेश मंत्री ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ एक प्रभावी और कुशल कनेक्टिविटी स्थापित करने के संभावित क्रांतिकारी प्रभाव पर ज़ोर दिया।
- भारत की खाड़ी और मध्य एशिया में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी विकसित करने इच्छा है।
- कनेक्टिविटी चुनौतियों से निपटने और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिये हिंद- महासागरीय क्षेत्र के देशों को सहयोग की सराहना करने और दीर्घकालिक परिणामों की ओर देखने आवश्यकता है:
- बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) जैसे उदाहरण मज़बूत सहयोग और साझा प्रयासों के महत्त्व को प्रदर्शित करते हैं।
- दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भूमि संपर्क स्थापित करना भारत के लिये बड़ी कठिनाइयाँ हैं। चुनौतियों के बावजूद बाधाओं को दूर करने एवं कनेक्टिविटी में सुधार हेतु सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया गया है।
- कानूनी दायित्त्वों और समझौतों को बनाए रखना: कानूनी दायित्त्वों की अवहेलना करने अथवा लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करने से सदस्य देशों के बीच विश्वास और भरोसे में कमी आ सकती है। निरंतर प्रगति सुनिश्चित करने के लिये सहयोग का दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखना आवश्यक है।
- स्थिर अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की स्थापना के लिये अंतर्राष्ट्रीय कानून, मानदंडों और नियमों का पालन महत्त्वपूर्ण है।
- धारणीय परियोजनाएँ और ऋण: अव्यवहार्य परियोजनाओं द्वारा सृजित अवहनीय ऋण इस क्षेत्र के देशों के लिये एक चिंता का विषय है (उदाहरण-श्रीलंका)।
- आने वाले समय में जटिलताओं से बचने के लिये पारदर्शी ऋण प्रथाओं को प्रोत्साहित करना और बाज़ार की वास्तविकताओं पर विचार करना आवश्यक है।
- साझा ज़िम्मेदारी और विषय: हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिये साझा ज़िम्मेदारी और केंद्रित प्रयासों की आवश्यकता है।
- समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना एक सामूहिक ज़िम्मेदारी है, व्यक्तिगत प्रभुत्त्व के लिये इससे समझौता नहीं किया जाना चाहिये। साथ ही कई व्यावहारिक कदम उठाए जाने की भी आवश्यकता है।
- इस सम्मेलन में जलवायु कार्रवाई और आतंकवाद विरोधी पहल के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला गया। देशों को अपने सामाजिक संरचना की रक्षा करते हुए उग्रवाद और कट्टरवाद से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिये आवश्यक समाधान सुनिश्चित करना चाहिये।
हिंद महासागर सम्मेलन:
- हिंद महासागर सम्मेलन, क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास (सागर) हेतु क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करने के लिये हिंद महासागर के देशों का एक प्रमुख परामर्शी मंच है। यह प्रक्रिया वर्ष 2016 में शुरू हुई थी।
- हिंद महासागर सम्मेलन का पहला संस्करण वर्ष 2016 में सिंगापुर में और पाँचवाँ वर्ष 2021 में अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित किया गया था।
हिंद महासागर क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ:
- भू राजनीतिक प्रतियोगिता: हिंद महासागर क्षेत्र प्रमुख शक्तियों और क्षेत्रीय अभिनेताओं के बीच भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा के लिये एक आकर्षण का केंद्र है। प्रतियोगिता में रणनीतिक हित, प्रभाव और संसाधनों तक पहुँच शामिल है, जिससे तनाव और संघर्ष होते हैं।
- हिंद महासागर भारत, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और मध्य-पूर्व तथा अफ्रीका के देशों सहित प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच एक केंद्रीय स्थिति रखता है।
- यह क्षेत्र शक्ति प्रक्षेपण और क्षेत्रीय मामलों पर प्रभाव की अनुमति देता है। होर्मुज़ जलडमरूमध्य, बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य और मलक्का जलडमरूमध्य जैसे प्रमुख चोकपॉइंट्स की उपस्थिति इसके सामरिक महत्त्व को और बढ़ाती है।
- चीन का सैन्यीकरण का कदम: चीन हिंद महासागर में भारत के हितों और स्थिरता के लिये एक चुनौती रहा है।
- भारत के पड़ोसी चीन से सैन्य और ढाँचागत सहायता प्राप्त कर रहे हैं, जिसमें म्याँमार के लिये पनडुब्बियाँ, श्रीलंका के लिये फ्रिगेट और जिबूती (हॉर्न ऑफ अफ्रीका) में इसका विदेशी सैन्य अड्डा शामिल है।
- साथ ही हंबनटोटा बंदरगाह (श्रीलंका) पर भी चीन का कब्ज़ा है, जो भारत के तटों से कुछ सौ मील की दूरी पर है।
- समुद्री सुरक्षा खतरे: IOR समुद्री डकैती, तस्करी, अवैध मछली पकड़ने और आतंकवाद सहित विभिन्न समुद्री सुरक्षा खतरों के प्रति संवेदनशील है।
- साथ ही हिंद महासागर की विशालता इसके समुद्री क्षेत्र की प्रभावी ढंग से निगरानी और सुरक्षा करना चुनौतीपूर्ण बना देती है।
- पर्यावरणीय चुनौतियाँ: जलवायु परिवर्तन, समुद्र का बढ़ता स्तर, प्रवाल भित्तियों का क्षरण और समुद्री प्रदूषण IOR में महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियाँ शामिल हैं।
- ये मुद्दे तटीय समुदायों, समुद्री पारिस्थितिक तंत्र और लाखों लोगों की आजीविका को प्रभावित करते हैं।
आगे की राह
- नीली अर्थव्यवस्था की पहल : IOR समुद्री संसाधनों से समृद्ध है और नीली अर्थव्यवस्था का लाभ उठाने से स्थायी आर्थिक विकास हो सकता है। समुद्री संसाधनों से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने, टिकाऊ मत्स्य पालन का समर्थन करने, समुद्री जैव प्रौद्योगिकी को विकसित करने और पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- समुद्री सुरक्षा सहयोग: IOR के रणनीतिक महत्त्व को देखते हुए समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
- सूचना-साझाकरण तंत्र को मज़बूत करने, समुद्री डोमेन जागरूकता के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने, संयुक्त नौसैनिक अभ्यास एवं गश्त को बढ़ावा देने तथा समुद्री डकैती, अवैध मत्स्यन और तस्करी जैसे समुद्री खतरों को कम करने में सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- जलवायु परिवर्तन लचीलापन: IOR जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिसमें समुद्र का बढ़ता स्तर, चरम मौसमी घटनाएँ और समुद्र का अम्लीकरण शामिल है। नवोन्मेषी रणनीतियाँ जलवायु-लचीले बुनियादी ढाँचे को लागू करने, पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने, स्थायी तटीय प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने तथा जलवायु परिवर्तन अनुकूलन एवं शमन के लिये क्षेत्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत निम्नलिखित में से किसका सदस्य है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स परीक्षाप्रश्न. भारत-रूस रक्षा सौदों के बदले भारत-अमेरिका रक्षा सौदों का क्या महत्त्व है? हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के संदर्भ में चर्चा कीजिये। (2020) |