जैव विविधता और पर्यावरण
तटीय क्षेत्र प्रबंधन के लिये मसौदा
- 08 Aug 2019
- 3 min read
चर्चा में क्यों?
पर्यावरण मंत्रालय ने एक ऐसी योजना का मसौदा तैयार किया है जो यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में समुद्री तटों के किनारे स्थित आधारिक संरचना परियोजनाओं (Infrastructure Projects) को मंज़ूरी देने से पूर्व उनका किस प्रकार आकलन किया जाए।
प्रमुख बिंदु :
- इस मसौदे में तटीय राज्यों के लिये समुद्र के आस-पास वाले क्षेत्रों में परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने हेतु दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं।
- इस मसौदे का मुख्य उद्देश्य एकीकृत तटीय प्रबंधन दृष्टिकोणों (Integrated Coastal Management Approaches) को अपनाने और लागू करने के लिये सामूहिक क्षमता का निर्माण कर तटीय संसाधनों की दक्षता बढ़ाने में भारत सरकार की सहायता करना है।
- इस संदर्भ में सोसाइटी ऑफ इंटीग्रेटेड कोस्टल मैनेजमेंट (Society of Integrated Coastal Management-SICOM) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन (Integrated Coastal Zone Management-ICZM) एक ही बार की जाने वाली कार्यवाही नहीं है बल्कि इसे एक सतत् प्रक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिये।
- गौरतलब है कि अब तक भारत के सिर्फ तीन तटीय राज्यों (गुजरात, ओडिशा और पश्चिम बंगाल) ने विश्व बैंक के समर्थन से तटीय क्षेत्रों के प्रबंधन की योजनाएँ तैयार की हैं।
मसौदे में प्रस्तावित गतिविधियाँ :
- तटीय क्षेत्रों के विकास के लिये प्रस्तावित प्रमुख गतिविधियों में निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:
- मैंग्रोव वनीकरण।
- समुद्री घास के मैदानों की बहाली जैसी पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों को बढ़ावा देना।
- कछुए जैसे अन्य समुद्री जानवरों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये बचाव केंद्रों की स्थापना।
- पर्यटन के विकास के लिये आधारभूत संरचना का निर्माण।
- जल निकायों की बहाली की व्यवस्था करना।
- समुद्र तट की सफाई और विकास का काम।
सोसाइटी ऑफ इंटीग्रेटेड कोस्टल मैनेजमेंट
(Society of Integrated Coastal Management-SICOM)
- SICOM की स्थापना पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तत्त्वावधान में की गई थी।
- SICOM के उद्देश्य और कार्य :
- भारत में तटीय क्षेत्र प्रबंधन से संबंधित गतिविधियों के कार्यान्वयन में सहायता करना।
- भारत में तटीय क्षेत्रों के प्रबंधन के लिये अनुसंधान और विकास (Research & Development-R&D) को बढ़ावा देना।