मिथिला मखाना हेतु GI टैग | 22 Aug 2022
हाल ही में सरकार ने मिथिला मखाना को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किया है।
- इस कदम से उत्पादकों को उनकी प्रीमियम उपज के लिये अधिकतम मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
भौगोलिक संकेतक (GI) टैग
- परिचय:
- GI एक संकेतक है, जिसका उपयोग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली विशेष विशेषताओं वाले सामानों को पहचान प्रदान करने के लिये किया जाता है।
- ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतकों के पंजीकरण एवं बेहतर सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
- यह विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकारों (TRIPS) के व्यापार-संबंधित पहलुओं का भी हिस्सा है।
- पेरिस कन्वेंशन के अनुच्छेद 1 (2) और 10 के तहत यह निर्णय लिया गया और यह भी कहा गया कि औद्योगिक संपत्ति और भौगोलिक संकेत का संरक्षण बौद्धिक संपदा के तत्त्व हैं।
- यह मुख्य रूप से कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) है।
- वैधता:
- भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिये वैध होता है। इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।
- भौगोलिक संकेतक का महत्त्व:
- एक बार भौगोलिक संकेतक का दर्जा प्रदान कर दिये जाने के बाद कोई अन्य निर्माता समान उत्पादों के विपणन के लिये इसके नाम का दुरुपयोग नहीं कर सकता है। यह ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के बारे में भी सुविधा प्रदान करता है।
- किसी उत्पाद का भौगोलिक संकेतक अन्य पंजीकृत भौगोलिक संकेतक के अनधिकृत उपयोग को रोकता है।
- जो कानूनी सुरक्षा प्रदान करके भारतीय भौगोलिक संकेतों के निर्यात को बढ़ावा देता है और विश्व व्यापार संगठन के अन्य सदस्य देशों को कानूनी सुरक्षा प्राप्त करने में भी सक्षम बनाता है।
- GI टैग उत्पाद के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- यह ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के बारे में भी सुविधा प्रदान करता है।
- GI रजिस्ट्रेशन:
- GI उत्पादों के पंजीकरण की उचित प्रक्रिया है जिसमें आवेदन दाखिल करना, प्रारंभिक जाँच और परीक्षा, कारण बताओ नोटिस, भौगोलिक संकेत पत्रिका में प्रकाशन, पंजीकरण का विरोध और पंजीकरण शामिल है।
- कानून द्वारा या उसके तहत स्थापित व्यक्तियों, उत्पादकों, संगठन या प्राधिकरण का कोई भी संघ आवेदन कर सकता है।
- आवेदक को उत्पादकों के हितों का प्रतिनिधित्व करना चाहिये।
- GI टैग उत्पाद:
- कुछ प्रसिद्ध वस्तुएँ जिनको यह टैग प्रदान किया गया है उनमें बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, चंदेरी फैब्रिक, मैसूर सिल्क, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, तंजावुर पेंटिंग, इलाहाबाद सुरखा, फर्रुखाबाद प्रिंट, लखनऊ जरदोजी, कश्मीर केसर और कश्मीर अखरोट की लकड़ी की नक्काशी शामिल हैं।
मिथिला मखाना
- मिथिला मखाना या माखन (वानस्पतिक नाम: यूरीले फेरोक्स सालिसब) बिहार और नेपाल के मिथिला क्षेत्र में उगाया जाने वाला एक विशेष किस्म का मखाना है।
- मखाना मिथिला की तीन प्रतिष्ठित सांस्कृतिक पहचानों में से एक है।
- पान, माखन और मच्छ (मछली) मिथिला की तीन प्रतिष्ठित सांस्कृतिक पहचान हैं।
- यह नवविवाहित जोड़ों के लिये मनाए जाने वाले मैथिल ब्राह्मणों के कोजागरा उत्सव में भी बहुत प्रसिद्ध है।
- मखाने में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और फास्फोरस जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ-साथ प्रोटीन और फाइबर होता है।
GI टैग प्राप्त बिहार के अन्य उत्पाद:
- बिहार में उत्पादों की GI टैगिंग ने ब्रांड निर्माण, स्थानीय रोजगार सृजित करने, एक क्षेत्रीय ब्रांड बनाने, पर्यटन में स्पिन-ऑफ प्रभाव पैदा करने, पारंपरिक ज्ञान और पारंपरिक सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों के संरक्षण और जैव विविधता के संरक्षण में मदद की है।
- बिहार के कई उत्पादों को GI टैग दिया गया है, जैसे:
- भागलपुरी जर्दालु आम
- कतरनी चावल
- मगही पत्ते (पान)
- शाही लीची
- सिलाओ खाजा (एक स्वादिष्ट व्यंजन)
- मधुबनी चित्रकला
- पिपली वर्क
- जून 2022 में, चेन्नई में भौगोलिक संकेत (GI) रजिस्ट्री ने नालंदा की 'बावन बूटी' साड़ी, गया की 'पत्थरकट्टी पत्थर शिल्प' और हाजीपुर की 'चिनिया' किस्म के केले को GI टैग प्रदान करने के प्रारंभिक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
- बिहार की तीन मिठाइयों- खुरमा, तिलकुट और बालूशाही को GI टैग देने का भी प्रस्ताव है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स: Q. निम्नलिखित में से किसे 'भौगोलिक संकेतक' का दर्जा प्रदान किया गया है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: C व्याख्या:
Q. भारत ने वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक(पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को किसके दायित्वों का पालन करने के लिये अधिनियमित किया? (2018) (a) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन उत्तर: (D) व्याख्या:
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