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कश्मीरी केसर को GI टैग

  • 02 May 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

कश्मीरी केसर

मेन्स के लिये:

भौगोलिक संकेतक 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कश्मीरी केसर को 'भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री' (Geographical Indications Registry) द्वारा 'भौगोलिक संकेतक' (Geographical Indication- GI) का टैग प्रदान किया गया।

मुख्य बिंदु:

  • जम्मू और कश्मीर सरकार के कृषि निदेशालय द्वारा कश्मीरी केसर को GI टैग प्रदान करने के लिये आवेदन दायर किया गया था।
  • कश्मीरी केसर का सुगंधित मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है, साथ ही इसमें औषधीय गुण होते हैं। 

 केसर कृषि का प्रारंभ:

  • ऐसा माना जाता है कि केसर की खेती को कश्मीर में पहली शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास मध्य एशियाई प्रवासियों द्वारा शुरू किया गया था। 
  • प्राचीन संस्कृत साहित्य में केसर को 'बहुकम (Bahukam) कहा गया है।

कश्मीरी केसर की विशेषताएँ:

  • विश्व स्तर पर कश्मीर केसर को मसाले के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त है। केसर का पारंपरिक कश्मीरी व्यंजनों में प्रयोग किया जाता रहा है तथा यह क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।
  • सौंदर्य प्रसाधन और औषधीय प्रयोजन में भी इसे काम में लिया जाता है।
  • कश्मीरी केसर गहरा लाल रंग का, उच्च सुगंध युक्त, कड़वा स्वाद वाला होता है।

कृषि क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताएँ:

  • कश्मीरी केसर की खेती कश्मीर के कुछ क्षेत्रों; जिनमें पुलवामा, बडगाम, किश्तवाड़ और श्रीनगर शामिल हैं, में की जाती है। 
  • यह दुनिया का एकमात्र ऐसा केसर है जिसकी खेती समुद्र तल से 1,600 से 1,800 मीटर की ऊँचाई पर खेती की जाती है। विश्व में कश्मीरी केसर ही एक मात्र ऐसा केसर है जिसे इतनी ऊँचाई पर उगाया जाता है।
  • केसर की खेती विशेष प्रकार की ‘करेवा’ (Karewa) मिट्टी में की जाती है।

करेवा (Karewa):

  • करेवा कश्मीर घाटी में पाए जाने वाले झील निक्षेप हैं। इनमें हिमानी के मोटे निक्षेप तथा हिमोढ़ उपस्थित होते हैं।  
  • यह जम्मू-कश्मीर में पीरपंजाल श्रेणियों की ढालों में 1,500 से 1,850 मीटर की ऊँचाई पर मिलते हैं।

केसर के प्रकार:

  • कश्मीरी केसर तीन प्रकार का होता है; लच्छा  केसर (Lachha Saffron), मोंगरा केसर (Mongra Saffron) तथा गुच्छी केसर (Guchhi Saffron)।

आर्थिक महत्त्व:

  • कश्मीरी केसर एक बहुत ही कीमती और महँगा उत्पाद है। ईरान केसर का सबसे बड़ा उत्पादक है और भारत केसर उत्पाद में ईरान का करीबी प्रतियोगी है। GI टैग मिलने से कश्मीरी केसर को निर्यात बाज़ार में मदद मिलेगी।

जम्मू कश्मीर (संयुक्त) के अन्य GI टैग: 

कश्मीरी पश्मीना:

  • पश्मीना जो लद्दाख क्षेत्र में रहने वाले बकरे से प्राप्त पश्म (Pashm; एक प्रकार का फाइबर) से निर्मित टेक्सटाइल है।

कानी शॉल (Kani Shawls):

  • हस्त निर्मित शॉल 

कश्मीरी सोज़नी:

  • हस्त निर्मित शॉल 

स्रोत: द हिंदू

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