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डेली न्यूज़

  • 28 Dec, 2022
  • 75 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय अर्थव्यवस्था, 2023

प्रिलिम्स के लिये:

मुद्रास्फीति, यूक्रेन युद्ध, तेल की कीमतें, ऋण संकट।

मेन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था, 2023।

चर्चा में क्यों?

भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) में 6.9% की दर से वृद्धि दर्ज करने का अनुमान है, इसके अलावा मुद्रास्फीति में कमी देखी जा रही है।

  • वर्ष 2020 में मुख्य घटना कोविड-19 महामारी की पहली लहर के कारण देशव्यापी लॉकडाउन ने भारत की अर्थव्यवस्था के आकार को निर्धारित किया।
  • वर्ष 2021 में कोविड की दूसरी भयानक लहर थी जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था और इसके उत्थान को आकार दिया।
  • वर्ष 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने बड़े पैमाने पर भारत की अर्थव्यवस्था का निर्धारण किया गया।
    • परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति, रुपए की विनिमय दर और भारत के विदेशी मुद्रा भंडार जैसे मुद्दे GDP वृद्धि की चिंताओं से अधिक हावी हो गए।

प्रमुख बिंदु:

  • मुद्रास्फीति:
    • वर्ष 2022 शुरू होने पर हेडलाइन खुदरा मुद्रास्फीति पहले से ही 6% से ऊपर थी।
    • यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद मुद्रास्फीति की स्थिति और खराब हो गई।
    • अप्रैल 2022 में खुदरा मुद्रास्फीति आठ साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई। मई 2022 में जल्दबाज़ी में बुलाई गई मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee- MPC) की बैठक में RBI ने रेपो रेट बढ़ाने का फैसला किया।
    • यूएस और यूएस फेडरल रिज़र्व की कार्रवाइयों को वैश्विक मुद्रास्फीति के प्रमुख कारकों के रूप में उद्धृत किया गया था।
  • रुपए की विनिमय दर और विदेशी मुद्रा भंडार:
    • कच्चे तेल की ऊँची कीमतों के कारण भारत के कई व्यापक आर्थिक संकेतकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
    • वित्तीय वर्ष शुरू होते ही व्यापार घाटा बढ़ने लगा और भारत के चालू खाता घाटा (Current Account Deficit- CAD), विदेशी मुद्रा भंडार और भुगतान संतुलन के बारे में चिंताएँ होने लगीं।
    • आखिरकार रुपया राजनीतिक रूप से संवेदनशील 80-टू-ए-डॉलर के निशान पर पहुँच गया लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपया ही एकमात्र ऐसी मुद्रा नहीं थी, जो कमज़ोर हो रही थी। हालाँकि डॉलर भी यूरो से कमज़ोर था।
  • चौतरफा मौद्रिक सख्ती:
    • वर्ष के मध्य तक दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने तरलता को कम करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये ब्याज़ दरों में वृद्धि करना शुरू कर दिया।
  • GDP वृद्धि में कमी:
    • मार्च 2022 में समाप्त हुए पिछले वित्तीय वर्ष (2021-22) में भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग 9% की वृद्धि हुई थी।
    • सितंबर 2022 में ब्रिटेन को पछाड़कर भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया।
    • भारत की विकास दर पिछले वित्तीय वर्ष (2021-22) में लगभग 9% कम होकर चालू वर्ष (2022-23) में 7% से कम और अगले वित्तीय वर्ष ( 2023-24) में लगभग 6% (या संभवतः कम) होने की उम्मीद है।
  • बजट, बेरोज़गारी और गरीबी:
    • केंद्रीय बजट से पहले मुख्य चिंता यह पता लगाने की थी कि क्या सरकार देश में रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये कोई योजना लेकर आ सकती है। ऐसा इसलिये है क्योंकि भारत में कोविड से पहले भी ऐतिहासिक रूप से श्रम बाज़ार में उच्च स्तर का तनाव था तथा महामारी ने चिंता को और भी बढ़ा दिया।
    • बजट 2022-23 में भारत ने विकास का एक अच्छा चक्र शुरू करने के लिये पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि करने पर ज़ोर दिया है।
      • विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि इस रणनीति के सामान्य समय में स्पष्ट लाभ हैं, हालाँकि भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी कोविड से प्रभावित है, साथ ही यह स्पष्ट नहीं था कि रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये बजट पर्याप्त होगा या नहीं।

वैश्विक आर्थिक आउटलुक, 2023

  • वृद्धि का पूर्वानुमान:
    • भारतीय रिज़र्व बैंक ने 'अर्थव्यवस्था की स्थिति रिपोर्ट' अद्यतन में ‘डार्केनिंग ग्लोबल आउटलुक/अंधेरा वैश्विक दृष्टिकोण’ की चेतावनी दी है और बताया कि उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाएँ (Emerging Market Economies- EME) ‘अधिक कमज़ोर’ प्रतीत होती हैं।
    • वर्ष 2022 में वैश्विक विकास औसतन लगभग 3% रहने की उम्मीद एक सराहनीय उपलब्धि प्रतीत होती है।
  • मुद्रास्फीति:
    • पिछले कुछ महीनों में वैश्विक खाद्य, ऊर्जा और अन्य वस्तुओं की कीमतें भले ही मामूली रूप से कम हुई हों लेकिन मुद्रास्फीति अभी भी उच्च बनी हुई है।
      • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) के अनुसार, वैश्विक मुद्रास्फीति वर्ष 2022 में 8.8% से घटकर वर्ष 2023 में 6.5% की कमी के साथ वर्ष 2024 तक 4.1% होने का अनुमान है, हालाँकि अभी भी अधिकांश मानदंडों से उच्च है।
    • अमेरिकी फेडरल रिज़र्व को लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति के परिणामस्वरूप वर्ष 2023 में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें कम-से-कम यह तथ्य नहीं है कि अमेरिकी श्रम बाज़ार अभी भी बढ़ रहा है और यह फेड की मौद्रिक कठोरता के प्रभावों को नकारता है।
  • यूएस फेड दर में वृद्धि का प्रभाव:
    • हर बार जब फेड नीतिगत दरें बढ़ाता है, तो अमेरिका और भारत जैसे देशों में ब्याज़ दरों के बीच का अंतर बढ़ जाता है, जिससे मुद्रा संबंधित लेन-देन व्यापार कम आकर्षक हो जाते हैं;
    • अमेरिकी ऋण बाज़ारों में बढ़े हुए रिटर्न से विकासशील बाज़ार इक्विटी में तेज़ी आ सकती है, इससे विदेशी निवेशकों के उत्साह में कमी आ सकती है।
    • यूएस को धन के बहिर्वाह से मुद्रा बाज़ार संभावित रूप से प्रभावित होंगे; फेड द्वारा निरंतर दर में वृद्धि का मतलब है अमेरिका में विकास की गति भी कम होगी, जो वैश्विक विकास के लिये बुरी खबर हो सकती है, खासकर जब चीन एक नए कोविड प्रकोप का सामना कर रहा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था, 2023 की संभावनाएँ:

  • सकारात्मक:
    • भारतीय अर्थव्यवस्था में निकट भविष्य में स्थानीय कारकों की बदौलत तेज़ी से वृद्धि होने की उम्मीद है, जिनमें से कुछ उच्च आवृत्ति संकेतकों के रूप में परिलक्षित होते हैं।
    • कॉरपोरेट ऋण-से-GDP अनुपात लगभग 15 वर्षों में अपने सबसे निचले बिंदु पर है, इसमें विगत पाँच वर्षों में काफी कमी आई है और बैंक बुक से ज़्यादातर पुराने खराब ऋणों को हटा दिया गया है।
    • ऋण-से-GDP अनुपात जितना कम होगा, देश द्वारा अपने ऋण का भुगतान करने और डिफ़ॉल्ट के अपने ज़ोखिम को कम करने की उतनी ही अधिक संभावना होगी, जिससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में वित्तीय स्थिरता हो सकती है।
    • इनपुट लागत के दबाव में कमी, कॉर्पोरेट बिक्री में वृद्धि और अचल परिसंपत्तियों में निवेश में वृद्धि केपेक्स चक्र में तेज़ी की शुरुआत है, जो संभावित रूप से भारत के विकास को गति देने में योगदान दे सकती है।
    • विगत आठ महीनों से बैंक ऋण दो अंकों में बढ़ रहा है, जो आंशिक रूप से निवेश संबंधी ज़ोखिम (Investment Appetite) में वृद्धि को दर्शाता है।
    • यह देखते हुए कि चीन कम कुशल, अकुशल श्रम, जैसे- कपड़ा, जूते, चमड़ा और चीनी मिट्टी की वस्तुओं की आवश्यकता वाले विनिर्माण क्षेत्रों को कम महत्त्व दे रहा है अतः भारत के पास इससे लाभ उठाने का एक मौका है, अधिकांश बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा चीन-प्लस-वन रणनीति का उपयोग एक अवसर प्रस्तुत कर सकता है।
    • समग्र GDP विकास में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है, रबी की अच्छी उत्पादकता को देखते हुए उच्च समर्थन मूल्य के साथ गेहूँ उत्पादन, पर्याप्त जलाशय स्तर और सहायक जलवायु कारकों के साथ कृषि क्षेत्र में अच्छी संभावनाएँ दिख रही हैं।
  • चिंता का विषय:
    • यूक्रेन युद्ध के जारी रहने से भारत के सबसे बड़े निर्यात बाज़ार यूरोपीय संघ में ऊर्जा से जुड़ी मंदी का खतरा है।
    • फेड की दर वृद्धि में विराम वर्ष की दूसरी छमाही तक संभव नहीं है क्योंकि अमेरिका घटती मुद्रास्फीति के दबाव से जूझ रहा है।
    • वर्ष 2023 के लिये बढ़ते संरक्षणवाद, एक वि-वैश्वीकरण-विरोधी आंदोलन और आर्थिक विखंडन संबंधी संभावनाएँ जाहिर की गई हैं, जो विशेषकर भारत जैसे देशों के लिये अस्थिर हैं तथा विकास के महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में निर्यात का उपयोग करने हेतु उत्सुक हैं।
      • यह देखते हुए कि ठोस निर्यात वृद्धि के बिना एक दशक तक विश्व के किसी भी देश में 7% से अधिक की वृद्धि नहीं देखी गई है, संरक्षणवादी प्रवृत्ति का विस्तार उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये प्रमुख बाधा है।
    • भारत में विनिर्माण उद्योग में स्थिरता संबंधी समस्या है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production- IIP) द्वारा मापा गया कारखाना उत्पादन अक्तूबर जैसे त्योहारी महीने में 26 महीने के निचले स्तर पर आ गया। अक्तूबर में मुख्य क्षेत्र की वृद्धि महज 0.1% थी, जो कि 20 महीनों में सबसे कम है। इस कारण विश्लेषकों द्वारा अगले वित्त वर्ष में भारत के विकास में तेज़ी से गिरावट आने संबंधी अनुमान लगाए जा रहे हैं।
    • क्षमता उपयोग, संभावित उत्पादन के लिये वास्तविक उत्पादन का अनुपात है जिसे सामान्य परिस्थितियों में उत्पादित किया जा सकता है, में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है जो 75% के निशान (Mark) पर बनी रहती है।
      • जब तक यह निरंतर रूप से नहीं बढ़ता है, तब तक निजी निवेश में प्रत्यक्ष रूप से वृद्धि होने की संभावना नहीं है।
    • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम फर्मों के बीच समस्या बनी हुई है जो औद्योगिक सुधार में गहरे अंतर को दर्शाता है जहाँ बड़ी कंपनियाँ छोटी कंपनियों की तुलना में कहीं बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।
    • राज्यों का पूंजीगत व्यय उतना मज़बूत नहीं है। आमतौर पर राज्यों द्वारा किये गए निवेश का गुणक प्रभाव अधिक होता है।
    • देश के सकल घरेलू उत्पाद की 4% आयातित ऊर्जा पर भारत की निर्भरता एक चुनौती है जो भुगतान संतुलन के पक्ष में दिखाई देती है। वित्त वर्ष 2023 के लिये 3% से अधिक का चालू खाता घाटा अनुमानित है।
    • कृषि उत्पादन में उछाल के बावज़ूद सितंबर में लगातार नौवें महीने ग्रामीण मज़दूरी में कमी आई, जो कि आतंरिक क्षेत्रों में व्याप्त संकट की ओर इशारा करती है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में कर में कमी निम्नलिखित में से किसको दर्शाती है? (2015)

  1. धीमी आर्थिक विकास दर
  2. राष्ट्रीय आय का कम न्यायसंगत वितरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • कर GDP अनुपात किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के सापेक्ष उसके कर राजस्व का अनुपात है। उदाहरण के लिये यदि भारत का टैक्स-टू-GDP अनुपात 20% है, तो इसका मतलब है कि सरकार को अपने सकल घरेलू उत्पाद का 20% कर योगदान के रूप में मिलता है।
  • कर GDP अनुपात का उपयोग वर्ष-दर-वर्ष कर प्राप्तियों की तुलना करने के लिये किया जाता है। चूँकि कर आर्थिक गतिविधि से संबंधित हैं, इसलिये अनुपात अपेक्षाकृत स्थिर रहना चाहिये। जब सकल घरेलू उत्पाद (GDP) बढ़ता है, तो कर राजस्व में भी वृद्धि होनी चाहिये।
  • आर्थिक मंदी के परिणामस्वरूप विकास की दर कम होती है, जहाँ आमतौर पर बेरोज़गारी बढ़ती है और उपभोक्ता खर्च घटता है। नतीजतन, टैक्स-टू-GDP अनुपात में गिरावट आती है। अतः कथन 1 सही है।
  • राष्ट्रीय आय का असमान वितरण सीधे तौर पर GDP अनुपात में कर में कमी से संबंधित नहीं है।
  • राष्ट्रीय आय और संसाधन आवंटन का समान वितरण आमतौर पर किसी देश की आर्थिक योजना पर निर्भर करता है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • अतः विकल्प (a) सही है।

मेन्स:

प्रश्न. क्या आप इस मत से सहमत हैं कि सकल घरेलू उत्पाद की स्थायी संवृद्धि तथा निम्न मुद्रास्फीति के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण दीजिये। (2019)

प्रश्न: क्या आप सहमत हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने हाल ही में V-आकार के पुनरुत्थान का अनुभव किया है? कारण सहित अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये। (2021)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-नेपाल संबंध

प्रिलिम्स के लिये:

वर्ष 1950 में शांति और मित्रता की संधि, कालापानी सीमा मुद्दा

मेन्स के लिये:

भारत-नेपाल संबंध, महत्त्व, संबद्ध चुनौतियाँ और उन्हें हल करने के तरीके

चर्चा में क्यों

पुष्‍प कमल दहल ‘प्रचंड’ को नेपाल के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई।

  • ऐसा माना जाता है कि देउबा के पूर्ववर्ती - केपी शर्मा ओली चीन समर्थक थे और इस तरह कम्युनिस्ट ताकतों के एक साथ आने से नेपाल-भारत संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
  • वर्ष 2015-2016 और वर्ष 2018-2021 तक ओली के कार्यकाल के दौरान संबंधों में कड़वाहट के बाद वर्ष 2021 में देउबा के प्रधानमंत्री बनने के पश्चात् भारत-नेपाल संबंधों में सुधार हुआ था।

दोनों देशों के बीच सहयोग के क्षेत्र: 

  • व्यापार और अर्थव्यवस्था: 
    • वित्त वर्ष 2019-20 में द्विपक्षीय व्यापार 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार करने के साथ भारत, नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना हुआ है।
    • भारत बाकी विश्व से व्यापार के लिये नेपाल को पारगमन सुविधा प्रदान करता है।
    • भारतीय फर्में नेपाल में सबसे बड़े निवेशकों में से हैं जिनका नेपाल में कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) स्टॉक का 33% से अधिक हिस्सा है और यह लगभग 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है।
  • कनेक्टिविटी: 
    • नेपाल एक भू-आबद्ध देश होने के कारण तीन तरफ से भारत से घिरा हुआ है और एक तरफ तिब्बत की ओर खुला है जहाँ बहुत सीमित वाहनों की पहुँच है।
    • भारत-नेपाल ने लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न संपर्क कार्यक्रम शुरू किये हैं।
    • भारत व्यापार और पारगमन व्यवस्था के ढाँचे के भीतर कार्गो की आवाजाही के लिये अंतर्देशीय जलमार्ग विकसित करना चाहता है, नेपाल को सागर (हिंद महासागर) के साथ सागरमाथा (माउंट एवरेस्ट) को जोड़ने के लिये समुद्र तक अतिरिक्त पहुँच प्रदान करता है।
  • रक्षा सहयोग:
    • द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में उपकरण और प्रशिक्षण के प्रावधान के माध्यम से नेपाली सेना को उसके आधुनिकीकरण में सहायता देना शामिल है।
    • भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट का गठन आंशिक रूप से नेपाल के पहाड़ी ज़िलों से भर्ती करके किया जाता है।
    • भारत वर्ष 2011 से हर साल नेपाल के साथ एक संयुक्त सैन्य अभ्यास करता है जिसे 'सूर्य किरण' के नाम से जाना जाता है।
  • मानवीय सहायता:
    • नेपाल एक संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्र में स्थित है, जो भूकंप और बाढ़ से ग्रस्त है, जिससे जीवन एवं धन दोनों को भारी नुकसान होता है, इसकी वजह से यह भारत की मानवीय सहायता का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता बना रहता है।
  • बहुपक्षीय साझेदारी:
    • भारत और नेपाल BBIN (बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल), बिम्सटेक (बहु क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल), गुटनिरपेक्ष आंदोलन और सार्क (क्षेत्रीय सहयोग के लिये दक्षिण एशियाई संघ) जैसे कई बहुपक्षीय मंचों को साझा करते हैं।

चुनौतियाँ:

  • प्रादेशिक विवाद:  भारत-नेपाल संबंधों में मुख्य चुनौतियों में से एक कालापानी सीमा मुद्दा है। इन सीमाओं को वर्ष 1816 में अंग्रेज़ो द्वारा तय किया गया था और भारत को वे क्षेत्र विरासत में मिले थे जिन पर अंग्रेज़ो का वर्ष 1947 में क्षेत्रीय नियंत्रण था।
  • शांति एवं मैत्री संधि से संबंधित मुद्दे: ब्रिटिश भारत के साथ अपने विशेष संबंधों को जारी रखने और उन्हें एक खुली सीमा के साथ भारत में काम करने का अधिकार प्रदान करने के लिये वर्ष 1949 में नेपाली अधिकारियों द्वारा शांति एवं मैत्री संधि की मांग की गई थी जिस पर वर्ष 1950 में सहमती बनी थी।
    • लेकिन वर्तमान में इस संधि को दोनों देशों के बीच विषम संबंधों और भारतीय प्रभाव थोपने के संकेत के रूप में देखा जाता है।
  • चीन का हस्तक्षेप: 
    • नेपाल हाल के वर्षों में भारत के प्रभाव से दूर हो गया है और चीन ने धीरे-धीरे इस स्थान को निवेश, सहायता और ऋण से भर दिया है।
    • चीन जो कि नेपाल को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में एक प्रमुख भागीदार मानता है, वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने की अपनी भव्य योजनाओं के हिस्से के रूप में नेपाल के बुनियादी ढाँचे में निवेश करना चाहता है।
  • आंतरिक सुरक्षा: यह भारत के लिये एक प्रमुख चिंता का विषय है क्योंकि भारत-नेपाल सीमा वस्तुतः खुली है जिसका उपयोग भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के आतंकवादी संगठनों और विद्रोही समूहों द्वारा प्रशिक्षित कैडरों की आपूर्ति, नकली भारतीय मुद्रा आपूर्ति के लिये किया जाता है। 

आगे की राह

  • वर्तमान समय में क्षेत्रीय राष्ट्रवाद पर बयानबाज़ी से बचने और शांति से बातचीत के लिये आधार तैयार करने की ज़रूरत है जहाँ दोनों पक्ष संवेदनशीलता प्रदर्शित करते हैं क्योंकि इससे यह पता लगाया जा सकता है कि आगे क्या संभव है! भारत को 'नेबरहुड फर्स्ट' को जड़ से उखाड़ने के लिये एक संवेदनशील और उदार भागीदार बनने की ज़रूरत है। 
  • भारत को लोगों से लोगों के जुड़ाव, नौकरशाही जुड़ाव के साथ-साथ राजनीतिक बातचीत के मामले में नेपाल के साथ अधिक सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिये।
  • भारत और नेपाल के बीच हस्ताक्षरित द्विपक्षीय निवेश संवर्द्धन और संरक्षण समझौते (Bilateral Investment Promotion and Protection Agreement- BIPPA) पर नेपाल की ओर से अधिक ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में उल्लेखित समुदाय के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2016)

  1. कुर्द बांग्लादेश 
  2. मधेसी नेपाल 
  3. रोहिंग्या म्याँमार

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a) केवल 1 और  2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3

 उत्तर: (c)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

असम NRC पर CAG की ऑडिट रिपोर्ट

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर, CAG 

मेन्स के लिये:

NRC का महत्त्व और चुनौतियाँ, पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों में NRC की स्थिति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) में बड़े पैमाने पर विसंगतियों का पता लगाया है। 

CAG की चिंताएँ: 

  • निधियों के उपयोग में अनियमितताएँ:
    • फरवरी 2015 तक पूरा करने की समयसीमा के साथ NRC को अद्यतन करने की प्रक्रिया दिसंबर 2014 में शुरू की गई थी और परियोजना लागत 288.18 करोड़ रुपए आँकी गई थी। 
    • हालाँकि इसे पूरा करने के लिये अतिरिक्त समय और नवीन सॉफ्टवेयर में परिवर्तन के कारण मार्च 2022 तक लागत में पाँच गुना वृद्धि हुई थी।  
    • जहाँ तक अनियमितताओं की बात है, CAG ने पाया कि आउटसोर्स कर्मचारियों को दिया  जाने वाला वेतन समन्वय समिति द्वारा स्वीकृत वेतन से 45.59%-64.27% तक कम था।  
  • सुरक्षित और विश्वसनीय सॉफ्टवेयर का अभाव:
    • NRC अद्यतन प्रक्रिया में अत्यधिक सुरक्षित और विश्वसनीय सॉफ्टवेयर की आवश्यकता थी, हालाँकि इस संबंध में उचित योजना की कमी देखी गई, जिसमें 215 सॉफ्टवेयर को बेतरतीब ढंग से कोर सॉफ्टवेयर में जोड़ा गया था।

CAG की सिफारिश:

  • देश के शीर्ष ऑडिटर ने न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 के प्रावधानों का उल्लंघन करने और डेटा ऑपरेटरों को न्यूनतम मज़दूरी से कम भुगतान करने के लिये विप्रो लिमिटेड के खिलाफ दंडात्मक उपायों की मांग की।
  • रिपोर्ट में ‘अधिक, अनियमित और अस्वीकार्य भुगतान’ के लिये राष्ट्रीय पंजीकरण के राज्य समन्वयक (State Coordinator of National Registration- SCNR) के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
  • CAG ने ‘न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम के अनुपालन को सुनिश्चित नहीं करने’ के लिये प्रमुख नियोक्ता के रूप में SCNR की जवाबदेही तय करने की भी सिफारिश की। 

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC):

  • NRC पहली बार वर्ष 1951 में असम में भारत में जन्मे लोगों और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान, अब बांग्लादेश के प्रवासियों की पहचान हेतु बनाया गया था।
  • वर्ष 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1951 के रजिस्टर को अपडेट करने के लिये असम में इसे शुरू करने हेतु केंद्र और राज्य को निर्देश जारी किये।
  • यह आदेश असम पब्लिक वर्क्स नाम के एक NGO द्वारा दायर याचिका पर आधारित था।
  • पहला ड्राफ्ट वर्ष 2018 में जारी किया गया था।
  • वर्ष 2019 में प्रकाशित अंतिम सूची में वे लोग शामिल थे जो 25 मार्च, 1971 (अगस्त 1985 के असम समझौते के अनुसार विदेशियों के निर्वासन की कट-ऑफ तारीख) से पहले असम के निवासी या उनके वंशज अपनी भारतीय नागरिकता स्थापित कर सकते थे।
  • 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19.06 लाख लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिये पर्याप्त दस्तावेज़ों की कमी के कारण बाहर रखा गया था। कई दलों ने अंतिम सूची को ‘त्रुटिपूर्ण’ कहकर खारिज़ कर दिया।
  • तीन साल से प्रक्रिया रुकी हुई है क्योंकि भारत के महारजिस्ट्रार (Registrar General of India- RGI) ने अभी तक अंतिम सूची को अधिसूचित नहीं किया है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. लोक निधि के फलोत्पादक और आशयित प्रयोग को सुरक्षित करने के साथ-साथ भारत में नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (CAG) के कार्यालय का महत्त्व क्या है? (2012)

  1. CAG संसद की ओर से राजकोष पर नियंत्रण रखता है जब भारत का राष्ट्रीय आपात/वित्तीय आपात घोषित किया जाता है।
  2. CAG की मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित परियोजनाओं या कार्यक्रमों पर जारी किये गए प्रतिवेदनों पर लेखा समिति विचार-विमर्श करती है। 
  3. CAG के प्रतिवेदनों से मिली जानकारियों के आधार पर जाँचकर्त्ता एजेंसियाँ उन लोगों के विरूद्ध आरोप दाखिल कर सकती हैं जिन्होंने लोक निधि प्रबंधन में कानून का उल्लघन किया हो।
  4. CAG को ऐसी मिश्रित न्यायिक शक्तियाँ प्राप्त हैं कि सरकारी कंपनियों के लेखा-परीक्षा और लेखा जाँचते समय वह कानून का उल्लंघन करने वालों पर अभियोग लगा सके।

उपयुक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1, 3 और 4
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2, 3 और 4

 उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. संघ और राज्यों की लेखाओं के संबध में नियंत्रक और महालेखापरीक्षक की शक्तियों का प्रयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 149 से व्युत्पन्न है। चर्चा कीजिये कि क्या सरकार की नीति कार्यान्वयन की लेखापरीक्षा करना अपने स्वयं (नियंत्रक और महालेखापरीक्षक) की अधिकारिता का अतिक्रमण करना होगा अथवा नहीं। (2016) 

स्रोत: द हिंदू 


शासन व्यवस्था

पेयजल और स्वच्छता विभाग की वर्षांत समीक्षा 2022

प्रिलिम्स के लिये:

जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, पेयजल और स्वच्छता विभाग की उपलब्धियाँ

मेन्स के लिये:

पेयजल और स्वच्छता विभाग की वर्षांत समीक्षा, जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन की उपलब्धियाँ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय के तहत पेयजल और स्वच्छता विभाग की वर्षांत समीक्षा जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण वर्ष 2022 के लिये जारी की गई। 

 जल जीवन मिशन की प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • जल जीवन मिशन के तहत कवरेज: 
    • 21 दिसंबर, 2022 तक जल जीवन मिशन के तहत 10.76 करोड़ (55.62%) से अधिक ग्रामीण परिवारों को नियमित आधार पर पर्याप्त मात्रा में निर्धारित गुणवत्ता का नल जल कनेक्शन प्रदान किया जा रहा है।
    • गोवा, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा तथा 3 केंद्रशासित प्रदेश पुद्दुचेरी, दमन एवं दीव,  दादरा और नगर हवेली तथा अंडमान व निकोबार द्वीप समूह को ‘हर घर जल’ के रूप में रिपोर्ट किया गया है, यानि प्रत्येक ग्रामीण घर में नल के पानी की आपूर्ति का प्रावधान है।
      • अगस्त 2022 में गोवा पहला 'हर घर जल' प्रमाणित राज्य और दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन व दीव भारत के पहले 'हर घर जल' प्रमाणित केंद्रशासित प्रदेश बने।
      • मध्य प्रदेश का बुरहानपुर ज़िला जुलाई 2022 में भारत का पहला 'हर घर जल' प्रमाणित ज़िला बना।

Water-Supply

  • हर घर जल प्रमाणन: 
    • यदि किसी गाँव को ‘हर घर जल’ घोषित कर दिया जाता है तो उसके बाद उस गाँव की ग्राम पंचायत एक विशेष सभा का आयोजन करती है और गाँव के सभी सदस्यों की सहमति से एक प्रस्ताव पारित करती है कि उनके गाँव के सभी घर, स्कूल, आँगनवाड़ी एवं सार्वजनिक संस्थानों में क्रियाशील नल कनेक्शन है,  इस प्रकार स्वयं को ‘हर घर जल प्रमाणित’ घोषित करती है।

Har-Ghar-Jal-Status

  • JE-AES प्रभावित ज़िलों में पीने योग्य नल के पानी का कवरेज: 
    • भारत सरकार जल जीवन मिशन के तहत सभी घरों में पीने योग्य नल के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये जापानी इंसेफेलाइटिस-एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Japanese Encephalitis- JE - Acute Encephalitis Syndrome- AES) प्रभावित ज़िलों को प्राथमिकता देती है।
    • 5 राज्यों में JE-AES से प्रभावित 61 ज़िलों में नल जल कनेक्शन 8 लाख (2.69%) से बढ़कर 147.14 लाख (49.29%) हो गए, जिसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों की ग्रामीण आबादी के स्वास्थ्य में सुधार हुआ। 
  • जल गुणवत्ता जाँच और निगरानी की स्थिति: 
  • कार्यान्वयन सहायता एजेंसियाँ:
    • राज्य/केंद्रशासित प्रदेश ग्राम जल स्वच्छता समिति (Village Water Sanitation Committee- VWSC) के गठन की सुविधा के लिये कार्यान्वयन सहायता एजेंसियों (Implementation Support Agencies- ISA) को नियुक्त करके पंचायतों की सहायता कर रहे हैं, सामुदायिक संघटन के लिये भागीदारी ग्रामीण मूल्यांकन के तहत ग्राम कार्य योजना तैयार करने में सहायता और बुनियादी ढाँचे के निर्माण के बाद की गतिविधियों को पूरा कर रहे हैं। 
      • लगभग 14 हज़ार ISA सक्रिय रूप से फील्ड में काम कर रहे हैं। 
  • राष्ट्रीय वाॅश/WASH विशेषज्ञ: 
    • राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता और गुणवत्ता केंद्र को जल जीवन मिशन (JJM) के कार्यान्वयन में राज्यों को ज़मीनी सच्चाई तथा तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय वॉश विशेषज्ञों की सूची बनाने एवं उनकी तैनाती का काम सौंपा गया है।
    • वर्ष 2022 के दौरान JJM के तहत किये गए कार्यान्वयन कार्यों की ज़मीनी सच्चाई के लिये 62 टीमों ने लगभग 1,035 गाँवों का दौरा किया। 
  • पेयजल आपूर्ति और जल गुणवत्ता हेतु प्रौद्योगिकियों का उपयोग: 
    • JJM समुदाय के नेतृत्त्व वाले कार्यान्वयन हेतु विभिन्न तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करता है:
      • जल वितरण प्रणालियों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिये जलभृत पुनर्भरण, वर्षा जल संचयन, जल निकायों की भंडारण क्षमता में वृद्धि, जलाशयों, डिसिल्टिंग और अन्य स्रोत स्थिरता उपायों को लागू किया जा रहा है।
      • पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (Supervisory Control and Data Acquisition- SCADA), रिमोट सेंसिंग एवं सॉफ्टवेयर डिज़ाइन के लिये इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी तकनीकों का उपयोग जल लेखांकन, जल गुणवत्ता नियंत्रण, जल उपयोग दक्षता, जल संसाधन योजना एवं प्रभाव मूल्यांकन के माध्यम से जलवायु को लचीलापन बनाने में किया गया है।

Overall-advantages

  • शिकायत निवारण तंत्र: 
    • जलापूर्ति से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिये विभाग में शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। लोग केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (Centralized Public grievances Redress and Monitoring System- CPGRAMS) के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करा रहे हैं। 
  • जल जीवन सर्वेक्षण (JJS) टूलकिट: 
    • भारत के उपराष्ट्रपति ने 21 अक्तूबर, 2022 को 'जल जीवन सर्वेक्षण' टूलकिट और डैशबोर्ड लॉन्च किया।
    • जल जीवन सर्वेक्षण 2023 का उद्देश्य राज्यों/ज़िलों के पदाधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन एवं बेहतर जल सेवा वितरण के लिये प्रयास करने हेतु प्रोत्साहित करना है।

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • परिचय: 
    • प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण), केंद्र प्रायोजित योजना को 2 अक्तूबर, 2014 को शुरू किया गया था, इसका मुख्य उद्देश्य देश के सभी ग्रामीण परिवारों को शौचालयों तक पहुँच प्रदान करके महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्तूबर, 2019 तक देश को खुले में शौच से मुक्त (Open Defecation Free- ODF) बनाना था।    
    • 2 अक्तूबर, 2019 तक देश के सभी गाँवों ने खुद को ODF घोषित कर दिया था। 
  • उपलब्धियाँ:
    • 1 जनवरी, 2022 से 20 दिसंबर, 2022 के बीच लगभग 1.25 लाख गाँवों को खुले में शौच से मुक्त (ODF) घोषित किया गया।
    • तरल अपशिष्ट प्रबंधन को प्राथमिकता देने के लिये  "सुजलाम" अभियान शुरू किया गया।
      • सुजलाम 1.0 और सुजलाम 2.0 अभियानों के तहत 23 लाख से अधिक सोख्ता गड्ढों का निर्माण किया गया।
    • SBM (G) की "गोबरधन" पहल के तहत जनवरी 2022 से समुदाय स्तर पर 96 बायोगैस संयंत्र स्थापित किये गए हैं।
      • गोबरधन योजना का उद्देश्य गाँवों को स्वच्छ रखना, पशु अपशिष्ट सहित जैव-अपशिष्ट, कृषि-अवशेषों को  बायोगैस में परिवर्तित करके धन तथा ऊर्जा उत्पन्न करना एवं ग्रामीणों के जीवन में सुधार करना है।
      • पेयजल और स्वच्छता विभाग (DDWS) गोबरधन के कार्यान्वयन का समन्वयन कर रहा है जिसमें बायोगैस संपीड़ित बायोगैस (CBG) क्षेत्र के लिये सक्षम वातावरण प्रदान करने हेतु विभिन्न विभागों व मंत्रालयों को शामिल करते हुए वेस्ट टू वेल्थ पहल हेतु प्रयास किये जाएंगे।
  • ट्विनपिट अभियान के लिये रेट्रोफिट: 
    • केंद्रीय जल मंत्री ने 2 अक्तूबर 2022 को ट्विनपिट अभियान के लिये रेट्रोफिट का शुभारंभ किया।
    • यह अभियान सिंगल पिट टॉयलेट को ट्विनपिट टॉयलेट में रेट्रोफिट करने की एक सरल ऑन-साइट पद्धति के माध्यम से मल व कीचड़ के सुरक्षित निपटान को बढ़ावा देगा।  
    • 2 अक्तूबर, 2022 से 19 नवंबर 2022 तक अभियान के पहले चरण के दौरान राज्यों ने 97% गाँवों का आधारभूत मूल्यांकन पूरा कर लिया है।
  • स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2023 (SSG 2023):
    • DDWS ने राज्यों के ज़िलों और ग्राम पंचायतों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा हेतु तथा SBM-G चरण II की प्रगति का पता लगाने के उद्देश्य से 2 नवंबर, 2022 को स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण (SSG) 2023 लॉन्च किया है।
    • SSG 2023 के तहत ग्राम पंचायत और ज़िला स्तर पर मूल्यांकन किया जाएगा।
    • SSG 2023 को अधिक सहभागी बनाने के लिये ग्राम पंचायतें ODF प्लस मापदंडों पर ग्रामों का स्व-मूल्यांकन करेंगी। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)   

प्रश्न. "जल,और स्वच्छता आवश्यकताओं को संबोधित करने वाली नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये लाभार्थी क्षेत्रों की पहचान को अनुमानित परिणामों के साथ सिंक्रनाइज़ किया जाना है।" WASH योजना के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिये। (150 शब्द) (2017)

स्रोत: PIB


शासन व्यवस्था

खाद्य असुरक्षा की स्थिति 2022

प्रिलिम्स के लिये:

वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2022, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, फूड फोर्टिफिकेशन, सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी, मध्याह्न भोजन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली।

मेन्स के लिये:

वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI), भारत में भुखमरी और कुपोषण के लिये ज़िम्मेदार कारक, भुखमरी से निपटने के लिये हालिया सरकारी पहल।

चर्चा में क्यों? 

वर्ष 2022 में भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में भुखमरी इतनी विकट बनी हुई है कि संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने 2022 को 'अभूतपूर्व भुखमरी का वर्ष (The year of Unprecedented Hunger)' कहा है।

  • खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, वर्ष 2020 में दुनिया भर में लगभग 307 करोड़ लोग स्वस्थ आहार नहीं ले सके। भारत इस वैश्विक आबादी का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है।

विभिन्न रिपोर्टों के मुख्य अंश:

  • विश्व खाद्य कार्यक्रम:
    • विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के अनुसार, वर्ष 2019 के बाद से गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की संख्या लगभग तीन गुना हो गई है और लगभग 828 मिलियन लोग हर रात भूखे पेट सोते हैं।
    • खाद्य सुरक्षा ने विशेष रूप से युद्धग्रस्त स्थानों और जलवायु आपदाओं से बर्बाद हुए स्थानों में पूर्व-महामारी के स्तर को पार कर लिया है।
  • फ्यूचर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर: 
    • खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) की नई रिपोर्ट, द फ्यूचर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर - ड्राइवर्स और ट्रिगर्स फॉर ट्रांसफॉर्मेशन के अनुसार, अगर कृषि और खाद्य प्रणाली भविष्य में भी वर्तमान जैसी ही रही तो आने वाले समय में विश्व को निरंतर खाद्य असुरक्षा की समस्या का सामना करना पड़ेगा।
    • यदि कृषि खाद्य प्रणाली समान बनी रहती है तो भविष्य में विश्व लगातार खाद्य असुरक्षा, घटते संसाधनों और अस्थिर आर्थिक विकास का सामना करेगा। 
    • कृषि खाद्य लक्ष्यों सहित सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को पूरा करने के लिये विश्व "ऑफ ट्रैक" है।
    • वर्ष 2050 तक विश्व में 10 बिलियन लोगों के लिये भोजन की आवश्यकता होगी तथा यदि वर्तमान रुझानों को बदलने के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास नहीं किये गए तो यह एक अभूतपूर्व चुनौती होगी।
  • वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI): 
    • वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2022 में भारत 121 देशों में से 107वें स्थान पर है।
    • दक्षिण एशियाई देशों में भारत (107), श्रीलंका (64), नेपाल (81), बांग्लादेश (84) तथा पाकिस्तान (99) भी अच्छी स्थिति में नहीं है।
    • विश्व स्तर पर हाल के वर्षों में भुखमरी के खिलाफ प्रगति काफी हद तक स्थिर रही है, वर्ष 2022 में 18.2 का वैश्विक स्कोर वर्ष 2014 में 19.1 की तुलना में थोड़ा बेहतर हुआ है। हालाँकि वर्ष 2022 का GHI स्कोर अभी भी ‘मध्यम’ है।
  • FSSAI का राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (SFSI):
    • राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक में तमिलनाडु शीर्ष पर है, उसके बाद गुजरात और महाराष्ट्र हैं।
      • तमिलनाडु ने 100 के पैमाने पर कुल 82.5 अंक हासिल किये। मापदंडों में मानव संसाधन और संस्थागत डेटा, अनुपालन, खाद्य परीक्षण- बुनियादी ढांँचा तथा निगरानी, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण व उपभोक्ता अधिकारिता शामिल हैं।
    • केंद्रशासित प्रदेशों (UT) में जम्मू-कश्मीर 68.5 के स्कोर के साथ राष्ट्रीय राजधानी से बेहतर प्रदर्शन करते हुए सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (66) और चंडीगढ़ (58) का स्थान है।
  • वास्तविक रिपोर्ट:
    • खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिये भारत के उपकरण लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TDPS) के तहत 90 मिलियन से अधिक पात्र लोगों को कानूनी अधिकारों से बाहर रखा गया है। 
    • भारत की जनगणना 2011 योजना द्वारा कवर किये जाने वाले लोगों की संख्या पर पहुँचने के लिये डेटा का स्रोत बनी हुई है। परिणामस्वरूप बाद के वर्षों में आबादी के एक बड़े हिस्से का बहिष्कार देखा गया है।
    • कानूनी ढाँचे में इस अंतर्निर्मित भ्रांति के कारण कम-से-कम 12% आबादी कानूनी अधिकारों से बाहर हो गई।

विभिन्न रिपोर्टों द्वारा दिये गए सुझाव:

  • प्रणालीगत नीति परिवर्तन:
    • प्रणालीगत नीतिगत परिवर्तन द्वारा लोगों की स्थिति को सुधारने और 2030 तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनिवार्य 'ज़ीरो हंगर' के सतत् विकास लक्ष्य को पूरा करने के लिये  वैश्विक ठोस प्रयास आवश्यक हैं।
  • सतत् कृषि प्रणाली:
    • जनसंख्या के तेज़ी से विकास के साथ ही भोजन की मांग भी बढ़ी है।
    • इससे निपटने के लिये कृषि प्रणालियों को भविष्य में स्थायी तरीके से और अधिक भोजन का उत्पादन करने की आवश्यकता होगी।  
  • कीड़ों की जनसंख्या में गिरावट:
    • कीट परागणकर्त्ताओं की बहुतायत के बिना मनुष्यों को बड़े पैमाने पर भोजन और अन्य कृषि उत्पादों के उत्पादन में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
    • कीट अपनी विविधता, कृषि, मानव स्वास्थ्य और प्राकृतिक संसाधनों पर पारिस्थितिक भूमिका के प्रभाव के कारण महत्त्वपूर्ण हैं। 
    • वे सभी स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों के लिये जैविक आधार बनाते हैं, वे पोषक तत्त्वों का चक्रण करते हैं, पौधों को परागण करते हैं, बीजों को फैलाते हैं, मिट्टी की संरचना और उर्वरता को बनाए रखते हैं, अन्य जीवों की आबादी को नियंत्रित करते हैं तथा अन्य जीवों के लिये एक प्रमुख खाद्य स्रोत प्रदान करते हैं।
  • अल्पावधि आवश्यकताओं से परे सोचें:
    • निर्णय लेने वालों को अल्पकालिक ज़रूरतों से परे सोचने की ज़रूरत है। दूर-दृष्टि की कमी, अलग-अलग दृष्टिकोण और त्वरित सुधार सभी के लिये घातक साबित हो सकते हैं|
    • प्रक्रियाओं को तत्काल बदलने की आवश्यकता है ताकि कृषि खाद्य प्रणालियों के लिये अधिक टिकाऊ और लचीला भविष्य बनाया जा सके।
  • विभिन्न दृष्टिकोण के माध्यम से पोषण:
    • बेहतर पोषण में भोजन के साथ-साथ स्वास्थ्य, पानी, स्वच्छता, लिंग संबंधी दृष्टिकोण और सामाजिक मानदंड शामिल हैं। अतः पोषण संबंधी अंतर को भरने के लिये व्यापक नीति को लाने की आवश्यकता है।
  • सामाजिक अंकेक्षण क्रियाविधि की आवश्यकता:
    • राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अनिवार्य रूप से स्थानीय अधिकारियों की मदद से हर ज़िले में मध्याह्न भोजन योजना का सोशल ऑडिट करना चाहिये और साथ ही  पोषण संबंधी जागरूकता पर काम करना चाहिये।
    • कार्यक्रम की निगरानी में सुधार के लिये सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग पर भी विचार किया जा सकता है।
  • PDS को फिर से उन्मुख करना: 
    • इसे और अधिक पारदर्शी व भरोसेमंद बनाने तथा पौष्टिक भोजन की उपलब्धता, पहूँच और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिये निम्न सामाजिक-आर्थिक लोगों की क्रय शक्ति पर सकारात्मक प्रभाव डालने के हेतु पुन: एक उन्नत सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता है।
  • महिलाओं के नेतृत्व में SDG मिशन:
  • अपशिष्ट कम करना, भूख कम करना: 
    • भारत अपने कुल वार्षिक खाद्य उत्पादन का लगभग 7% और फलों और सब्जियों का लगभग 30% अपर्याप्त भंडारण सुविधाओं एवं कोल्ड स्टोरेज के कारण बर्बाद कर देता है।
    • इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रेफ्रिजरेशन के अनुसार, यदि विकासशील देशों में विकसित देशों के समान स्तर का रेफ्रिजरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर होता, तो वे 200 मिलियन टन भोजन या अपनी खाद्य आपूर्ति का लगभग 14% बचा सकते थे, जो भूख और कुपोषण से निपटने में मदद कर सकता है।

भूख/कुपोषण उन्मूलन के लिये भारत की पहलें:

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत किये गए प्रावधानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. केवल 'गरीबी रेखा से नीचे (BPL) की श्रेणी में आने वाले परिवार ही सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं।  
  2. परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार का मुखिया होगी। 
  3. गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छह महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हकदार हैं। 

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 और 2    
(b) केवल 2 
(c) केवल 1 और 3    
(d) केवल 3  

उत्तर: (b) 

व्याख्या:  

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के माध्यम से सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को स्थापित किया गया है। 5 जुलाई, 2013 को अधिनियमित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) ने खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण को कल्याण से अधिकार आधारित दृष्टिकोण में बदलाव को चिह्नित किया। 
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 की मुख्य विशेषताएंँ: 
  • 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को TPDS के तहत प्रतिमाह 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति की समान पात्रता के साथ कवर किया जाएगा। 
  • गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 6 महीने से 14 वर्ष की आयु के बच्चे एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) तथा मध्याह्न भोजन (MDM) योजनाओं के तहत निर्धारित पोषण मानदंडों के अनुसार भोजन के हकदार होंगे। 6 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों के लिये उच्च पोषण मानदंड निर्धारित किये गए हैं। 
  • गर्भवती महिलाएंँ और स्तनपान कराने वाली माताएंँ भी कम-से-कम 6,000 रुपए का मातृत्व लाभ पाने की हकदार होंगी। 
  • NFSA के कार्यान्वयन से पहले राज्य सरकारों द्वारा मुख्य रूप से तीन प्रकार के राशन कार्ड जारी किये जाते थे जैसे कि गरीबी रेखा से ऊपर (APL), गरीबी रेखा से नीचे (BPL) और अंत्योदय (AAY) राशन कार्ड अलग-अलग रंगों के होते हैं। NFSA,2013 के अनुसार, APL और BPL समूहों को दो श्रेणियों में फिर से वर्गीकृत किया गया है - गैर-प्राथमिकता और प्राथमिकता। अतः कथन 1 सही नहीं है। 
  • राशन कार्ड जारी करने के उद्देश्य से परिवार की 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की सबसे बड़ी महिला को घर की मुखिया होना चाहिये। अत: कथन 2 सही है। 
  • गर्भवती महिलाएँ और स्तनपान कराने वाली माताएँ 600 कैलोरी ऊर्जा तथा प्रतिदिन 18-20 ग्राम प्रोटीन के पूरक आहार के रूप में माइक्रोन्यूट्रिएंट फोर्टिफाइड फूड और/या एनर्जी डेंस फूड के रूप में राशन प्राप्त करने की हकदार हैं। अत: कथन 3 सही नहीं है।  

अतः विकल्प (b) सही है। 


प्रश्न. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के साथ मूल्य सब्सिडी के प्रतिस्थापन से भारत में सब्सिडी का परिदृश्य कैसे बदल सकता है?  विचार-विमर्श कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2015)

प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? खाद्य सुरक्षा विधेयक ने भारत में भूख और कुपोषण को दूर करने में किस प्रकार सहायता की है? (मुख्य परीक्षा, 2021)

प्रश्न. भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? इसे प्रभावी और पारदर्शी कैसे बनाया जा सकता है? (मुख्य परीक्षा, 2022)

स्रोत: डाउन टू अर्थ


शासन व्यवस्था

वर्षांत समीक्षा-2022: CSIR

प्रिलिम्स के लिये:

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), प्रमुख उपलब्धियाँ

मेन्स के लिये:

CSIR की प्रमुख उपलब्धियाँ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की वर्षांत समीक्षा जारी की गई।

CSIR की प्रमुख उपलब्धियाँ: 

  • पहली जैव ईंधन-संचालित उड़ान:
    • CSIR ने देहरादून से दिल्ली के लिये जैव ईंधन से संचालित पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाते हुए भारत की पहली जैव ईंधन-संचालित उड़ान की सुविधा प्रदान की।
      • जैव-विमानन ईंधन का उत्पादन CSIR- भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (IIP) द्वारा जेट्रोफा ईंधन से स्वदेशी रूप से तैयार किया गया और यह संस्थान की पेटेंट तकनीक पर आधारित था।
  • अरोमा मिशन:
    • CSIR ने वर्ष 2016 में CSIR-अरोमा मिशन शुरू किया था, जो सुगंध उद्योग के विकास और ग्रामीण रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये कृषि, प्रसंस्करण और उत्पाद विकास में हस्तक्षेप के माध्यम से सुगंध क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव लाने का प्रयास करता है।
  • स्वदेशी आटोक्लेव प्रौद्योगिकी:
    • CSIR-राष्‍ट्रीय वैमानिकी प्रयोगशाला (NAL) ने उन्नत हल्के वज़न वाले कंपोजिट के प्रसंस्करण के लिये अत्याधुनिक स्वदेशी आटोक्लेव प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक विकास किया है जो आधुनिक दौर के नागरिक एवं सैन्य एयरफ्रेम के अभिन्न अंग हैं।
  • प्लास्टिक का डीज़ल में परिवर्तन:
    • CSIR-IIP और गेल (पेट्रोलियम व्यापार कंपनी) ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो 1 टन प्लास्टिक अपशिष्ट और अन्य पॉलीओलेफिन उत्पादों को 850 लीटर के सबसे स्वच्छ ग्रेड डीज़ल में परिवर्तित कर सकती है
  • एनारोबिक गैस लिफ्ट रिएक्टर (AGR):
    • CSIR- भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) ने पोल्ट्री अपशिष्ट, खाद्य अपशिष्ट, प्रेस मिट्टी, मवेशी खाद, नगर निगम ठोस अपशिष्ट के जैविक अंश (OFMSW), सीवेज अपशिष्ट आदि जैसे जैविक ठोस अपशिष्ट से बायोगैस और जैव खाद के उत्पादन के लिये एनारोबिक गैस लिफ्ट रिएक्टर (AGR) के रूप में जानी जाने वाली एक उच्च दर बायोमिथेनेशन तकनीक का विकास करते हुए इसका पेटेंट कराया है। 
  • RENEU प्रौद्योगिकी: 
    • CSIR-पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने आर्द्रभूमि के निर्माण के लिये  पारिस्थितिक इकाइयों के साथ-साथ नालों का जीर्णोद्धार (Restoration of Nallah with Ecological Units- RENEU) प्रौद्योगिकी विकसित की है जो अपशिष्ट जल उपचार की स्थायी प्रक्रियाएँ हैं। पवित्र धार्मिक त्योंहार के दौरान तीर्थयात्रियों के लिये गंगा को स्वच्छ रखने के राष्ट्रीय मिशन के हिस्से के रूप में RENEU को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया था।
  • दृष्टि ट्रांसमिसोमीटर:
    • CSIR-NAL ने दृष्टि ट्रांसमिसोमीटर की तकनीक को विकसित और स्थानांतरित किया है जिसे भारत के कई हवाई अड्डों पर स्थापित किया गया है। ट्रांसमिसियोमीटर एक दृश्यता मापने की प्रणाली है, जो हवाई अड्डे के सुरक्षित संचालन और लैंडिंग के लिये उपयोगी है।  
  • हेड-अप डिस्प्ले (HUD):
    • CSIR-केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (CSIO), चंडीगढ़ और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के बीच वाणिज्यिक उत्पादन के संबंध में तेजस लड़ाकू विमान के लिये हेड-अप डिस्प्ले (HUD) के एक नए संस्करण के निर्माण हेतु एक हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • भारतीय निर्देशक द्रव्य:
    • भारतीय निर्देशक द्रव्य (BND 420) भारत का पहला स्वदेशी उच्च शुद्धता वाला स्वर्ण संदर्भ मानक है जिसे भारत सरकार टकसाल (IGM), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), CSIR-NPL और सामग्रियों की संरचनागत विशेषता के लिये राष्ट्रीय केंद्र के सहयोग से विकसित किया गया है। .
  • शेल गैस:
    • CSIR-CIMFR ने मध्य भारत में गोंडवाना बेसिन और गोदावरी बेसिन में दो क्षेत्रों में शेल गैस की खोज की है। इन दो बेसिनों में देश में अब तक खोजी गई कुल शेल गैस लगभग 63 ट्रिलियन क्यूबिक फीट (TCF) होने का अनुमान है।
      • इसे गैर-पारंपरिक प्राकृतिक गैस के सर्वोत्तम स्रोतों में से एक माना जाता है। 
  • पोर्टेबल रीडिंग मशीन (PRM):
    • CSIR-CSIO द्वारा विकसित एक रीडिंग डिवाइस पाठ को ज़ोर से पढ़कर नेत्रहीन दिव्यांगों की मदद करता है। "दिव्य नयन" नाम की उन्नत रीडिंग मशीन एक स्टैंड-अलोन, पोर्टेबल रीडिंग मशीन है। 
  • डाइमिथाइल ईथर:
    • CSIR-NCL ने मेथनॉल से डाइमिथाइल ईथर (Dimethyl Ether- DME) बनाने के लिये एक स्वदेशी प्रक्रिया प्रौद्योगिकी स्थापित की है। 
  • भूकंप चेतावनी प्रणाली:
    • CSIR-CSIO द्वारा अपनी तरह की पहली भूकंप चेतावनी प्रणाली विकसित की गई है। यह प्रणाली भूकंप के झटके को महसूस कर सकती है, उन्हें रिकॉर्ड कर सकती है और वास्तविक समय में संबंधित कार्रवाई बिंदुओं पर एक SMS तैयार कर सकती है।  
  • सिंधु साधना: 
    • हिंद महासागर में सूक्ष्मजीवों के जीनोम मैपिंग के लिये नमूने एकत्र करने हेतु पहला स्वदेश निर्मित अनुसंधान पोत सिंधु साधना राष्ट्र को समर्पित किया गया था।।
  • हरित पटाखे:
    • CSIR-NEERI ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिये हरित पटाखे विकसित किये। नकली पटाखों के निर्माण और बिक्री पर नजर रखने हेतु एक ग्रीन लोगो (Green Logo) और क्यूआर कोडिंग प्रणाली भी शुरू की गई।
  • हींग की खेती: 
  • किसान सभा एप:
    • किसानों को आपूर्ति शृंखला और माल परिवहन प्रबंधन प्रणाली से जोड़ने के लिये CSIR- केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) द्वारा किसान सभा एप विकसित किया गया है।
      • यह पोर्टल किसानों, ट्रांसपोर्टरों और कृषि उद्योग से जुड़ी अन्य संस्थाओं के लिये वन-स्टॉप समाधान के रूप में कार्य करता है। 
  • क्षीर स्कैनर:
    • CSIR ने मिलावटी दूध का पता लगाने के लिये एक कम लागत और पोर्टेबल क्षीर स्कैनर विकसित किया है।
  • चावल की किस्म:
    • हैदराबाद में भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान के सहयोग से CSIR-कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (Centre for Cellular and Molecular Biology -CCMB) ने चावल की एक नई किस्म जारी की है जो कीटों का प्रतिरोध करती है और मधुमेह से ग्रस्त लोगों के लिये लाभकारी है।
      • नई उन्नत सांबा मसूरी (ISM) चावल की किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट (BB) के लिये प्रतिरोधी है।
  • जिज्ञासा: 
    • CSIR द्वारा स्कूली छात्रों को वैज्ञानिकों से जोड़कर CSIR के वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (SSR) को व्यापक और गहरा करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर CSIR द्वारा की गई प्रमुख पहलों में से एक है।
  • बैंगनी क्रांति: 
    • CSIR ने जम्मू और कश्मीर में कृषक परिवारों को लाभान्वित करते हुए लैवेंडर की खेती शुरू करके प्रसिद्ध बैंगनी क्रांति को सक्षम किया। भारत कुछ वर्ष पूर्व तक लेमनग्रास आवश्यक तेल के आयातकों में से एक था, अब दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक बन गया है।
      • फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत ट्यूलिप बल्ब उत्पादन के स्वदेशी विकास ने रोपण सामग्री के आयात को कम करने में मदद की।
  •  गाँव का पानी गाँव में:
    • CSIR ने चयनित गाँवों में जल संसाधन बढ़ाने के लिये ग्राम स्तरीय जल प्रबंधन (VLWM) योजनाओं के विकास हेतु एक मिशन मोड परियोजना का नेतृत्व किया है। 
      • जल जीवन मिशन के तहत जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से उत्तर-पश्चिमी भारत के शुष्क क्षेत्रों में उच्च-रिज़ॉल्यूशन एक्विफर मैपिंग और प्रबंधन पर मिशन का शुभारंभ और इसे कार्यान्वित भी किया गया है। 
  •  भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन ईंधन सेल बस:
    • बस बिजली पैदा करने के लिये हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं और वायु का उपयोग करती है और बिना रुके 600 किमी. तक चल सकती है। बस से निकलने वाला एकमात्र उत्सर्जन पानी है, इस प्रकार यह परिवहन का सबसे पर्यावरण अनुकूल तरीका है।
  • पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL): 
    • हाल ही में मंत्रिमंडल ने पेटेंट कार्यालयों के अलावा उपयोगकर्त्ताओं के लिये TKDL डेटाबेस की व्यापक पहुँच को मंज़ूरी दी, उपयोगकर्त्ताओं के लिये TKDL डेटाबेस के खुलने से विभिन्न क्षेत्रों में भारत की मूल्यवान विरासत के आधार पर अनुसंधान और विकास एवं नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
  • स्टील स्लैग सड़क:
    • CSIR ने अपशिष्ट स्टील स्लैग को सड़क बनाने वाले समुच्चय के रूप में परिवर्तित करने के लिये स्टील स्लैग वेलोराइजेशन तकनीक विकसित की। अपशिष्ट स्टील स्लैग के माध्यम से विकसित प्रसंस्कृत स्टील स्लैग समुच्चय का सूरत में भारत के पहले स्टील स्लैग रोड के निर्माण में सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है।
  • हंसा एनजी की पहली उड़ान:
    • CSIR-NAL ने हंसा एनजी विमान को डिज़ाइन और विकसित किया, जो भारत में फ्लाइंग क्लबों के लिये प्रारंभिक उड़ान प्रशिक्षण विमान के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला एक समग्र दो सीटों वाला हल्का ट्रेनर विमान है, एक प्रशिक्षक विमान के रूप में इसे और अधिक उपयोगी बनाने के लिये हंसा 3 विमान में महत्त्वपूर्ण संशोधन किये गए हैं।  
      • HANSA-NG ‘हंसा’ का उन्नत संस्करण है, जिसने वर्ष 1993 में पहली उड़ान भरी थी और इसे वर्ष 2000 में प्रमाणित किया गया था।
  • 3D-मुद्रित रोगी-विशिष्ट चिकित्सा प्रत्यारोपण:
    • CSIR-CSIO ने मानव शरीर के कई अंगों के लिये रोगी-विशिष्ट चिकित्सा प्रत्यारोपण के निर्माण के लिये एक तकनीक विकसित की है। उत्पाद के वाणिज्यिक उत्पादन और विपणन के लिये प्रौद्योगिकी को उद्योग को हस्तांतरित कर दिया गया है। 
  • डिजिटल मोड पर वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को जोड़ना:
    • CSIR ने सामाजिक चुनौतियों/समस्याओं का संयुक्त रूप से समाधान निकालने के लिये वैश्विक भारतीय एस एंड टी डायस्पोरा से जुड़ने के लिये एक आभासी मंच- प्रभास (प्रवासी भारतीय अकादमिक और वैज्ञानिक संपर्क) पोर्टल विकसित किया है। 
  • CSIR 'स्किल इंडिया पहल':  
    • इस पहल का उद्देश्य CSIR प्रयोगशालाओं के संपर्क के माध्यम से युवा पीढ़ी को आवश्यक तकनीकी कौशल से लैस करना है। इस पहल के तहत 2 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है।

स्रोत: पी.आई.बी


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